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कृषि दिशा / Vegetable Cultivation / शकरकंद की खेती, कब और कैसे करें – All about Sweet Potato Farming in Hindi

शकरकंद की खेती, कब और कैसे करें – All about Sweet Potato Farming in Hindi

By: Krishi Disha | Updated at:28 December, 2022 google newsKD Facebook

Shakarkand ki Kheti (Sweet Potato Farming): शकरकंद की खेती (Sweet Potato Cultivation) कंद वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. जिसको रबी, खरीफ तथा जायद तीनों मौसम उगाया जा सकता है. वैसे तो शकरकंद की खेती पूरे भारत में की जाती है किन्तु उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार राज्यों में की जाती है. अगर आप शकरकंद की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आपको शकरकंद की खेती की खेती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी पता होती चाहिए तभी आप शकरकंद की उन्नत खेती पाएंगे. शकरकंद की उन्नत खेती करने की इच्छा रखते है तो आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें. जाने Shakarkand ke Fayde शकरकंद की खेती (Shakarkand Ki Kheti) कब और कैसे करें[/caption]

शकरकंद की खेती – Shakarkand ki Kheti

शकरकंद की फसल कंदीय वर्ग में रखा गया है. शकरकंद की खेती ने भी भारत में अपना एक प्रमुख स्थान है. भारत में शकरकंद की खेत का क्षेत्रफल प्रतिदिन बढ़ रहा है. किसान शकरकंद की आधुनिक खेती से अच्छा उत्पादन कर बंपर कमाई कर रहे हैं. शकरकंद की खेती व्यापारिक दृष्टि से भी बहुत लाभदयाक है. शकरकंद की खेती कैसे करें (Sweet Potato kaise kare) इसकी जानकारी दी गई है

शकरकंद की खेती की पूरी जानकारी – Sweet Potato Farming in Hindi

अगर आप शकरकंद की खेती करना चाहते है तो और शकरकंद की खेती के आधुनिक तरीके जानना चाहते हो आप इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें क्योकि आप के लिए शकरकंद की खेती कब और कैसे की जाती है, इसके लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, खाद व उर्वरक. शकरकंद की खेती के लिए कितना पीएच मान होना चाहिए और शकरकंद की रोपाई कैसे करें आदि की जानकरी इस लेख में देने वाले है तो चलिए जानते है शकरकंद की खेती कैसे करें.

जलवायु

शकरकंद की खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी गई है. इसकी खेती के लिए आदर्श तापमान 21 से 27 डिग्री के मध्य होना चाहिए. इसके लिए 75 से 150 सेंटीमीटर बारिस ठीक मानी गई है.

भूमि

शकरकंद की खेती के अच्छी उपज लेने के लिए उचित जल निकासी वाली और कार्बनिक तत्वों से भरपूर दोमट या चिकनी दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी गई है. शकरकंद की फसल उत्तम पैदावार लेने के लिए मिट्टी का पी. एच. 5.8 से 6.7 के बीच होना चाहिए.

उन्नत किस्में

गौरी- शकरकंद की इस वैरायटी को 1998 में विकसित किया गया था. इस वैरायटी को तैयार होने में करीब 110 से 120 लग जाते है. इस वैरायटी के कंद का रंग बैंगनी लाल होता है. गौरी शकरकंद से औसतन उपज लगभग 20 टन तक हो जाती है. इस किस्म को खरीफ तथा रवि के मौसम में उगाया जाता है.

