Watermelon Cultivation तरबूज जायद सीजन की मुख्य फसल मानी गई है, अगर पॉलीहाउस लो-टनल, ग्रीन हाउस आदि की सुविधा है तो किसान सर्दियों में तरबूज की खेती (Watermelon Farming) करके तगड़ा मुनाफा ले सकते है. क्योकि अधिकतर किसान इसकी खेती मुख्य रूप से फरवरी – मार्च महीने में करते है. अन्य फलों की खेती के मुकाबले तरबूज की खेती के लिए कम समय, कम खाद और कम पानी की आवश्यकता होती है. वैसे तरबूज की खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती (Watermelon Farming) की जाती है.
तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti Kaise Karen)
गर्मियां शुरू होते ही बाजार में तरबूज की मांग काफी बढ़ जाती है क्योकि तरबूज में लगभग 92% पानी मौजूद होता है जो शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में सहायक होता है. पानी के अलावा तरबूज में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी, कार्बोहाइड्रेट जैसे अनेक पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है इसलिए तरबूज का सेवन सेवन के लिये फायदेमंद होता है. ऐसे में अगर आप तरबूज की खेती व्यावसायिक रूप से करते है तो आप इसकी खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर तगड़ा मुनाफा कमा सकते है.
कब और कैसे करें तरबूज की खेती
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तरबूज की खेती के लिए जलवायु
गर्म और औसत आर्द्रता वाली जलवायु तरबूज की उन्नत खेती सर्वोत्तम मानी गई है. अंकुरण से लेकर फसल के समुचित विकास ले लिए 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा मना जाता है.
तरबूज की खेती कैसी होनी चाहिए मिट्टी
सानान्य तौर पर तरबूज सभी प्रकार के मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन 5.5 से 7.0 पी.एच. मान वाली रेतीली दोमट Watermelon Farming के लिए उत्तम मानी गई है.
तरबूज की खेती के लिए कैसे तैयार खेत
तरबूज़ की खेती के लिए दिन खेत तैयार करते समय करीब 20-21 दिन पहले प्रति एकड़ 6-7 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला दें. अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 10 किग्रा यूरिया, 10 किग्रा सुपर फॉस्फेट, 10 किग्रा पोटाश के अलावा 200 किग्रा नीम केक, 4 किग्रा जिंक सल्फेट, 4 किग्रा मैग्नीशियम सल्फेट, 4 किग्रा फेरस सल्फेट खेत में डालें. उसके बाद ऊँची क्यारियां या बैड बना लें.
तरबूज की उन्नत किस्में
तरबूज की उन्नत खेती लिए स्थानीय तरबूज की उन्नत किस्मों का ही चयन करना चाहिए ताकि उत्पादन अच्छा मिल सकें. लेकिन बाजार में तरबूज की कुछ उन्नत किस्में मौजूद है उनमें सुगर बेबी, दुर्गापुर केसर, अर्को मानिक, दुर्गापुर मीठा, काशी पीताम्बर, पूसा वेदना, आशायी यामातो, डब्लू 19, न्यू हेम्पशायर मिडगट आदि है. इनके अलावा तरबूज हाइब्रिड किस्में/संकर किस्में है जिनमें मधु, मिलन और मोहनी आदि प्रमुख किस्में है.
तरबूज की बुवाई का समय
सामान्य तौर पर तरबूज की खेती दिसंबर से लेकर मार्च महीने तक की जा सकती है लेकिन तरबूज की बुवाई का अच्छा समय मध्य फरवरी माना जाता है. वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के महीनों में तरबूज की खेती की सकती है.
कैसे करें तरबूज की बुआई
तरबूज को दो तरीकों से उगाया जा सकता है पहला सीधे बीज द्वारा तथा दूसरा नर्सरी द्वारा. अगर आप तरबूज की रोपाई नर्सरी द्वारा करना चाहते है तो उसके लिए तरबूज की नर्सरी डालनी होगी. तरबूज की नर्सरी के लिए 1:1:1 अनुपात में मिट्टी, बालू और गोबर की खाद का मिश्रण तैयार कर लें. अब तैयार मिश्रण को 200 गेज, 10 सेमी व्यास और 15 सेमी ऊंचाई आकार की पॉलिथीन बैग में भरकर बीज की बुआई कर दें. नर्सरी के लिए पॉलिथीन के अलावा प्रो ट्रे का उपयोग कर सकते है. तरबूज की नर्सरी डालने के करीब 10-12 दिन में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाती है.
