Jackfruit Cultivation : देश के जो किसान कम लगात में एक बार फसल लगाकर सालो तक अच्छी कमाई करना चाहते है वे किसान भाई जैकफ्रूट यानि कटहल की खेती के बारे में सोच सकते है. क्योकि जैकफ्रूट की खेती भी कुछ ऐसी है एक पौधों को लगा कर कई सालों तक इनकम प्राप्त कर सकते है. कटहल एक ऐसी सदाबहार फसल है जिसको किसी भी तरह के मौसम में किया जा सकती है. सब्जी और फल दोनों ही रूप में उपयोग किये जाने वाले कटहल की खेती करना चाहते है तो आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए.
कटहल एक बहुशाखीय सदाबहार फसल है जिसके बारे में एक कहावत बहुत प्रचलित है कि “कटहल की खेती कभी गरीब नहीं होने देती” झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित भारत के लगभग सभी राज्यों में कटहल की खेती मुख्य रूप की जाती है. कटहल के बाग-बगीचे स्थानियों में बाज़ारों में कटहल की मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. पौष्टिक और स्वादिष्ठ कटहल को कच्चा और पका दोनों तरह से खाया जाता है. तो चलिए जानते कटहल की खेती कब और कैसे करें?
कटहल की खेती (Jackfruit ki Kheti)
कटहल श्रीलंका और बांग्लादेश का राष्ट्रीय फल है, जबकि केरल और तमिलनाडु में इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है. कटहल स्वाद एव पौष्टिकता की दृष्टि अत्यंत ही महत्वपूर्ण मन गया है. इसके अलावा कटहल को मीट का विकल्प भी मना जाता है. कटहल के फलों में शर्करा, पेक्टिन, खनिज पदार्थ एवं विटामिन ‘ए’ का अच्छा स्रोत होता है. कटहल अनेक बीमारियों में लाभदायक होता है.
कटहल की वैज्ञानिक खेती कैसे करें?
Jackfruit Farming in India : कटहल स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है, कम लगात, कम मेहनत, कम देखभाल में इसको उगाया जा सकता है. बता दे, कटहल की एक हेक्टेयर खेती की लगात करीब 40,000 रुपये आती है. ऐसे में किसानों के लिए कटहल की खेती (Jackfruit Cultivation) कमाई का अच्छा साधन बन सकती है. तो चलिए जानते कटहल फार्मिंग कब और कैसे करें?
जलवायु
शुष्क और नम दोनों जलवायु कटहल की खेती हेतु उपयुक्त मानी जाती है. गर्मी और वर्षा ऋतू में कटहल के पौधे का विकास अच्छा होता है. बता दें, 10 डिग्री से नीचे का तापमान कटहल की खेती के लिए हानिकारक होता है.
उपयुक्त भूमि
अच्छी जल निकासी, कार्बनिक पदार्थ से भरपूर और 6 से 7 पी.एच.मान वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी कटहल की खेती (Jackfruit Cultivation) के लिए बढ़िया मानी जाती है.
कटहल की उन्नत किस्में
रसदार, खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी, खजवा, स्वर्ण मनोहर, एन.जे.-1, एन.जे.-2, एन.जे.-15, स्वर्ण पूर्ति (सब्जी के लिए) ये है, किस्म भारत मे मुख्यतः सब्जी के लिए उपयोग होती है.
कटहल के पौधों की रोपाई का समय
कटहल की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु पौधों की रोपाई जुलाई से सितम्बर में की जानी चाहिए. लेकिन बारिश का मौसम कटहल के पौधों लिए उपयुक्त माना जाता है.
कटहल की खेत की तैयारी
कटहल की खेती (kathal ki kheti) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल कर खेत को खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. कटहल के पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर जमीन को समतल करें. कटहल के पौधे लगाने के लिए खेत में 10 से 12 मीटर की दूरी पर एक फुट चौड़ा और डेढ़ फुट गहराई के गड्ढे खोद कर कुछ दिन के लिए छोड़ दें.
कटहल के पौधे तैयार करने की विधि
कटहल की उन्नत खेती के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार करनी होगी. कटहल की नर्सरी बीज, गूटी बाधना विधि और ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किया जाता है. बीज से तैयार कटहल के पौधे से 6-7 वर्ष में पैदावार शुरु होने लगती है वही ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधे 4 साल उत्पादन देने लगते है. इसलिए आप किसी सरकारी या मन्यता प्राप्त नर्सरी से कटहल की उन्नत वेरायटी के पौध खरीद सकते है.
