Surajmukhi ki kheti (Sunflower Farming): सूरजमुखी एक सदाबहार फसल होने की वजह से किसान सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसम में करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है. वैसे तो सूरजमुखी की खेती (Sunflower Cultivation) सम्पूर्ण भारत में की जाती है परन्तु इसकी खेत कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार आदि राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. सूरजमुखी को तिलहन फसलों की श्रेणी में रखा गया है. Sunflower Farming Technique: सूरजमुखी की फसल के लिये अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है वल्कि फसल की बढ़िया उपज और बेहतर परागण के लिये साथ में मधुमक्खी पालन करने की सलाह दी जाती है.इस लेख में बताने जा रहे है कि सूरजमुखी की खेती कब और कैसे करें? (Sunflower ki kheti kaise kare?) जाने Health Benefits Of Sunflower Seeds

सूरजमुखी की खेती – Surajmukhi ki kheti कैसे करें ?
सूरजमुखी का पौधा सूर्य का अनुसरण करता है इसलिए इसको सूरजमुखी कहा जाता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्त्व शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है. इसमें पाए जाने वाला लिनोलिइक अम्ल (Linoleic Acid) शरीर में मोटापा बढ़ने नहीं देता है. इसके बीजों में करीब 40 से 50 फीसदी तेल प्राप्त किया जा सकता है.
सूरजमुखी की खेती की पूरी जानकारी – Sunflower Farming in Hindi
जलवायु
-सूरजमुखी की खेती (sunflower farming) के लिए शुष्क जलवायु की बढ़िया मानी गई है.
-सूरजमुखी के बीजों की रोपाई (planting sunflower seeds) के समय 15 डिग्री तापमान जरुरत होती है.
-अधिक तापमान में बीजों का अंकुरण सही से नहीं हो पाता
-पौधों के विकास के लिए सामान्य तापमान तथा फूल पकने लिए शुष्क जलवायु की जरुरत है.
भूमि का चयन
-सूरजमुखी की खेती (farming of sunflower) सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है.
-उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सर्बोतम मानी गई है.
-सूरजमुखी की फसल (sunflower crop) के लिए 6-5 से 8 pH मान वाली भूमि की आवश्यकता होती है.
-सूरजमुखी की खेती (sunflower cultivation) के अम्लीय मिट्टी उचित नहीं मानी. लेकिन हल्की क्षारीयता को यह फसल सहन कर लेती है.
खेत की तैयारी
-सूरजमुखी की खेती (sunflower farming) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से कर खेत को खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे.
-खेत में उपस्थित घास-फूस व डण्ठलों आदि को इकट्ठा करके जला दें
-खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिये 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई करें.
-भूमि में नमी बनाये रखने के लिए प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाए.
खाद एवं उर्वरक की मात्रा
- खेत की प्रथम जुताई के समय 10 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर खेत में डालें
- बुवाई के समय 30-40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश की मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में डालें
- एक माह बाद प्रथम सिंचाई के बाद- 20-30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर की दर से पौधे के कतारों के बाजू में डालें.
- 5-6 पत्ते आने के बाद – फसल की अच्छी पैदावार के लिए 19:19:19 की 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
सूरजमुखी की उत्तम किस्में (Best Sunflower Varieties)
1. संकुल प्रजाति- सूर्या, ज्वालामुखी, मार्डन, एम.एस.एफ.एच 4.
2. संकर प्रजाति – के.वी. एस.एच 1, एस.एच.-3322, ऍफ़ एस एच-17, कावेरी 618.
सूरजमुखी की बुवाई का समय
-खरीफ के मौसम में इस फसल की बुवाई 15-25 जुलाई तक,
-रबी के मौसम में 20 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक
-जायद की फसल की बुवाई 20 फरवरी से 10 मार्च तक
सूरजमुखी के बीज की मात्रा (sunflower seeds quantity)
सूरजमुखी की बुवाई (sowing sunflower) के लिए 2-3 किलोग्राम / एकड़ की बीज की आवश्यकता होती है. हाइब्रिड बीज की मात्रा 2-2.5 किग्रा / एकड़ दर से जरूरत होती है.
