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कृषि दिशा / Vegetable Cultivation / लौकी की खेती, कब और कैसे करें – All About Bottle Gourd Farming in Hindi

लौकी की खेती, कब और कैसे करें – All About Bottle Gourd Farming in Hindi

By: Krishi Disha | Updated at:16 November, 2022 google newsKD Facebook

Louki ki Kheti (Bottle Gourd Farming): लौकी की खेती (Bottle Gourd Cultivation) रबी, खरीफ व जायद सीजन में की जाने वाली सब्जी की फसल है. इसको घिया और दूधी के नाम से भी जाना जाता है. लौकी की खेती (louki ki kheti) भारत के करीब करीब सभी राज्यों में की जाती है. लौकी की फसल समलत खेत, पेड़-पौधे, मचान बनाकर व घर की छतों पर बड़ी आसानी से की जा सकती है. Bottle Gourd Farming kaise karen इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख द्वारा देने जा रहे है. जाने Lauki ke Fayde

Bottle Gourd Farming
लौकी की खेती (louki ki kheti) इस तरह करें

लौकी की खेती कैसे करें ? – Louki ki Kheti in Hindi

Calabash Farming in Hindi: हरी सब्जियों की बात करें तो लौकी (louki) का नाम सबसे ऊपर आता है. यह मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है. इसमें विटमिन बी, सी, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और सोडियम आदि प्रचूर मात्रा में पाया जाते है. इसका इस्तेमाल मधुमेह, वजन कम करने, पाचन क्रिया, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और नेचुरल ग्लो के लिए लौकी (bottle gourd) बहुत ही फायदेमंद होती है.

लौकी की खेती की पूरी जानकारी – Bottle Gourd Farming in Hindi

जलवायु

  • लौकी की खेती (lauki ki kheti) के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त माना गया है.
  • बीज अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री सेन्टीग्रेड
  • पौधों के विकास के लिए 32 से 38 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान बढ़िया होता है.

भूमि

  • लौकी की खेती (Gourd Cultivation) जीवांश युक्त जल धारण क्षमता वाली बलुई दोमट भूमि सबसे बढ़िया माना जाता है.
  • लौकी की खेती (Bottle Gourd Cultivation) कुछ अम्लीय भुमि में भी की जा सकती है.
  • लौकी की फसल (Gourd Crop) के लिए 6.0 से 7.0 पीएच वाली मिट्टी सर्वोत्तम होती है.
  • खेत से जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.

लौकी की खेती के लिए भूमि की तैयारी कैसे करें

  • लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming) के लिए भूमि की तैयारी करते वक्त 8 से 10 टन गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें.
  • खाद डालने के बाद खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर पलेवा कर दें.
  • पलेवा करने के 7 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई करें.
  • इसके बाद कल्टीवेटर से 2 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर पाटा कर खेत को समतल कर लें

लौकी की बुआई का समय – Gourd Sowing Time

खरीफ (वर्षाकालीन) में

बुआई का समय- 1 जून से 31 जुलाई के मध्य
फसल अवधि- 45 से 120 दिन

जायद (ग्रीष्मकालीन) में

बुआई का समय- 10 जनवरी से 31 मार्च के मध्य
फसल अवधि- 45 से 120 दिन

रबी के लिए

बुआई का समय- सितंम्बर-अक्टूबर

लौकी की किस्में (Gourd varieties)

काशी गंगा

  • काशी गंगा वैरायटी की लौकी बढ़वार मध्यम होती है
  • इसके तने में गाठें पास-पास होती है.
  • इस किस्म की लौकी का वजन करीब 800 से 900 ग्राम होता है.
  • इस वैरायटी को आप गर्मियों में 50 और बरसात में 55 दिनों तोड़ सकते है.
  • इस वैरायटी से लगभग 44 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है.

