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कृषि दिशा / खेती-बाड़ी / तरबूज की खेती (Tarbooj ki Kheti) कब और कैसे करें | Watermelon Farming in Hindi

तरबूज की खेती (Tarbooj ki Kheti) कब और कैसे करें | Watermelon Farming in Hindi

By: Sanjay Sharma | Updated at:28 November, 2022 google newsKD Facebook

Tarbooj ki Kheti (Watermelon Farming): तरबूज की खेती (Watermelon Cultivation) ग्रीष्म ऋतु की सबसे लोकप्रिय खेती मानी गई है. वैसे इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती (Watermelon Farming) की जाती है. अन्य फलों की खेती के मुकाबले तरबूज की खेती के लिए कम समय, कम खाद और कम पानी की जरुरत होती है. यदि तरबूज की खेती उन्नत वैरायटी और तकनीक के आधार पर की जाए तो किसान इस खेती से अच्छी उपज लेकर अधिक मुनाफा कमा सकते है. तरबूज की फसल (watermelon crop) से अच्छी पैदावार कैसे ले सकते है? इसके लिए लेख को अंत तक जरूर पढें. जाने Tarbuj ke Fayde

Watermelon Farming
तरबूज की खेती (Tarbooj ki Kheti) कब और कैसे करें

तरबूज की खेती – Tarbooj ki Kheti

तरबूज (Watermelon) ग्रीष्म ऋतु का सबसे लोकप्रिय फल माना जाता है. गर्मियां शुरू होते ही बाजार में तरबूज की मांग बाद जाती है. इसके रस में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए और सी और कार्बोहाइड्रेट के साथ 92% पानी होता है. जोकि स्वस्थ के लिए बहुत ही लाभदायक होता है.

तरबूज की खेती की पूरी जानकारी – Watermelon Farming in Hindi

अनुकूल जलवायु

तरबूज की खेती (tarbooj ki kheti) के लिए गर्म और औसत आर्द्रता वाली जलवायु सर्वोत्तम मानी गई है. बीजों के अंकुरण और पौधों के विकास के लिए करीब 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा रहता है.

उपयुक्त भूमि 

तरबूज़ की खेती (Watermelon Farming) सभी प्रकार की मिटटी में हो जाती है, लेकिन विशेष रूप से इसकी खेती के लिए उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट सर्बोतम मानी गई है. तरबूज़ की खेती के लिए 5.5 से 7.0 पी.एच. मान वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है.

यह भी पढ़ेंः  खरबूजे की खेती (kharbuja ki kheti) कब और कैसे करें | Muskmelon Farming in Hindi

खेत की तैयारी

  • तरबूज़ की खेती (Watermelon Cultivation) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें.
  • जिससे खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे.
  • खेत तैयार करते समय 15-20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति हैक्टर के हिसाब से खेत में डालें.
  • खाद डालने के बाद खेत की एक बाफ फिर जुताई करे.
  • इसके बाद खेत में नमी के लिए पलेवा कर दें.
  • इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाकर पाटा लगा के भूमि को समतल कर लें.
  • आखिरी जुताई के समय फास्फोरस, यूरिया, कार्टब, पोटास की उचित मात्रा डालकर खेत में 5 से 6 फ़ीट की दूरी रखते हुए नालीनुमा लम्बी क्यारियों को तैयार करें.
  • इस तरह तरबूज़ की खेती (tarbuj farming) के लिए खेत तैयार हो जायेगा.

तरबूज की उन्नत किस्में (Watermelon Varieties)

 
तरबूज की उन्नत खेती लिए स्थानीय किस्मों का चयन करना चाहिए. हम कुछ उन्नत किस्मों के बारे बताने जा रहे.

