World Dairy Summit 2022: दूध का पैकेट खरीदने के बाद खराब निकलने के के बाद लोग को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योकि भारत की प्रमुख राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था सीएसआईआर जल्द ही एक ऐसे तकनीक लाने जा रही है जिससे दूध का पैकेट खोले बिना उसके खराब होने का पता चल जायेगा.
ग्रेटर नोएडा के एक्सपो सेंटर में चल रहे आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 के दौरान प्रोफेसर राजेश्वर एस मैचे, चीफ़ साइन्टिस्ट एवं हैड, फूड पैकेजिंग एण्ड टेक्नोलॉजी, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई, मैसुरू ने बताया, ‘‘भारत के आम लोगों को अक्सर दूध का पैकेट खरीदने के बाद खराब दूध निकलें की समस्या से जूझना पड़ता है, वे आउटलेट पर ही खराब दूध की पहचान नहीं कर पाते. जब घर जाकर वे दूध का पैकेट खोल कर इसे उबालते हैं, तभी उन्हें पता चलता है कि दूध खराब है. ऐसे में उन्हें महसूस होता है कि उन्हें ठग लिया गया है.’’
संगठित डेयरी सेक्टर के इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सीएसआईआर का सीएफटीआरआई विभाग बाज़ार से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर इस जटिल समस्य पर काम कर रहा है. विभाग ने दूध, मीट, इडली और डोसा पर मौजूद लेबल की मदद से इस तकनीक पर टेस्टिंग की है. सीएसआईआर-सीएफटीआरआई नंदिनी डेयरी के साथ मिलकर इन प्रयोग को कर रहा है. जिस पर लगभग 100 % सफलता मिली है. सुबह और शाम डिलीवरी होने वाले दूध के पैकेटों पर टेस्टिंग की जा रही है.
सीएसआईआर-सीएफटीआरआई ने इस तकनीक को ‘टाईम टेम्परेचर बेस्ड स्पॉइलेज इंडीकेटर टेस्टिंग’ नाम दिया है. इस तकनीक के द्वारा दूध के पैकेट को टेस्ट करने की कीमत 20-25 पैसे आएगी. सीएसआईआर का मानना है कि इस तकनीक को बड़े पैमाने लागू किया जा सकेगा.
मिस श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, डायरेक्टर, सीएसआईआर-सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रीसर्च इंस्टीट्यूट, मैसुरू ने बताया हम लोगो की समस्या पर काम कर रहे है, डिलीवर किये जाने खाद्य पदार्थो के आइटमों की टेस्टिंग बड़े पैमाने की की गई है. हमें विश्वास शुरूआत यह तकनीक काफी किफ़ायती होगी. फील्ड प्रेक्टिसेज़ टू डिटेक्ट एण्ड मिटिगेट रिस्क’सत्र की अध्यक्षता कर रही है.
सत्र के दौरान अपने विचार व्यक्त करने वाले अन्य प्रवक्ताओं में मिस चोरेख फारूख, हैड ऑफ फूड सेफ्टी युनिट एवं टीम लीडर ‘साइन्स डिपार्टमेन्ट’ सीएनआईईएल फ्रांस; मिस डेनियल ब्रागा चेलिनी परेरा, एनालिटिकल मैथेडोलोजी मैनेजर; लेटिसिनिअस बेला विस्ता लिमिटेड, ब्राज़ील, मि. पार वाबेन हंसेन, फैलो डेटा साइन्टिस्ट, एफओएसएस एवं अफीलिएटेड प्रोफेसर- युनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन; तथा डॉ नरेश कुमार, प्रिंसिपल साइन्टिस्ट एवं इन-चार्ज, नेशनल रेफरल सेंटर ऑन मिल्क क्वालिटी एण्ड सेफ्टी, डेयरी माइक्रोबायोलोजी डिविज़न, आईसीएआर- नेशनल डेयरी रीसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल शामिल थे.