Turnip Cultivation : शलजम कम लागत में 40 से 60 दिनों में ही अच्छा मुनाफा देने वाली नगदी फसलों की श्रेणी में आती है. इसलिए शलजम की खेती किसानो के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय जलवायु, मिट्टी, तापमान आदि परिस्थितियां शलजम की उन्नत खेती के लिए अनकूल मानी जाती है. अगर आप खेती में कुछ नया करना चाहते है तो टिंडे की खेती को आजमा सकते है. क्योकि शलजम की उन्नत खेती से मिलने वाली फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर ज्यादा से ज्यादा आमदनी कर सकते है.
औषधीय गुणों से भरपूर शलजम की खेती कर बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और तामिलनाडू आदि राज्यों के किसान अच्छी खासी कमाई कर रहे है. क्योकि इसकी मांग साल भर रहती है. शलजम एक जड़ वाली मूल सब्जी फसल है, जिसकी खेती के लिए समय बुवाई एवं उन्नत किस्मो का चायन करना बेहद जरुरी है. बता दें, शलजम की देसी किस्मों की बुवाई का उचित समय अगस्त-सितम्बर, जबकि हाइब्रिड किस्मों की बुवाई के लिए अक्तूबर- नवंबर महीना उचित मना जाता है. ऐसे में किसान सही विधि अपना कर Turnip Cultivation से अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
शलजम की खेती (Turnip ki kheti)
शलगम एकल जड़ वाली सब्जी है जिसका वानस्पतिक नाम क्रुसीफेरी या ब्रेसीकेसी है. शलजम को विटामिन और खनिज, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फोलिएट और कैलशियम आदि का अच्छा स्रोत माना गया है. जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते है. भारत में शलजम का उपयोग अचार, सलाद तथा सब्जी के रूप में किया जाता है. सर्दी में किसान इसकी बुवाई कर लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
शलजम की उन्नत खेती कैसे करें?
शलजम फार्मिंग समशीतोष्ण, उष्ण कटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है. शलजम की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए किसान रखें इन बातों का ख्याल, चलिए जानते है कि शलजम की खेती कैसे करे?
जलवायु
- शलजम ठंडी जलवायु की फसल मानी जाती है.
- शलजम की फसल हेतु 20 से 25 डिग्री तापमान उचित मना गया है.
- Turnip Farming के लिए 200-400 सेंमी बारिश उपयुक्त होती है.
भूमि का चयन
- बलुई दोमट या रेतीली मिट्टी Shalgam Ki Kheti के लिए बढ़िया बताया गया है.
- चिकनी मिट्टी में Shalgam Cultivation बिल्कुल न करें.
- फसल की अच्छी वृद्धि लिए मिट्टी का पी.एच मान 5.5 से 6.8 के बीच होनी चाहिए.
खेत की तैयारी
- सलगम की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें.
- खेत में मौदूज खरपतवार और कीटों को नष्ट करने के लिए खेत को खुला छोड़ दें.
- खेत तैयार करते समय 5 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
- बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.
शलजम की बुआई का समय
- जायद सीजन में शलजम की बुआई का समय
- बुआई का समय:- 1 मार्च से 30 मई के बीच
- फसल अवधि:- 50 से 75 दिन
- रबी में सीजन में शलजम की बुआई का समय
- बुआई का समय:- 1 सितंबर से 20 दिसंबर के बीच
- फसल अवधि:- 50 से 75 दिन
शलजम की उन्नत किस्में/Varieties
- लाल-4 व सफेद-4:-ये दोनों वैरायटी जल्दी तैयार होने वाली है. इसके जड़ गोल, लाल तथा मध्यम आकार के होते हैं जो करीब 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है
- परपल-टोप:-इस किस्म का ऊपरी भाग बैंगनी, गूदा ठोस, गूदा सफेद तथा कुरकुरा तथा जड़ें बड़े आकार की होती है.
- पूसा-स्वर्णिमा:-पूसा द्वारा विकसित इस वैरायटी की जड़ें गोल, मध्य आकार वाली चिकनी तथा हल्के पीले रंग की होती हैं. यह किस्म 65-70 दिन में तैयार हो जाती है.
