Kinnow ki Kheti (Kinnow Farming): किन्नू की खेती का आकर्षण पारम्परिक खेती करने वाले किसानो के साथ-साथ युवा पीढ़ी के किसानो के बीच तेज़ी से बढ़ रहा है. किन्नू की खेती देश (Kinnow Cultivation) के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, हरियाणा राज्यों में की जा रही है. लेकिन पंजाब में किन्नू सर्वाधिक उत्पादन होने की वजह से यह पंजाब की मुख्य फसल कही जाने लगी है. पारम्परिक खेती के मुकाबले इसकी खेती से आमदनी की अपार सम्भावनाएं है. किन्नू की खेती कैसे करें (Kinnow Farming Information) और उससे उससे होने वाली आमदनी के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

किन्नू की खेती कैसे करें | Kinnow ki Kheti Kaise kare in Hindi
संतरे से जैसा दिखने वाला किन्नू बहुत ही प्रसिद्ध फल है जिसकी देश-विदेश में बहुत डिमांड है. किन्नू बागवानी पूरे उत्तर भारत में की जाती है. इसके फलों रस की मात्रा बहुत अधिक होती है, किन्नू में विटामिन सी, की मात्रा सबसे अधिक होने के साथ विटामिन ए, बी भी पाई जाती है. इसका स्वाद खट्टे और मीठे का संतुलन होता है. किन्नू ने कुछ ही दिनों में में अपनी एक अलग पहचान बना ली है. तो इस लेख में आपको किन्नू की खेती कैसे की जाती है (Kinnow Farming in Hindi) तथा किन्नू की उन्नत किस्में कौन सी है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी देने जा रहे है
किन्नू की खेती की पूरी जानकारी | Kinnow Farming in Hindi
किन्नू की खेती के लिए जलवायु
किन्नू की खेती के लिए गर्म अर्धशुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है. इसकी फसल के लिए 13 डिग्री से 37 डिग्री सेल्सियस सर्बोतम माना गया है तथा किन्नू हार्वेस्टिंग टेम्प्रेचर 20-32 डिग्री सेल्सियस के मध्य होना चाहिए. इसकी फसल के लिए 300-400 मिलिमीटर बारिश पर्याप्त होती है.
किन्नू की खेती के लिए मिट्टी
किन्नू की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी में बढ़िया मानी गई है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच 5.5-7.5 के बीच होना चाहिए. किन्नू की खेती के लिए नमकीन और क्षारीय मिट्टी में उत्तम नहीं मानी गई है.
किन्नू की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें
सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. इसके बाद आवश्यकतानुसार पुरानी गोबर की खाद खेत में डालकर 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने पर फिर से जुताई कर रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को समतल कर लें.
किन्नू के पौधों के लिए गड्डे कैसे तैयार करें
किन्नू के पौधे लगाने के लिए 6×6 मीटर की दूरी पर 60×60×60 CM आकार वाले गड्डे खोद लें. इन गड्डों में 10 KG रूडी और 500 GM सिंगल सुपर फास्फेट का मिश्रण डालें.
किस मौसम में लगाए किन्नू के पौधों
किन्नू के पौधों की रोपाई जून के सितंबर महीने के मध्य की जा सकती है.
एक एकड़ कितने किन्नू के पौधे लगये
एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 200 से 210 किन्नू के पौधों की आवश्यकता होती है.
किन्नू की नर्सरी कैसे तैयार करें
किन्नू के बीजो की सीधे रोपाई बजाय उनकी नर्सरी तैयार करनी चाहिए. नर्सरी में बीजो को 2X1 मीटर आकार वाले बैड पर 15 CM की दूरी पर कतारों में लगाए. नर्सरी में किन्नू के पौधे 10 से 12 CM के हो जाये तो उसकी रोपाई खेत में तैयार गड्डों में कर देनी चाहिए. बीजो का प्रजनन टी-बडिंग विधि के जरिये कर लें
किन्नू के पौधों के लिए उर्वरक – Kinnow Fertilizer Schedule
किन्नू की फसल की मात्रा नीचे बताई गई है उसके अनुसार किन्नू के पौधों में खाद डालें
1-3 साल के पौधों के लिए – 10-30 किलो रूडी की खाद, 240-720 ग्राम यूरिया प्रति पौधा डालें.
