Capsicum Cultivation Tips : शिमला मिर्च की खेती की बात करें तो हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, झारखण्ड और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से शिमला मिर्च की खेती की जाती है. शिमला मिर्च की खेती (Capsicum Farming) वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो किसान महज दो से तीन महीनो में अच्छा उत्पादन लेकर बंपर मुनाफा कमा सकते है. शिमला मिर्च की खेती (Capsicum Cultivation) साल में तीन बार कर सकते है. बजार में शिमला मिर्च का भाव अन्य सब्जियों के मुकाबले बेहतर मिलते है. भारत में शिमला मिर्च की खेती करीब 4780 हैक्टयर भूमि पर उगाई जाती है तथा इसका वार्षिक उत्पादन 42230 टन प्रति वर्ष होता है. तो चलिए जानते है कि शिमला मिर्च की खेती कैसे करें.
शिमला मिर्च की खेती (Shimla Mirch ki Kheti)
सब्जियों की खेती की बात करें तो शिमला मिर्च की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर (Bell Pepper) आदि नामों से जाना जाता है. शिमला मिर्च (capsicum) में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के अतरिक्त फाइबर, कैरोटीनॉयड, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज़, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और ज़िंक जैसे खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते है. इसके स्वाद और आकर की बात करें तो शिमला मिर्च का स्वाद तीखी नहीं होता है और फल गुदादार, मांसल, मोटा, घंटीनुमा कही से उभरा तो कहीं से दबा हुआ होता है. शिमला मिर्च का उपयोग मुख्य तौर पर संजी एवं स्ट्रीट फ़ूड बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए शिमला मिर्च की मांग हमेसा बनी रहती है.
शिमला मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें
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कैसी होनी चाहिए जलवायु
नर्म आर्द्र जलवायु शिमला मिर्च की खेती (Shimla mirch ki kheti) के सबसे उपयुक्त मानी गई है. मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसम में कर सकते है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में हरी शिमला मिर्च की खेती गर्मी के सीजन में की जाती है. पौधों के अच्छे विकास हेतु 21-27 डिग्री और फलों के उचित विकास और परिपक्वता के लिए 32 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. अधिक तापमान फूल झडने की वजह बन सकता है.
शिमला मिर्च के लिए उपयुक्त मिट्टी
बेहतर जल निकासी वाली कार्बनिक पदार्थों से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी शिमला मिर्च की खेती के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. फसल के अच्छे विकास हेतु भूमि का P.H. मान 6 से 7 होना चाहिए.
शिमला मिर्च की खेती के लिए भूमि की तैयारी
शिमला मिर्च की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना बहुत जरुरी है. सबसे से पहले खेत को बढ़िया तरीक से जोत कर कुछ दिन के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे ताकि उसको धूप लग सके. धूप लगने के बाद आवश्यकतनुसार खेत में प्राकृतिक खाद के रूप पुरानी गोबर की खाद डालें. गोबर की खाद डालने के बाद खेत की जुताई करें ताकि गोबर की खाद खेत में अच्छे मिल सके. किसान भाई गोबर की खाद के स्थान पर कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है. पौध रोपण हेतु खेत की अच्छी तरह से जुताई के बाद 90 सेमी चौडी क्यारियाँ या बैड बनाएं. पौधों की सिचाई के लिए बनाएं गए बैड पर ड्रिप लाईन बिछा दें उसके बाद एक क्यारी या बैड पर 45 सेमी की दूरी पर पौधों की रोपाई कर दें.
शिमला मिर्च की खेती का समय
शिमला मिर्च की फसल साल में तीन बार उगाई जा सकती है. पहली जून से जुलाई, दूसरी अगस्त से सितंबर और तीसरी नवंबर से दिसंबर. फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए पौध की रोपाई का सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त, सितंबर से अक्टूबर और दिसंबर से जनवरी मना गया है. मौसम के अनुसार शिमला मिर्च की खेती का समय इस प्रकार है-
- सितंबर-अक्टूबर में तुड़ाई के लिए:- जुलाई-अगस्त महीने में शिमला मिर्च की रोपाई के लिए शिमला मिर्च की नर्सरी जून-जुलाई महीने में डाल देनी चाहिए.
- नवंबर-दिसंबर में तुड़ाई के लिए: सितंबर-अक्टूबर महीने में शिमला मिर्च की रोपाई के लिए अगस्त-सितंबर महीने में शिमला मिर्च की नर्सरी डालें.
- फरवरी-मार्च में तुड़ाई के लिए:- दिसंबर से जनवरी माह में रोपाई के लिए नवंबर-दिसंबर महीने में शिमला मिर्च की नर्सरी डाल देनी चाहिए.
शिमला मिर्च की उन्नत किस्में
येलो वण्डर, कैलिर्फोनिया वण्डर, बुलनोज, अर्का मोहिनी, किंग आफ नार्थ, स्वीट बनाना, रूबी किंग, अर्का गौरव और पैपरीका की के.टी.पी.एल.-19, अर्का बंसत, ऐश्वर्या, अंलकार, अनुपम, हरी रानी, भारत, पूसा ग्रीन गोल्ड, हीरा, इंदिरा आदि शिमला मिर्च की प्रमुख प्रजाति है.
