Brinjal Cultivation / Baigan Ki Kheti : बैंगन एक ऐसी सब्जी है जिसकी डिमांड फाइव स्टार होटलों से लेकर घर तक व्यापक रूप से रहती है. अगर आप एक किसान है तो बैगन की खेती (Baigan Ki Kheti) आप के लिए एक बेहतर आमंदनी जरिया बन सकती है. क्योकि बैगन एक लम्बे समय तक उपज देने वाली फसल है, यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो बैंगन एक बारहमासी फसल है. बाजार में बैगन की मांग होने के कारण के इसकी उपज के दाम भी अच्छे मिल जाते है. ऐसे में जो किसान बैगन की उन्नत खेती कर तगड़ा मुनफा कमाने का मन बना रहे है वे किसान इस लेख के जरिये जाने कि कब और कैसे की जाती है बैंगन की उन्नत खेती (How to do Brinjal Farming) और इसकी खेती से कितनी कमाई की जा सकती है.
भारत में बैगन की खेती (Brinjal Cultivation) प्राचीन काल से होती चली आ रही है. लेकिन व्यावसायिक तौर पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महांराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के किसान इसकी खेती कर लाखों का मुनफा कमा रहे है. बैगन की मांग साल के 12 महीने बनी रहती है. जिसका उपयोग बैंगन का भर्ता, भरवा बैंगन, आलू बैंगन की सब्जी, फ्राई बैगन, बैगन की पकौड़ी आदि खाद्य पदार्थ बनाने किये किया जाता है. बेगैन से बनी चीजों को लोग बड़े चाव से कहते है. इसके अलावा बैगन में औषधीय गुण भी मौजूद होते है जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते है. बैंगन की उन्नत खेती से किसान कैसे कमा सकते है लाखों का मुनाफा, जानिए इसके बारे में सबकुछ
कब और कैसे करें बैंगन की उन्नत खेती?
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कैसा होना चाहिए मौसम
कृषि एक्सपर्ट की माने तो गर्म तथा वर्षा ऋतु बैगन की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है. अच्छी पैदावार के लिए 21-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है. अधिक ठण्ड का मौसम फल के लिए हानिकारिक होता है.
कैसी होनी चाहिए मिट्टी
साधारणतः बैंगन को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन कार्बनिक पदार्थों से धनी 5 से 7 पी एच मान वाली उपजाऊ रेतली दोमट मिट्टी को बैगन की खेती के लिए उचित माना जाता है. बैगन लम्बे समय की फसल है इसलिए खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
ऐसे करें बैंगन के लिए खेत तैयार
बैगन की रोपाई से करीब 20-25 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार जुताई कर दें, ऐसा करने से पुरानी फसल एवं खरपतवार नष्ट हो जायेंगे. उसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें. आखिरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर खेत समतल कर लेना चाहिए.
बैगन की उन्नत किस्में
किसान भाइयों आपको आपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक पैदावार देने वाली बैंगन की उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि आपको अच्छा उत्पादन और मुनाफा मिल सकें. बैंगन की उन्नत किस्में इस प्रकार है –
- लम्बे फल- पूसा परपल लोंग, पूसा परपल क्लसटर, पूसा क्रान्ति, पन्त सम्राट, आजाद क्रांति, एस- 16, पंजाब सदाबहार, ए आर यू 2-सी और एच- 7 आदि प्रमुख है.
- गोल फल- पूसा परपल राउन्ड, एच- 4, पी- 8, पूसा अनमोल, पन्त ऋतु राज, टी- 3, एच- 8, डी बी एस आर- 31, पी बी- 91-2, के- 202-9, डीबी आर- 8 और ए बी- 1 आदि प्रमुख है.
- छोटे गोल फल- डी बी एस आर- 44 और पी एल आर- 1 प्रमुख है.
- संकर किस्में- (Hybrid varieties) अर्का नवनीत और पूसा हाइब्रिड- 6, एम•एच बी-2, एम एच बी-3, एम एच बी-9,एम ई बी एच-11,एम ई बी एच-16, एम ई बी एच-54, एम एच बी-56 प्रमुख है.
