Elaichi ki kheti: :: इलायची को एक नगदी फसल के रूप में जाना जाता है जिसकी खेती को देश के कई राज्यों में सफलतापूर्वक बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और किसान अच्छा मुनफा कमा रहे है. इलायची में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते जो शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है. इलायची का उपयोग भोजन, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थों आदि खाद्य पदार्थों को बनाने के दौरान किया जाता है. जो खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाने में अहम भूमिका निभाती है. इलायची की अधिक खपत की वजह से इलायची की मांग पूरे 12 महीने बनी रहती है. खपत और मांग को देखते हुए किसान इलायची की खेती (Cardamom Farming) करने का मन बना रहे है तो उसके लिए Elaichi ki kheti फायदे का सौदा साबित होगी.
भारत में कहाँ होती है इलायची की खेती
भारत में इलायची की व्यवसायिक खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों बड़े पैमाने पर की जाती है. इन राज्यों की जलवायु इलायची की फसल के लिए सर्बोत्तम मानी जाती है. इन राज्यों में 1500-4000 मिमी बारिश पूरे साल होती है जो इसकी फसल के लिए लाभकारी मानी जाती है. भारत में इलायची को इलाकुलु [యేలకులు] (तेलुगु), एल्का [ஏலக்காய்] (तमिल), इलक्की [ಏಲಕ್ಕಿ] (कन्नड़), एलकके [ഏലക്കായ്] (मलयालम), इलैची [vasaki] (हिंदी), वेल्ची [वेलची वेलची] (मराठी), इलची [ এলাচি] (बंगाली) आदि नामों से जाना जाता है.
इलायची की खेती (Elaichi ki kheti)
विश्व प्रसिद्ध मसाला एवं औषधि फसल इलायची की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो किसानो को होगा सकता है तगड़ा मुनाफा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इलायची मांग वर्ष भर रहती है. इलायची की खेती से जुड़े सवाल जैसे – इलायची की खेती का समय, इलायची की खेती किस राज्य में होती है, इलायची की खेती कितने दिन में तैयार होती है, इलायची की खेती राजस्थान में, इलायची की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है, इलायची का बीज कहां मिलता है आदि सवालों का जवाब इस लेख में नीचे मिल जायेगा.
इलायची की उन्नत किस्में
इलायची दो प्रकार की होती है हरी या छोटी इलायची तथा बड़ी इलायची की व्यावसायिक खेती करने के लिए आईसीआरआई 1,2,3, टीडीके 4 और 11; पीवी 1, पीवी 2, सीसीएस 1 मुदुगिरी 1, एनसीसी 200, एसकेपी-141, एमसीसी 12,16 और 40 आदि किस्में (Cardamom Cultivation Varieties) शामिल है.
इलायची की खेती हेतु कैसा होना चाहिए मौसम
एक्सपर्ट्स की माने तो उष्णकटिबंधीय जलवायु इलायची की खेती के लिए मानी जाती है. पौधों के अच्छी ग्रोथ के लिए 10° से 35°C तापमान आदर्श माना गया है. इसकी खेती के लिए बारिश की बात करें तो 1500 से 4000 मिमी उपयुक्त मानी जाती है.
इलायची की खेती के लिए मिट्टी
कृषि जानकारों के अनुसार कार्बनिक पदार्थों से भरपूर 4.5 से 7.0 पीएच मान वाली काली दोमट मिट्टी इलायची की खेती सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा लैटेराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी, काली मिट्टी में इलायची की खेती (Cardamom Farming) की जा सकती है.
ऐसे तैयार करें इलायची की खेती के लिए भूमि
इलायची की खेती के लिए सबसे पहले खेत की तीन से चार अच्छी तरह जुताई करें ताकि खेत में मौजूद खरपतवार नष्ट हो सकें. उसके बाद अप्रैल से मई महीने में 45 × 45 × 30 सेमी आकार के 2 × 1 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदें लें. अब इन गड्डों को मिट्टी और सड़ी हुई गोबर की खाद का मिश्रण तैयार कर भर दें.
