Chilli Cultivation: मिर्च एक ऐसी मसाला फसल जिसके बिना विश्व का कोई भी रसोई अधूरा है हरी मिर्च और सूखी लाल मिर्च खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ शरीर को स्वस्थ रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योकि मिर्च में विटामिन्स, कैल्शियम और अन्य गुणकारी तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते है. देश ही नहीं विश्व स्तर पर मिर्च की खपत व्यापक स्तर पर हो रही है. यही वजह है कि बाजार में मिर्च की मांग हमेशा बनी रहती है. ऐसे में किसान मिर्च की खेती सालभर कर मोटी कमाई कर सकते है. अगर आप भी मिर्च की खेती करने का मन बना रहे तो आपको इस खेती की जुडी सम्पूर्ण जानकरी के लिए इस लेख को आखिर तक पढ़ें.
हरी मिर्च की खेती को भारत के आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्य रूप से की जाती है. Green Chilli Farming अगर वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो किसान इससे तगड़ा मुनाफा कमा सकते है. मिर्च की खेती कैसे करे करें इसकी विस्तृत जानकारी हम इस आर्टिकल के आप तक पंहुचा रहे है.
मिर्च की खेती (Mirch ki kheti)
मिर्च को चिली (Green Chilli) कहते है जिसका उपयोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने, आचार, चटनी, स्ट्रीट फ़ूड और अन्य सब्जियों में किया जाता है. देश में हरी व लाल मिर्च दोनों बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं. यदि मिर्च की खेती (Green Chilli Farming) वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो मिर्च की खेती बड़े मुनाफे का सौधा हो सकती है.
कैसे करें मिर्च की उन्नत खेती
मिर्च की खेती कब और कैसे करें, मिर्च की खेती करने की विधि, मिर्च की खेती में कौन सा खाद डालें, उत्तर प्रदेश में मिर्च की खेती, हाइब्रिड मिर्च की खेती, राजस्थान में मिर्च की खेती, सर्दी में मिर्च की खेती, गर्मियों में मिर्च की खेती कैसे करें, मिर्च की खेती कितने दिन की होती है आदि इस प्रकार के सवालों के लिए हमारे द्वारा दी गई जानकारी को अवश्य पढ़ें.
कैसे होनी चाहिए मिर्च की खेती के लिए जलवायु
आमतौर पर हरी मिर्च की खेती सभी तरह की मिट्टी में हो जाती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गर्म और आर्द्र जलवायु मिर्च की उन्नत खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है. फसल के अच्छे विकास हेतु 15-30 डिग्री सेल्सियस तापमान अति उत्तम माना गया है. लेकिन अधिक ठंड व गर्मी दोनों ही इसकी फसल के लिए हानिकारक होते है.
मिर्च की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी
वैसे हरी मिर्च की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में कर सकते है. लेकिन कार्बनिक पदार्थों से भरपूर 6.5 से 7.5 पी एच मान वाली बलुई दोमट मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मना जाता है. फसल को नुकसान से बचने के लिए खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
मिर्च की उन्नत किस्में
मिर्च की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना अति आवश्यक है. मिर्च की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है- काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ, जवाहर मिर्च 283 व 218, अर्का सुफल, जे- 218, एआरसीएच- 236, गायत्री, प्रिया, बीएसएस- 14, दुर्गा, केटीपीएल- 19, पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, भाग्य लक्ष्मी और एस- 86235 शामिल हैं. इसके अलावा मिर्च की संकर किस्में (मिर्च की हाइब्रिड वैरायटी) इस प्रकार है- काशी अर्ली, काशी हरिता, यूएस- 611 व 720, तेजस्वनी, एचपीएच- 1900 व 2680, अग्नि, चैम्पियन औरसूर्या आदि शामिल हैं.
मिर्च की खेती के लिए कैसे तैयार करें खेत
मिर्च की फसल के लिए खेत तैयार करते समय में खेत में सड़ी गोबर की खाद 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से डाले. मिर्च की रोपाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर समतल कर लें.