- लम्बे फल- ए आर बी एच- 201 प्रमुख है.
- गोल फल- एन डी बी एच- 1, ए बी एच- 1, एम एच बी- 10, एम एच बी- 39, ए बी- 2 और पूसा हाइब्रिड- 2 आदि प्रमुख है.
बैगन के बीज की मात्रा
बैगन के बीज की 400 से 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर में आवश्यकता होती है वही संकर किस्मों का 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज उपयुक्त होता है
कैसे तैयार करें बैगन की नर्सरी
जिस स्थान पर बैगन की नर्सरी डालना चाहते उस क्षेत्र की अच्छे से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें. उसके बाद नर्सरी क्षेत्र में आवश्यकतानुसार अच्छी सड़ी हुई गोबर या कम्पोस्ट की खाद डालें. बता दें एक हेक्टेयर बैगन की खेती करने के लिए लगभग 18-20 क़्यारियो की आवश्यकता होती है. खेत तैयार होने जाने के बाद उसमें 15 सेमी उंची तथा 5×1 मीटर आकार की क़्यरिया बना ले. बैगन के बीज बोन से पहले नर्सरी क्षेत्र को कार्बेंडाजिम दवा 1.5 ग्राम/ली. पानी की दर से उपचारित कर लें. अब आप 5 सेमी की दूरी तथा 1-1 •5 सेमी की गहराई रखते हुए बैगन के बीज की बिजाई कर दें. बीज की बिजाई के बाद तुरंत पौध में पानी लगा दें. बीज अंकुरण शुरू होने तक क्यारियों को धान के पुलाव या सफ़ेद पॉलीथिन से ढक दें ताकि नर्सरी क्षेत्र में नमी पर्याप्त बनी रहे.
पैदावार के लिए ऐसे डालें खाद और उर्वरक
बैंगन की उन्नत खेती के लिए मिट्टी की जांच के आधार पर खाद और उर्वरक डालनी चाहिए, जिससे अच्छी पैदवार मिल सकती है. अगर आपने खेती की जाँच नहीं करवाई है तो आखिरी जुताई के समय 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश को प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में समान रूप से बिखेर देना चाहिए.
बैगन की रोपाई का समय
बैंगन की फसल को साल में तीन बार लगाया जा सकता है. जिसका विवरण इस प्रकार है-
- वर्षाकालीन फसल- नर्सरी तैयार करने का समय फरवरी से मार्च और मुख्य खेत में रोपाई का समय मार्च से अप्रेल.
- शरदकालीन फसल- नर्सरी तैयार करने का समय जून से जुलाई और मुख्य खेत में रोपाई का समय जुलाई से अगस्त.
- बसंतकालीन समय- नर्सरी तैयार करने का समय दिसम्बर और मुख्य खेत में रोपाई का समय दिसम्बर से जनवरी
बैगन की पौध की रोपाई
बैगन की नर्सरी तैयार होने के बाद कतार के क़तर की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे से पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर खते हुए बैगन की पौध की रपोई कर दें वही संकर किस्मों के लिए कतार के क़तर के बीच की दूरी 75 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर दूरी रखकर रोपाई कर दें. पौध की रोपाई के तुरंत बाद सिचाई कर दें.
बैगन की सिंचाई
बैंगन की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखें. गर्मी की ऋतु में 4 से 5 दिन तथा सर्दियों में 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए. वर्षा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
खरपतवारों से बैगन की फसल को कैसे बचाएं
फसल की प्रारम्भिक अवस्था मे खरपतवार निकल आना फसल के लिए नुकसानदायक इसलिए बैगन की फसल से
खरपतवारों का नियंत्रण करना अतियंत आवश्यक है. प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रण के लिए समय समय पर नराई गुड़ाई करें.
बैगन की तुड़ाई (Harvesting Brinjal)
बैगन की रोपाई के करीब 70-80 दिन बाद बैगन के फल मिलने शुरु हो जाते है. बैगन का फल पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है तो उस स्थिति में बैगन के फल तोड़ लें.
