Shalgam ki kheti (Turnip Farming): शलजम की खेती (Turnip Cultivation) समशीतोष्ण, उष्ण कटिबंधीय और उप उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है. शलजम की खेती भारत के बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और तामिलनाडू आदि राज्यों में की जाती है. इसको जड़ वाली खेती के रूप में जाना जाता है. इसमें विटामिन और खनिज का स्रोत अच्छा होता है. शलजम की खेती कैसे करें? इसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें.

शलजम की खेती – Shalgam ki kheti
शलजम को विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत माना गया है. शलजम का इस्तेमाल अचार, सलाद तथा सब्जी के रूप में किया जाता है. इसकी जड़ों में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाई जाती है जबकि इसकी पत्तियों में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फोलिएट और कैलशियम आदि पाया जाता है. यह स्वस्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है.
शलजम की खेती की पूरी जानकारी – Turnip Farming in Hindi
जलवायु (Climate)
- शलजम की खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है.
- शलजम की फसल के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान के बीच नहीं होना चाहिए.
- शलजम की खेती के लिए वर्षा: 200-400 सेंमी उपयुक्त मानी गई है.
भूमि का चयन (Selection of Land)
- शलजम की खेती के लिए बलुई दोमट या रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है.
- चिकनी मिट्टी में शलजम की खेती बिल्कुल न करें.
- फसल की अच्छी वृद्धि लिए मिट्टी का पी.एच मान 5.5 से 6.8 के बीच होनी चाहिए.
खेत की तैयारी
- खशलजम की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें.
- जुताई के बाद खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे.
- खेत तैयार करते समय 5 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
- खाद डालने के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें.
- इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.
शलजम की बुआई का समय (turnip planting time)
जायद में
बुआई का समय:- 1 मार्च से 30 मई के बीच
फसल अवधि:- 50 से 75 दिन
रबी में
बुआई का समय:- 1 सितंबर से 20 दिसंबर के बीच
फसल अवधि:- 50 से 75 दिन
शलजम की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Turnip)
- लाल-4 व सफेद-4:-ये दोनों वैरायटी जल्दी तैयार होव वाली है. इनकी गोल, लाल तथा मध्यम आकार की होती हैं जो करीब 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है
- परपल-टोप:-इस किस्म का ऊपरी भाग बैंगनी, गूदा ठोस, गूदा सफेद तथा कुरकुरा तथा जड़ें बड़े आकार की होती है.
- पूसा-स्वर्णिमा:-इस वैरायटी की जड़ें गोल, मध्य आकार वाली, चिकनी तथा हल्के पीले रंग की होती हैं. यह किस्म 65-70 दिन में तैयार हो जाती है. इस वैरायटी पूसा ने विकसित किया है.
- पूसा-चन्द्रिमा:-यह वैरायटी 55-60 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 200-250 कु. प्रति हैक्टर तक हो जाती है
- पूसा-कंचन:-यह अगेती वैरायटी है जो शीघ्र तैयार होती है. इस वैरायटी का ऊपरी छिलका लाल, पीले रंग का गूदा होता है. इसकी जड़ें मीठी व सुगन्धित होती हैं
- पूसा-स्वेती:-इस वैरायटी की बुवाई अगस्त-सितम्बर में की जाती है. यह अगेती वैरायटी है. इसकी जड़ें चमकदार व सफेद होती हैं
- स्नोवाल:-यह अगेती वैरायटियों में से एक है इसकी जड़ें मध्यम आकार की, चिकनी, सफेद एवं गोलाकार होती हैं. इसका गूदा नरम, मीठा होता है
शलजम की खेती में उर्वरक व खाद प्रबंधन (Fertilizer and Manure Management for Turnip Cultivation)
शलजम की खेती के लिए 5 से 6 टन गोबर की खाद , 10 किलोग्राम यूरिया , 20 किलोग्राम डी ए पी , 25 किलोग्राम पोटाश को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
- बुवाई के 25 से 30 दिन बाद :-25 किलोग्राम यूरिया, 5 किलोग्राम जायम का प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें
- कंद बनते समय :-1 किलोग्राम NPK 0:52:34 और 500 ग्राम बोरोन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे
शलजम के बीज की मात्रा (turnip seeds quantity)
एक एकड़ खेत के लिए 2-3 किलो बीजों की आवश्यकता होती है.
शलजम के बीज का उपचार (Turnip Seed Treatment)
बीज अंकुरण की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए. लेकिन बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है बीज की सीधे बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है बीज को tebuconazole 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से के हिसाब से उपचारित करें. इससे बीजों के अंकुरण की क्षमता बढ़ती है.
शलजम की बुवाई (turnip sowing)
बीज का फासला
शलजम की बुवाई के समय लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी होना चाहिए.
बीज की गहराई
शलजम के बीजों को 1.5 सैं.मी. की गहराई में बोयें.
बिजाई का तरीका
शलजम की बिजाई बैड पर सीधे बो कर या मेंड़ पर कतारों में बो कर की जा सकती है.
शलजम की फसल में सिंचाई (Irrigation in turnip crop)
- शलगम की फसल के लिए 5-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है.
- अच्छे अंकुरण के लिए बिजाई के तुरंत बाद खेत की सिचाई करें.
- शलजम की फसल की सिचाई सर्दियों में 10-12 दिनों के अंतराल पर करें
- गर्मियों में इसकी फसल के लिए 6-7 दिनों के अंतराल पर सिचाई करें.
- वर्ष ऋतू में आवश्यकतानुसार सिचाई करें.
- अनावश्यक सिंचाई से इसकी जड़ों में आकार विकृत और बाल उग जाते है
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए बीज अनुकरण के 10-15 दिनों बाद नराई/गुड़ाई करें. इसके अलावा पेंडीमेथलिन 3 लीटर की मात्रा को 800 से 900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के खेत में बिजाई से पहले छिड़काव करें.
बीमारियां और रोकथाम
शलगम की फसल में जड़ गलन रोग का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है. इस रोग से वचाव के लिए उपचारित को ही बोये. रासायनिकों का प्रयोग अपने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर करें.
कीट से बचाव के लिए
जलजम की फसल में सुंडी, बालदार कीड़ा, मुंगी, माहू और मक्खी का प्रकोप अधिक होता है. इनसे वचाव के लिए 700 से 800 लीटर पानी में 1 लीटर मैलाथियान को डालकर फसल पर छिड़काव करें. इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए अपने कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें.
फसल की खुदाई – How to Harvest Turnip ?
शलजम की खुदाई वैरायटी आधार पर की जाती है. वैसे शलजम खुदाई के लिए 45 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. कंद का व्यास 5.0 से 7.5 सेमी होने पर शलजम की खुदाई कर सकते है. खुदाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए.
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