Turmeric Cultivation : हल्दी के ऐसी मसाला एवं औषधीय फसल है जिसमें एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण होने के साथ अनेक प्रकार के औषधीय गुण मौजूद होते है जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते है. हल्दी का उपयोग खाने को स्वादिष्ठ बनाने के अलावा कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. यही वजह है कि विश्व स्तर पर हल्दी की मांग बड़े पैमाने पर बनी रहती है. बता दें, औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी की डिमांड का करीब 80 प्रतिशत उत्पादन भारत करता है. इन्ही सब वजहों से हल्दी की खेती किसानो के लिए आमदनी का बेहतर जरिया बन सकती है.
विश्व प्रशिद्ध हल्दी निर्यात में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है, भारत में आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, केरल राज्य में व्यापक स्तर पर की जा रही है. वर्तमान समय में कई कंपनियां हल्दी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी करा रही है. हल्दी की इन्ही विशेषताओं के आधार पर कम लागत तकनीक का उपयोग कर इसकी खेती तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है.
कब और कैसे करें हल्दी की उन्नत खेती?
हल्दी की खेती करते समय किसानो के मन में हल्दी का बीज कहां मिलेगा, हल्दी की खेती से कमाई, हल्दी की खेती pdf, मध्य प्रदेश में हल्दी की खेती,उत्तर प्रदेश में हल्दी की खेती, हल्दी की खेती का समय, 1 एकड़ में हल्दी का उत्पादन, राजस्थान में हल्दी की खेती कहां होती है, प्रतिभा हल्दी की खेती, हल्दी की वैज्ञानिक खेती, हल्दी की खेती कैसे की जाती, हिमाचल प्रदेश में हल्दी की खेती, पंजाब में हल्दी की खेती आदि सवाल आते है. आज हमने इस तरह के सभी सवालों के जवाब इस लेख में दिए है –
कौन से मौसम में बोई जाती है हल्दी
एक्सपर्ट्स के अनुसार गर्म एवं नम जलवायु हल्दी की उन्नत खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी गई है, फसल के अच्छे विकास हेतु 18-20 से.ग्रे. सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना गया है.
हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
उर्वराशक्ति से भरपूर 5 से 7.5 के बीच पी.एच. मान दोमट, जलोढ़ और लैटेराइट मिट्टी हल्दी की उन्नत खेती सबसे बढ़िया मानी जाती है. इसके अललवा खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
हल्दी की उन्नत किस्में
भारत में हल्दी की लगभग 30 किस्में ( (Varieties of Turmeric)) पाई जाती है जिनमें लकाडोंग, अल्लेप्पी, मद्रास, इरोड, सांगली, सोनिया, गौतम, रश्मि, सुरोमा, रोमा, कृष्णा, गुन्टूर, मेघा, सुकर्ण, कस्तूरी, सुवर्णा, सुरोमा और सुगना, पन्त पीतम्भ आदि प्रमुख किस्में हैं.
हल्दी की खेती के लिए भूमि की तैयारी
हल्दी की बुवाई के लिए 20-25 दिन पहले खेत में गोबर के खाद डालें. उसके बाद खेत की अंतिम जुताई कर मिट्टी को चूर्ण रूप या भुरभुरी बना लें. अब अगर आप हल्दी की बुवाई बैड विधि से करना चाहते है तो 15 सेमी ऊँचे, 1 मीटर चौड़े तथा बैड से बैड की दूरी 50 सेमी रखते हुए बैड तैयार कर लें. यदि आप मेड या क्यारियों में हल्दी की बुवाई करने का मन बना रहे है तो मेड से मेड की दूरी 45-60 सेमी और पौधों के बीच 15-20 सेमी रखनी चाहिए.