बैगन की पैदावार
बैगन की फसल की उचित देखभाल से बैगन की औसतन पैदावार 200-250 क़्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है. पंजाब बहार, पूसा अनमोल , पूसा क्रांती, पन्त बैगन 129-5 जैसी किस्मो की उपज लगभग 400 क़्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है.
बैगन की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट और उनकी रोकथाम
- हरा तेला, मोयला, सफेद मक्खी और जालीदार पंख वाली बग:- ये कीडे पौधों की पत्तियों के निचले हिस्से और पौधे के कोमल भाग से चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं जिसकी वहज से उत्पादन पर गहरा असर पड़ता है.
- रोकथाम :- इन कीड़ों की रोकथाम के लिए डाईमिथोएट 30 ई सी या मैलाथियान 50 ई सी या मिथाईल डिमेटोन 25 ई सी कीटनाशकों में से किसी एक की एक मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें. इस छिडकाव को 15 से 20 दिन बाद आवश्यकतानुसार फिर करें.
- फल और तना छेदक :- फसल पर इस कीट का प्रकोप होने से पौधों की शाखाएं मुरझा कर नष्ट हो जाती हैं और फलों में छेद हो जाते है. इसकी वजह से फलों की विपणन गुणवत्ता कम हो जाती हैं.
- रोकथाम :- इस रोग से प्रभावित पौधों को खेत से उखाड़ का नष्ट कर देना चाहिए. फल बनने पर कार्बोरिल 50 डब्ल्यू पी 4 ग्राम या फार्मेथियान 50 ई सी 1 मिलीलीटर या एसीफेट 75 एस पी 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए. आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन बाद इस प्रक्रिया को दोहराएं. दवा छिडकने के 7 से 10 दिन बाद फल तोड़ने चाहिए.
- छोटी पत्ती रोग :- यह बैंगन का एक माइकोप्लाज्मा जनित विनाशकारी रोग हैं. इस रोग से प्रभावित पत्तियां छोटी होने के साथ गुच्छे के रूप में तने के ऊपर उगी हुई सी दिखाई देती हैं. पूरी तरह से इस रोग प्रभावित पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है. इस प्रकार के पौधों पर फल नहीं आते है.
- रोकथाम :- इस रोग से प्रभावित पौधे को उखाडकर नष्ट कर देना चाहिए जिससे दूसरे पौधे प्रभवित न हो. यह रोग हरे तेले (जेसिड) द्वारा फैलता हैं. फसल को इस रोग से बचने के लिए एक मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ई सी प्रति लीटर पानी की दर से खेत में छिड़काव करना चाहिए तथा 15 दिन बाद यही प्रक्रिया दुबारा दोहरानी चाहिए.
- झुलसा रोग :- इस रोग से प्रभावित पौधे की पत्तियों पर विभिन्न आकार के भूरे से गहरे भूरे रंग के धब्बे बन आ जाते है. धब्बों में छल्लेनुमा धारियां दिखने लगती हैं.
- रोकथाम
फसल को इस रोग के प्रकोप से बचने के लिए मैन्कोजेब या जाईनेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें. इस छिड़काव को आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अन्तराल करें.
- रोकथाम
- आद्रगलन (डेम्पिंग ऑफ) :- इस रोग का प्रकोप पौधे की छोटी अवस्था में आता है. इस रोग से प्रभावित पौधे का जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़कर कमजोर हो जाता है. पौधे गिरकर मरने लगते है. यह रोग भूमि एवं बीज के माध्यम से फैलता हैं.
- रोकथाम :- फसल को इस रोग से बचाने के लिए बीजों को 3 ग्राम केप्टॉन प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. नर्सरी में बुवाई से पूर्व थाईरम या केप्टॉन 4 से 5 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि में डालें. नर्सरी के आसपास की भूमि से 7 से 10 इंच उठी हुई बनायें.
बैंगन की खेती – FAQ
बैंगन की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि बैंगन की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Brinjal Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.