कब की जाती है मिर्च की खेती
किसान भाई मिर्च की खेती साल में तीन बार कर सकते है. देश के ज्यादातर किसान खरीब की फसल को महत्व देते है. मिर्च की खेती कब की जाती है इसके लिए समय सारणी देखे.
- वर्षा ऋतु :- वर्षा ऋतु की फसल लेने के लिए किसान को उत्तम समय जून जुलाई का है.
- शरद ऋतु :- सितम्बर-अक्टूबर मे मिर्च की बुआई कर देनी चाहिए.
- ग्रीष्म ऋतु :- ग्रीष्म कालीन मौसम की फसल मुख्यतः फरवरी -मार्च मे बुआई कर दी जाती है.
ऐसे करें मिर्च की रोपाई
पौध की रोपाई करते समय दूरी का ध्यान जरूर रखें. पौधों की रोपाई करते समय पंक्तियों के बीच की दूरी 2-3 फीट और पौधों के बीच की दूरी 1.5 से 2 फीट होनी चाहिए. ध्यान रखें कि पौध की रोपाई कम धूप में करें.
मिर्च की नर्सरी ऐसे करे तैयार
मिर्च की नर्सरी तैयार करने के लिए ऐसी जगह का चयन करें जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो उस स्थान पर नर्सरी के लिए 3 x 1 मीटर आकार की 20 सेमी ऊँची उठी क्यारी बनाए. पौध तैयार करने के लिए नर्सरी क्षेत्र में 2 से 3 टोकरी वर्मीकंपोस्ट या सड़ी गोबर खाद 50 ग्राम फोरेट दवा प्रति क्यारी की मिट्टी में मिला दें. एक पहले कार्बेंडाजिम दवा 1.5 ग्राम/ली. पानी की दर से नर्सरी क्षेत्र को उपचारित करें. अगले दिन तैयार क्यारियों में 5 सेमी दूरी पर 0.5-1 सेमी गहरी नालियां बनाकर बीज की बुवाई करें. उसके बाद नर्सरी में फव्वारें की सहायता से पानी लगा दें. आखिर में नर्सरी क्षेत्र में बनी क्यारियों को धान के पुआल से ढक दें ताकि पर्याप्त नमी बनी रहे. अधिक गर्मी होने स्थिति में एग्रो नेट का प्रयोग कर सकते है.
मिर्च की खेती में डालें ये खाद
मिर्च की खेती (Hari mirch ki kheti) के लिए खेत तैयार करते समय 150-250 क्विंटल अच्छी सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर से खेत में डालें उसके बाद 70-80 किलो नाइट्रोजन, 40-45 किलो फ़ॉस्फ़ोरस, 40-50 किलो पोटाश प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है. जिसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फ़ॉस्फ़ोरस व पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई से पहले खेत में डाल दें, शेष नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में विभाजित कर 25 और 45 दिनों बाद खड़ी फसल में छिड़क सिचाई कर दें.
मिर्च की खेती में खरपतवार नियंत्रण
फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरुरी है क्योकि फसल में खरपतवार होने की स्थिति में फसल का विकास रुक जाता है. रोपाई के 20 से 25 दिनों बाद पहली निंदाई तथा दूसरी निंदाई 35 से 40 दिन बाद करें. इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण के लिए 300 ग्राम आक्सीफ्ल्यूओरफेन का पौध रोपण से ठीक पहले छिड़काव 600 से 700 लीटर पानी घोलकर प्रति हेक्टेयर स्प्रे कर सकते है.
मिर्च की फसल में सिंचाई प्रबंधन
मिर्च की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन पौध रोपण के तुरंत बाद पौध की रोपाई करें. गर्मी के सीजन में 5-7 के अंतराल पर पर सिचाई करें. बारिश के मौसम आवश्यकतानुसार सिचाई करें. कृषि एक्सपर्ट की माने तो मिर्च की अधिक सिचाई करने पर पौधे लम्बे और पतले आकार के हो जाते है.
