Bitter Gourd Cultivation : करेला एक ऐसी बेलदार सब्जी फसल है जिसकी खेती करके किसान मालामाल हो रहे है क्योकि करेला में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व और औषधीय गुणों की वजह से इसकी मांग बाजार में हमेसा बनी रहती है और भाव भी अच्छा मिल जाता है. यही वजह है कि देश के अधिकतर किसान करेला की व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Bitter Gourd) की तरफ आकर्षित हो रहे है. अगर आप भी करेला की खेती वैज्ञानिक तरीके से खेती करना चाहते है तो आपको इसकी खेती से जुडी नीचे बताई गई सभी तकनिकी को जानना होगा.
करेले की खेती (Karela ki kheti) साल में दो बार नम और गर्म दोनों जलवायु करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. कृषि एक्सपर्ट की माने तो करेला की खेती के लिए जाल विधि या मचान विधि सबसे बढ़िया मानी जाती क्योकि इस विधि से खेती करने में बेल का विकास तेज़ी से होता है और फसल में नुकसान कम होने की संभावना होती है. इसके अलावा आप करेला की खेती ग्रीनहाउस और पॉली हाउस विधि से साल भर उत्पादन लेकर अच्छी कमाई कर सकते है.
करेला की खेती (Karela Ki Kheti)
करेला को अंग्रजी में बिटर गॉर्ड (Bitter Gourd) कहते है. पौष्टिकता एवं औषधीय गुणों के आधार पर करेला बेहद लोकप्रिय सब्जी है. इसमें विटामिन और बिभ्भिन प्रकार के खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते है जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते है. दुनिया के अन्य भागों में करेले को कड़वे तरबूज के रूप में भी जाना जाता है. ऐसे में करेला की खेती किसानो के लिए अच्छी आमंदनी देने का जरिया बन सकती है. बात दें, वर्तमान समय में किसान देसी करेला की मुकाबले हाइब्रिड करेला की खेती (Hybrid Bitter Gourd Cultivation) करने की तरफ रुख कर रहे है क्योकि हाइब्रिड करेला देसी करेला की अपेक्षा कम लगत और कम समय में अधिक उत्पादन के साथ तगड़ा मुनाफा दिला सकता है.
करेला की व्यवसायिक खेती कैसे करें?
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करेले की खेती के लिए जलवायु
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार गर्म और आद्र जलवायु करेला की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेट और अधिकतम तापमान 35 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच अच्छा माना जाता है.
करेले खेती के लिए उपयुक्त भूमि
सामान्यतः करेला को किसी भी उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन कार्बनिक पदार्थों से भरपूर 6.5-7.5 पीएच मान वाली बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त मानी जाती है. करेले की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत से जल निकासी की उचित व्यवस्था होना चाहिए.
करेले की प्रमुख किस्में
करेले की बुवाई के लिए बाजार में कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं. किसान अपने क्षेत्र के अनुसार इनका चयन कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है. करेले की प्रचलित उन्नत किस्में इस प्रकार है- कल्याणपुर बारहमासी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हरा और सोलन सफ़ेद, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1 आदि उन्नत किस्में शामिल हैं.
करेले की खेती के लिए कैसे तैयार करें खेत
करेले की बिजाई के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से क्रॉसवाइज जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा समतल कर लें. करेले की बुआई से पहले खेत को तैयार करते समय 15 से 20 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग भी करना चाहिए. खेत की जुताई के बाद 2 x 1.5 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी x 30 सेमी आकार के गड्ढे खोदें बीज या पौध लगा दें.
करेला की बुवाई का उचित समय
हाईब्रिड किस्मों के साथ किसान भाई करेला की खेती पूरे साल कर सकते है. मौसम के आधार पर करेला की इस बुबाई को तीन विभाजित कर सकते हैं जो इस प्रकार से हैं.
- गर्मी के मौसम में करेला की बुवाई जनवरी से मार्च तक इसकी बुआई की जा सकती है.
- मैदानी इलाकों में बारिश के मौसम करेले की बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है.
- पहाड़ियों क्षेत्रों में करेले की बुवाई मार्च से जून तक की जा सकती है.
