Bottle Gourd Cultivation : लौकी की खेती एक ऐसी सब्जी वाली खेती है जिससे कम समय, कम लगत और कम मेहनत में ज्यादा से ज्यादा फायदा लिया जा सकता है क्योकि सभी मौसम में लौकी की डिमांड भारी मात्रा में बनी रही है जिससे किसनो को अच्छा भाव भी मिल मिलता है. देश के किसान समलत खेत, पेड़-पौधे, मचान विधि से रबी, खरीफ व जायद तीनों सीजन में लौकी की उन्नत खेती सहजता से कर सकते है. लेकिन Lauki ki Kheti अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानो को लौकी की हाइब्रिड किस्मो, सिंचाई व्यवस्था, जलवायु, बुवाई का समय, मिट्टी कैसी होनी चाहिए आदि की जानकारी विशेष तौर पर होनी चाहिए. जिसके लिए आप इस लेख को पढ़ सकते है.
लौकी एक कद्दू वर्गीय सब्जी है जो दो अकार की होती है पहली गोल और दूसरी लंबी, गोल वाली लौकी को पेठा तथा लंबी वाली लौकी को घीया के नाम से जाना जाता हैं. जिसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है. पहले लौकी के सूखे खोल को शराब या स्प्रिट भरने के लिए इस्तेमाल किया जाता था इसलिए लोकि को बोटल गार्ड के नाम से जाना जाता है. किसान भाई Bottle Gourd Cultivation साल में तीन बार सकते है. आज हम इस पोस्ट में लौकी की खेती से जुडी जानकारी जैसे- लौकी की खेती कैसे करें, लौकी कैसे उगाएं, लौकी की उन्नत किस्म एवं पैदावार की जानकारी को शामिल किया है.
लौकी की खेती (Louki ki Kheti)
हरी सब्जियों की बात की जाए तो लौकी (louki) का नाम सबसे ऊपर आता है. जिसको अंग्रेजी में बोटल गॉर्ड (bottle gourd) और कैलबैश (Calabash) कहते है. लौकी में विटमिन बी, सी, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और सोडियम आदि प्रचूर मात्रा में पाया जाते है. जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है. वर्तमान समय में किसान Bottle Gourd Farming and Cultivation के लिए वैज्ञानिक विधि का रुख कर रहे है. लौकी की खेती के लिए मचान विधि किसानो के बीच प्रचलित है. अगर जो किसान लौकी की खेती करने का मन बना रहे है तो वे किसान मचान विधि से लौकी खेती कर सकते है.
लौकी की उन्नत खेती कब और कैसे करें?
Lauki Ki Kheti Kaise Kare: किसान पहले मोटे अनाजों को अपनी कमाई का जरिया मानते थे लेकिन वर्तमान समय में किसान मोटे अनाजों की खेती छोड़कर सब्जियों की खेती की तरफ रुख कर रहे है जिससे किसानो की अच्छी इनकम भी हो रही है. अगर आप किसान है और अपनी आमंदनी बढ़ाना चाहते है तो आप भी सब्जियों की खेती कर सकते हैं. आज हम इस लेख में एक ऐसी ही सब्जी फसल के बारे में बताने जा रहे है जिसकी खेती साल भी की जा सकती है. जिसका नाम लौकी है. लौकी की खेती के लिए फसल प्रबंधन हेतु निम्नलिखित जानकारी को पढ़ें.
कैसी जलवायु चाहिए लौकी की खेती के लिए
लौकी की अच्छी उपज के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु को उपयुक्त माना गया है. कृषि एक्सपर्ट के अनुसार बीज अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री सेन्टीग्रेड तथा पौधों के विकास के लिए 32 से 38 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान बढ़िया होता है.
