Moongphali Ki kheti : मूंगफली खेती (Groundnut Farming) परंपरागत फसल की तुलना में किसानो को अधिक लाभ देने वाली फसल माना जाता है. अगर किसान मूंगफली की खेती वैज्ञानिक तरीके से करते है तो वे इस फसल से अधिक पैदावार लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है. खरीफ सीजन के फसल चक्र में मूंगफली की खेती (mungfali ki kheti) का नाम सबसे पहले आता है. भारत के गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में प्रमुख रूप से मूंगफली उगाई जाती है.
अगर आप मूंगफली की खेती (groundnut cultivation) से अच्छी पैदावार लेकर अधिक मुनाफा कामना चाहते है तो मूंगफली की खेती कब और कैसे करनी चाहिए (How to cultivate groundnut), मूंगफली बोने का सही समय क्या है? मूंगफली की उन्नत किस्म कौन सी है? खाद व उर्वरक आदि की सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी आपको पता होती चाहिए. तभी आप मूंगफली की उन्नत खेती का पाएंगे.
मूंगफली की खेती (Moongphali ki Kheti)
मूंगफली mungfali ki kheti) को तिलहनी फसलों की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है जो ऊष्णकटबंधीय क्षेत्रों में बड़ी आसानी से उगाई जा सकती है. जो किसान मूंगफली की खेती करने की योजना बना रहे है उनको इस लेख को पूरा पढ़ना चाहिए. इस लेख में किसानो को मूंगफली की उन्नत खेती कैसे करे? इस बारे में विस्तार से बताया गया है.
मूंगफली की खेती के लिए जलवायु
मूंगफली की खेती (groundnut farming) के लिए अर्ध-उष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी गई है. इसकी खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है. मूंगफली फसल के लिए 50 से 100 सेंटीमीटर वर्षा उत्तम मानी गई गई है.
मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
मूंगफली की खेती अलग-अलग तरह की मिट्टी में की जा सकती है. लेकिन मूंगफली की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए अच्छी जल निकासी और कैल्शियम तथा जैव पदार्थो से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी गई है. इसकी खेती के लिए मिट्टी पीएच मानका 6 से 7 के बीच होना चाहिए.
मूंगफली फसल के लिए खेत की तैयारी
मूंगफली की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें, ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. खेत की अंतिम जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को पटा लगाकर समतल कर लें. खेत की अंतिम जुताई के समय 120 कि.ग्रा./एकड़ जिप्सम/फास्फोजिप्सम इस्तेमाल करे. दीमक तथा अन्य कीड़ों से बचाव के लिए किनलफोस 25 किग्रा तथा निम की ख़ली 400 किग्रा प्रति हैक्टेयर खेत में डालें.
मूंगफली की खेती के लिए भारत में बहुत वैराइटियां उपलब्ध है जिनका हमे नीचे विवरण दिया है.
- फैलने वाली वैरायटी:- आर एस-1, एम-335, चित्रा, आर जी-382 (दुर्गा), एम-13 और एम ए-10 आदि.
- मध्यम फैलने वाली वैरायटी:- एच एन जी-10, आर जी-138, आर जी-425, गिरनार-2 और आर एस बी-87 आदि.
- झुमका वैरायटी:- डी ए जी-24, जी जी-2, जे एल-24, ए के-12 व 24, टी जी-37ए और आर जी-141 आदि.
मूंगफली बोने का सही समय
समय | प्रमुख राज्य | बुवाई का समय |
खरीफ | गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान | जून –जुलाई से सितंबर –अक्तूबर |
रबी | तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, प. बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक | अक्तूबर-नवंबर से फरवरी –मार्च |
बसंत | गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र | जनवरी-फरवरी से अप्रैल –मई |
गर्मी | पंजाब | मार्च –अप्रैल से जून –जुलाई |
मूंगफली बीज दर
मूंगफली की गुच्छेदार किस्मों के लिए 100 कि.ग्रा. तथा तथा फैलने वाली किस्मों के लिए 80 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर की दर से आवश्यकता होती है.
मूंगफली के बीज का उपचारित कैसे करे
मूंगफली के बीज को सही से अंकुरण करने के लिए बीज को उपचारित जरूर कर लें. कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5 % की 2.5 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से या 1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम + ट्राइकाडर्मा विरिडी 4 ग्रा./कि.ग्रा. के हिसाब से बीज को उपचारित करें.
मूंगफली की बुआई कैसे करें
मूंगफली की बुआई के लिए सबसे उचित समय जून के दूसरे सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जा सकती है. मूंगफली की बुआई रेज्ड बेड विधि से करनी चाहिए. इस विधि के अनुसार बुवाई करने पर 5 कतारों के बाद एक एक कतार खाली छोड़ते है.
.झुमका किस्म:- झुमका वैरायटी के लिए कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. जरुरी होती है.
विस्तार किस्मों के लिए:- विस्तार वैरायटियों के लिए कतार से कतार की दूरी 45 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 सें.मी. रखें तथा बीज को 3 से 5 से.मी. की गहराई में ही बोये.
मूंगफली के खेत में खरपतवार नियंत्रण
मूंगफली फसल में मोथा, लकासा, जंगली चौलाइ, बनचरी, हिरनखुरी, कोकावा, गोखरू, सत्यानाशी, कोकावा, दूधघास आदि खरपतवार मुख्य रूप से उग आते है. इनसे नियंत्रण के लिए 30 और 45 दिन पर निदाई-गुड़ाई कराये, ताकि खरपतवार नियंत्रण मूंगफली की जड़ों फैलाव अच्छा होने के साथ मिट्टी में वायु संचार भी हो जाता है.
सिंचाई प्रबंधन
जायद की फसल के लिए सिचाई – पहली सिंचाई बुवाई के 10-15 दिन बाद, दूसरी बुवाई के 30-35 दिन बाद और तीसरी फूल एवं सुई बनने के समय, चौथी सिचाई 50-75 दिन बाद यानी फली बनने के दौराना और पांचवी सिचाई फलियों के विकास के समय (75-90 दिन बाद) करनी आवश्यक होती है. यदि मूंगफली की बुवाई वर्षाकाल में करी है तो बारिस के आधार पर सिचाई करे.
कीट रोकथाम
कीटों- सफेद लट/बिहार रोमिल इल्ली/मूंगफली का माहू/ रस चूसक/ पत्ती सुरंगक/ चेपा/ टिक्का/ रोजेट/फुदका और थ्रिप्स व दीमक आदि इसकी फसल में लगने वाले प्रमुख किट व रोग है.
मूंगफली की खुदाई कब करें – Peanut Harvest Time
मूंगफली के पौधों की पत्तियों का रंग पीला होने लगे और फलियों के अंदर का टेनिन का रंग उड़ जाने तथा बीज का खोल रंगीन हो जाने के बाद खुदाई करें. कूड़े के समय खेत में हलकी नमी होनी चाहिए.
मूंगफली का भंडारण
भंडारण और अंकुरण क्षमता बरकरा बनाये रखने के लिए खुदाई के बाद सावधानीपूर्वक मूंगफली को सुखाना चाहिए. मूंगफली का भंडारण करने से पहले यह चेक कर लें कि मूंगफली के दानो में नमीं की मात्रा 8 से 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए.
मूंगफली की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earnings in Groundnut Farming)
मूंगफली की खेती अच्छा उत्पादन देने वाली फसल मानी गई. इसकी खेती करने में करीब 1-2 लाख रुपए तक का खर्च आ जाता है. अगर किसान के पक्ष में सभी कुछ अच्छा रहा तो प्रति हेक्टेयर लगभग 5-6 लाख की कमाई की जा सकती है.