सूरजमुखी बीज उपचार (Sunflower Seed Treatment)
सूरजमुखी के बीज (sunflower seeds) को बुवाई से 24 घंटे तक भिगोएं फिर छायादार स्थान पर सुखाएं. बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ाने एवं फंफूंदनाशक बीमारियों से बचाने के लिए बीज को फंफूंदनाशक दबाओं से उपचारित करें. बीज को उपचारित करने के लिए 2 ग्राम थायरम एवं 1 ग्राम कार्बनडाजिम 50 के मिश्रण को प्रति किलो ग्राम बीज के हिसाब से अथवा 3 ग्राम थायरम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. डाउन मिल्ड्यू बीमारी की रोकथाम के लिए रेडोमिल 6 ग्राम / किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज उपचारित करें.
हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है बीज की सीधे बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है
सूरजमुखी की बुवाई कैसे करें (How to sow sunflower)
सूरजमुखी की बुवाई के समय (sunflower sowing time) पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सै.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 30 सै.मी. होनी चाहिए.
सूरजमुखी बीज की गहराई (Sunflower Seed Depth)
सूरजमुखी के बीजों को 4-5 सैं.मी. की गहराई से बोयें.
सूरजमुखी की बुवाई का तरीका (sunflower sowing method)
सूरजमुखी की बिजाई गड्ढा खोदकर, बिजाई वाली मशीन से बैड बनाकर या मेड़ बनाकर कर सकते है.
सूरजमुखी में लगने वाले हानिकारक रोग और रोकथाम
सूरजमुखी में लगने वाले हानिकारक रोग
तंबाकू सूण्डी, अमेरिकन सूण्डी, बालों वाली सूण्डी, तेला
बीमारियां
कुंगी, जड़ों का गलना, तने का गलना, ऑल्टरनेरिया झुलस रोग, फूलों का गलना
खरपतवार नियंत्रण
-रबी मौसम में उगाई जाने सूरजमुखी की फसल में मोथा, बथुआ, कृष्णनील व हिरनखुरी आदि खरपतवार उग आते है.
-सूरजमुखी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 2 से 3 नराई-गुड़ाई करनी चाहिए.
-पहली नराई-गुड़ाई बीज लगाने के 20 दिन बाद करनी चाहिए.
-आवश्यकतानुसार फसल की नराई-गुड़ाई करें.
-बुवाई से पहले या बुवाई के दो दिन बाद पेन्डिमेथालिन 30 ई.सी. की उचित मात्रा में छिडकाव करें.
सूरजमुखी की सिंचाई (sunflower irrigation)
खरीफ के मौसम सूरजमुखी की सिंचाई
-अगर खरीफ के मौसम में सूरजमुखी की खेती करते है तो अधिक पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती है.
-यदि इस मौसम में वर्षा समय पर नहीं होती है तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
रबी के मौसम सूरजमुखी की सिंचाई
-अगर रबी के मौसम में सूरजमुखी की खेती करते है तो सामान्यत: 3-4 सिंचाइयों की जरूरत पड़ती है.
-इस मौसम में सूरजमुखी की सिचाई बुवाई के 20-25, 50-55 व 85-90 दिनों के बाद करनी चाहिए.
जायद के मौसम सूरजमुखी की सिंचाई
-अगर जायद के मौसम में सूरजमुखी की खेती करते है तो कुल 7 से 8 सिचाई करनी पड़ी है.
-प्रत्येक पखवाड़े में एक सिंचाई की जरूरत होती है.
सूरजमुखी की फसल से अच्छी पैदावार लेनी है तो पौधों पर फूल आते समय, कलियाँ बनते समय व दाना भरते फसल में पानी की कमी नहीं होने चाहिए. अन्यथा इसका फैसला की उपज पर असर पड़ेगा.
सूरजमुखी की कटाई (harvesting sunflowers)
सूरजमुखी की फसल को तैयार होने में लगभग 90-95 दिन का समय लग जाता है. पत्ते सूखने होने और फूलों का रंग पीला पड़ने लगे तो इसकी तुड़ाई कर ली जाती है. फूल तोड़ने के बाद उनको 5-6 दिन किसी छायादार स्थान पर सूखा कर मशीन द्वारा निकल लिया जाता है.
सूरजमुखी से उपज (sunflower yield)
एक एकड़ खेत से लगभग 20 से 25 क्विंटल की पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
अगर आपको Sunflower farming (Surajmukhi ki kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.
Leave a Reply