लौकी फार्मिंग के लिए कैसी होनी चाहिए भूमि
जीवांश युक्त, 6.0 से 7.0 पीएच मान एवं जल धारण क्षमता वाली बलुई दोमट भूमि लौकी की खेती (Gourd Cultivation) के लिए सर्वोत्तम होती है. इसके अलावा खेत से जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
कैसे करें लौकी के लिए भूमि की तैयारी
लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming) के लिए खेत की तैयार करते वक्त 8 से 10 टन गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें. बुवाई से पहले 2 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर मिटटी को भुरभुरा बनाकर पाटा लेकर खेत को समतल कर लें.
कब होती है लौकी की खेती
लौकी की खेती किसान साल में तीन बार जायद, खरीफ, रबी सीजन में कर सकते है. खरीफ (वर्षाकालीन) में लौकी की बुवाई का समय 1 जून से 31 जुलाई के मध्य, जायद (ग्रीष्मकालीन) मौसम में लौकी लगाने का समय 10 जनवरी से 31 मार्च के मध्य उचित मना जाता है जबकि रबी की फसल के लिए सितंम्बर-अक्टूबर का महीना उचित मना जाता है.
लौकी की उन्नत किस्में
लौकी से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए काफी हद तक लौकी की उन्नत किस्मो की अहम भूमिका रहती है. लौकी की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है-
- लौकी की किस्में : अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, पूसा हाइब्रिड 3, सम्राट, काशी बहार, काशी कुंडल, काशी कीर्ति एंव काशी गंगा आदि.
- हाइब्रिड किस्में : काशी बहार, पूसा हाइब्रिड 3, और अर्का गंगा आदि लौकी की हाइब्रिड किस्में हैं। जो 50 से 55 दिनों में पैदावार देने लगती हैं तथा इन किस्मों की औसत उपज 32 से 58 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास होती है,
लौकी की बीज की मात्रा एवं उपचार
लौकी की एक एकड़ खेती के लिए 1 से 1.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. अगर बीज घर पर बनाया है तो बीज को बीज को बुआई से पहले 2 ग्राम कार्बोनडाज़िम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर ले.
लौकी की बुआई का तरीका
लौकी की खेती समलत खेत, पेड़-पौधे, मचान विधि से कर सकते है. लौकी बुवाई के दौरान पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 150 से 180 सेमी और 1 से 2 सेमी की गहराई रखते हुए बोये.
लौकी की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन
लौकी की फसल के लिए खेत तैयार करने के समय खेत में 8 से 10 टन गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें. लौकी की बुवाई के दौरान 50 किलोग्राम डी.ए.पी.(DAP) , 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 50 किलोग्राम पोटाश ( Potash ) , 8 किलोग्राम जायम , 10 किलोग्राम कार्बोफुरान प्रति एकड़ खेत में डालें. बुवाई के बाद निम्न तरीके से फसल में खाद डालें-
- लौकी की बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद : – 10 ग्राम NPK 19 : 19:19 को 1 लीटर पानी मैं घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल पर स्प्रे करे.
- लौकी की बुवाई के 40 से 45 दिनों बाद:- 50 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें.
- लौकी की फसल बुवाई के 50 से 60 दिन बाद :- 10 ग्राम NPK 0:52:34 और 2 मिली टाटा बहार को 1 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें.
लौकी की फसल में सिंचाई
लौकी की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. बीज रोपाई के बाद तुरंत पानी लगाएं ताकि पानी बीज का जमवा सही से हो सकें. अलग-अलग सीजन में रोपाई का अलग अलग तरीके से सिचाई होती है. लौकी की जायद फसल के लिए 8-10 दोनों के अंतराल पर सिंचाई करें. लौकी की खरीफ फसल में सिंचाई बारिश के अनुसार करें वर्षा न होने की स्थिति में सिंचाई करें. वही रबी के मौसम की जाने वाली लौकी की फसल में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करे.
लौकी की फसल में लगने वाले कीड़े
- लाल कीडा (रेड पम्पकिन बीटल):- लौकी के पौधों में दो पत्तियां निकल आने के बाद इस कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है. यह कीट पत्तियों और फूलों को खा कर नष्ट कर देता है. यह कीट लाल रंग एवं हल्के पीले रंग होता है तथा कीट का सिर भूरे रंग का होता है.