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श्री कनका- इस किस्म की शकरकंद का रंग दूधिया होता है. इसके कंद अंदर से पीला होता है. इस वैरायटी को तैयार होने में 100 से 110 दिन लग जाते है. इसकी खेती से औसतन उपज 20 से 25 टन प्रति हैक्टर ली जा सकती है.
एस टी 13- इस किस्म की शकरकंद में मिठास क होती है. यह अंदर से बिलकुल चुकंदर जैसी बैंगनी-काली दिखाई देती है.
इस किस्म को तैयार होने में करीब 110-115 दिन लग जाते है. इसकी औसतन पैदावार 14 से 15 टन प्रति हैक्टर है.
एस टी 14- इस वैरायटी को साल 2011 में विकसित किया था. इस किस्म के कन्द अंदर से हलके हरा पीला और ऊपर से हल्का पीला होता है. इस किस्म को तैयार होने में 110 दिन लग जाते है. इस किस्म की औसतन पैदावार 15 से 71 टन प्रति हैक्टर है.
शकरकंद अन्य किस्में – पूसा सफेद, पूसा रेड, पूसा सुहावनी, एच-268, एस-30, वर्षा और कोनकन, अशवनी, राजेन्द्र शकरकंद-35, 43 और 51, करन, भुवन संकर, सीओ-1, 2 और 3, और जवाहर शकरकंद-145 और संकर किस्मों में एच-41 और 42 आदि है.

शकरकंद के खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें

शकरकंद की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. इसके बाद 170 से 200 क्विंटल गली सड़ी गोबर खाद प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालकर 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई करे. अंतिम जुताई रोटावेटर कर खेत की मिट्टी को भुरभुरा और हवादार बना बना लें.

शकरकंद की बुवाई का समय

शकरकंद की फसल को वर्षा ऋतु में जून से अगस्त तथा रबी के मौसम में अक्टूबर से जनवरी में उगाया जा सकता है. लेकिन उत्तर भारत में शकरकन्द की खेती रबी, खरीफ तथा जायद तीनों मौसम की जा सकती है. इसकी खेती कंद और वेलों (लता) द्वारा की जाती है.

शकरकंद की नर्सरी तैयार करना

एक हैक्टर खेत के लिए 20 से 25 सेंटीमीटर लम्बाई वाली 84,000 लताओं के टुकड़ों की जरूत पड़ती है. एक साथ 2 से 3 टुकड़े लगाने चाहिए. लता की कटिंग हमेसा मध्य व ऊपरी भाग से करि चाहिए. यदि आप कंद का इस्तेमाल कर रहे है तो आपको दो नर्सरी तैयार करनी पड़ेगी.
एक हैक्टर खेत में शकरकंद की खेती करने के लिए प्रथम नर्सरी के लिए 100-125 वर्गमीटर क्षेत्रफल आवश्यकता पड़ेगी. प्रथम नर्सरी को फसल लगाने के दो महीने पहले तैयार कर लें ताकि लगाने में आसानी रहे.
स्वस्थ कन्दों को 60*60 सेंटीमीटर मेड़ से मेड़ की दूरी और 20*20 सेंटीमीटर कन्द से कन्द की दूरी पर लगाए. इस प्रकार 100-125 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के लिए करीब 100 किलोग्राम कन्दों की आवश्यकता होती है. कंद की बुवाई से पहले 2- 2.5 किलो यूरिया नालियों में छिड़क दें. आवश्यकतानुसार सिचाई करते रहे. करीब 45-50 दिनों में लताएं तैयार हो जाएगी. जिनको 22-230 सेमी के टुकड़ों में काटकर खेत में लगाएं. इसी प्रकार अन्य लताओं से भी नर्सरी तैयार कर सकते है.

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लताओं को खेत लगाने से पूर्व की तैयारी

लताओं को नर्सरी से काटने बाद दो दिनों तक छायादार स्थान पर रखें. जड़ों के अच्छे विकास के लिए लताओं को बोरेक्स दवा 0.05% के घोल में 10 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें ताकि मिट्टी से पाए जाने वाले कीट उसका नुकसान न कर सके. उपचारी करने के बाद खेत में लगाएं.

