ईसबगोल की खेती / Isabgol Farming / Isabgol ki Kheti: रवि के मौसम में उगाई जाने वाली ईसबगोल / Isabgol Cultivation को एक नगदीय फसल के रूप में जानी जाती है. ईसबगोल की खेती (Isabgol Farming) में कम निवेश कर 4-5 महीने में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. यह एक औषधीय पौधा (medicinal crop) है जिसकी खेती को व्यापारिक दृष्टि से देखा जाये तो इसमें अच्छे अवसर है. भारत में ईसबगोल की खेती (Isabgol Cultivation in india) राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में होती है. मध्य प्रदेश के नीमच, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर आदि जिले मुख्य रूप ईसबगोल की खेती कर रहे है. अगर आप भी ईसबगोल की खेती करना चाहते है तो आप हमारे इस आर्टिकल की जरूर पढ़ें. तो चलिए जानते है ईसबगोल की उन्नत खेती कैसे करें? जाने Isabgol Ke Fayde

इसबगोल के सामान्य नाम (Common Names of Isabgol)
इसबगोल (Ispaghula), इसबगोल के बीज (Psyllium Seed), इंडियन प्लांटैगो(Indian Plantago), स्पोजेल (Spogel), सैंड प्लांटैन (Sand Plantain), फ्ली सीड (Flea Seed), प्लांटैगो एसपी (Plantago sp)., इसबगुला (Isabgula), प्लांटैगिनिस ओवेटे सीमेन (Plantaginis Ovatae Semen) and सीमन इस्पघुला (Semen Ispaghulae)
जलवायु (Climate Requirement for Isabgol Cultivation)
इसबगोल ठंडे मौसम वाली रबी की फसल है. इसकी परिपक्वता के लिए शुष्क धूप वाले मौसम की जरुरत होती है. यहाँ तक कि बरसात की हल्की बौछार से इसके बीज झड़ने लगते है. इससे पैदावार में कमी आ सकती है.
भूमि का चयन (Soil Requirement of Isabgol Cultivation)
ईसबगोल की खेत के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट आदर्श मानी जाती है. फसल के अच्छे विकास के अच्छे विकास के लिए मिट्टी का पीएच मान 7.3 से 8.4 के बीच होना चाहिए.
इसबगोल की किस्में (Varieties of Isabgol)
भारत में उगाई जाने वाली इसबगोल की प्रसिद्ध किस्में निम्नलिखित हैं.
- जी1 (गुजरात -1)
- G2 (गुजरात – 2)
- टीएस-1-10
- ईसी-124345
- निहारिका
- हरियाणा इसबगोल1-5.
- जवाहर इसबगोल-4.
भूमि की तैयारी (Land Preparation for Isabgol Cultivation)
ईसबगोल की खेती के लिए खेत की अच्छे से जुताई करे ताकि पुरानी फसल के अवशेष और खरपतवर नष्ट हो जाये. इसके बाद खेत में 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर की दर अच्छी सड़ी गोबर डाले. जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरी और समतल करने के बाद खेत में उचित दूरी पर क्यारियाँ बना लें.
ईसबगोल की बुवाई का समय (Isabgol Sowing Time)
ईसबगोल की बुवाई के लिए अक्टूबर से मध्य नवंबर तक का समय सबसे आदर्श माना जाता है. देर से बुवाई करने पर उपज में कमी आ सकती है.
बीज की मात्रा
ईसबगोल की एक एकड़ फसल बोने के लिए 3-5 किलो बीज की आवश्यकता होती है.
ईसबगोल की बुवाई का तरीका (Isabgol Sowing Method)
ईसबगोल के बीज बहुत छोटे होते है इसकी बुवाई छिड़काव विधि या सीड ड्रिल से कर सकते है. ईसबगोल की बुवाई करते समय कतार से कतार की दुरी 30 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दुरी 4-5 से.मी. रखनी चाहिए और बीज की गहराई दो सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.
सिंचाई (Irrigation in Isabgol Cultivation )
इसबगोल की बुवाई के तुरंत बाद सिचाई कर देनी चाहिए ताकि बीज का अंकुरण अच्छे से हो सके. इसके बाद जमीन में नमी को देखते हुए आवश्यकतानुसार सिचाई करते रहना चाहिए. इसबगोल के 110 से 120 दिन के फसल चक्र में करीब कुल 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है
खाद एवं रासायनिक उर्वरक (Manures and Fertilizers in Isabgol Cultivation)
इसबगोल एक औषधीय फसल है जिसमें रासायनिक खादों का इतेमाल कम करना चाहिए. खेत की तैयारी करते समय 6 से 8 टन प्रति एकड़ की दर से अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (FMY) डालें. रासायनिक उर्वरक (chemical fertilizers) N:P2O5:K2O 20:10:12 किग्रा/एकड़ की दर से बुवाई के समय आवश्यकता होती है. बुवाई करते समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा और शेष मात्रा बुवाई के 4 सप्ताह बाद देनी चाहिए.
खरपतवार नियंत्रण (Weed control Isabgol Cultivation)
इसबगोल की फसल को स्वस्थ रखने के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरुरी है. इसके लिए दो-तीन निराई-गुड़ाई अवश्य करें.
ईसबगोल की खेती में कटाई (Harvest in Isabgol Cultivation)
इसबगोल की फसल बुवाई के 5 से 6 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. ईसबगोल की फसल तैयार होने के बाद कटाई सुबह-सुबह करनी चाहिए ताकि उसके बीज बिखरे नहीं. फसल को एक दो दिन के लिए ढेर कर धूप में अच्छी तरह सूखा का बीजों को निकाल लें.
ईसबगोल से पैदावार (Yield from Isabgol)
ईसबगोल की फसल की पैदावार मिट्टी, जलवायु और देखरेख पर भी निर्भर करती है. ईसबगोल की फसल से औसतन पैदावार करीब 10 से 12 क्विंटल होती है. इसके अलावा 20 से 30 प्रतिशत की ईसबगोल की भूसी मिल जाती है.
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