खजूर की खेती / Date Palm Cultivation / Khajoor Ki kheti : खजूर खेती / Date Palm Farming ईराक, सऊदी अरब, इरान, मिश्र, लिबिया, पाकिस्तान, मोरक्को, टयूनिशिया, सूडान, संयुक्त राज्य अमेरिका व स्पेन विश्व के मुख्य खजूर उत्पादक देश है. राजसथान के जैसलमेर, बारमेर, बीकानेर, व जोधपुर आदि क्षेत्रों की जलवायु को खजूर की खेती के लिए उपयुक्त पाया जाता है. अगर आप खजूर की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आपको खजूर की खेती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी पता होती चाहिए तभी आप खजूर की उन्नत खेती पाएंगे. खजूर की उन्नत खेती करने की इच्छा रखते है तो आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें. खजूर की खेती करने के साथ आप Khajur Khane ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.

खजूर की खेती – Khajoor ki Kheti in Hindi
खजूर की खेती को व्यपारिक दृष्टि से बहुत लाभकारी मन गया है इसकी खेती में जोखिम कम होने की सम्भावना रहती है. खजूर की मांग हमेशा बाजार में बानी रहती है तो किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनफा कमा सकते है. इसके अलावा आप Methi ki Kheti, Safed Musli ki Kheti, Angoor ki Kheti, Shakarkand ki Kheti, Sharifa ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
खजूर की खेती की पूरी जानकारी – Date Palm Farming in Hindi
अगर आप खजूर की खेती करना चाहते है तो और खजूर की खेती के आधुनिक तरीके जानना चाहते हो आप इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें क्योकि आप के लिए खजूर की खेती कब और कैसे की जाती है, इसके लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, खाद व उर्वरक. खजूर की खेती के लिए कितना पीएच मान होना चाहिए और खजूर की रोपाई कैसे करें आदि की जानकरी इस लेख में देने वाले है तो चलिए जानते है खजूर की खेती कैसे करें.
खजूर की खेती के लिए जलवायु
खजूर की खेती के लिए शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है. इसके पौधे गर्मीयों में 50 डिग्री सेल्सियस तथा सर्दीयों में 5 डिग्री सेल्सियस तापमान को सहन करने के क्षमता होती. पौधों के अच्छे विकास के लिए 7 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए. खजूर के पौधों पर फूल लगने और फलों के पकने के लिए 24 डिग्री सेल्सियस व 40 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. खजूर की खेती के लिए अधिक बारिश की आवश्यकता नहीं होती है.
खजूर की खेती के लिए भूमि
खजूर की खेती विभ्भिन प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है. खजूर की खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 8 से 9 के बीच होना चाहिए. खजूर के पौधे मिट्टी में 3 से 4 प्रतिशत तक क्षारीयता सहन कर सकते है.
खजूर की खेती के लिए खेत कि तैयारी
खजूर की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. खजूर की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करके खेत को भुरभुरा, समतल और खरपतवार रहित कर लें.
खजूर के पौधे लगाने से पहले की तैयारी
खजूर की खेती के लिए तैयार खेत में गर्मी के मौसम में 6 मीटर या 8 मीटर के फासले पर 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर आकार के गड्ढे खोदने के बाद गड्ढों को दो सप्ताह के लिए खुला छोड़ दें. इसके बाद 20-25 किलो ग्राम सड़ी हुयी गोबर की खाद, 1.60 किलो ग्राम सिंगल सुपर फाॅस्फेट एवं 250 ग्राम क्यूनालफाॅस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या फैनवलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण का मिश्रण बनाकर तैयार गड्ढ़ों दें फिर पानी लगा दें जिससे मिट्टी अच्छी तरह बैठ जाये.
खजूर के पौधे लगाने का तरीका
खजूर के पौधे लगते समय पौधे वाली थैली को पैंदें से दें या फिर थैली को निकल दें. इसके बाद पौधे को गड्ढ़े के बीच में रखकर चारों तरफ मिट्टी से अच्छी तरह दबा दें. पौधा लगते सयम यह ध्यान रखना चाहिए की पौधे के बल्ब का केवल 3/4 हिस्सा मिट्टी के अन्दर रहे तथा क्राउन मिट्टी में नही दबे. इसके बाद पौधे की अच्छे से सिचाई कर दें. परागकण कराने के लिए 10-15 मादा पेड़ों के बीच खजूर का एक नर पेड़ जरूर लगाए.
खजूर की उन्नत किस्में (Dates Improved Varieties)
खजूर की उन्नत किस्मों की बात करें तो बाजार में विभ्भिन वैरायटी मौजूद है जिनको जलवायु, मिट्टी और उपज के हिसाब से उगाया जा सकता है.
मेडजूल: खजूर की यह लेट वैरायटी है. जिसकी औसतन उपज 75-100 किग्रा प्रति पौधा हो जाती है.
खूनेझी: यह जल्दी पकने वाली वैरायटी है जिसकी औसतन उपज परैत पौधा 40 किलोग्राम तक है.
खलस: इस वैरायटी का फल देखने में लम्बी आकृति के और मध्यम आकार के होते हैं.
