Grapes Cultivation : बागवानी व्यवसाय के रूप में अंगूर की खेती पिछले पांच – छः दशकों से किसानो को तगड़ा मुनफा दिला रही है. भारत में अंगूर की खेती से महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में देश का करीब 70 अंगूर का उत्पादन होता है क्योकि नासिक की जलवायु, मिट्टी अंगूर की उन्नत खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. अगर आप भी अपने क्षेत्र में Angur ki Kheti करना चाहते है तो आपको इसकी खेती के सम्बंधित सभी तकनीक को पता करना होगा तभी आप अंगूर की उन्नत खेती पाएंगे.
अंगूर की खेती (Angoor ki kheti)
अंगूर व्यावसायिक रूप से उगाई जाने वाली विश्व की सबसे लोकप्रिय फसल है जिसने पिछले कई दशकों से भारत में भी अपना एक प्रमुख स्थान बना लिया है. इसलिए भारत में Grapes Cultivation का क्षेत्रफल प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. व्यापारिक तौर पर अंगूर की खेती बेहत लाभदायक साबित हो रही है क्योकि इससे शराब, बियर, सिरका, किशमिश के अलावा जेली, जाम, जूस, आदि खाने की वस्तुएं बनाई जाती है. अंगूर का सेवन मधुमेह, हृदय, कब्ज, हड्डियों, त्वचा और बालों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी साबित हो रहा है. इसी वजह से अंगूर की मांग राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब रहती है. ऐसी में Angoor ki Kheti करना किसानो के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
भारत में अंगूर की खेती कब और कैसे करें?
अगर आप अंगूर की खेती करना चाहते है तो और अंगूर की खेती के आधुनिक तरीके जानना चाहते हो आप ऐस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें क्योकि आप के लिए अंगूर की खेतीकब और कैसे की जाती है, इसके लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, खाद व उर्वरक. अंगूर की खेती के लिए कितना पीएच मान होना चाहिए और अंगूर के पौधे कहा से खरीदें आदि की जानकरी इस लेख में देने वाले है तो चलिए जानते है अंगूर की खेती कैसे करें. Angur Ki Kheti Kaise Kare, अंगूर की सघन बागवानी कैसे करनी चाहिए, इसकी पुख्ता जानकारी के लिए नीचे दी गई जानकारी को पढ़ना चाहिए.
कैसी होनी चाहिए जनवायु
गर्म, शुष्क, तथा दीर्घ ग्रीष्म ऋतु अंगूर की उन्नत खेती के लिए अनुकूल रहती है, मई-जून में फसल पकने के दौरान होने वाली वर्षा हानिकारक होती है. इससे फल की मिठास कम और फल चटक लगते है.
अंगूर की खेती के लिए मिट्टी
कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट, चिकनी बलुई मिट्टी अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है. फसल के समुचित विकास के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए.
कैसे तैयार करें अंगूर की खेती के लिए खेत
अंगूर की खेती के लिए खेत तैयार करने के पश्चात 3 मीटर कतार से कतार एवं 2 मीटर पौधे से पौधे की दूरी रखते हुए 50 x 50 x 50 सेंटीमीटर के गड्ढे खोद लें. गड्ढों को भरने के लिए 15 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 250 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम फॉलीडाल कीटनाशक चूर्ण, 200 ग्राम सुपर फॉस्फेट व 100 ग्राम पोटेशियम सल्फेट का मिश्रण बनाकर तैयार कर लें.
अंगूर की रोपाई का समय
क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग समय पर अंगूर की रोपाई की जा सकती है, सामान्यतः अंगूर की रोपाई का मार्च से अप्रैल का समय सबसे अच्छा माना जाता है.
