केंचुआ खाद (Kenchua Khad) या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) में पाए जाने वाले पोषक तत्व किसी भी फसल के लिए बहुत ही लाभदायक होते है. केंचुआ खाद (Vermicompost) को प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है. वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) रासायनिक खादों की अपेक्षा बहुत किफायती और लाभकारी है. केंचुआ खाद क्या है ? वर्मीकम्पोस्ट को कैसे बनाया जाता है. इसकी पूरी जानकरी के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढें.
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) क्या है? – What is Vermi Compost in Hindi
केंचुआ खाद एक ऑर्गेनिक खाद है, जिसको वर्मीकम्पोस्ट (Vermi-Compost) या वर्मीकल्चर (Vermiculture) कहते है. गाय या भैसों के गोबर को केंचुओं की मदद से कम्पोस्ट करके केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) बनाया जाता है. इस खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिससे फसलों के अच्छे विकास के साथ साथ मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाने सहायता करता है. केंचुओं (Earthworm) को किसान मित्र भी कहते है. इस लेख के जरिये हम आपको कम्पोस्ट (vermicomposting) के बारें में पूरी जानकारी देने वाले है.
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाने की पूरी विधि – Vermi Compost Making Method in Hindi
कम्पोस्ट कैसे बनाया जाता है इसके लिए क्या क्या सामग्री की आवश्यकता होती है. किस किस्म के केंचुए वर्मी कम्पोस्टिंग बनाने के लिए सबसे बढ़िया होते है, इन सबकी जानकारी नीचे दी जा रही आप इसको ध्यान से पढें.
वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए जगह का चुनाव (Selection of place for vermicomposting)
केंचुए की खाद बनाने के लिए सबसे पहले सही जमीन का चुनाव करना चाहिए. वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए ऐसी जमीन का चुनाव करना चाहिए जहाँ छाया हो तथा नामी और ठंडा हो. अगर आप खुले में वर्मी कम्पोस्ट बनाना जा रहे है तो आपको ऐसे स्थान का चयन करना होगा जहाँ वारिस से बचाव हो सके तथा वर्षा का जल भराव न हो और सूर्य की सीधी रोशनी ना पड़े.
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाने के लिए जरूरी सामग्री (Ingredients needed to make vermicompost)
आसानी से डि-कंपोज होने वाले सामानो का इस्तेमाल कम्पोस्ट (Vermicompost) बनाया जाता है. चलिए देखते है कम्पोस्ट (Vermiculture) बनाने के किस सामग्री की आवश्यकता पड़ती है.
- किसी भी पशु का गोबर जैसे – गाय, भैंस, भेड़, बकरी इत्यादि
- पेड़-पौधों के अवशेष (पेड़ की छाल, लकड़ी की छिलके, लकड़ी का बुरादा, घास, पत्तियां इत्यादि)
- एग्रीकल्चरल वेस्ट – जैसे तना, पत्तियां, फल इत्यादि
- रसोई घर से निकलने वाला कचरा जैसे – सब्जियां के टुकड़े, छिलके.
- इंडस्ट्रियल वेस्ट – होटल, रेस्टोरेंट से निकलने वाला कचरा
- बगीचे से निकलने वाला कचरा जैसे फूल, पत्तियाँ इत्यादि
वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए केंचुए की प्रजाति का चयन (Selection of earthworm species for vermicomposting)
वर्मीकम्पोस्टिंग उत्पादन के हमको केंचुए प्रजाति पर ध्यान देना होगा. जिससे कम्पोस्टिंग के उत्पादन पर काफी गहरा असर पड़ता है. केंचुआं खाद के लिए लाल केंचुआं (Eisenia Foetida) और अफ्रीकी केंचुआ (Eudrillus Engenial) ) उपयुक्त मना गया है.
अफ्रीकी केंचुआ (Eudrillus Engenial) :- यह केंचुआ अकार में बड़ा होता है. वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए इसको बेहतर माना गया है. अफ्रीकी केंचुआ (Eudrillus Engenial) काम समय में ज्यादा कम्पोस्ट का उत्पादन करता है. कम्पोस्टिंग के दौरान बच्चे देने की दर अन्य प्रजातियों के केचुओं से अधिक है.
