Safed Musli Cultivation : सफेद मूसली एक जैसी लोकप्रिय जड़ी-बूटी की रूप में जानी जाती है जिसकी पत्तियां, जड़ और तने को बिभ्भिन आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. इसलिए सफेद मूसली उन व्यावसायिक फसलों में से एक है जिसकी बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय बाजार में डिमांड रहती है. पहले इसके पौधे कुदरती तौर पर बरसात के मौसम में जंगल में पाए जाते थे, लेकिन इसकी मांग को देखते हुए महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल के निचले इलाकों, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक राज्य में सफलतापूर्वक हो रही है. सफ़ेद मूसली की उन्नत खेती करने वाले देश के किसान इसकी फसल से लाखों रुपए आसानी से कमा सकते हैं.
सफेद मूसली की खेती (Safed Musli ki Kheti)
सफेद मूसली के ऐसे कुदरती पौधा है जिसको सूखी जड़ों को यौवनवर्धक, शक्तिवर्धक और वीर्यवर्धक दवाएं बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए सफेद मूसली डिमांड रहती है लेकिन मांग के मुकाबले उत्पादन कम होने की वजह से इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि सफेद मूसली की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारें अनुदान भी देती है. अनुदान के लिए आपको अपने जिले के जिला उद्यान कार्यालय से जानकारी प्राप्त कर सकते है. एक एकड़ सफेद मूसली की खेती से किसान लगभग 5 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते है.
सफेद मूसली की उन्नत खेती: पूरी जानकारी (हिंदी में)
सफेद मूसली 1 बीघा में कितनी होती है, सफेद मूसली की बुवाई कब की जाती है, सफेद मूसली 1 किलो कितने की है,
सफेद मूसली का बीज कहाँ मिलता है. सागौन के साथ सफेद मूसली की खेती, सफेद मूसली का बीज कहां मिलेगा, सफेद मूसली के बीज की कीमत, सफेद मूसली की खेती कब और कैसे की जाती है आदि की जानकारी के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें.
किस तरह की मिट्टी एवं जलवायु कर सकते है सफेद मूसली की खेती
गर्म एवं आर्द्र जलवायु सफेद मूसली की खेती के लिए होनी चाहिए, वही 60 से 115 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा अच्छी मानी जाती है. अगर सफेद मूसली की उन्नत खेती के लिए मिट्टी की बात करें तो 7.5-8 पीएच मान वाली जीवांश युक्त दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी और लाल मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है.
ऐसे करें सफेद मूसली की खेती के लिए भूमि की तैयारी
सफेद मूसली की खेती के लिए पहली जुताई करते समय 20-25 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट या 5 ट्राली सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर डालें. सफेद मूसली की बुवाई के लिए आखिरी जुताई करने के बाद खेत में 3-3.5 फ़ीट चौड़े और कम से कम 6 इंच से 1.5 फ़ीट ऊँचे बैड बनाये. खेत से पानी की निकासी के लिए नालियों की उचित व्यवस्था करें.
सफेद मूसली की उन्नत किस्में
सफेद मूसली की तक़रीबन 175 किस्में उपलब्ध है जिनमें से क्लोरोफाइटम बोरिबिलियनम, क्लोरोफाइटम लेक्सम, क्लोरोफाइटम अरुण्डिनेसियम, क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम को मुख्य माना गया है. भारत में क्लोरोफाइटम टयूवरोजम और क्लोरोफाइटम वोरिविलिएनम की विभिन्न प्रजातियों की खेती हो रही है. जिनमें एमसीबी-405, एमसीबी-412, एमसीटी-405, एमडीबी-13, के अलावा Jawahar Safed Musli 405 and Rajvijay Safed Musli 414 किस्में भी है. आपकी जानकरी के लिए बता दें कि जवाहर सफेद मूसली 405 और Rajvijay सफेद मूसली 414 को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय मंदसौर, मध्य प्रदेश ने विकसित किया है. एमडीबी-13 और एमडीबी-14 सफेद मूसली की वैरायटी को दंतेश्वरी हर्बल रिसर्च सेंटर चिकालपुती ने विकसित किया है.
