Sharifa Ki kheti (Custard Apple Farming): शरीफा की खेती (Custard Apple Cultivation) भारत के महाराष्ट्र, असम, बिहार, मप्र, राजस्थान, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्यों में सफलतापूर्वक कर अच्छी कमाई कर रहे है. शरीफा एक जंगली फल के रूप में जाना जाता है. इसका पौधा करीब 5-6 मीटर की उचाई प्राप्त कर लेता है. अगर आप शरीफा की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आपको शरीफा की खेती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी पता होती चाहिए तभी आप शरीफा की उन्नत खेती पाएंगे. शरीफा की उन्नत खेती करने की इच्छा रखते है तो आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें. जाने Sharifa ke Fayde

शरीफा की खेती – Sharifa Ki kheti in Hindi
शरीफा (सीताफल) शर्दियों में मिलने वाल फल है जिसको शरीफा, सीताफल, शुगर एप्पल या कस्टर्ड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है. शरीफा की खेती व्यापारिक दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है. जो किसान इसकी खेती कर अच्छा लाभ कामना चाहते है वे इस लेख को अंत तक जरूर पढें.
शरीफा की खेती की पूरी जानकारी – Custard Apple Farming in Hindi
अगर आप शरीफा की खेती करना चाहते है तो और शरीफा की खेती के आधुनिक तरीके जानना चाहते हो आप इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें क्योकि आप के लिए शरीफा की खेती कब और कैसे की जाती है, इसके लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, खाद व उर्वरक. शरीफा की खेती के लिए कितना पीएच मान होना चाहिए और शरीफा की रोपाई कैसे करें आदि की जानकरी इस लेख में देने वाले है तो चलिए जानते है शरीफा की खेती कैसे करें.
सीताफल के लिए जलवायु
सीताफल की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उत्तम मानी जाती है. शुष्क जलवायु में भी इसकी खेती की जा सकती है. अधिक ठण्ड इस फसल के लिए हानिकारक होती है. इसकी फसल के लिए 40° से कम तापमान होना चाहिए क्योंकि इससे अधिक तापमान पर इसके फूल झड़ कर गिर जाते है
सीताफल के लिए मिट्टी
सामान्यतः शरीफा की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. परन्तु अच्छी जाल निकासी वाली दोमट मिट्टी को बढ़िया माना गया है. इसके खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5.5-7 के बीच होना चाहिए.
शरीफा की खेती का समय
सीताफल की खेती के लिए सबसे उत्तम समय जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च होता है. इस मौसम में पौधों का विकास अच्छा होता है. ठन्डे मौसम इसके फल सख्त हो जाते है. शरीफा के पौधों पर अच्छी तरह फूल आने के लिए गर्म मौसम की आवश्यकता होती है. मानसून के मौसम में इस पर फल शुरू हो जाते है.
शरीफा की किस्में
भारत में सीता फल की कई किस्में पाई जाती है उनकी जानकारी नीचे दी है.
बालानगर:- इस वैरायटी की खेती आंध्र प्रदेश में की जाती है.
लाल सीताफल:- इस वैरायटी के फल का रंग जामुनी होता है. इसमें बीजों की मात्रा अधिक पाई जाती है. इस वैरायटी के एक पौधे से पहले साल में 45 से 50 फल प्राप्त हो जाते है.
मेमथ:- शरीफे की यह वैरायटी गोल और बड़े अकार की होती है जिसमें गूदे की मात्रा आधी होती है.
अर्का सहान:- सरीफा की इस वैरायटी को भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बैंगलोर विकसित किया है
सीताफल के लिए खेत की तैयारी
शरीफा की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. शरीफा की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करके खेत को भुरभुरा, समतल और खरपतवार रहित कर लें.
सीताफल के पौधों का रोपण
सीताफल की रोपाई कलम विधि की पौधे से करनी चाहिए ताकि 2 साल बाद पौधा फल देना शुरू हो जाये. सीताफल के पौधे किस सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त (रजिस्टर्ड नर्सरी) से ले सकते है. सीताफल के पौधे लेते समय ध्यान रखे कि शरीफा के पौधे स्वस्थ होने चाहिए. पौधों को जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च के महीने में शाम के समय गड्डों में लगाकर उनकी सिचाई कर दें.
सीताफल के पौधों लगाने का तरीका
सीताफल (शरीफा) के पौधों को लगाने के लिए गर्मी के दिनों में 60 x 60 x 60 सें.मी. आकार के गड्ढे 5 x 5 मी. की दूरी पर खोदकर तैयार कर इन गड्डों को 15 दिन खुला छोड़ दें. इसके बाद 10-15 किलो गोबर, 50 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 25 ग्राम पोटाश का मिश्रण बनाकर प्रति पौधा के हिसाब से सभी गड्डों को दबा दबा कर अच्छी तरह भर दे. पौधें को पिंडी सहित तैयार गड्ढे में लगा दें. इसके बाद 3-4 दिन के अंतराल पर सिचाई करते रहे जिससे पौधे की जल्दी और अच्छी स्थापना हो जाएगी.
सीताफल में सिंचाई
सीताफल (शरीफा) के पौधों को कम पानी की आवश्यकता होती है. लेकिन पौध रोपाई के बाद तुरंत पानी दें ताकि पौधों का जमाव अच्छा होगा. गर्मी के समय पौधों की सिचाई 15-20 पर करें और ठण्ड में एक महीने के अंतर् पर सिचाई करें.
सीताफल में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय समय सीताफल (शरीफा) की फसल निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए जिससे खेत में मौजूद खरपतवार नहीं जामेंगे.
सीताफल में लगने वाले कीट, रोग एवं रोकथाम
सीताफल (शरीफा) के पौधों में एक विशेष प्रकार की सुगंध होने की वजह से इसमें कीड़े कम लगते है. परन्तु कभी कभी मिली बग पौधों की शाखाओ और पत्तियों को नुकसान पहुँचाते हैं रोकथाम के लिए 15 दिन के अंतर से 2-3 बार पैराथीयान का पौधों पर स्प्रे करें.
सीताफल की कटाई
सीताफल (शरीफा) का पौधा लगाने के करीब 2-4 साल बाद फल देना शुरू करता है और 15-16 साल अच्छी पैदावार देता है. सीताफल के फलों की की तुड़ाई सितंबर-नवंबर में फल पकने पर करें.
सीताफल (शरीफा) से पैदावार
शुरुआत में शरीफा के एक पौधे पर करीब 40-50 फल प्राप्त हो जाते है. यह बढ़कर 100 तक हो जाते है. यदि एक एकड़ में 500 पौधे लगाए लगा सकते है. जिसके अनुसार साल में करीब 30-35 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है. सीताफल के पौधे को पूर्ण रूप से विकसित होने में करीब 4-5 साल का वक्त लग जाता है.
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