Tulsi ki Kheti (Basil Farming): तुलसी की खेती (Basil Cultivation) किसानो के बीच चर्चा का विषय बानी हुयी है. तुलसी की खेती (Basil Farming) कैसे करें? इसकी खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु, मिट्टी औऱ तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए किसान भाई इस लेख को अंत तक जरूर पड़ें. जाने Tulsi ke Fayde

तुलसी की खेती की पूरी जानकारी – Tulsi Farming in Hindi
पारंपरिक खेती को छोड़कर आजकल किसान औषधीय फसलों (Medicinal Plants) की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे है. क्यों इस प्रकार की खेती किसानो को ज्यादा मुनाफा देती है. तुलसी के पौधों में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते है. इसके पौधे का इतेमाल यूनानी औऱ आयुर्वेदिक चिकित्सा के रूप में किया जाता है. इसका उपयोग दवाइयों को बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. जिसके सभी भागो ( तना, फूल, पत्ती, जड़, बीज ) को किसी न किसी रूप में उपयोग में लाया जाता है.
तुलसी की खेती कैसे करें ? – Tulsi ki Kheti in Hindi
मृदा व जलवायु
तुलसी की खेती (Tulsi Farming) के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती के लिए भूमि का P.H. मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए. तुलसी की खेती (Basil Farming) उष्ण कटिबंधीय एवम् उपोष्ण कटिबंधीय दोनों तरह की जलवायु हो जाती है. बारिश के मौसम में तुलसी के पौधों का विकास बहुत तेज़ी होता है. लेकिन सर्दियों में गिरने वाला पाला इसकी पैदावार हो हानि पहुँचाता है. इसके पौधे सामन्य तापमान में आसानी से विकसित हो जाते है.
तुलसी की उन्नत किस्में (Basil Improved Varieties)
- ओसियम बेसीलिकम (O.Basilicum) अजंधिका अथवा स्वीट फ्रेंच बेसिल अथवा बोवई तुलसी
- ओसिमम किलिमण्डस्क्रिकम (O.Kilimandschricum)
- ओसिमम केनम/ओसिमम अमेरिकेनम (O.Americanum) काली तुलसी
- ओसिमम ग्रेटिसियम (O.Grattisimum) बन तुलसी या राम तुलसी
- ओसिमम विरडी (O. Virdi) जंगली तुलसी
- ओसिमम सैंकटम (O.Sanctum)
तुलसी की खेती के लिए जमीन की तैयारी
तुलसी की खेती (Basil Cultivation) के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए. खेत में गहरी जुताई करने के बाद खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दे. खेत में गोबर खाद डालकर रॉटवेटोर से जुताई करें. जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी.
तुलसी की खेती के लिए खाद
तुलसी की खेती के लिए 15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद खेत में डाले. आप गोबर की खाद की जगह कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है. अगर आप रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो उसके लिए 75-80 कि. ग्रा, नत्रजन 40-40 कि. ग्रा, फास्फोरस व पोटाश की जरुरत होगी. रोपाई से पहले एक तिहाई नत्रजन तथा फास्फोरस व पोटास की पूरी मात्रा खेत में डालकर जमीन में मिला दे तथा शेष नत्रजन की मात्रा दो बार में खड़ी फसल में डालना चाहिए.
तुलसी के पौधों की बुवाई/रोपाई का सही समय औऱ तरीका (Tulsi Plants Transplanting Right time and Method)
तुलसी के पौधों की बुवाई/रोपाई पौध के रूप में की जाती है. इसके लिए पौधों को किसी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीद सकते है या फिर आप खुद नर्सरी तैयार करें. इसके पौधों की रोपाई समतल औऱ मेड़ दोनों तरह से की जा सकती है.
अगर आप इसके पौधों की रोपाई मेड़ पर करना चाहते है तो रोपाई से पहले खेत में एक फ़ीट की दूरी रखते हुए मेड़ को तैयार करें. इसके बाद इन पौधों को सवा फ़ीट की दूरी रखते हुए रोपाई कर देना चाहिए.
यदि आप इसके पौधों की रोपाई समतल भूमि करना चाहते है तो उसके लिए आपको खेत में पंक्तियो को तैयार लेना चाहिए. इन पंक्तियों को डेढ़ से दो फ़ीट की दूरी में तैयार कर लेना चाहिए. पौधे से पौधे की दूरी 40 CM और लाइन से लाइन की दूरी 60 CM दूरी अवश्य रखे. तुलसी के पौधों की रोपाई के लिए अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है.
तुलसी के पौधों की सिंचाई (Basil Plants Irrigation)
पौधों की रोपाई के तुरंत बाद सिचाई कर देना चाहिए जिससे पौधों सूखेंगे नहीं. तुलसी के खेत में नमी बनाये रखने के लिए 4 से 5 दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिये. तुलसी के पौधों को एक वर्ष में 10 से 12 सिंचाई की जरुरत होती है. बारिश के मौसम में इसके पौधों की सिंचाई 15 से 20 दिन के अंतराल करें
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल की पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के एक माह बाद करनी देनी चाहिए तथा दूसरी निराई-गुड़ाई पहली निराई के 3-4 सप्ताह बाद करनी चाहिए.
तुलसी की कटाई – harvesting basil
जब तुलसी के पौधों पर पूरी तरह से फूल आ जाये और निचे के पत्ते पिले पड़ने लगे तो इसकी कटाई भूमि से 20 से 25 CM की ऊंचाई से कर लेनी चाहिए. रोपाई के 10-12 सप्ताह के बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
पैदावार
तुलसी की खेती से फसल की औसत पैदावार 20-25 टन प्रति हेक्टेयर हो जाती है तथा तेल की पैदावार 80-100 कि. ग्रा. हेक्टेयर तक हो जाती है. इसके तेल का बाज़ारी भाव 450 से 500 रूपए प्रति KG होता है. जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से 40 से 50 हजार की कमाई आसानी से कर सकते है.
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