शकरकंद लगाने की विधि

शकरकंद को टीला विधि, मेड़ तथा नाली विधि और समतल विधि से लगा सकते है. शकरकंद लगाने की इन विधियों का अपना अलग महत्व है.
टीला विधि- शकरकंद के लिए टीला विधि का प्रयोग जल भराव वाले क्षेत्रों में किया जाता है
मेड़ व नाली विधि – इस विधि का उपयोग ढलाव वाली भूमि के लिए किया जाता है.
समतल विधि- यह विधि का उपयोग हर जगह किया जा सकता है लेकिन जड़ जमने के एक महीने बाद मिट्टी चढ़ाना आवश्यक होता है.

शकरकंद की लताओं को लगाने का तरीका

शकरकंद की लताओं को हमेसा मध्य भाग से मिट्टी में दबाना चाहिए ताकि जड़ जल्दी विकसित हो जाये. शकरकंद की लताओं की कटिंग हमेसा 3 गांठ से ऊपर करनी चाहिए. शकरकंद की लताओं का लगे समय कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें. इससे कन्दों की गुणवत्तापूर्ण अच्छी होगी.

शकरकंद के पौधों की सिंचाई (Sweet Potato Plants Irrigation)

शकरकंद पौध लगाने के तुरंत बाद सिचाई करें. अगर आपने शकरकंद की रोपाई गर्मी के मौसम करी है तो सप्ताह एक बार जरूर सिचाई करे. कन्दों के अच्छे विकास और अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखे.

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खरपतवार नियंत्रण

शकरकंद के खेत में खरपतवार दिखाई दे रहे है तो उन खरपतवार मिट्टी चढ़ाते समय निकाल देना चाहिए.

खाद एवं रासायनिक उर्वरक

शकरकंद की फसल अच्छी पैदावार लेनी है तो कार्बनिक खाद्य प्रचुर मात्रा में देने चाहिए.
प्रथम जुताई के समय – 5 से 8 टन सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में डालें
रासायनिक उर्वरकों- 50 किलोग्राम नाइट्रोजन व 25 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टर की दर से इस्तेमाल करें. नाइट्रोजन की आधी मात्रा फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई के समय खेत में डालें. शेष नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बांटकर एक हिस्सा 15 दिन में दूसरा हिस्सा 45 दिन टाप ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल करें

अम्लीय मिट्टी में कन्दों के अच्छे विकास के लिए चूने का इस्तेमाल कर सकते है. इनके अतरिक्त मैगनीशियम सल्फेट, जिंकसल्फेट और बोरॉन 25:15:10 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से इस्तेमाल करने से कन्द फटने की समस्या नहीं आती हैं. एक समान व आकार के कंद विकसित होते है.

कीट और रोग नियंत्रण

शकरकंद का घुन- शकरकन्द की फसल के लिए यह सबसे खतरनाक कीट है. जिससे शकरकन्द की फसल को भारी नुकसान हो जाता है.
फल बेधक रोग- यह रोग कंदो पर आक्रमण कर सकता है जिससे कंद पूरी तरह नष्ट हो जाते है.
माहू- यह रोग पौधों और पत्तियों के नाजुक अंगो पर आक्रमण करता है. यह कीट देखने में अधिक छोटे और देखने में लाल, हरे, काले और पीले रंग के होते है

कन्द की खुदाई

कन्द की खुदाई उसकी वैरायटी पर निर्भर करती है. लेकिन सामान्यतः कंद खुदाई के लिए 110 से 120 दिन में तैयार हो जाते है. जब इनकी पत्तियां पीली पड़ने लगे तो समझो कंद खुदाई के लिए है. जब कन्द खुदाई के लिए तैयार हो जाये तो लताएं काट दें तथा उसके बाद बिना कन्द को क्षति पहुंचाये खुदाई कर लें.

पैदावार

शकरकंद की पैदावार भी वैरायटी पर निर्भर करती है. लेकिन सामान्य रूप से शकरकंद की औसतन पैदावार 15 से 25 टन प्रति/हेक्टेयर तक हो जाती है.

अगर आपको Sweet Potato Cultivation in India (Sweet Potato Farming in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

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Last Modified: 28 March, 2023

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