काशी बहार

  • इस किस्म की लौकी 30 से 32 सेंटीमीटर लंबे और 7-8 सेंटीमीटर व्यास होती है
  • काशी बहार लौकी का वजन 780 से 850 ग्राम का होता है
  • इस वैरायटी से 52 टन प्रति हेक्टेयर उपज ली जा सकती है
  • इस वैरायटी को गर्मी और बरसात दोनों मौसम के लिए उपयुक्त की जा सकती है.

पूसा नवीन

  • पूसा नवीन वैरायटी बेलनाकार होती है
  • इस किस्म की लौकी का वजन 550 ग्राम होता है
  • इस किस्म से 35 से 40 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जाता सकता है.

अर्का बहार

  • इस किस्म की लौकी मध्यम आकार और सीधी होती है
  • इस किस्म की लौकी का वजन एक किलोग्राम तक होता है

पूसा संदेश

  • यह वैरायटी का फल गोलाकार होता है
  • इस वैरायटी की लौकी का वजन 600 ग्राम tहोता है
  • पूसा संदेश गर्मी में 60से 65 दिन और बरसात में 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है
  • इस किस्म से 32 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार ली जा सकती है

पूसा कोमल

  • लौकी की यह किस्म 70 दिनों में तैयार हो जाती है
  • पूसा कोमल लंबे आकार की किस्म होती है
  • इस वैरायटी से 450 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है

नरेंद्र रश्मि

  • नरेंद्र रश्मि किस्म की लौकी का वजन 1 किलोग्राम होता है
  • इसके फल छोटे और हल्के हरे रंग के होते है
  • नरेंद्र रश्मि से 30 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार ली जा सकती है.

लौकी की खेती के लिए बीज की मात्रा

लौकी की 1 एकड़ फसल उगाने के लिए 1 से 1.5 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है.

बीज उपचार

हाइब्रिड बीज कम्पनियों द्वारा उपचारित करके बाजार में भेजते है तो इसको उपचारित करने की आवश्यकता नहीं होती है इसको सीधे बुवाई की जाती है. यदि आपने लौकी का बीज घर पर बनाया है तो उसको उपचारित करना आवश्यक है, लौकी के बीज को बुआई से पहले 2 ग्राम कार्बोनडाज़िम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर ले.

लौकी की बुआई का तरीका

  • लौकी बुवाई के दौरान पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी.
  • पंक्ति से पंक्ति की दूरी 150 से 180 सेमी रखे.
  • लौकी के बीज को 1 से 2 सेमी की गहराई पर बोए.

लौकी की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन

लौकी की फसल के लिए खेत तैयार करने के समय खेत में 8 से 10 टन गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें.

  • लौकी की बुवाई के दौरान 50 किलोग्राम डी ऐ पी ( DAP ) , 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 50 किलोग्राम पोटाश ( Potash ) , 8 किलोग्राम जायम , 10 किलोग्राम कार्बोफुरान प्रति एकड़ खेत में डालें.
  • लौकी की बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद 10 ग्राम NPK 19 : 19:19 को 1 लीटर पानी मैं घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल पर स्प्रे करे.
  • लौकी की बुवाई के 40 से 45 दिनों बाद 50 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें.
  • लौकी की फसल बुवाई के 50 से 60 दिन पर 10 ग्राम NPK 0:52:34 और 2 मिली टाटा बहार को 1 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें.

लौकी की खेती मे सिंचाई

  • जायद की फसल के लिए 8-10 दोनों के अंतर् पर सिंचाई करे.
  • खरीफ फसल में सिंचाई वारिस के अनुसार की जाती है, वर्षा न होने की स्थति में सिंचाई.
  • खेत की नमी के अनुसार रबी की फसल में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करे.

लौकी की फसल में लगने वाले कीड़े

लाल कीडा (रेड पम्पकिन बीटल): पौधो पर दो पत्तियां निकलने के बाद से इस कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है. यह कीट पतित्तियों और फूलों को खा कर फसल को नष्ट कर देता है. यह कीट लाल रंग तथा इल्ली हल्के पीले रंग की होती है इस कीट का सिर भूरे रंग का होता है.

