कुंदरू की खेती / Ivy Gourd Cultivation / Kundru ki Kheti : कुंदरू Kundru Farming एक बहुवर्षीय लतादार फसल के रूप में जाना है जिसकी एक बार रोपाई करने पर कई साल तक पैदावर देती है. अगर कुंदरू की खेती (Kundru Cultivation) मचान विधि और सिचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन का उपयोग किया जाये तो इससे और अच्छी पैदावर लेकर किसान अपनी आमंदनी में और इजाफा कर सकता है. कुंदरू की खेती (Kundru Farming) भारत के छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में सफलता पूर्वक की जाती है. अगर कोई किसान कुंदरू की खेती (Kundru Cultivation in India) करना चाहते है तो वे इस आर्टिकल को पूरा पढें क्योकि इस लेख में कुंदरू की खेती के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखा चाहिए इसकी पूरी जानकारी दी जा रही है. आइये जानते है कुंदरू की खेती कैसे करे है. कुंदरू की खेती करने के साथ आप Kundru ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.

कुंदरू की खेती – Kundru ki Kheti in Hindi
कुंदरू की खेती को पहले अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में किया जाता था. लेकिन अब इसकी खेती विभिन्न देशों में अलग अलग नाम से की जाने लगी है. कुंदरू की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो किसान इसकी फसल से अच्छी पैदावार लेकर अपनी आमंदनी को बढ़ा सकते है. अगर आप कुंदरू की खेती कर अच्छा मुनाफा कामना चाहते है तो आपको कुंदरू की खेती से सम्बंधित सभी जानकारियों का मालूम होना आवश्यक है. तभी आप कुंदरू की उन्नत खेती कर सकते है. इसके अलावा आप Angoor ki Kheti, Shakarkand ki Kheti, Sharifa ki Kheti, khajoor ki Kheti, Moongphaliki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
कुंदरू की खेती की पूरी जानकरी – Kundru Farming in Hindi
कुंदरू एक लतावाली बहुवर्षीय सब्जी की फसल के रूप में जानी जाती है जिसकी बेल मचान की मदद से करीब 4 से 5 मीटर तक लंबी फैल जाती है. कुंदरू का सही तरीके से रोपण, मचान पर फैलाई गई बेल और अच्छी देख भाल से अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है. कुंदरू की खेती से अच्छी पैदावार कैसे ली जा सकती है इसके लिए हम आपको कुंदरू की खेती कब और कैसे करनी चाहिए, कुंदरू बोने का सही समय क्या है? और कुंदरू की उन्नत किस्म कौन सी है? आदि की जानकरी आपको बताने जा रहे ताकि आप भी कुंदरू की खेती से अच्छी कमाई कर सकें.
कुंदरू की खेती के लिए जलवायु (Climate for Kundru cultivation)
गर्म और आद्र जलवायु में कुंदरू की खेती आसानी के की जा सकती है. फसल के अच्छे विकास के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान तथा 100-150 से. मी. बारिस की आवश्यकता होती है.
कुंदरू की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Kundru cultivation)
कुंदरू को विभ्भिन प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन जीवांशयुक्त उचित जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी कुंदरू की खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है. इसकी खेती के लिए 7 P.H. मान वाली मिट्टी उपयुक्त मानी चाहिए.
कुंदरू की खेती के लिए खेत जैसे तैयार करे?
कुंदरू की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें, ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. इसके बाद आवश्यकतानुसार गोबर की खाद डालकर खेत में पानी छोड़ दे. खेत की ऊपरी परत को सूख जाने पर दो से तीन तिरछी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर खेत को पटा लगाकर समतल कर लें.
खेत तैयार करने के बाद खेत में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1.5 मीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 1.5 मीटर रखनी रखते हुए 30 सेंटीमीटर लम्बा, चौड़ा और गहरा गड्डा खोद ले. इन इन गड्डो में 3 से 4 किलो गोबर की खाद भर दे. कुंदरू से अच्छी पैदावार लेने के लिए 40 से 60 KG फास्फोरस, 60 से 80 KG नाइट्रोजन, 40 KG पोटाश की मात्रा को ठीक से मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें
कुंदरू लगाने का तरीका क्या है? – Kundru Sowing Method
कुंदरू को दो तरीकों से लगाया जा सकता है. पहला तरीका – कुंदरू को बीज द्वारा लगाया जा सकता है. दूसरा तरीका- बेल की कटिंग से कुंदरू लगाने की विधि. इन दोनों तरीकों को नीचे जानकारी दी है.
