Kalonji Cultivation कलौंजी को व्यापारिक तौर देखा जाये तो इसको अधिक मुनफा देने वाली फसल माना गया है क्योकि इसकी डिमांड भारतीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में हमेसा बनी रहती है. कलौंजी के बीज आकार बहुत छोटा होते है जिनका इस्तेमाल सब्जी, सलाद, नान, ब्रैड, केक, आचार, पुलाव तथा आचारों में खट्टेपन का स्वाद लाने के लिए किया जाता है. कलौंजी में अहम औषधीय गुण पाए जाते है जो शरीर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होते हैं. कलौंजी की खपत और लाभ को देखते हुए किसान कलौंजी की खेती करने की सोच सकते है.
कलौंजी की खेती (Kalonji ki kheti)
कलौंजी को औषधीय पौधा के रूप में उगाया जाता है, जिसकी बाजार में खूब डिमांड रहती है. कलौंजी को कालाजीरा, कलवंजी, कलौंजी, मंगरैल, कलोंजी, कलौंजी जीरु, मोटा कालीजीरे, कालवन्जी, मुंगेलो, मुंगरैला आदि नाम से जाना जाता है. कलौंजी की खेती दक्षिण पश्चिमी एशिया, भूमध्य सागर के पूर्वी तटीय देशों और उत्तरी अफ्रीकी देशों में की जाती हैं. इसके अलावा कलौंजी की खेती भारत के पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा आसाम आदि राज्यों में मुख्य रूप से की जा रही है. अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को अंत पढ़ें
कब और कैसे करें कलौंजी की खेती
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कलौंजी की खेती हेतु जलवायु
ठण्ड यानी रबी सीजन कलौंजी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, फसल के अच्छे विकास हेतु 18 डिग्री से 30 डिग्री तापमान उचित माना जाता है.
कलौंजी की खेती के लिए मिट्टी
एक्सपर्ट्स के अनुसार जीवाश्म युक्त 6-7 पी. एच. मान वाली मिट्टी कलौंजी की उन्नत खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है. फसल को नुकसान से बचाने के लिए खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
कलौंजी की उन्नत किस्में
कलौंजी या मंगरैला की बाजार में विभ्भिन उन्नत किस्में मौजूद है जो इस प्रकार है- एन.आर.सी.एस.एस.एन.-1, आजाद कलौंजी, अजमेर कलौंजी, पंत कृष्णा, एन.एस.-44, एन.एस.-32 आदि
कलौंजी खेत की तैयारी
कलौंजी की बुआई पहले खेत की पलाऊ से करें ताकि पुरानी फसल के अवशेष और खरपतवार नष्ट हो जाए. खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए उचित मात्रा में सड़ी गोबर की खाद डालकर खेत की जुताई कर दें. बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर मिट्टी की भुरभुरी बनाकर समतल कर लें.
बुवाई का समय
कलौंजी की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कलौंजी की बुवाई समय करनी होगी. कलौंजी की बुवाई मध्य सितम्बर से मध्य अक्टूबर तक कर सकते है.
बीज की मात्रा एवं उपचार
कलौंजी की एक हेक्टेयर खेती करने के लिए करीब 7-8 किलोग्राम बीज आवश्यकता होती है. अगर बीज घर का है तो बुआई से पूर्व कैप्टॉन, थीरम व बाविस्टीन से 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. की दर से उपचारित करना आवश्यक होता है.
कलौंजी की बुवाई का तरीका
छिटकव विधि या मशीन द्वारा कलौंजी की बुवाई कर सकते है. अगर आप कतार विधि से कलौंजी की बुवाई करते है तो बिजाई के दौरान से बीज की 30 सें.मी. की दूरी और गहराई 2 सें.मी. रखकर बुआई कर सकते है.
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
कलौंजी की फसल को भी अन्य फसलों की तरह ही उर्वरक की आवश्यकता होती है. कलौंजी की फसल के लिए खेत तैयार करते समय 4-5 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें. इसके अलावा बुवाई से पहले 20-25 किलो नाइट्रोजन, 8-10 किलो फॉस्फोरस और 6-8 किलो पोटाश प्रति एकड़ की दर डालें.
कलौंजी की सिंचाई
कलौंजी की बुवाई के लिए तुरंत बाद सिचाई करें ताकि अंकुरण सही से हो सकें. कलौंजी की फसल को कम से कम 5 से 6 सिंचाइयों की आवश्कता होती है, पौधों के अच्छे विकास हेतु 15 से लेकर 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए
कलौंजी में खरपतवार नियंत्रण
कलौंजी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली नीदाई-गुड़ाई बुवाई के करीब 25 से 30 दिन बाद करनी चाहिए. खरपतवार की रोकथाम के लिए समय समय पर आवश्यकतानुसार नराई/गुड़ाई करें.
कलौंजी में रोग एवं रोकथाम
कटवा इल्ली:- यह रोग अंकुरण के तुरंत बाद शुरू हो जाता है. इस रोक की रोकथाम के लिए उचित मात्रा क्लोरोपाइरीफास का छिड़काव करें. जड़ गलन:- यह तो जल भराव के कारण फसल में आता है. इसकी रोकथाम के लिए खेत में पानी न भरने दें.
कलौंजी फसल कटाई (Harvesting Kalonji Crop)
कलौंजी की कटाई बुवाई के करीब 130-150 दिनों बाद शुरू हो जाती है. कटाई के लिए तैयार फसल के पौधों को जाड से उखड लिया जाता है. पौधों को उखाड़कर 7-8 दिनों तक धुप में सूखने के बाद कलौंजी के दानो को निकाल लिया जाता है.
कलौंजी की पैदावार और लाभ (Kalonji yield and profit)
कलौंजी की फसल से पैदावार भूमि. जलवायु, किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है. सामान्यतः कलौंजी की फसल से औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हो जाती है. जिसका भाव करीब 20 हज़ार प्रति क्विंटल के आस-पास मिल जाता है.
कलौंजी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि कलौंजी की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Kalonji Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.