Custard Apple Cultivation: शरीफा अन्य फलों के मुकाबले अलग है, इसकी ऊपरी सतह पर गांठदार खंडों से बना नीले-हरे रंग एक मोटा छिलका होता है जबकि अंदर का भाग सफेद और मुलायम होता हैं. ठंड के मौसम में मिलने शरीफा फल औषधीय गुणों से भरपूर है जो स्वास्थ के लिए लाभकारी होता है. शरीफा की उन्नत खेती भारत के महाराष्ट्र, असम, बिहार, मप्र, राजस्थान, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्यों में सफलतापूर्वक की जा रही है. अगर आपभी शरीफा की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आपको शरीफा की उन्नत खेती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी पता होती चाहिए.
शरीफा की खेती (Sharifa Ki kheti)
शरीफा शर्दियों में मिलने वाला फल है, जिसको शरीफा, सीताफल, शुगर एप्पल या कस्टर्ड एप्पल नाम से भी जाना जाता है. स्वाद में सीताफल अत्यंत स्वादिष्ट, पौष्टिक और मीठा होता है, इसमें पाए जाने विटामिंस, मिनरल्स, फाइबर एवं अन्य पोषक तत्वों की वजह से बाजार में इसकी डिमांड खूब रहती है. शरीफा शरबत, मिठाई, वाइन, आइसक्रीम बनाने के अलावा खाने के अन्य टेस्टी व्यंजन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसी वजह से सीताफल की खेती किसानों को बढ़िया मुनाफा दे सकती है.
सीताफल की खेती कैसे करें?
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सीताफल के लिए जलवायु
उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सीताफल की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है. फसल के अच्छी वृद्धि के लिए 40° से कम तापमान होना चाहिए. अधिक ठण्ड एवं तापमान इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है.
सीताफल के लिए मिट्टी
सामान्यतः शरीफा को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन 5.5-7 पी.एच. मान वाली दोमट मिट्टी को बढ़िया होती है .
शरीफा की खेती का समय
सीताफल की खेती के लिए जुलाई से अगस्त और फरवरी-मार्च का समय सबसे उत्तम होता है. यह मौसम पौधों का समुचित विकास अच्छा होता है.
शरीफा की उन्नत किस्में
भारत में सीता फल की कई किस्में पाई जाती है जो इस प्रकार है – बालानगर, लाल सीताफल, मेमथ, अर्का सहान आदि उन्नत किस्में शामिल है.
सीताफल के पौधे लगाने का तरीका
सीताफल की खेती के लिए खेत की तैयार हो जाने उपरांत सीताफल (शरीफा) के पौधों को लगाने के लिए गर्मी के दिनों में 60 x 60 x 60 सें.मी. तथा 5 x 5 मी. की दूरी रखते हुए गड्ढे खोदकर तैयार कर लें. पौधे लगाने के लिए 10-15 किलो गोबर की खाद, 50 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 25 ग्राम पोटाश का मिश्रण बनाकर प्रति पौधा के हिसाब से सभी गड्ढों में दबा दबा कर अच्छी तरह भर दे. गड्ढे भरने के पौधों की रोपाई कर दें.
सीताफल में सिंचाई
सीताफल (शरीफा) के पौधों में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन पौध रोपाई के बाद तुरंत पानी दें ताकि पौधों का अच्छे जमाव हो सकें. गर्मी के सीजन में पौधों की सिचाई 15-20 दिन के अंतराल पर करें वही ठण्ड में एक महीने के अंतराल पर सिचाई करें.
शरीफा में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय सीताफल (शरीफा) की निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए जिससे खेत में मौजूद खरपतवार नष्ट हो जायेंगे और नए खरपतवार नहीं उगेंगे.
सीताफल में लगने वाले कीट, रोग एवं रोकथाम
सीताफल (शरीफा) के पौधों में एक विशेष प्रकार की सुगंध होने की वजह से इसमें कीड़े कम लगते है. परन्तु कभी कभी मिली बग पौधों की शाखाओ और पत्तियों को नुकसान पहुँचाते हैं, इसकी रोकथाम के लिए 15 दिन के अंतर से 2-3 बार पैराथीयान का स्प्रे पौधों पर करें.
सीताफल की कटाई
सीताफल (शरीफा) का पौधा लगाने के करीब 2-4 साल बाद फल देना शुरू करता है, सीताफल के फलों की तुड़ाई सितंबर-नवंबर में फल पकने पर कर सकते है. शरीफा एक बार लगाने पर 15-16 साल अच्छी पैदावार देता है.
सीताफल (शरीफा) से पैदावार
शुरुआत में शरीफा के एक पौधे पर करीब 40-50 फल प्राप्त हो जाते है. कुछ समय बाद इनकी संख्या बढ़कर 100 तक हो जाती है. सीताफल की एक एकड़ खेती के लिए 500 पौधे लगाए लगा सकते है. इसके अनुसार साल में करीब 30-35 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है. सीताफल के पौधे को पूर्ण रूप से विकसित होने में करीब 4-5 साल का वक्त लग जाता है.
सीताफल की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि शरीफा की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Custard Apple Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.