- पूसा-चन्द्रिमा:-यह वैरायटी 55-60 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 200-250 कु. प्रति हैक्टर तक हो जाती है
- पूसा-कंचन:-यह अगेती वैरायटी है जो शीघ्र तैयार होती है. इस वैरायटी का ऊपरी छिलका लाल, पीले रंग का गूदा तथा इसकी जड़ें मीठी व सुगन्धित होती हैं
- पूसा-स्वेती:-यह अगेती वैरायटी है इसकी बिजाई अगस्त-सितम्बर में की जाती है. इसकी जड़ें चमकदार व सफेद होती हैं.
- स्नोवाल:-यह अगेती वैरायटी है इसकी जड़ें मध्यम आकार की, चिकनी, सफेद एवं गोलाकार तथा इसका गूदा नरम, मीठा होता है
शलजम की खेती में उर्वरक व खाद प्रबंधन
शलजम की खेती के लिए 5 से 6 टन गोबर की खाद , 10 किलोग्राम यूरिया , 20 किलोग्राम डी ए पी , 25 किलोग्राम पोटाश को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
- बुवाई के 25 से 30 दिन बाद :-25 किलोग्राम यूरिया, 5 किलोग्राम जायम का प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें
- कंद बनते समय :-1 किलोग्राम NPK 0:52:34 और 500 ग्राम बोरोन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे
शलजम के बीज की मात्रा
एक एकड़ शलजम की खेती के लिए 2-3 किलो बीजों की आवश्यकता होती है.
शलजम के बीज का उपचार
बीज अंकुरण की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए लेकिन बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है बीज की सीधे बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है बीज को tebuconazole 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से के हिसाब से उपचारित करें.
ऐसे करें शलजम की बुवाई
शलजम की बिजाई बैड बनाकर या मेंड़ पर कतारों में कर सकते है. शलजम की अधिक पैदावार प्राप्त करने हेतु बीज की बुबाई ठीक समय पर करनी चाहिए, शलजम की बुवाई के समय लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी तथा बीजों को 1.5 सैं.मी. की गहराई पर बोये.
शलजम की फसल की देखभाल
शलजम की फसल में सिंचाई
- अच्छे अंकुरण के लिए शलजम की बिजाई के तुरंत बाद खेत की सिचाई करें.
- शलगम की फसल के लिए 5-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है.
- गर्मियों में इसकी फसल के लिए 6-7 दिनों के अंतराल पर सिचाई करें.
- सर्दियों में शलजम की सिचाई 10-12 दिनों के अंतराल पर करें
- वर्ष ऋतू में शलजम की आवश्यकतानुसार सिचाई करें.
- अनावश्यक सिंचाई से इसकी जड़ों के आकार को विकृत और बाल उग जाते है.
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए बीज अनुकरण के 10-15 दिनों बाद फसल की नराई/गुड़ाई करें. ताकि को प्राकृतिक रूप से फसल में खरपतवार नियंत्रण किया जा सकें. इसके अलावा, खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथलिन 3 लीटर की मात्रा को 800 से 900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में बिजाई से पहले छिड़काव करें.
बीमारियां एवं रोकथाम
शलगम की जड़ में गलन रोग का प्रकोप अधिक दिखाई देता है. इस रोग से बचाव के लिए बीज को उपचारित कर ही बोये. रासायनिकों का प्रयोग अपने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर करें.
कीट से बचाव
शलजम की फसल में सुंडी, बालदार कीड़ा, मुंगी, माहू और मक्खी का प्रकोप देखने को मिलेगा. इनसे बचाव के लिए 700 से 800 लीटर पानी में 1 लीटर मैलाथियान डालकर फसल पर छिड़काव करें. इसके अलावा, ऐसे कीट से फसल को बचने के लिए अपने यहां के कृषि विशेषज्ञ की सलाह लें.
फसल की खुदाई (Harvesting Turnip)
शलजम की खुदाई उसकी वैरायटी निर्भर करती है सामन्यतः शलजम खुदाई के लिए 45 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. कंद का व्यास 5.0 से 7.5 सेमी हो जाएँ तो शलजम की खुदाई कर सकते है. खुदाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए.
शलजम की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि शलजम की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Turnip) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.