इलायची की बुवाई का समय
इलायची की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय मानसून यानि जून से जुलाई माना जाता है. इस मौसम में हल्की बारिश होने से इलायची के पौधे जल्दी विकसित हो जाते है.
इलायची रोपाई का तरीका
खेत में तैयार गड्ढों में मानसून मौसम (जून से जुलाई) में इलायची के पौधों की रोपाई कर देने चाहिए. ध्यान रहे इलायची के पौधों की रोपाई अधिक गहरी ना हो. इलायची के पौधों की रोपाई के लिए आप टिश्यू कल्चर पौधे का उपयोग कर सकते है.
अच्छी उपज के लिए ऐसे डालें खाद
जैविक खाद के तौर पर प्रति पौधे 10 किलो पुरानी सड़ी गोबर की खाद और एक किलो वर्मी कम्पोस्ट डालें. इसके अतरिक्त पौधों के अच्छे विकास हेतु एक किग्रा प्रति पौधा नीम की खली एवं मुर्गी की खाद दो से तीन साल तक देनी चाहिए. रासायनिक उर्वरक की बात करें तो एनपीके 75:75:150 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर पौधों में दे सकते है.
ऐसे करें इलायची की देखभाल
इलायची की फसल में प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रण के लिए मई से जून, अगस्त से सितंबर और दिसंबर से जनवरी महीने में 3-4 निराई/गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए. इसके साथ इलायची के बागान से 2-3 बार पुरानी और सूखी टहनियों को हटा देना चाहिए.
कब और कैसे करें इलायची के पौधे की सिंचाई
इलायची की पौध खेत में लगाने के बाद तुरंत सिचाई कर दें ताकि पौधे अच्छी तरह जम सकें. गर्मी के मौसम में पर्याप्त नमी बनाये रखने के लिए 1-2 सप्ताह के अंतराल इलायची के पौधों की सिचाई कर देनी चाहिए. वही बारिश के मौसम के मौसम में आवश्यकतानुसार सिचाई करें. पुष्पगुच्छों एवं फल के समय पौधों में उचित नहीं होनी चाहिए अन्यथा उत्पादन पर असर पड़ेगा. इलायची की फसल में सिंचाई के लिए ड्रिप का उपयोग कर सकते है.
इलायची में कीट एवं रोग और नियंत्रण
सामान्यतः इलायची की फसल में कम ही कीट और रोग का प्रकोप दिखाई देता है लेकिन कभी-कभी झुरमुट व फंगल रोग के लक्षण दिखाई देते है. इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां सिकुड़ कर नष्ट होना शुरू हो जाती है. इस रोग से बवाव के लिए इलायची के बीजों को नर्सरी में बोने से पहले किसी कीटनाशक (ट्राईकोडर्मा) से उपचारित कर लेना चाहिए. अगर फसल में इस रोग से ग्रसित कोई पौधा दिखाई देता है तो उसको उखाड़कर फेक देना चाहिए ताकि अन्य पौधे इस रोग प्रभावित न हो सकें.
इलायची की फसल में सफेद मक्खी रोग भी दिखाई देता है इस रोग से ग्रसित इलायची के पौधों का विकास रूक जाता है. सफेद मक्खी इलायची की पत्तियों का रस चूसकर पौधों का रस नष्ट कर देती है. सफेद मक्खी रोग से बचाव के लिए नीम के पानी को पौधों की पत्तियों पर छिडक़ाव करना चाहिए।
कब करें इलायची की तुड़ाई
इलायची के बीज पूरी तरह से पकने और विकसित हो जाने के बाद फली फूटने लगे तब उनकी तुड़ाई हाथ से कर लेनी चाहिए. इलायची के बीज की तुड़ाई करने के बाद उसकी सफाई करना बेहद जरुरी होता है. इसके बाद इलायची के बीजों को अच्छी तरह से सूखा लेना चाहिए ताकि उनमें अधिक नमी न बचे.
इलायची की उपज
इलायची की पैदावार उन्नत किस्मों, मिट्टी, जलवायु और देखभाल पर निर्भर करती है. सामन्यतः इलायची की फसल से 135 से 150 किग्रा प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त हो सकती है.
इलायची की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि इलायची की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Cardamom Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.