लौकी की फसल में लगने वाले कीड़े की रोकथाम
- खेत की नराई/गुड़ाई कर खेत को साफ सुथरा रखें.
- पहली फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी में छिपे कीट तथा उनके अण्डे ऊपर आकर सूर्य की गर्मी या चिडियों द्वारा नष्ट हो सकें.
- कार्बोफ्यूरान 3% दानेदार 7Kg प्रति हेक्टेयर की दर से पौधे से 3 से 4 सेमी. दूर डालकर खेत में पानी लगाए.
- कीटों की संख्या अधिक होने पर डायेक्लोरवास 76 ई.सी. 300 मि.ली. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से स्प्रै करें.
- फल मक्खी (fruit fly): प्रौढ़ फल मक्खी घरेलू मक्खी के आकर की लाल भूरे या पीले भूरे रंग की होती है. इसके सिर पर काले या सफेद धब्बे होते है. इस कीट की मादा फलों को भेदकर भीतर अंदर अण्डे देती है. अण्डे से निकलने वाली इल्लियां फलो के गूदे को खाती है जिसकी वजह से फल सडने लगता है. वरसात में उगाई जाने वाली फसल पर इस कीट का प्रकोप अधिक होता है.
लौकी की फसल में लगने वाले कीड़ों की रोकथाम
- ख़राब और निचे गिरे हुए फलों को तुरंत नष्ट कर देना चाहिए.
- जो फल भूमि के सम्पर्क में है उनको समय समय पर पलटते रहना चाहिए.
- इसके प्रकोप से फसल को बचाने के लिए 50 मीली, मैलाथियान 50 ई.सी. एवं 500 ग्राम शीरा या गुड को 50 लीटर पानी में घेालकर स्प्रै करे. आवश्कतानुसार एक सप्ताह बाद पुनः स्प्रै करें.
लौकी की फसल में लगने वाले मुख्य रोग एवं रोकथाम
- चुर्णी फफूंदी: यह रोग फफूंद की वजह से फसल पर आता है. सफेद दाग और गोलाकार जाल सा पत्तियों एवं तने पर दिखाई देता है जो बाद मे बढ़कर कत्थई रंग का हो जाता हैं. इसके रोग के प्रकोप से पौधों की पत्तियां पीली पडकर सुख जाती है, इसके प्रकोप से पौधों की बढवार रूक जाती है.
लौकी की फसल में लगने वाले रोग की रोकथाम:
- रोगी पौधे को उखाड़ कर मिट्टी में दबा दें या उनको जला दें.
- फसल को इस प्रकोप से बचाने के लिए घुलनशील गंधक जैसे कैराथेन 2 प्रतिशत या सल्फेक्स की 0.3 प्रतिशत रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही कवकनाशी दवाइयों का उपयोग 10‐15 दिन के अंतर पर करना चाहिए.
- उकठा (म्लानि): इस रोक से प्रभावित पौधों की पत्तियाँ मुरझाकर नीचे की ओर लटक जाती है और पत्तियाँ के किनारे झुलस जातें है.
लौकी की फसल में लगने वाले रोग की रोकथाम
- इस रोग से वचाव के लिए फसल चक्र अपनाना जरूरी होता है. बीज को वेनलेट या बाविस्टिन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करना चाहिए.
लौकी की तुड़ाई (Harvesting Bottle Gourd)
लौकी की तुड़ाई उनकी प्रजातियों पर निर्भर करती है. लौकी के फलों को पूर्ण विकसित होने पर कोमल अवस्था तोड़ लेने चाहिए. सामान्यतः बुवाई के 45 से 60 दिनों बाद लौकी की तुड़ाई शुरू हो जाती है.
लौकी की उपज
प्रति हेक्टेयर जून‐जुलाई और जनवरी‐मार्च वाली फसलों में क्रमश 200 से 250 क्विंटल और 100 से 150 क्विंटल उत्पादन लिया जा सकता है.
लौकी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि लौकी की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Bottle Gourd) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.