लाल केंचुआं (Eisenia foetida) :- लाल केंचुएं की मृत्यु दर अफ्रीकी केंचुए की तुलना में कम होता है
कम्पोस्ट बनाने की विधि (How to make Vermi Compost)
कम्पोस्ट बनाना बहुत ही सरल है. कम्पोस्ट खाद को करीब डेढ़ से दो महीने में आसानी से तैयार किया जा सकता है. कम्पोस्ट बनाने की मुख्य तीन विधियां हैं
- प्लास्टिक या टटिया विधि : इस विधि से वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए प्लास्टिक के बोरे और बांस की जरुरत पड़ती. इनका इस्तेमाल कर खाद तैयार किया जाता है. प्लास्टिक या टटिया विधि के अनुसार गोबर और केंचुआ को प्लास्टिक की बोरियों में डाल दिया जाता है. इस प्रकार से केचुआ खाद बनाने में लगत काम आती है.
- पिट विधि: इस विधि से कम्पोस्ट (Vermiculture) बनाने के लिए पक्की क्यारियों होना आवश्यक है. इन क्यारियों में गोबर केंचुआ को डाल दिया जाता है. इस विधि का उपयोग व्यवसायिक कंपोस्ट बनाने के लिए किया जाता है. इस विधि में कम्पोस्ट 1-2 महीने में ही तैयार हो जाता है इसकी सामान्यत: लंबाई 10 फुट, चौड़ाई 4 फुट, तथा ऊंचाई 2 फुट बनाते हैं. इसकी लंबाई को जगह एवं कच्चे माल की उपलब्धता के अनुसार कम या ज्यादा भी किया जा सकता है
- बेड विधि : बेड विधि का नाम सुनते ही आप समझ गए होंगे कि खाद किस प्रकार बनाया जाता है. इस विधि से केचुआ खाद बनाने के लिए सबसे पहले ऐसी जगह का चुनाव करना होगा, जहाँ बरसात का पानी इकट्ठा न होता हो. बेड विधि के अनुसार बेड बनाकर कम्पोस्ट खाद तैयार किया जाता है. सबसे पहले गोबर से बेड बनाये फिर उसमें केचुए डालें. एक बेड की खाद बन जाने के बाद केंचुए स्वतः ही दूसरे बेड में चले जाते हैं.इसके बाद पहले बेड से वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडार कर लिया जाता है. इसकी सामान्यत: लंबाई 10 फुट, चौड़ाई 4 फुट, तथा ऊंचाई 2 फुट बनाते हैं. इसकी लंबाई को जगह एवं कच्चे माल की उपलब्धता के अनुसार कम या ज्यादा भी किया जा सकता है
वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय सावधानियां – Precautions while making Vermicompost in Hindi
- ध्यान रहे मिट्टी में किसी भी प्रकार के पत्थर, कांच, प्लास्टिक या धातु के टुकड़े नहीं होने चाहिए.
- मिश्रण में पर्याप्त नमी बनाये रखे, जिससे केचुए सुरक्षित रहेंगे
- मिश्रण को बहुत अधिक पानी नहीं देना चाहिए, इससे मिट्टी में वायु प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है.
- इस खाद को बनाते समय मिश्रण का तापमान 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं होना चाहिए
- अपशिष्ट के मिश्रण में किसी भी प्रकार के रसायन या कीटनाशक मौजूद नहीं होना चाहिए
वर्मीकम्पोस्ट को कैसे निकाले (How to Extract Vermi-compost)
वर्मीकम्पोस्ट के तैयार होने के बाद उसको कैसे निकले इसकी जानकारी निम्न प्रकार से है
- सर्वप्रथम तैयार कम्पोस्ट का ढेर बना लिया जाता है।
- कम्पोस्ट के ढेर से केंचुए अलग-अलग किया जाता है जिससे केंचुए का प्रयोग दूसरी बार कम्पोस्ट बनाने के लिए किया जायेगा.
- अब बिना सड़ा हुआ पदार्थ अलग कर लिया जाता है.
वर्मीकम्पोस्ट की सुखाई:- तैयार वर्मी कम्पोस्ट के ढेर को हल्की धूप में सुखा सूखा ले लेकिन ध्यान रहे पूर्ण रूप से नमी को समाणत नहीं किया जाना चाहिये.
वर्मीकम्पोस्ट की सफाई व छनाईं:-कम्पोस्ट को सुखाने के बाद उसकी सफाई व छनाईं की जाती है जिससे बिना सड़ा हुआ पदार्थ अलग किया जा सके. विजातीय पदार्थ जैसे लकड़ी के टुकड़े, कांच, पत्थर इत्यादि को अलग करने के लिए कम्पोस्ट को मोटी जाली की छनन्नी से छाना जाता है. आजकल वर्मीकम्पोस्ट को छानने के लिए आधुनिक मशीन का प्रयोग किया जाने लगा है.
