सहजन की खेती / Drumstick Cultivation / Sahjan ki Kheti : सहजन खेती / Drumstick Farming करने का प्रचलन भारतीय किसानो के बीच बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है. इसकी खेती करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है. भारत के अलावा फिलीपिंस, श्रीलंका, मलेशिया, मैक्सिको आदि देशों में सहजन की खेती (Moringa Farming) विशेष रूप से की जाती है. सहजन (Drumstick) को सेंजन, मुनगा, मोरिंगा नाम से भी जाना जाता है. बाजार में इसकी जीतनी मांग सब्जी के रूप में होती है उससे अधिक मात्रा में औषधि के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इसको नकदी और व्यावसायिक लाभ देने वाली फसल माना गया है. मोरिंगा की खेती में लागत के अपेक्षा मुनाफा अधिक मिलता है, इसकी फसल के लिए सिंचाई और रखरखाव की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए किसान इस फसल को करने में दिलचस्पी ले रहे है. तो चलिए जानते है कि सहजन की खेती कैसे करें?. सहजन की खेती करने के साथ आप Sahjan Ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.

सहजन की खेती – Sahjan ki Kheti
सहजन को इंग्लिश में ड्रमस्टिक (Drumstick ) कहा जाता है. यह एक औषधीय पौधा होता है जिसका इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों में किया जाता है. सहजन में 92 तरह के मल्टी विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड, आयरन आदि प्रचूर मात्रा में पाए जाते है. इसकी पत्तियाँ कुपोषण तथा ख़ून की कमी को पूरा करती है और इसकी पत्तियों दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने के काम भी आती है. विश्व का 80%सहजन भारत में पैदा किया जाता है, सहजन का सबसे निर्यातक भारत ही है. इसके अलावा आप Palak ki Kheti, Stevia ki Kheti, Shalgam ki kheti, Tinda ki kheti, Torai ki kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
सहजन की खेती की पूरी जानकारी – Drumstick Farming in Hindi
जलवायु (Climate)
- सहजन की खेती (Sahjan ki Kheti) के लिए 25-30 डिग्री औसत तापमान आवश्यक होता है.
- सहजन के पौधे (drumstick plant) ठण्ड को आसानी से सहन कर लेता है, लेकिन पाला इनके लिए हानिकारक होता है.
- 40 डिग्री से अधिक तापमान फूलो के लिए हानिकारक होता है.
- अधिक बारिश का इसके पौधों पर कोई असर नहीं होता है.
- सहजन का पौधा विभिन्न परिस्थितियों उग आता है.
मिट्टी का चयन (Soil Selection)
- सहजन के पौधों (drumstick plants) को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है
- सहजन बंजर और कम उवर्रक वाली भूमि पर आसानी से उग आती है
- सहजन की खेती (cultivation of drumstick) से अच्छी पैदावार लेने के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी माननी गई है.
- उत्तम उपज के लिए मिट्टी का P.H. मान 6-7.5 तक होना चाहिए
खेत की तैयारी (Field Preparation)
- सहजन के पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर खरपतवार नष्ट कर दें.
- 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. तक गहरे गड्डे तैयार कर लें.
- गड्डो को भरने के लिए मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद का मिश्रण तैयार कर लें.
- यह मिश्रण पौधों की रोपाई के समय गड्ढा भरने के काम आएगा
सहजन की उन्नत किस्में (Drumstick Improved Varieties)
- सहजन की उन्नत किस्मों से साल में दो बार पैदावार ली जा सकती है.
- सहजन की उन्नत किस्में पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयेंबटूर 1 तथा कोयेंबटूर 2 आदि
- इन वैरायटी के पौधों लगभग 4-6 मीटर की उचाई प्राप्त कर लेते है.
- इन किस्म के पौधों पर करीब 90-100 दिनों में फूल शुरू हो जाता है.
- पौधे लगाने के करीब 160-170 दिनों में फल तैयार हो जाता है.