मिर्च की फसल में लगने वाले रोग एवं रोकथाम
- सफेद लट :- इस तरह के कीट मिर्च की जड़ों को हानि पहुंचाते है. जिससे फसल पूर्णतया नष्ट कर देते है.
- रोकथाम- इस कीट की रोकथाम के लिए फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रोपाई से पहले जमीन में मिला सकते है.
- सफेद मक्खी, पर्ण जीवी (थ्रिप्स), हरा तेला व मोयला :- इस प्रकार के कीट पत्तियों और पौधों के कोमल भाग से रस चूसकर फसल को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचाते हैं.
- रोकथाम- इस प्रकार के कीट की रोकथाम के लिए फास्फोमिडॉन 85 एस एल 0.3 मिलीलीटर या मैलाथियान 50 ई सी या मिथाइल डिमेटोन 25 ई सी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे करें. आवश्यकतानुसार 15 से 20 दिन के बाद फिर छिड़काव करें..
- मूल ग्रन्थि (सूत्र कृमि)- इसके प्रभाव से पौधों की जड़ों में गांठ बन जाती है जिसकी वजह पौधों की ग्रोथ भी रुक जाती है.
- रोकथाम- मिर्च की रोपाई के समय 25 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में मिला दें या पौधों की जड़ों को एक मिलीलीटर फास्फोमिडॉन 85 एस एल प्रति लीटर पानी के घोल में आधा घंटा तक भिगो कर खेत में रोपाई करें..
रोग एवं रोकथाम
- आर्दगलन (डेम्पिंग ऑफ)- इस रोग के प्रकोप से पौधे का आकार छोटा और जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़ कर कमजोर होने लगता है.
- रोकथाम- पौधों को इस रोग से बचाने के लिए बीज की बुबाई से पहले थाइरम या केप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर ले.
- छाछया- इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर सफेद चूर्णी धब्बे दिखाई देने लगते है. जिसकी वजह से पत्तियां पीली पड़कर झड़ जाती हैं.
- रोकथाम- फसल को इस रोग के प्रकोप से बचाने के लिए केराथियॉन एल सी 1 मिलीलीटर या केलेक्सिन एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का स्प्रै करें.
- strong>श्याम वर्ण (एन्थ्रोक्लोज)- इस रोग के प्रकोप से पौधों की पत्तियों पर छोटे-छोटे काले धब्बे बन जाते है जिससे पत्तियाँ झड़ने लगती हैं. इसके अलावा इस रोग से प्रभावित पौधों की शाखएँ ऊपर से नीचे की और सूखने लगती है.
- रोकथाम- इस बीमारी से बचाव के लिए मैन्कोजेब या जाईनब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल के 2 से 3 छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें.
- जीवाणु धब्बा रोग- इस रोग से पत्तियों पर छोटे-छोटे जलीय धब्बे बन जाते हैं तथा बाद में गहरे भूरे रंग के दिखाई देने लगते है. अन्त में रोगग्रस्त पत्तियाँ पीली पड़कर झड़ जाती है.
- रोकथाम- इस रोग के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 200 मिलीग्राम, या कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 100 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का स्प्रे आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तर पर करें.
मिर्च की तुड़ाई (Harvesting Green Chilli)
हरी मिर्च की तुड़ाई फल लगने के लगभग 15-20 दिनों बाद कर सकते है. हरी मिर्च की एक तुड़ाई के बाद दूसरी तुड़ाई में करीब 15-20 दिनों का अंतराल रखना चाहिए. अगर लाल सूखी मिर्च के लिए तुड़ाई करनी है तो एक या दो हरी मिर्च तोड़ने के बाद पौधों पर ही मिर्च को पकने के लिए छोड़ दें.
मिर्च की फसल से पैदावार
अनुकूल परिस्थितियों में हरी मिर्च की सामान्य किस्मों से 100 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर वही सूखी लाल मिर्च की 15-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है. नोट – स्थान और मौसम के हिसाब से यह पैदावार घट बढ़ भी सकती है.
हारी मिर्च की खेती – FAQ
मिर्च की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Green Chilli) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.