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कृषि दिशा / Vegetable Cultivation / अरबी की खेती, कब और कैसे करें | Taro Cultivation in Hindi

अरबी की खेती, कब और कैसे करें | Taro Cultivation in Hindi

By: Krishi Disha | Updated at:23 November, 2022 google newsKD Facebook

अरबी की खेती / Arbi Cultivation / Arbi ki Kheti : अरबी खेती / Taro Root Farmingउन्नत किस्मो से की जाए तो किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. अरबी की खेती भारत के पंजाब, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, असम, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना आदि प्रदेशों में मुख्य रूप से की जाती है. यदि आपको अरबी की खेती से अच्छी आमदनी करनी है तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें उन्नत किस्मो से की जाए तो किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. अरबी की खेती भारत के पंजाब, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, असम, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना आदि प्रदेशों में मुख्य रूप से की जाती है. यदि आपको अरबी की खेती से अच्छी आमदनी करनी है तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें. अरबी की खेती करने के साथ-साथ Arbi ke Fayde और Arbi ke Patte Ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.

Taro Farming
अरबी की खेती (Arbi ki Kheti) करने के सभी तरीके जाने

अरबी की खेती कैसे करें ? – Arbi ki Kheti in Hindi

अरबी कंद वाली सब्जी के रूप में जानी जाती है इसको घुईया, कोचई आदि भी कहा जाता है. अरबी के कंद में स्टार्च प्रमुख रूप से पाया जाता है जानकी इसकी पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन पाया जाता है. अरबी का इस्तेमाल सब्जी के लिए मुख्य रूप से किया जाता है जबकि तथा इसके नर्म पत्तियों से साग तथा पकोड़े बनाये जाते हैं. इसके अलावा आप Stevia ki Kheti, Shalgam ki kheti, Tinda ki kheti, Torai ki kheti, Sahjan ki kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.

अरबी की खेती की पूरी जानकारी – Arbi Farming in Hindi

अनुकूल जलवायु

  • अरबी की खेती (Arbi ki Kheti) के लिए अधिकतम 35 डिग्री तथा न्यूनतम 20 डिग्री तापमान उचित माना गया है.
  • अरबी लिए बारिश और गर्मी दोनों मौसम बढ़िया मने गए है. लेकिन अधिक गर्म और सर्द जलवायु लिए हानिकारक होती है
  • ठण्ड के मौसम में गिरने वाले पाले से इसके पौधों की वृद्धि रुक जाती है.

भूमि का चयन

  • वैसे अरबी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है. लेकिन अरवी की फसल के लिए जैविक तत्वों से भरपूर रेतली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गई है.
  • घुईया की खेती के लिए पी.एच मान 5.5 से 7 के बीच का होना चाहिए.
  • इसकी खेती के लिए अच्छे जलनिकास वाली भूमि होनी चाहिए

खेत की तैयारी

  • अरबी की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें. जिससे खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे.
  • खेत तैयार करते समय 18 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 4.5 किलो ट्राईकोडर्मा प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
  • खाद डालने के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर पलेवा कर दें.
  • पलेवा के 7 से 8 दिन बाद एक बार गहरी जुताई कर दें
  • इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाकर पाटा लगाके समतल कर लें.

अरबी की उन्नत किस्म (Varieties)

  • इंदिरा अरबी 1:- इस वेरायटी की अरबी करीब 210 से 220 दिनों में तैयार हो जाती है इसके पत्ते मध्य आकर के और हरे रंग के होते है तथा तने का ऊपरी भाग का रंग नीचे बैंगनी तथा बीच में हरा होता हैं.
  • नरेन्द्र अरबी:- इस किस्म की अरबी 170 से 180 तैयार हो जाती है इसके पत्ते मध्यम आकार के तथा हरे रंग के होते हैं. इसकी औसतन उपज 12 से 15 टन प्रति हेक्टेयर हैं .
  • बिलासपुर अरूम:- यह 180 से 190 दिनों तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 30 टन प्रति हेकटेयर है.
  • आजाद अरबी:- यह वैरायटी 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 28 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है.
  • अरबी की अन्य वैरायटी:- राजेंद्र अरबी, व्हाइट गौरैया, पंचमुखी, मुक्ताकेशी

अरबी की खेती लिए बीज की मात्रा

अरबी की बुवाई के लिए एक एकड़ खेत के लिए अंकुरित कंद 4 से 5 क्विंटल की आवश्यकता होती है

अरबी के बीज का उपचार

बुबाई करने से पहले 24 कंद को उपचारित करना चाहिए. कंदों को उपचारित करने के लिए 2% बाविस्टीन का घोल बनाकर गांठों 30 मिनट के लिए भिगोएं.

बुआई का समय (Taro planting time)

खरीफ में
बुआई का समय:- 1 मई से 30 जून के बीच
फसल अवधि:- 150 से 220 दिन
जायद में
बुआई का समय:- 1 फ़रवरी से 30 अप्रैल के बीच
फसल अवधि:- 150 से 220 दिन

बुआई का तरीका

  • क्यारिया बनाकर:- अरबी के कंदों की क्यारियों में पंक्तियों से पंक्तियों दूरी 60 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी. और कंदों की 5 से 7 सेमी. की गहराई से बुवाई करें.
  • मेड़ बनाकर:- 45 सेमी. की दूरी से मेड़ बनाकर दोनों किनारों पर 30 सेमी. की दूरी पर अरबी के कंदों की बुवाई करें.

अरबी की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन

मृदा के बाद ही रासायनिकों का इस्तेमाल करें. अधिक पैदावार लेने के लिए नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस 60 किलोग्राम तथा पोटाश 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दर से नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस व पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा बुवाई से पहले खेत में डालें.

शेष नाइट्रोजन को दो बराबर भागों मे बांटकर बुवाई के 35-40 दिन और 70 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करते समय देना चाहिए फसल में डालें

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें

अरबी फसल सिंचाई 

अंकुरण के लिए खेत की नियमित सिचाई करते रहे. बुवाई के तुरंत बाद खेत की सिचाई करें जिससे अंकुरण छमता बढ़ेगी. वरिष्ठ के समय आवश्यकतानुसार सिचाई करें तथा गर्मियों के समय 3-4 दिनों के अंतराल पर खेत की सिंचाई करें. गर्मी की फसल के लिए करीब 5-10 सिंचाई की आवश्यकता होती है.

बीमारीयां और रोकथाम

पत्ता झुलस रोग, लोमाई/ बोबोन वायरस, दाशीन का चितकबरा रोग, गांठों का गलना, कीटों का प्रकोप रहता है इनसे वचाव के लिए आप अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें

अरबी फसल की कटाई – How to Harvest Taro ?

फसल बुवाई के करीब 120-150 दिनों बाद खुदाई के तैयार हो जाती है. जब पौधों की पत्तियां पीली होने लगे तो समझो फसल खुदाई के लिए तैयार है.

अरबी की फसल से उत्पादन 

अरबी की औसतन पैदावार लगभग 100-150 क्विंटल/एकड़ है.

अगर आपको Taro Farming (Arbi ki Kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

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Last Modified: 3 August, 2023

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