अंगूर की उन्नत किस्में
अंगूर की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए उन्नत प्रजातियों का चयन करना बेहद आवशयक है अंगूर की खेती के लिए कुछ उन्नत किस्मों इस प्रकार है – अरका नील मणि, अनब-ए-शाही, बंगलौर ब्लू, भोकरी, गुलाबी, काली शाहबी, परलेटी, थॉम्पसन सीडलेस इनके अलावा भारत में अंगूर की कुछ अन्य वैरायटी है जिनमें शरद सीडलेस, परलेट, ब्यूटी सीडलेस, पूसा सीडलेस, पूसा नवरंग, अरका राजसी, अरका कृष्णा, अरका श्याम आदि है.
अंगूर की बेलों की रोपाई
रोपाई के लिए तैयार किये गड्ढों में अंगूर के पौधों की रोपाई कर दें. रोपाई के तुरंत बाद अंकुर के पौधों की सिचाई कर देनी चाहिए ताकि पौधे सही जम सकें.
अंगूर की बेलों को साधने का तरीका
अंगूर की बेलों को साधने के लिए पण्डाल, बाबर, टेलीफोन, निफिन एवं हैड आदि विधि प्रचलित हैं. व्यावसायिक दृष्टि से पण्डाल विधि को अंगूर की बेलों को साधने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. इस विधि से बेलों को साधने के लिए उचित दूरी पर कंक्रीट के खंभों के सहारे लगी तारों के जाल पर अंगूर की बेलों को फैलाया जाता है.
अंगूर बेलों की छंटाई
अंगूर की फसल से लगातार अच्छा उत्पादन लेने के लिए बेलों की उचित समय पर काट-छाँट करना बहुत आवश्यक है. लेकिन यह पूरी प्रक्रिया नई कोंपले फूटने से पहले पूरी हो जानी चाहिए. सामान्यतः अंगूर की बेलों काट-छांट जनवरी महीने में की जाती है
अंगूर की सिंचाई
अंगूर की रोपाई के तुरंत बाद पानी देना चाहिए ताकि अंगूर के पौधे अच्छे से जम सकें. अंगूर की फसल पर फूल तथा फल बनने (मार्च से मई ) के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए नहीं तो उत्पादन पर असर पड़ेगा. तापमान तथा पर्यावरण को ध्यान में रखकर 8-10 दिन के अंतराल पर फसल की सिंचाई करनी चाहिए. फल पूर्ण रूप से विकसित होने पर सिचाई बंद कर देनी चाहिए अगर ऐसा नहीं किया तो फल फटने शुरू होने लगेंगे.
अंगूर की फसल के लिए खाद एवं उर्वरक
अंगूर की खेती की लिए खेत तैयार करते समय 15 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 250 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम फॉलीडाल कीटनाशक चूर्ण, 200 ग्राम सुपर फॉस्फेट व 100 ग्राम पोटेशियम सल्फेट का उपयोग करें. अंगूर की फसल अधिक मात्रा में पोषक तत्वों को ग्रहण करती है. इसलिए नाइट्रोजन, म्यूरेट ऑफ पोटाश, पोटेशियम सल्फेट, गोबर की खाद की उचित मात्रा में समय समय पर पौधों में डालें.
अंगूर की फसल में खरपतवार नियंत्रण
अंगूर की फसल में खरपतवार से बचाने के लिए ट्रेक्टर चलित साधनों से अंगूर की फसल में खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है. अंगूर के मुख्य तने के नीचे खरपतवारों को हाथ से या फावड़े से हटाया जा सकता है.
अंगूर की फसल की कटाई
अंगूर की कटाई आमतौर पर उत्तरी क्षेत्र में अगस्त और अक्टूबर और दक्षिणी क्षेत्र में फरवरी और अप्रैल के बीच की जाती है.
अंगूर की फसल से उत्पादन
अंगूर की फसल का उत्पादन उसकी वैरायटी, मिट्टी, जलवायु तथा देखभाल आदि पर निर्भर करता है लेकिन सामान्यतः अंगूर की फसल से औसतन पैदावार रोपाई के दूसरे या तीसरे वर्ष में करीब 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार हो जाती है. अंगूर का एक पौधा अपने जीवन 15 वर्ष तक फल देता है.
Grapes Farming – FAQ
अंगूर की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि अंगूर की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Grapes Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.