कम्पोस्ट बनाने में लागत:-
वर्मीकम्पोस्ट की देख रेख व प्रबंधन (Management of Vermicompost Plant)
वर्मीकम्पोस्ट बेड तैयार करने से पहले और बाद में बेड की देखरेख व प्रबंध बहुत जरुरी आवश्यक है. जिससे अच्छा वर्मीकम्पोस्ट बनाया जा सके. जिसके लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए.
आद्रता :- कम्पोस्ट बनाने के लिए आर्द्रता की बहुत जरुरी होती है क्योकि केचुए को नमी में रहना पसंद होता है. इसलिए तैयार शेड पर सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है.
तापक्रम:- केंचुओं के जीवन के लिए 10-40 डिग्री सेल्सियस तापक्रम उपयुक्त होता है. इसलिए वर्मीकम्पोस्ट बेड के तापक्रम को नियंत्रित रखना चाहिए. तापक्रम को नियंत्रण हेतु शेड के चारों ओर बोरों को काट कर लटका दिया जाता है व इन बोरों को पानी से गीला कर दिया जाता है.
वातन(वायु संचारण):- केंचुए के विकास व वृद्धि के लिए वायु संचारण आवश्यक है. बेड़ तैयार करते समय सर्वप्रथम सूखी घास एवं नारियल के छिलकों का प्रयोग किया जाता है और शेड को चारों ओर से खुला रखा जाता है.
कीट नियंत्रण:- कम्पोस्ट तैयार करने वाले स्थान को चीटियों व दीमक से मुक्त रखने के लिए गड्ढे को 1 माह पूर्व कौटनाशकों से उपचारित किया जाता है.
छाया करना :– कम्पोस्ट तैयार करते समय छाया की पूर्ण व्यवस्था की जाती है.
सुरक्षा :– पशु व पक्षियों से सुरक्षा हेतु शेड के चारो ओर तारो की फेन्सिंग या बाड़ लगाना आवशयक होता है.
कम्पोस्ट बनाने में लागत (Cost of Making Vermi Compost)
इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए 25 वर्ग मीटर की आवश्यकता होती है. पहले साल के शुरुआत में इसका कुल खर्च कम से कम डेढ़ लाख रुपए तक आता है. इससे आपको पहले वर्ष लगभग 2 लाख रुपए तक आय हो सकती है
अच्छे वर्मी कम्पोस्ट खाद (Vermicompost) की विशेषताएं
- यह चाय पत्ती के समान दानेदार होता है.
- इसका रंग काला और भूरा होता है.
- इससे बदबू नहीं आती है.
- इससे मक्खी मच्छर नहीं पनपते हैं.
- यह भुरभुरा होता है.
वर्मीकम्पोस्ट उपयोग की मात्रा
- खाद्यान्न फसल – 5 से 6 टन प्रति हेक्टर
- फलदार पेड़ – 4 से 0 किलो प्रति पेड़
- गमले – 100 ग्राम प्रति गमला
- सब्जियां – 10 से 12 टन प्रति हेक्टर
- वर्मीकम्पोस्ट में पोषक तत्वों की मात्रा
वर्मीकम्पोस्ट की रासायनिक संरचना – Chemical Composition of Vermicompost
S.N | मानक | वर्मीकम्पोस्ट | गोबर की खाद |
---|---|---|---|
1 | P.h | 7.2 | 7.2 |
2 | विद्युत चालकता (डीएसएम) | 0.082 | 0.18 |
3 | सेन्द्रीय द्रव्य (प्रतिशत) | 20.9 | 2.2 |
4 | मुफ्त केल्शियम कार्बोनेट (प्रतिशत) | 7.8 | – |
5 | कार्बन नत्रजन अनुपात | 34.7 | 24.4 |
मुख्य पोषक तत्व | |||
6 | कुल नत्रजन (प्रतिशत) | 0.56 | 0.5 |
7 | उपलब्ध नत्रजन (पी.पी.एम.) | 387 | 375 |
8 | कुल फास्फोरस (प्रतिशत) | 4.48 | 0.75 |
9 | कुल पोटाश (पी.पी.एम.) | 0.36 | 2.3 |
10 | उपलब्ध पोटाश (पी.पी.एम.) | 4060 | 26030 |
सूक्ष्म पोषक तत्व | |||
11 | आयरन (पी.पी.एम.) | 24.6 | 24.7 |
12 | जिंक (पी.पी.एम.) | 12.7 | 40 |
13 | मैग्निज (पी.पी.एम.) | 19.2 | 12 |
14 | कॉपर (पी.पी.एम.) | 5.8 | 2.8 |
* अनुमानित आंकड़े |
वर्मी कम्पोस्ट खाद से लाभ (Benefits of Vermi Compost)
- केंचुओं के पेट में जो जीवाणु होते हैं उनसे गोंदनुमा पदार्थ निकलता जिससे धूल कणों को सख्त बनते है जिससे धूल कण भारी जमीन को नरम बनाते हैं. जिससे भूमि हवादार और पानी के निस्तार के लिए उपयोगी बनती है