तरबूज की बुआई का तरीका
मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की खेती के लिए 4 से 5 फ़ीट की दूरी रखते हुए 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ी नालीनुमा लम्बी क्यारियों तैयार करें. नालियों के दोनों किनारों पर करीब 2 से 3 फ़ीट की दूरी पर 1.5 CM की गहराई में बीज की बुवाई करें.
बेड पर तरबूज की बुवाई
वर्तमान समय में खेती में नई-नई तकनीकों का प्रयोग हो रहा है. बात दें, आज कल तरबूज की खेती भी बेड पर की जा रही है. वाटरमेलन फार्मिंग के लिए 2.5-3 फ़ीट चौड़े, 1-1.5 फ़ीट ऊंचे तथा बेड से बेड की दूरी 4-5 फ़ीट रखते हुए बेड तैयार कर लें. फसल में सिचाई की व्यवस्था के लिए ड्रिप पाइप बिछाए खरपतवार नियंत्रण के लिए और तरबूज के फलों को नुकसान से बचाने के लिए 25-30 माइक्रॉन की प्लास्टिक मल्चिंग से बैड को कवर कर दें. आखिर में तरबूज के पौधे लगाने के लिए मल्चिंग में 2 फीट की दूर रखते हुए बैड के दोनों साइड छेद कर दें. यदि तरबूज की खेती बेड पर की जाती है तो एक एकड़ तरबूज की खेती के लिए करीब 6000 पौधों की आवश्यकता होगी.
तरबूज की खेती में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
तरबूज़ की खेती के लिए दिन खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ 6-7 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला दें. अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 10 किग्रा यूरिया, 10 किग्रा सुपर फॉस्फेट, 10 किग्रा पोटाश के अलावा 200 किग्रा नीम केक, 4 किग्रा जिंक सल्फेट, 4 किग्रा मैग्नीशियम सल्फेट, 4 किग्रा फेरस सल्फेट खेत में डालें. फसल के विकास, पुष्पन चरण के दौरान, फल धारणा, फलों के विकास के लिए फसल पोषक तत्वों को उचित मात्रा में उपयोग करें.
ऐसे करें तरबूज की खेती में सिंचाई
तरबूज की फसल के समुचित विकास हेतु खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखें. तरबूज की बुवाई के करीब 10-15 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए. यदि आप तरबूज की खेती नदियों के कछारों में कर रहे हैं, तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है क्योकि तरबूज की जड़ें बालू के नीचे से पानी को सोख लेता है.
तरबूज की खेती में खरपतवार नियंत्रण
फसल के अच्छे विकास के लिए तरबूज की फसल में खरपतवार की रोकथाम करना अति आवश्यक होता है. तरबूज की खेती में प्राकृतिक रूप से खरपतवार के लिए 2-3 नराई-गुड़ाई करनी चाहिए.
तरबूज के पौधों में लगने वाले रोग एवं रोकथाम
तरबूज की फसल पर लाल कीड़ा, फल की मक्खी, बुकनी रोग, डाउनी मिल्ड्यू, फ्यूजेरियम विल्ट आदि रोगों और कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है. इसके निरावरण के लिए अपने कृषि विशेषज्ञ से परामर्श लें.
तरबूज फसल की अवधि
तरबूज की सभी वैरायटी करीब 122-135 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी खेती से 36-38 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार हो जाती है.
कैसे करें तरबूज की तुड़ाई (Harvesting Watermelon)
आमतौर पर बुवाई के 40 दिनों के बाद फूल और 60 दिनों के बाद छोटे फल दिखाई देना शुरू हो जाते है तथा 90 से 120 दिनों के भीतर फल तुड़ाई के लिए तैयार होते हैं फलों की तुड़ाई तरबूज की वैरायटी, मौसम पर निर्भर करती है.
तरबूज की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि तरबूज की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Watermelon Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.