क्या है सफेद मूसली की बुवाई का सही समय
सफेद मूसली उन्नत खेती के लिए सफेद मूसली की बुआई के लिए सबसे समय जुलाई महीना माना जाता है क्योकि यह बारिश का महीना होता है.. इस मौसम में सफ़ेद मूसली का विकास अच्छा हो जाता है.
सफेद मूसली की गांठों या बीज की मात्रा एवं उपचार
सफ़ेद मूसली की प्रति हेक्टेयर खेती के लिए 4 से 5 क्विंटल गांठों या बीज की आवश्यकता होती है. सफ़ेद मूसली की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए बीज को उपचारित करना होगा. गांठों या बीज को उपचारित करने के लिए किसी फंगसनाशी का इस्तेमाल करें.
सफेद मूसली का बुवाई का तरीका
सफेद मूसली की बुवाई के लिए खेत में तैयार बैड पर रोपाई के समय दो पंक्तियों के बीच की दूरी 20-25 सेंटीमीटर तथा बीजों के बीच में 10-15 सेंटीमीटर तक की दूरी होनी चाहिए जिससे पौधे को अपनी जड़ें विकसित करने में मदद मिलेगी.
सफेद मूसली के लिए उर्वरक की मात्रा
सफ़ेद मूसली एक औषधीय फसल जिसमें रासायनिक उवर्रक की मात्रा कम आवश्यकता होती है. उच्च गुणवक्ता बनाये रखने के लिए जैविक खाद के रूप में गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल करें. जैविक खाद के तौर पर एक एकड़ सफेद मूसली की खेती के लिए 8-10 टन गोबर की खाद डालें. रासायनिक खाद के रूप में 100 किग्रा,
50 किग्रा पोटाश का प्रयोग करें.
सफेद मूसली में खरपतवार नियंत्रण
सफेद मूसली की फसल अच्छा उतपदन लेने के लिए फसल की उचित देख-भाल करने के जरूरत होती है. जिसमें खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरुरी है. प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के करीब 15 से 20 दिन बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए.
कैसे करें सफेद मूसली की सिंचाई
सफेद मूसली की बुवाई के बाद सिचाई करनी चाहिए ताकि सफेद मूसली की गांठों को अनुकरण सही से हो सकें. सामान्यतः सफेद मूसली की 5-20 दिनों के अंतराल पर कर देनी चाहिए. बारिश के मौसम के अनुसार जरूरत पड़ने पर ही सफेद मूसली की सिंचाई करनी चाहिए. खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिचाई करते रहना चाहिए.
सफेद मूसली की फसल में लगने वाले रोग
सफेद मूसली के पौधों में कवक और फफूंद जैसे कीट रोग दिखाई देते है. इनसे वचाव के लिए खरपतवार नियंत्रण पर अधिक ध्यान देना चाहिए. अगर रोग अधिक मात्रा में दिखाई देता है तो बायोपैकूनील या बायोधन दवाई को उचित मात्रा में छिड़काव करें या ट्राईकोडर्मा की तीन किलो मात्रा को गोबर की खाद में मिलाकर खेत में छिड़काव करें.
सफेद मूसली फसल की खुदाई और सफाई
सफेद मूसली की फसल कर्रीब 90 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खुदाई नवम्बर माह के आखिर तक कर सकते है. लेकिन खुदाई से पहले यह सुनिचित कर लें कि फसल खोदने के लिए तैयार हुयी है या नहीं. सफेद मूसली के पौधों की पत्तियाँ पीली पड़कर सूख जाये और कन्द का छिलका सख्त होने के साथ रंग गहरा भूरा हो जाये तो समझो फसल खोदने को तैयार है.
सफेद मूसली की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि सफेद मूसली की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Safed Musli Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.