हिल्लावी : इस वैरायटी को 2016 में विकसित किया गया था. इसकी औसतन पैदावार 92.6 किलो प्रति पौधा होती है
बरही : इस वैरायटी को भी 2016 में विकसित किया गया था. 68.6 किलो प्रति पौधा खजूर पैदा हो जाती है.
खजूर की बिजाई का समय
खजूर को फरवरी से मार्च महीने में और अगस्त से सितंबर महीने में बिजाई की जाती है।
खजूर की रोपाई कैसे करें
खजूर को तीन तरह से बुवाई या रोपाई की जाती है 1- बीज द्वारा, 2- सकर्स (अंतःभूस्तारी) 3- टेशू कल्चर द्वारा
बीज द्वारा: बीज द्वारा द्वारा खजूर के पौधे तैयार करने में एक रिस्क होता है. इसी विधि पौधे तैयार करने पर नर व मादा पौधा का अनुपात 50-50% रहने की संभावना रहती है. इस विधि तैयार पौधों के विकास में समय लगता है.
सकर्स (अंतःभूस्तारी): इस विधि में पौधे पूर्ण विकसित पेड़ों की जड़ों के पास तने के भाग की कलिकाओं से निकलते है. इस विधि से तैयार पौधे बीज द्वारा तैयार पौधों की तुलना में 2-3 वर्ष पहले फल देने लगते है.
टिश्यू कल्चर द्वाराः टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधे अच्छी गुणवत्ता के होते है. टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार जल्दी फल देने लगते है और उनका विकास भी अच्छा होता है. टिश्यू कल्चर से पौधे तैयार करने कई लाभ हैं
Note- यदि आपको खजूर की खेती करनी है तो आप सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नर्सरी से खजूर के पौधे प्राप्त कर सकते है.
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए खेत में खरपतवार नियंत्रण हेतु निराई गुड़ाई करें और खेत को साफ़ रखे.
खजूर की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक
खजूर के पौधों के अच्छे विकास और अच्छी पैदावार लेने के लिए नियमित पोषण बहुत आवश्यक होता है.
खजूर के 1 से 4 वर्ष के पौधों के लिए- प्रतिवर्ष 262 ग्राम नत्रजन, 138 ग्राम फास्फाॅरस और 540 ग्राम पोटाश देना आवश्यक होता है. इसके साथ अगस्त-सितम्बर माह में 20-25 किलों ग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद भी देनी चाहिए.
पांच वर्ष से अधिक उम्र वाले खजूर के पौधों के लिए – प्रतिवर्ष 40-50 किलो ग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति पौधा की दर से अगस्त-सितम्बर महीने में देनी चाहिए. इसके अलावा 650 ग्राम नत्रजन, 650 ग्राम फाॅस्फोरस तथा 870 ग्राम पोटाश प्रति पौधा देना चाहिए
खजूर की फसल में सिंचाई
खजूर फसल की फसल को अधिक की आवश्यकता नहीं होती है. गर्मीयों में खजूर के पौधों की की सिचाई 15-20 दिनों के अंतराल पर करें तथा सर्दियों में सिंचाई 35-40 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए. पौधों पर फल और फूल आने पर नियमित अंतराल पर सिंचाई करें.
खजूर फसल की अवधि
खजूर के पौधे को फल देने के लिए तैयार होने में 4 से 8 साल लग सकते हैं, पूर्ण व्यावसायिक फसल लेने के लिए 8 से 10 साल लग जाते है.
खजूर तोड़ने का समय
खजूर के पौधों की रोपाई के लगभग पांच साल बाद पहली फसल के लिए तैयार होती है. फलों की कटाई तीन चरणों में की जाती है, खल या डोका चरण (ताजे फल), नरम या पकने की अवस्था (पिंड) और शुष्क अवस्था (चौहारा) मानसून की शुरुआत से पहले फलों की कटाई पूरी करें.
खजूर की फसल से पैदावार
खजूर के वृक्ष को पूर्ण फलत आने में लगभग 4-5 वर्ष का समय लग जाता है. टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों में तीसरे वर्ष ही फल आना शुरु हो जाते है. प्रारंभ के वर्षों में उपज कम होती है, पौधों की उम्र में वृद्धि के साथ उपज में भी बढ़ोत्तरी होती रहती है. दस वर्ष की उम्र के पौधों से प्रति वृक्ष औसतन 50 से 70 किलोग्राम फलों की पैदावार होती है जो 15 वर्ष की आयु के पौधों से लगभग 75 से 200 किलोग्राम तक हो जाती है.
खजूर की सफाई और सुखना
खजूर तोड़ने के बाद उनको की सफाई जरुरी होती है. छुहारा बनाने के लिए खजूर को पूर्ण डोका फलों को अच्छी प्रकार से धोने के पश्चात 5-10 मिनट गर्म पानी में उबालकर 45-50 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर वायु संचारित भट्टी या धुप में 70-90 घंटों तक सुखाया जाता है. पिंड खजूर बनाने हेतु पूर्ण डोका अवस्था अथवा डांग अवस्था के फलों को 20-30 सैकण्ड के लिए उबलते पानी में डुबोने के पश्चात 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर वायु संचारित भट्टी में रखते हैं. छुहारों को 1 से 11 डिग्री सेल्सियस तापक्रम व 65-75 प्रतिशत सापेक्षित आर्द्रता में 13 महीनों तक भण्डारित किया जा सकता हैं
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