ऐसे डालें शिमला मिर्च के खेत में उवर्रक
शिमला मिर्च की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत तैयार करते समय वर्मीकम्पोस्ट खाद या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20-25 टन प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें. उसके बाद नाइट्रोजन 50 किलो, फासफोरस 25 किलो और पोटाशियम 12 किलो प्रति एकड़ से खेत में डालें. 50 किलोग्राम नाइट्रोजन को दो भागों में बांटकर खड़ी फसल में रोपाई के 30 एवं 55 दिन बाद टाप ड्रेसिंग के रूप में छिड़क दें. ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक को मिट्टी परिक्षण आधार पर उपयोग करें.
शिमला मिर्च बीज दर
सामान्य किस्म – 750-800 ग्राम एवं संकर शिमला – 200 से 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है.
ऐसे करें तैयार शिमला मिर्च की नर्सरी
शिमला मिर्च का बीज बहुत छोटा और महगा होता है इसलिए शिमला मिर्च के बीज को सीधा नहीं बोया जाता है. प्रो-ट्रे या खेत में क्यारी बनाकर शिमला मिर्च की नर्सरी डाल सकते है. प्रो-ट्रे में नर्सरी तैयार करने के लिए वर्मीकुलाइट, परलाइट एवं कॉकोपीट 1:1:2 के अनुपात में मिश्रण तैयार करें. प्रो-ट्रे को उपचारित कर तैयार मिश्रण को प्रो-ट्रे में भरकर प्रति सेल एक बीज डालकर उसके उपर से हल्का मिश्रण डालें और झारे से हल्की सिंचाई दें. अगर आप शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार करना नहीं चाहते है तो आप किसी रजिस्टर्ड नर्सरी शिमला मिर्च की पौध खरीद सकते है. पौधे खरीदते समय यह जरूर ध्यान दे कि पौधे बिलकुल स्वस्थ और एक महीने पुराने है.
शिमला मिर्च की रोपाई
नर्सरी में शिमला मिर्च के पौधे जब 30 से 35 दिन हो जाये तो उनकी रोपाई कर देनी चाहिए. रोपाई के समय पौधे की लम्बाई तकरीबन 16 से 20 सेमी एवं 4-6 पत्तियां होनी चाहिए. रोपाई से पहले पौधों को 0.2 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम मे डुबो कर रोपाई करें ताकि पौधों में संक्रमण न लग सकें. शिमला मिर्च के पौधे लगाने के लिए खेत में 90 सेमी चौड़ी क्यारियां या बैड बनायें, पौधो की रोपाई ड्रिप लाईन बिछाने के बाद एक क्यारी पर 45 सेमी की दूरी पर दो कतार लगाए.
इस तरह करें मूली की फसल में खरपतवार नियंत्रण
शिमला मिर्च से अच्छा उत्पादन लेने के लिए फसल में खरपतवार नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक है. प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीको से खरपतवार नियंत्रण कर सकते है. प्राकृतिक रूप से शिमला मिर्च की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 5 से 6 बार निराई-गुड़ाई की जानी चाहिए. रासायनिक दवा के रूप मे खेत तैयार करते समय 2.22 लीटर की दर से फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन ) का खेत मे छिडकाव करें या पेन्डीमिथेलिन 3.25 लीटर प्रति हैक्टयर की दर से रोपाई के 7 से 8 दिन के अंदर छिडकाव कर देना चाहिए. इसके अलावा शिमला मिर्च की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए आप मल्च का इस्तेमाल भी कर सकते है.
शिमला मिर्च वृद्धि नियंत्रक
शिमला मिर्च के पौधों की वृद्धि एवं अधिक उत्पादन (Capsicum Growth Controller) हेतु ट्राइकोन्टानाॅल 1.25 पी.पी.एम (1.25 मिलीग्राम/लीटर पानी ) रोपाई के 20 दिन बाद छिडकाव करें. इसी घोल को मिर्च की फसल पर 20 दिन के अंतराल पर 3 से 4 बार छिड़काव करना चाहिए. इसी तरह एन.ए.ए. 10 पी.पी.एम (10 मिलीग्राम/लीटर पानी ) का 60 वे एवं 80 वे दिन छिडकाव करना चाहिए. नोट – आप रासायनिकों का प्रयोग कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर करें.
शिमला मिर्च के पौधों को सहारा देना
शिमला मिर्च के पौधों को जूट या प्लास्टिक की सूतली की सहायता से रोप से बांधकर उपर की ओर बढने के लिए सहारा देना चाहिए. शिमला मिर्च के पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क नहीं आते है जिससे फल सडने की समस्या नही आती है.
ऐसे करें शिमला मिर्च के पौधों पर कीट नियंत्रण
शिमला मिर्च की फसल पर मुख्य रूप से पाउडर मिलोडी, उकठा रोग, मोजेक रोग, थ्रिप्स, फल भेदक इल्ली, सफेद मक्खी, चेपा, तम्बाकू की इल्ली एवं व्याधियों मे चूर्णी फफूंद, फ्यूजेरिया विल्ट, एन्थ्रेक्नोज, फल सडन एवं झुलसा रोग एवं कीट का प्रकोप होता है.
शिमला मिर्च की तुड़ाई एवं उपज (Harvesting Capsicum)
शिमला मिर्च के फल रोपाई के करीब 65 से 70 के बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है. फलों का रंग और आकर पूर्ण होने पर ही तुड़ाई करें. अगर शिमला मिर्च की खेती वैज्ञानिक तरीके की जाये तो शिमला मिर्च की संकर प्रजातियों से औसतन पैदावार 700-800 क्विंटल प्रति हेक्टयर होती है.
शिमला मिर्च की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि शिमला मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Capsicum) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.