हल्दी की बुवाई के बीज की मात्रा एवं उपचार
हल्दी की एक एकड़ खेती के लिए करीब 8-10 क्विंटल हल्दी बीज की आवश्यकता होती है. हल्दी की बुवाई के लिए 7-8 सेंटीमीटर लंबाई एवं कम से कम दो आँखों वाले कंद का चयन करें. हल्दी की मिश्रित खेती के लिए 4-6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज पर्याप्त होता है. बुवाई से पहले बीज को प्रति लीटर पानी में 2.5 ग्राम थीरम या मैंकोजेब का घोल बनाकर बीज को 30 से 35 मिनट तक भिगोने के बाद छायादार स्थान सूखा कर बुआई कर दें.
हल्दी की बिजाई का समय
हल्दी की बिजाई जलवायु, क़िस्म एवं सिंचाई सुविधा पर भी निर्भर करती है लेकिन सामान्यतः हल्दी की बिजाई का सबसे उपयुक्त समय 15 मई लेकर 15 जून तक मन गया है.
कैसे करें हल्दी की बुआई
गर्मियों में नाली तथा बरसात में ऊँची क्यारियां या मैड बनाकर हल्दी की बुआई कर सकते है. गर्मियों में 20 सेंटीमीटर चौड़ी तथा 45 सेंटीमीटर दूरी रखते हुए क्यारियां तैयार कर लें. उसके बाद कंद से कंद की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा 20 सेंटीमीटर गहराई रखते हुए बुवाई कर दें, बरसात में हल्दी की बुआई के लिए 15 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियां, मैड या बैड बनाये उसपर कतार से क़तर की दूरी 30 सेंटीमीटर, कंद से कंद की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा 20 सेंटीमीटर गहराई रखते हुए बुवाई कर दें.
हल्दी की फसल में ऐसे डाले फर्टीलाइजर
हल्दी की खेती से उच्च गुणवत्ता एवं अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खाद और उर्वरक का प्रबंधन सही होना चाहिए. खेत तैयार करते समय गोबर की खाद व कम्पोस्ट 40 टन प्रति हेक्टेयर दर से डालें. रासायनिक उर्वरक के तौर पर एक हेक्टर खेत के लिए 100 किलो ग्रा नाइट्रोजन, 50 किलो ग्रा फास्फोरस, 100 किलो ग्रा पोटाश, 20 किलो ग्रा. जिंक सल्फेट की आवश्यकता होती है. जिसमें से नाइट्रोजन की मात्रा को तीन बराबर भागों में बाँट कर एक भाग बुवाई के समय दूसरा भाग बुवाई के करीब 40 से 45 दिन बाद तथा तीसरा भाग 80 से 90 दिन बाद खड़ी फसल में लगा दें.
कैसे करें हल्दी की फसल में सिंचाई
हल्दी की फसल को सिमित सिचाई की आवश्यकता होती है.गर्मी के मौसम में हल्दी की सिचाई 7-8 दिन तथा ठण्ड के मौसम में 15-16 दिन के अंतराल पर सिचाई करें. वही बारिश के मौसम में आवश्यकतानुसार सिचाई करें.
हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण
हल्दी की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित देखभाल करना आवश्यक है. प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रण समय-समय पर आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें.
हल्दी की खेती में कीट और रोग नियंत्रण
हल्दी की फसल में कंद मक्खी, तना भेदक, बारुथ, कंद सड़न, पर्णचित्ती आदि कीट और रोग का प्रकोप रहता है. इन सभी रोगो से निजात पाने के लिए आप अपने यहां के कृषि विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते है.
हल्दी की खुदाई (harvesting turmeric)
हल्दी की फसल तैयार होने में करीब 8-9 महीने लग जाते है, वही हल्दी की अगेती खेती में लगभग 7-8 महीनों में तैयार हो जाती है. जब फसल की पत्तियॉँ पीली पड़कर सूखने लगे तो समझ लेना चाहिए कि फसल कटाई के लिए तैयार है.
हल्दी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि हल्दी की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Turmeric Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.