- साल में एक पौधा से 65-170 दोनों में फल देने के लिए तैयार हो जाता है
- साल में एक पौधा से 65-70 सें.मी. लम्बा तथा औसतन 6.3 सेंमी. मोटा, 200-400 फल (40-50 किलोग्राम) दे सकता है.
- इसके फल अधिक गूदेदार होते है तथा पकाने के बाद इसका 70% भाग खाने योग्य हो जाता है
- सहजन का एक पौधा 4 से 5 वर्षो तक पैदावार देता रहता है
- हर साल फसल प्राप्त करने बाद पौधों को जमीन से एक मीटर ऊंचाई से छटाई कर देनी चाहिए.
सहजन की रोपाई (Drumstick Planting)
सहजन को सीधे बीज और पौध से लगाया जा सकता है. लेकिन लगाने का उचित तरीका यह है कि आप पहले इसकी नर्सरी तैयार कर लें या फिर किसी मान्यता प्राप्त नर्सरी से इसके पौधे खरीदें. सहजन के पौधे लगाने से ठीक एक महीने पहले गड्डो को तैयार कर लेना चाहिए. उसके बाद तैयार गड्डो में जुलाई-सितम्बर के मध्य सहजन के पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए
सहजन के पौधों का प्रबंधन (management of drumstick plants)
रोपाई के बाद जब सहजन के पौधों लगभग 75 सेंमी. के हो जाये तब पौधों के ऊपरी भाग की छटाई कर देनी चाहिए. जिससे पौधों में अधिक शाखाएं निकलकर आएगी. पौध रोपाई के करीब तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश की प्रति गड्ढा के हिसाब से डालें. फिर तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा डालें. इसके बाद आवश्यकतानुसार पौधों का उचित प्रबंधन.
सहजन के पौधों की सिंचाई (Drumstick Plants Irrigation)
सहजनी की फसल से अच्छी पैदावार के लिए निरंतर सिचाई करते रहे. सिचाई के लिए आप ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करने से पौधों में नमी की कमी नहीं रहेगी. सहजन के पौधों में पर्याप्त नमी बनाये रखना आवश्यक है. पौधों पर फूल आने के समय अधिक नमी और अधिक सूखेपन से फूल झड़ने का खतरा बना रहता है.
सहजन में रोग और कीट प्रबंधन (Disease and Pest Management in Drumstick)
सहजन की फसल पर भुआ पिल्लू नामक कीट का प्रकोप अधिक होता है. यह की कीट पत्तियों को खा जाता है. इस कीट से वचाव के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. को एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडक़ाव करें.
फल मक्खी का आक्रमण भी सहजन की फसल पर देखा गया है. यह फसल को भरी नुकसान पहुँचती है. इससे वचाव के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा को एक लीटर पानी में घोलकर बनाकर फसल पर छिडक़ाव करें.
सहजन के फलो की तुड़ाई और पैदावार (Drumstick Harvesting and Yield)
सहजन की उन्नत किस्मों से साल में दो बार पैदावार ली जा सकती है. जिनकी तुड़ाई फ़रवरी-मार्च और सिंतम्बर-ऑक्टूबर महीने में की जाती है. सहजन एक पौधा साल में करीब 45-50 किलोग्राम सहजन पैदावार दे सकता है.
सहजन से कमाई
सहजन के 540 पौधों से पहले साल में 200 क्विंटल फलियां मिल जाएंगी. जिनको 15 रुपये किलो के हिसाब से थोक में बेचा जाये तो 3 लाख रुपये की कमाई एक एकड़ हो सकती है. इससे मिलें वाली पत्तियों का पाउडर बनाकर बेचा जा सकता है. पहले साल सहजन की फसल पर लगभग 50 हजार रुपये तक खर्च आ जाता है. इसके बाद तीन साल तक पढ़े लगाने का खर्च काम हो जाता है और मुनाफा अच्छा होने लगता है.
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