  • सुगर बेबी
  • दुर्गापुर केसर
  • अर्को मानिक
  • दुर्गापुर मीठा
  • काशी पीताम्बर
  • पूसा वेदना
  • आशायी यामातो
  • डब्लू 19
  • न्यू हेम्पशायर मिडगट

तरबूज की बुवाई का समय (Watermelon Sowing Time)

मैदानी क्षेत्रों में – फरवरी
मैदानी क्षेत्रों में – नवम्बर से मार्च
पहाड़ी क्षेत्रों में – मार्च से अप्रैल

तरबूज़ की खेती के लिए बीज की मात्रा

प्रति हेक्टेयर 4 से 5 किग्रा० बीज पर्याप्त रहता है.

तरबूज के बीज का उपचार कैसे करें

तरबूज के बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए. लेकिन बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है बीज की सीधे बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है

तरबूज के बीज को बुवाई से पहले 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या @ 2 ग्राम थीरम प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करें.

तरबूज की बुआई कैसे करें?

तरबूज के बीज को सीधे और नर्सरी बनाकर लगाया जा सकता है. तरबूज की बुवाई (watermelon sowing) के लिए 4 से 5 फ़ीट की दूरी रखते हुए 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ी नालीनुमा लम्बी क्यारियों को तैयार करें. इसके बाद नालियों के दोनों किनारों पर करीब 2 से 3 फ़ीट की दूरी पर 1.5 CM की गहराई में बीज की बुवाई करें.

तरबूज के लिए बेड कैसे बनाएं (Bed Preparation for Watermelon)

खेत तैयार करने के बाद 60 सें.मी. चौड़ाई और 15-20 सें.मी. ऊंचाई वाले बेड तैयार करे. इन क्यारियों में 4-5 फीट का अंतर रखें. अब बेड पर ड्रिप सिस्टम (लेटरल्स) फैलाएं. इसके बाद 4 फीट चौड़ाई के 25-30 माइक्रॉन मोटे मल्चिंग को बेड पर फैलाएं. मल्चिंग फैलाने के बाद 30-45 सें.मी. की पर छेद कर तरबूज के पौधों को 2 से 3 फ़ीट की दूरी पर रोपाई कर दें.

खरपतवार नियंत्रण

तरबूज की फसल में खरपतवार की रोकथाम करना अति आवश्यक होता है. खरपतवार नियंत्रण के लिए 2 या 3 निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए.

तरबूज के पौधों में लगने वाले रोग एवं रोकथाम 

तरबूज का लाल कीड़ा, फल की मक्खी, बुकनी रोग, डाउनी मिल्ड्यू, फ्यूजेरियम विल्ट आदि रोगों और कीटों का प्रकोप तरबूज की फसल अधिक रहता है.

सिंचाई

गर्मी के मौसम में तरबूज की फसल में सिंचाई करीब 10-15 दिन के बाद सिंचाई की जानी चाहिए. यदि आप तरबूज की खेती नदियों के कछारों में कर रहे हैं, तो सिंचाई की जरुरत नहीं पड़ती है. क्योकि तरबूज की जड़ें बालू के नीचे से पानी को सोख लेता है.

फसल की अवधि

तरबूज की सभी वैरायटी करीब 122-135 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी खेती से 36-38 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार हो जाती है.

तरबूज की तुड़ाई कैसे करें (how to harvest watermelon)

तरबूज के फलों की तुड़ाई बुवाई होने के बाद करीब तीन से साढ़े तीन महीने के बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है. फलों का आकार और रंग तरबूज की वैरायटी पर निर्भर करता है. यदि तरबूज के फलों को दूर भेजना है तो फलों को पहले तोड़ लेना चाहिए. फलो को तेज़ चाकू से काट लेना चाहिए. फलों को तोड़ने के बाद छायादार स्थान पर रखे.

अगर आपको Watermelon farming (Tarbooj ki Kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

यह भी पढ़ेंः  लहसुन की खेती (lahsun ki kheti) इस तरीक से करे | Garlic Farming in Hindi

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Last Modified: 9 January, 2023 5:01 AM

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