कटहल के पौधे कैसे लगाएं
कटहल के पौधे लगाने के लिए 20 से 25 किलो गोबर की खाद, कंपोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी के साथ मिश्रण बना लें. कटहल के पौधे लगाने से पहले इस मिश्रण को खोदे गए गड्ढों में भर दें. उसके बाद तैयार गड्ढों में 15 दिन बाद इनमें कटहल के पौधों की रोपाई करके सिंचाई का काम करें.
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
कटहल के पौधों से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खाद एवं उर्वरक की पर्याप्त मात्रा आवश्यकतानुसार समय-समय पर देते रहे. 15-20 कि.ग्रा, गोबर की खाद, 100 ग्रा. यूरिया, 200 ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति पौधे की दर से हर साल देना चाहिए. पौधे बड़े होने पर उनकी आवश्यकतानुसार खाद एवं रासायनिक उर्वरक की मात्रा बड़ा देनी चाहिए.
कटहल के पौधों में खरपतवार नियंत्रण
कटहल के पौधों से अधिक पैदावार लेने के लिए उनकी अच्छे से देखभाल करना बेहत जरुरी है, अगर पौधों के आसपास खरतपतवार उग आएंगे तो उनका ठीक से विकास नहीं हो पायेगा. इसलिए जब भी आपको पौधों के आसपास दिखाई दे तो उनको हटा दें. खरपतवार नियंत्रण के लिए पूरे खेत में निराई/गुड़ाई करने की आवश्यकता नहीं है. केवल कटहल के पौधों के आस-पास खरपतवार न होने दे.
कटहल के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम
- फल सड़न रोग :- राइजोपस आर्टोकार्पी के ऐसा रोग है जो कटहल के फलो के डंठल के पास से सड़ाकर ख़राब कर देता है. इस रोग की रोकथाम के लिए ब्लू कॉपर की उचित मात्रा का घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें.
- बग रोग:- इस प्रकार के रोग अधिकतर पौधों की पत्तियों और उनकी नई शाखाओ पर देखने को मिलेगा. इस रोग के प्रकोप से पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती है. जिससे पौधों का विकास रुक जाता है. इस रोग से छुटकारा पाने के लिए मैलाथियान की 0.5% की मात्रा का छिड़काव पौधों पर करें.
- गुलाबी धब्बा:- यह रोग पौधों की पत्तियों की निचली सतह पर दिखाई देता है. जिससे पौषों की वृद्धि रुक जाती है. इससे वचाव के लिए पौधों पर कॉपर आक्सीक्लोराइड या ब्लू कॉपर कॉपर आक्सीक्लोराइड या ब्लू कॉपर का घोल बना कर उचित मात्रा में छिड़काव करें.
फसल की अवधि
कटहल एक सदाबहार वृक्ष है जो 3 से 5 साल में फल देने के लिए तैयार हो जाता है. रोपण के लगभग 15 वर्ष में कटहल का पौधा पूर्ण विकसित हो जाता है. यदि कटहल को सीधे बीज से लगाया जाता है तो पौधा में 7-8 वर्ष में फल देना शुरू कर देता है जबकि कमली पौधों से 4-5 वर्ष में ही फल मिलने लगते है. गूटी विधि से कटहल की उन्नत खेती करने पर 3 साल में ही कटहल के बाग में फल लगना शुरु हो जाते हैं. जो किसान कटहल की की खेती करना चाहते है उनको पता होना चाहिए कि एक हेक्टेयर में कटहल के करीब 150 पौधे लग जाते है.
कटहल के फलों की तुड़ाई
भारत मे कटहल तुड़ाई मुख्यतः जनवरी से मार्च के महीने मे होने लगती है. फल जनवरी-फरवरी से जून-जुलाई तक विकसित होते रहते हैं इसी समय में फल के अंदर बीज, कोया इत्यादि का विकास होता है और अंतत: जून-जुलाई में फल पकने लगते हैं.
कटहल की पैदावार और आमदनी
कटहल के बाग-बगीचों की ठीक से देखभाल की जाये तो हर साल किसान एक हेक्टेयर खेत से 3 से 4 लाख की कमाई कर सकते हैं. कटहल की एक हेक्टेयर व्यावसायिक खेती के लिए लगभग 150 पौधों की आवश्यकता होती है. बता दें, प्रति वर्ष कटहल एक पौधे से लगभग 150 से 250 कि.ग्रा. की पैदावार प्राप्त हो जाती है.
Jackfruit Farming – FAQ
कटहल की खेती, कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि कटहल की खेती कैसे करें (How to cultivate Jackfruit) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.