करी पत्ता की खेती / Curry Leaves Farming / Curry Patta ki Kheti : करी पत्ता खेती / Curry Leaves Cultivation करी पत्ता को मीठी नीम से भी जाना जाता है. यह बहुत ही गुणकारी पौधा है. इसकी खेती (Curry Leaves Farming ) अन्य खेतियों की तरह ही मुनाफा देती है. करी पत्ता की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. करी पत्ते का इस्तेमाल सलाद, व्यंजनों के छौंक में, खासकर रसेदार व्यंजनों में किया जाता है. करी पत्ता में ऐंटी-डायबिटीक, ऐंटीऑक्सीडेंट, ऐंटीमाइक्रोबियल, ऐंटी-इन्फ्लेमेटरी, हिपैटोप्रोटेक्टिव, ऐंटी-हाइपरकोलेस्ट्रौलेमिक प्रचूर मात्रा में पाए जाते है, चलिए जानते है करी पत्ता की खेती कैसे करे? करी पत्ता की खेती करने के साथ-साथ करी पत्ता के फायदे की जानकारी प्राप्त कर सकते है.
caption id=”attachment_8500″ align=”aligncenter” width=”640″] करी पत्ता की खेती (Kari Patta ki Kheti) कैसे करे[/caption]
करी पत्ता की खेती – Kari Patta ki Kheti
करी पत्ता औषधीय गुणों से भरपूर है. लड़कियाँ और महिलाएं लम्बे बाल की चाहत में इसका इस्तेमाल करती है.
इसको बालों और त्वचा के लिए भी सौन्दर्यवर्धक मना गया है. इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई, आयरन, कैल्शियम और फॉलिक एसिड की प्रचूर मात्रा पायी जाती है. यह स्वस्थ के लिए बहुत लाभदायक होता है. इसके पत्ते, छाल और जड़ों का इस्तेमाल देसी दवाइयों में टॉनिक, उत्तेजक, वातहर और क्षुधावर्धक के रूप में किया जाता है. करी पत्ते का उपयोग चटनी और चूरन बनाने में भी किया जाता है. किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते है. इसके अलावा आप Shalgam ki kheti, Tinda ki kheti, Torai ki kheti, Sahjan ki kheti, Arbi ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
करी पत्ता की खेती की पूरी जानकारी – Beetroot Farming in Hindi
अनुकूल जलवायु
करी पत्ता की खेती (curry leaves cultivation) के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय दोनों जलवायु को सबसे उपयुक्त मना गया है. इसकी खेती के लिए सर्दियों में न्यूनतम 10 डिग्री और गर्मियों में अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस तापमान से पौधों का विकास अच्छा होता है.
भूमि का चयन
करी पत्ते की फसल (curry leaves Crop) के लिए उचित जल प्रबन्धन वाली दोमट मिट्टी सर्बोत्तम मानी गई है. इसकी खेत के लिए मिट्टी का pH मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए.
खेत की तैयारी
करी पत्ता (मीठी नीम) खेती (Curry Leaves Farming) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें. जिससे खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. इसके बाद खेत में 200 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद डालकर खेत की कल्टीवेटर से दो से तीन आडी-तिरछी जुताई कर भूमि को समतल कर लें.
खेत को समतल कर तीन से चार मीटर की दूरी पर पंक्तिबद्ध तरीके से गड्ढे तैयार कर लें. फिर गड्ढों में पुरानी गोबर की खाद और जैविक उर्वरक की उचित मात्रा को मिट्टी में मिलाकर उन्हें गड्ढों में 15 दिन पहले भर दें. मिट्टी भरने के बाद गड्ढों की सिंचाई करें
करी पत्ता की उन्न किस्में
अधिकतर किसान करी पत्ते की स्थानीय वैरायटी को पसंद करते है. लेकिन कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ ने करी पत्ता की दो उन्नति वैरायटी DWD-1 और DWD-2 को विकसित किया है. जिनमें क्रमशः 5.22 और 4.09% करी पत्ते के तेल की मात्रा पायी जाती है. इस किस्म की पत्तियों में तेज़ सुगन्ध होती है और बाजार में इसके अच्छे दाम मिल जाते है.
बुवाई का समय
करी पत्ते के पौधों को सालभर लगाया जा सकता है लेकिन करी पत्ते के पौधों को गर्मी, बारिश या फिर सर्दियां शुरू होने से पहले ही लगाए. करी पत्ते के पौधे लगाने का सही समय मार्च का महीना मना गया है.
बुवाई का तरीका
करी पत्ते को सीधे बीज और पौध द्वारा लगाया जा सकता है. लेकिन लगाने का उचित तरीका यह है कि आप पहले इसकी नर्सरी तैयार कर लें या फिर किसी मान्यता प्राप्त नर्सरी से इसके पौधे खरीदें आकर रोपाई कर देनी चाहिए.
बीज की दुरी
बीजो की रोपाई खेत में 3 से 4 मीटर की दूरी पर तैयार गड्डो में की जाती है
बीज की गहराई
करी पत्ता के दो से तीन बीज को करीब तीन से चार सेंटीमीटर गहराई पर रखकर ऊपर से मिट्टी डाल दें.
बीज की मात्रा
एक एकड़ में करीब 70 किलों बीज की जरुरत होती है.
बीज उपचार
बीजों को गड्डों में लगाने से पहले उनको उपचारित कर लेना चाहिए. कढ़ी पत्ते के बीजो को उपचारित करने के लिए करीब दो से तीन घंटे गोमूत्र में भिगोकर रखना चाहिए
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए.
सिंचाई
करी पत्ता के पौधे लगाने के तुरंत बाद सिचाई करनी चाहिए. पौधों की आवश्यकतानुसार पौधों की सिचाई करते रहना चाहिए.
फसल की कटाई
करी पत्ता (मीठी नीम) के पौधे की शाखाओं में पत्तियाँ पूर्ण विकसित हो जाने पर पत्तियों की तुड़ाई कर सकते है.
कटाई के बाद
करी पत्ता की पत्तियों को तोड़ने के बाद किसी छायादार स्थान पर सुखना चाहिए. पत्तियों को सूखते वक्त उनको
पलटते रहना चाहिए जिससे पत्तियों में सडन पैदा नहीं होगी. पत्तियों के सूख जाने बाद उनका चूर्ण बनाकर या पत्तियों को सीधा बाज़ार में बेचा जा सकता है. बाजार में हरी पत्तियों की मांग हमेसा बानी रहती है जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
पैदावार और लाभ
करी पत्ते की एक साल में चार बार कटाई की सकती है. जिनको सुखाकर बेचा जा सकता है. करी पत्ते की एक एकड़ खेत से एक साल में करीब चार टन माल आसानी से मिल जाता है. जिनको बेचकर एक बार में एक लाख से ज्यादा की कमाई की जा सकती है.
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