सफेद मूसली की खेती / White Musli Cultivation / Safed Musli ki Kheti : सफेद मूसली खेती / Safed Musli Farming एक औषधीय पौधा के रूप में की जाती है. इस पौधों की औसतन उचाई 2 से 2.5 फुट तक की होती है. सफेद मूसली की खेती (White Musli Farming) को जुलाई से दिसंबर महीने में लगाई जाती है. इसकी खेती को भारत के असम, महाराष्ट्र, आंध्र-प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में की जाती है. अगर आप सफ़ेद मूसली की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आपको सफ़ेद मूसली की खेती से सम्बंधित सभी जानकारी जैसे- बीज की मात्रा, जलवायु, मिट्टी और सफेद मूसली की खेती कैसे करें. इस लेख में लेमन ग्रास की खेती कब और कैसे करें / Lemon Grass ki kheti kaise kare के अलावा Safed Musli ke Fayde भी जाने

सफेद मूसली की खेती – Safed Musli ki Kheti
सफेद मूसली की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारें अनुदान भी देती है. अनुदान के लिए आपको पाने जिले के जिला उद्यान कार्यालय से जानकारी प्राप्त करनी होगी. सफेद मूसली की फसल से किसान लगभग 5 लाख रुपए तक की कमाई प्रति एकड़ से कर सकते है. इसके अलावा आप Kathal ki Kheti , Lemon Grass ki Kheti , Kali Haldi ki Kheti , Kinnow ki Kheti, Methi ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
सफेद मूसली की खेती की पूरी जानकारी – Safed Musli Farming in Hindi
सफेद मूसली की खेती कब और कैसे की जाती है? इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस आर्टिकल के जरिये देने जा रहे है. जो किसान सफेद मूसली की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते वे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.
सफेद मूसली की खेती के लिए जलवायु
सफेद मूसली की खेती के लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए 60 से 115 सेंटी मीटर की वर्षा सही मानी गई है.
सफेद मूसली की खेती के आवशयक मिट्टी
सफेद मूसली की खेती के लिए जीवांश युक्त दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी और लाल मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए 7.5-8 पीएच मान उचित माना गया है.
सफेद मूसली की खेती के लिए भूमि की तैयारी
सफेद मूसली की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. इसके बाद 20 -25 क्विंटल वर्मी या 5 ट्राली सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से डालकर खेत की जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने के बाद फिर से 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर करे. आखिर में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को बिजाई के लिए समतल कर लें.
सफेद मूसली की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत में 3 – 3 .5 फ़ीट चौड़े और कम से कम 6 इंच से 1.5 फ़ीट ऊँचे बैड बनाये. पानी की निकासी के लिए नालियों की उचित व्यवस्था करें. अधिक चौड़े बैड न बनायें.
सफेद मूसली की किस्में (White Muesli Varieties)
सफेद मूसली की तक़रीबन 175 किस्में है जिनमें चार प्रजातियों को मुख्य माना गया है – क्लोरोफाइटम बोरिबिलियनम, क्लोरोफाइटम लेक्सम, क्लोरोफाइटम अरुण्डिनेसियम, क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम. भारत में क्लोरोफाइटम टयूवरोजम और क्लोरोफाइटम वोरिविलिएनम की बिभ्भिन प्रजातियों की खेती हो रही है जिनमें- एम सी बी -405, MCB – 412, MCT -405, MDB13 आदि इनके अलावा
Jawahar Safed Musli 405 and Rajvijay Safed Musli 414 – यह किस्म राजमाता विज्याराजे स्किनदिया कृषि विश्व-विद्द्यालय मंडसौर, मध्य प्रदेश द्वारा विकसित किया है.
MDB-13 and MDB-14- यह वैरायटी माँ दांतेश्वरी हर्बल रिसर्च सैंटर चिकालपुती ने विकसित किया है.
सफेद मूसली कब लगाई जाती है?
पौधों के अच्छे विकास के लिए सफ़ेद मूसली की बुवाई के लिए जुलाई महीना सबसे सही माना जाता है. क्योकि जुलाई महीना में बारिस का मौसम होता है. इस मौसम में सफ़ेद मूसली का विकास अच्छा हो जाता है.
सफेद मूसली की खेती के लिए बीज की मात्रा
सफ़ेद मूसली की खेती के लिए 4 से 5 क्विंटल बीज प्रति एकड़ के हिसाब से आवश्यकता होती है.
सफेद मूसली के बीज को कैसे उपचारित करें
सफ़ेद मूसली की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए बीज को उपचारित करने के लिए फंगसनाशी का इस्तेमाल करें तथा मिट्टी में लगने वाले रोगों से बचने के लिए हिउमीसील 5 सैं.मी. या डीथेन ऐम-45 को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर उपचार करें.
सफेद मूसली का बुवाई का तरीका
सफेद मूसली की फसल के लिए खेती में बनाये गए बैड पर कंदों को 6- 6 इंच की दूरी लगाएं. कंदों की रोपाई के बाद आवश्यकतानुसार सिचाई करें. सफेद मूसली के कन्द लगाने के करीब 7-8 दिन के बाद से खेत में अंकुरण दिखने लगता है.
सफेद मूसली के लिए उर्वरक की मात्रा
सफ़ेद मूसली की खेती के रासायनिक उवर्रक की आवश्यकता नहीं होती है क्योकि की इनसे फसल की गुणवक्ता पर असर होता है. इसकी फसल के लिए गोबर की खाद तथा वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल करें.
सफेद मूसली में खरपतवार नियंत्रण
सफेद मूसली की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित देख-भाल की जरूरत होती है. इसकी बुवाई के करीब 15 से 20 दिन बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए ताकि खरपतवारों पर नियंत्रण हो सके. सफेद मूसली की फसल से समय-समय पर खरपतवार निकलते रहना चाहिए.
सफेद मूसली फसल की सिंचाई
सफेद मूसली फसल की रोपाई के बाद ड्रिप से 15-20 दिनों के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए. खेत में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिचाई करते रहना चाहिए.
सफेद मूसली की फसल में लगने वाले रोग (Diseases of white musli crop)
सफेद मूसली के पौधों में कवक और फफूंद जैसे कीट रोग दिखाई देते है. इनसे वचाव के लिए खरपतवार नियंत्रण पर अधिक ध्यान देना चाहिए. अगर रोग अधिक मात्रा में दिखाई देता है तो बायोपैकूनील या बायोधन दवाई को उचित मात्रा में छिड़काव या ट्राईकोडर्मा की तीन किलो की मात्रा को गोबर की खाद में मिलाकर खेत में छिड़काव करें.
सफेद मूसली फसल की खुदाई और सफाई
सफेद मूसली की फसल कर्रीब 90 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खुदाई नवम्बर माह के आखिर तक कर सकते है. लेकिन खुदाई से पहले यह सुनिचित कर लें कि फसल खोदने के लिए तैयार हुयी है या नहीं. सफेद मूसली के पौधों की पत्तियाँ पीली पढ़कर सुख जाये और कन्द का छिलका सख्त होने के रंग गहरा भूरा हो जाये तो समझो फसल खोदने को तैयार है.
सफेद मूसली की फसल खुदाई के लिए तैयार होने के बाद अब बारी आती है उसकी सफाई की, फसल तैयार होने के तीन महीने बाद भी इसकी खुदाई कर सकते है. सफेद मूसली खुदाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए. जिससे जड़ें टूटेंगी नहीं और आसानी से निकल आएगी.
अगर आपको Safed Musli Cultivation in India (Safed Musli ki kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.
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