रोकथाम :

  • खेत को नराई/गुड़ाई क्र खेत को साफ सुथरा रखें.
  • फसल कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे मिट्टी में छिपे कीट तथा उनके अण्डे ऊपर आकर सूर्य की गर्मी या चिडियों द्वारा नष्ट कर दिए जायेंगे.
  • कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत दानेदार 7 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से पौधे से 3 से 4 सेमी. दूर डालकर खेत में पानी लगाए.
  • कीटों की संख्या अधिक होने पर डायेक्लोरवास 76 ई.सी. 300 मि.ली. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से स्प्रै करें.

फल मक्खी (fruit fly): प्रौढ़ फल मक्खी घरेलू मक्खी के आकर की लाल भूरे या पीले भूरे रंग की होती है. इसके सिर पर काले या सफेद धब्बे होते है. इस कीट की मादा फलों को भेदकर भीतर अंदर अण्डे देती है. अण्डे से निकलने वाली इल्लियां फलो के गूदे को खाती है जिसकी वजह से फल सडने लगता है. वरसात में उगाई जाने वाली फसल पर इस कीट का प्रकोप अधिक होता है.

रोकथाम:

  • ख़राब और निचे गिरे हुए फलों को तुरंत नष्ट कर देना चाहिए.
  • जो फल भूमि के सम्पर्क में है उनको समय समय पर पलटते रहना चाहिए.
  • इसके प्रकोप से फसल को बचाने के लिए 50 मीली, मैलाथियान 50 ई.सी. एवं 500 ग्राम शीरा या गुड को 50 लीटर पानी में घेालकर स्प्रै करे. आवश्कतानुसार एक सप्ताह बाद पुनः स्प्रै करें.

लौकी के मुख्य रोग (Main diseases of gourd)

चुर्णी फफूंदी: यह रोग फफूंद की वजह से फसल पर आता है. सफेद दाग और गोलाकार जाल सा पत्तियों एवं तने पर दिखाई देता है जो बाद मे बढ़कर कत्थई रंग का हो जाता हैं. इसके रोग के प्रकोप से पौधों की पत्तियां पीली पडकर सुख जाती है, इसके प्रकोप से पौधों की बढवार रूक जाती है.

रोकथाम:

  • रोगी पौधे को उखाड़ कर मिट्टी में दबा दें या उनको जला दें.
  • फसल को इस प्रकोप से बचाने के लिए घुलनशील गंधक जैसे कैराथेन 2 प्रतिशत या सल्फेक्स की 0.3 प्रतिशत रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही कवकनाशी दवाइयों का उपयोग 10‐15 दिन के अंतर पर करना चाहिए.

उकठा (म्लानि): इस रोक से प्रभावित पौधों की पत्तियाँ मुरझाकर नीचे की ओर लटक जाती है और पत्तियाँ के किनारे झुलस जातें है.

रोकथाम

इस रोग से वचाव के लिए फसल चक्र अपनाना जरूरी होता है. बीज को वेनलेट या बाविस्टिन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करना चाहिए.

लौकी की तुड़ाई – How to Harvest Bottle Gourd ?

लौकी की तुड़ाई उनकी प्रजातियों पर निर्भर करती है. लौकी के फलों को पूर्ण विकसित होने पर कोमल अवस्था तोड़ लेने चाहिए. बुवाई के 45 से 60 दिनों बाद लौकी की तुड़ाई शुरू हो जाती है.

लोकी की उपज (Bottle Gourd Yield)

प्रति हेक्टेयर जून‐जुलाई और जनवरी‐मार्च वाली फसलों में क्रमश 200 से 250 क्विंटल और 100 से 150 क्विंटल उत्पादन लिया जा सकता है.

अगर आपको Bottle Gourd Cultivation (lauki ki kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

यह भी पढ़ेंः  अरबी की खेती, कब और कैसे करें – All about Taro Cultivation (Arbi ki Kheti) in Hindi

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Last Modified: 28 March, 2023

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