करेले के बीजों की बुवाई का तरीका
करेले को दो तरीकों से उगाया जा सकता है, एक सीधे बीज द्वारा और दूसरा नर्सरी तैयार करके. हम आपको नीचे करेले की बुवाई की विधि नीचे चरणवद्ध तरीके से बता रहे हैँ, जो इस प्रकार से है-
- करेले की बुआई से पहले खेती की अच्छे से जुताई कर पाटा लगाकर समतल कर लें.
- बुवाई के लिए 45 सेंटीमीटर चौड़ी, 90 से 115 सेंटीमीटर दूरी रखते हुए नालियां तैयार कर लें.
- नालियों की मेड़ों के ढाल के दोनों तरफ 1 से 1.5 मीटर दूरी पर 2 से 2 .5 सेमी गहराई रखते हुए बीजों की बिजाई कर दें.
करेला की नर्सरी से रोपाई
- अगर आप करेला की रोपाई पौध से करना चाहते है आपको नर्सरी डालनी होगी.
- सड़ी गोबर की खाद एवं मिट्टी की बराबर मात्रा का मिश्रण बनाकर पॉलीथिन में भर दें.
- अब मिश्रण से भरी पॉलीथिन में 2-3 बीज की बिजाई कर दें.
- तैयार नालियों या क्यारियों में 20 x 20 x 20 सेंटीमीटर के गड्डे बनाकर करेला की पौध की रोपाई कर दें.
पैदावार के लिए करेले की खेती में खाद
करेले की बीज बुबाई या पौध की रोपाई की बुबाई से पहले खेत को तैयार करते समय 15 से 20 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट को खेत में डालें. इसके अलावा आखिरी जुताई समय अलावा 50 किलोग्राम डीएपी, 50 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम फ्यूराडान, 5 किलोग्राम जयाम, 500 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लेइड के हिसाब से मिश्रण तैयार खेत में डालना चाहिए. बुवाई के 25 से 30 दिन बाद फसल में निराई-गुड़ाई करके पौधे पर मिट्टी चढ़ाये. फूल आने के समय पर नाइट्रोजन फसल में दिया जाता है.
करेले की फसल में सिंचाई
करेले की रोपाई नर्सरी द्वारा की है तो रोपाई के तुरंत बाद पौधों की सिचाई कर देनी चाहिए. गर्मियों के मौसम में 6 से 7 दिनों के अंतराल पर फसल की सिंचाई करनी चाहिए तथा बारिश की सीजन में आवश्यकतानुसार सिचाई करें. करेले की फसल को कुल 8 से 9 सिंचाई की जरुरत होती है.
करेले की फसल में खरपतवार नियंत्रण
करेला की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरुरी है. फसल को खरपतवारों से मुक्ति दिलाने के लिए 2-3 बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. सामान्यत: पहली निराई बुवाई के 30 दिन बाद करनी चाहिए. इसके बाद आवश्यकतानुसार फसल की निराई पर करते रहे.
करेले की फसल से रोगों से कैसे करें सुरक्षा
करेला की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग, कीट जैसे – रेड बीटल, माहू रोग और सुंडी आदि लगने का डर बना रहता है. इन रोग, कीट और वायरसों के प्रकोप से बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर कीटनाशक या रासायनिक खाद का उपयोग फसल का उपचार करते रहना चाहिए.
करेले की तुड़ाई
करेले के बीज बोने से लेकर फसल आने तक करीब 55-60 दिन लगते हैं. करेले के फलों की तुड़ाई 2-3 दिनों के अंतराल पर कर लेने चाहिए नहीं फल पक कर पीले पड़ने लगेंगे. करेले के फलों की तुड़ाई आमतौर पर तब की जाती है जब फल कोमल और हरे होते हैं जिससे परिवहन के दौरान फल पीले या पीले नारंगी न हो जाएं. करेला के फलों की तुड़ाई सुबह या साम के समय करनी चाहिए ताकि करेला के फलों में ताजगी बनी रहे.
करेले की उपज
करेले के फसल की उपज किस्म, मौसम और कई अन्य कारकों निर्भर होती है लेकिन फसल की औसतन उपज 8 से 10 टन / हेक्टेयर तक हो जाती है.
करेले की खेती में लागत एवं लाभ
एक एकड़ करेले की खेती में करीब 25-20 हजार रुपए की लागत तक आ जाती है. अगर बजाए भाव सही मिल जाये तो करीब 2-3 लाख रुपए तक लाभ प्राप्त हो सकता है.
करेले की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि करेला की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Bitter Gourd) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.