- केंचुए का शरीर लगभग 85 प्रतिशत भाग में पानी होता है. इसलिए सूखे की स्थिति में शरीर से 60% तक पानी की कमी जाये तो भी केंचुआ जिंदा रह सकता है. मरने के बाद भी उसके शरीर से जमीन को सीधे नत्रजन मिलती है
- केंचुओं की विष्ठा में पेरीट्रॉपिक झिल्ली होती है जो जमीन में धूल कणों से चिपक कर जमीन से वाष्पीकरण को रोकती है.
- केंचुए खाद से भूमि की जल ग्रहण क्षमता में करीब 350 प्रतिशत की वृद्धि होती है.
- केंचुए गंदगी फैलाने वाले हानिकारक जीवाणुओं (बेक्टीरिया) को खा जाते हैं और उसे लाभदायक जीवाणुओं में परिवर्तित कर देते हैं.
- केंचुओं की वजह से गहरी जमीन के अनुत्पादित पदार्थ उत्पादित अवस्था में ऊपरी सतह पर आकर जड़ों को प्राप्त होते हैं.
- वर्मीकम्पोस्ट भूमि से रसायनिक उर्वरकों के विषैले प्रभाव को कम करता है.
- केंचुओं युक्त जमीन में भूमि का क्षरण रुकता है.
- केंचुओं की वजह से वातावरण स्वस्थ रहता है.
- खेती लाभकारी तथा निरंतर बनी रहती है.
- केचुआ खाद से खेती में रसायनों के उपयोग में भारी कमी आती है.
- वर्मीकम्पोस्ट की वजह से भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाता है.
- वर्मीकम्पोस्ट के प्रयोग से मिट्टी में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है. फसलों के दानों में चमक एवं सुगंध बढ़ाता है।
- इसके प्रयोग से मिट्टी की संरचना में सुधार करता है
- वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग से भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है.
- इसके उपयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है
पौधों के लिए वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग कब करें? – When to use Vermicompost for plants in Hindi
वर्मीकम्पोस्ट का आर्गेनिक गार्डनिंग में बहुत अधिक मात्रा में उपयोग हो रहा है. इसका उपयोग किसी भी मौसम में किसी भी पौधों के लिए किसी भी चरण में किया जा सकता है. इसका उपयोग मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है. यदि पौधा लगे गमले की मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट डालते हैं, तो 1 महीने से पहले इसका दोबारा प्रयोग न करें.
गार्डनिंग में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग कैसे करें? – How to use Vermicompost for gardening in Hindi
पौधे लगाने के लिए केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) का मिट्टी के साथ लगभग 30% के अनुपात में मिलाया जाता है. पौधों की मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने के बाद रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक का उपयोग न करें. यदि आप गमले में जैविक खाद का उपयोग करना चाहते हैं तो महीने में एक या दो बार, एक मुट्ठी वर्मीकम्पोस्ट को मिट्टी की ऊपरी सतह पर डाल सकते हैं.
कम्पोस्ट के व्यवसाय में है अपार संभावनाएं
ऑर्गेनिक खेती के बढ़ते चलन के साथ इस खाद की भी मांग बाजार में तेज़ी से अधिक हो गई है. युवा इस व्यवसाय (Business) को करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
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sir isko vyapar ke roop me karna chahe to iski jankari, kenchuaa kaha se prapt hoga aur uski keemat kitni hai minimum 5 bed ki khad taiyar ho jane par salling kaha hogi,aur kitne rupye kilo bikegi, aue koi hole sale me kareed lega kya.
sir varmicompost tayar karte wakt khara pani ya mita pani koi sa bhi de sak te ha kya