4-7 साल के पौधों के लिए – 0-80 किलो रूडी की खाद, 960-1680 ग्राम यूरिया और 1375-2400 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट प्रति पौधा डालें.
8 साल के पौधों के लिए- 100 किलो रूडी की खाद, 1920 ग्राम यूरिया और 2750 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट प्रति पौधा डालें.
रूडी उर्वरक की पूरी मात्रा दिसंबर के महा में डालें, जबकि यूरिया को दो बराबर भागों में डालें. पहला फरवरी और दूसरा अप्रैल-मई महीने में डालें. यूरिया का पहला हिस्सा डालते समय सिंगल सुपर फासफेट की पूरी मात्रा डालें.
अगर किन्नू के फल गिरते है तो 2,4-डी 10 ग्राम को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें. पहला छिड़काव मार्च के आखिर और फिर अप्रैल के आखिर में करें. अगस्त और सितंबर महीने के आखिर में स्प्रे करें.
किन्नू के पौधों की सिंचाई (Kinnow Plants Irrigation)
किन्नू के पौधों को शुरआत में अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है. खेत में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिचाई करें. 4 से 5 साल पुराने पौधों के लिए हफ्ते में एक बार पानी देना आवश्यक होता है. और अधिक पुराने पौधों को को आवश्यकतानुसार पानी दें.
किन्नू की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Kinnow Crop Weed Control)
किंन्तु के पौधों को शुरआत में खरपतवार से बचाना बेहद जरुरी होता है इसके लिए पौधों की निराई/गुड़ाई करें. इसके पौधों की पहली गुड़ाई पौध रोपाई के 20 से 25 दिन बाद करें. बाकी निराई/गुड़ाई आवश्यकतानुसार करें.
किन्नू के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार (Kinnow Plants Diseases and Treatment)
सिल्ला, पत्ते का सुरंगी की, चेपा, जूं, मिली बग, पत्ता लपेट सुंडी, सफेद मक्खी और काली मक्खी, टहनियों का सूखना, किन्नुओं का हरापन, गोंदिया रोग आदि रोग और कीटों का प्रकोप रहता है इसके लिए आप अपने कृषि वैज्ञानिक की सलाह लेकर उचित उपचार करें.
किन्नू के फलो की तुड़ाई कब करें (Kinnow Fruit Harvesting)
Kinnow Harvesting: सामन्यतः किन्नू के फलो की तुड़ाई जनवरी से फ़रवरी के मध्य की जाती है. लेकिन उचित आकर और फलों का रंग आकर्षित होने लगे तो समझों फल तोड़ने के लिए तैयार है. फलो को तोड़ने के लिए आपको एक ठंडी की जरुरत पड़ेगी इसके अलावा कैंची की सहायता से किन्नू के फलो की तुड़ाई (Kinnow Fruit Harvesting)की जा सकती है. किन्नू के फलो की तुड़ाई सावधानी पूर्वक करनी चाहिए जिससे फलों में कोई दाग न लगे और अधिक मुनाफा मिल सके. किन्नू के फलो की तुड़ाई (Kinnow Harvesting) करने के बाद उनकी धुलाई कर छांव में सुखा लें. ध्यान रहे कि फलो को धूप में कतई न सुखाएं.
किन्नू से पैदावार (Kinnow production)
किन्नू के पेड़ से लगभग 75 से 180 किलो तक उत्पादम मिल सकता है. और इसका उत्पादन इसकी कीमों पर भी आश्रित होता है. बाजार में अधिक डिमांड होने की वजह से इसको बेचने में कोई परेशानी नहीं आती है. देश -दिल्ली, कोलकाता, पंजाब, हैदराबाद, विदेश- श्रीलंका, बांग्लादेश, सऊदी अरब मैं इसकी बहुत डिमांड रहती है. किन्नू की खेती करने से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
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