कुंदरू को बेल की कटिंग से लगाने का तरीका
कुंदरू एक बेल वाला पौधा होता है. जिसको बेल द्वारा लगाने के लिए जुलाई महा में 4-12 महीने पुरानी कुंदरू की स्वस्थ लताओं को 45 डिग्री के कोण से 10-20 सेंटीमीटर लम्बी, 1.5 सेंटीमीटर मोटी 5-7 गांठ वाले तने की कलम काटें. मिट्टी, कोकोपीट और अन्य उर्वरक के मिश्रण को पॉलीथीन की थैलियों में भरकर इन कलमों को करीब 3 इंच की गहराई में लगा दें. 55-60 दिन में कुंदरू का पौधा लगाने लायक हो जाता है.
कुंदरू को बीज से लगाने का तरीका
कुंदरू को बीज से उगने के लिए मिट्टी, कोकोपीट और अन्य उर्वरक के मिश्रण से पॉलीथीन की थैलियों को भरे. ऊपर से 1-2 इंच खाली पॉलीथीन की थैलियों के बीच में 0.5-1 सेंटीमीटर गहराई में कुंदरू के बीज लगाएं और मिट्टी से ढक दें. मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाये रखने के लिए फब्बारे से हल्की सिचाई करें. कुंदरू के बीज को अच्छे अंकुरित करने के लिए 5-27°C का तापमान आवश्यक होता है. कुंदरू के बीज अंकुरित होने में करीब 14-28 दिन लग जाते है. अंकुरण के बाद पौधा 6-7 इंच का होने पर ट्रांसप्लांट कर सकते है.
कुंदरू के बीज कब लगाएं – Kundru Sowing Time In Hindi
कुंदरू के बीज लगाने का सबसे उत्तम समय शुरुआती वसंत ऋतु या फरवरी-मार्च का महीना माना जाता है. गर्म तथा नम जलवायु वाले क्षेत्रों में कुंदरू की खेती साल भर की जा सकती है.
कुंदरू की पौध रोपण
कुंदरू की तैयार पौध को सितम्बर- अक्टूबर महीने में रोपा जा सकता है. कलमों से तैयार कुंदरू के पौधों से पॉलीथीन को हटाकर मिट्टी के साथ रोपाई कर दें. रोपाई के समय १० मादा पौधों के साथ 1 नर पौधा जरूर लगाए ताकि परकरण अच्छे से हो सके. और फसल से अच्छी पैदावार मिल सके.
कुंदरू के पौधों की सिचाई (Irrigation of Kundru Plant)
कलमों की रपोई के तुरंत बाद पौधों की सिचाई करे. ठंड के दिनों में अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन गर्मी के मौसम में कुंदरू के पौधों की सिचाई 6-7 दिनों के अंतराल पर करे. बारिस के समय खेत से जल निकास का उचित प्रबंध होना आवश्यक है. अगर सिचाई के लिए ड्रिप का उपयोग करते है तो फसल और बेहतर होगी.
रोग और रोकथाम
कुंदरू की फसल में कीट और रोगो का प्रकोप अधिक देखा गया है जिनमें फल की मक्खी, फली भ्रंग, चूर्णी फफूंदी, एफिड्स, माइट्स, थ्रिप्स और व्हाइटफ्लाइज़ आदि. इनसे बचाव के लिए गौमूत्र या नीम का काढ़ा को माइक्रो झाइम के साथ मिश्रण बना कर पौधों पर छिड़काव करें
कुंदरू की कटाई और पैदावार (Harvesting and yielding of Kundru)
कुंदरू की तुड़ाई रोपाई के करीब तीन-चार महीने बाद कुंदरू तोड़ो शुरू होने लगती है. आमतौर पर कुंदरू तुड़ाई तब करनी चाहिए जब कुंदरू करीब 2 इंच आकार का हो जाये. कुंदरू को सही समय पर हार्वेस्ट करे अन्यथा लाल रंग के हो जाते हैं और उनका स्वाद भी बदल जाता है. कुंदरू से औसतन उपज 240 क्विंटल प्रति हेक्टर तक हो जाती है.
भारत में कुंदरू के स्थानीय नाम (Local names of Kundru in India)
Ivy Gourd/Coccinia grandis (English), Tindora/Tondli (Hindi), Dondakaya (Telugu), Kovaikkai (Tamil), Kovaykka (Malayalam), Tondekai (Kannada), Tendli (Marathi), Tendle (Konkani), Kundru (Oriya), and Telakucha (Bengali).
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