Drumstick Cultivation Tips : सहजन के पौध लगाने के सबसे उचित समय जुलाई से सितम्बर मना जाता है क्योकि इस मौसम लगाए जाने वाले सहजन के वृक्षों से होने वाले उत्पादन से बाजार में अच्छे दाम मिल जाते है. जानिए सहजन की वैज्ञानिक खेती कैसे होती है. सहजन में पाए जाने वाले औषधीय गुण की वजह से बाज़ारों में इसकी मांग साल भर बानी रहती है. पोष्टक एवं गुणकारी साजन की सब्जी हर कोई खाना पसंद करता है. कम लगत में अधिक मुनाफा और औषधीय गुणों की वजह से पिछले कुछ वर्षो में सहजन की खेती ने भारतीय किसानो के बीच बहुत लोकप्रियता बटोरी है. मोरिंगा की खेती में लागत की अपेक्षा अधिक मुनाफा होने के वजह सहजन की उन्नत खेती का क्षेत्रफल कई गुना बढ़ा गया है.
भारत के अलावा फिलीपिंस, श्रीलंका, मलेशिया, मैक्सिको आदि देशों के किसान व्यावसायिक तौर पर सहजन की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे है. सहजन केवल सब्जी के लिए ही नहीं उपयोग में लाया जाता है बल्कि इससे विभ्भिन प्रोडक्ट बनाये जाते है जिसकी मार्किट में बहुत डिमांड रहती है. इसलिए सहजन की उन्नत खेती किसनो के लिए लाभकारी हो सकती है. बारहमासी सहजन की खेती में सिंचाई और रखरखाव की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए किसान सहजन की खेती को करने में दिलचस्पी दिखा रहे है, तो चलिए जानते है कि सहजन की खेती कैसे करें?
सहजन की खेती (Moringa ki Kheti)
सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक (Drumstick ) कहते है, इसके अलावा मोरिंगा, सहजन जैसे आदि नामों से जाना जाता है. मोरिंगा (Moringa) एक औषधीय पौधा है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है. सहजन में 92 तरह के मल्टी विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड, आयरन आदि प्रचूर मात्रा में पाए जाते है. इसकी पत्तियाँ कुपोषण एवं ख़ून की कमी को पूरा करने में सहायक होती है. इसलिए सहजन खाने के फायदे अनगिनत हो सकते है. अगर इसकी पत्तियां दुधारू जानवरों को खिलाई जाएँ तो उनमें दूध की मात्रा बढ़ाने लगती है. जो किसान सहजन की खेती कर लाखों की कमाई करना चाहते है तो उनके लिए यह आर्टिक्ल बहुत जानकारी भरा है.
सहजन की वैज्ञानिक खेती
सहजन की उन्नत खेती को नकदी और व्यावसायिक मुनाफा देने वाली फसल माना जाता है. बाजार में सहजन के फूल, सहजन की छोटी-छोटी फलियों एवं सहजन की पत्तियों से बने पाउडर की मांग बाजार में बनी रहती है जिनको बेच कर किसान अच्छी कमाई कर सकते है. इसके अलावा, सहजन के बीजों से तेल निकाल कर आमदनी कर सकते है. कम लगात में साल में दो बार उत्पादन देने वाली फसल की खेती करना चाहते है तो आपको नीचे दी गई जानकारी को पढ़ें.
जलवायु (Climate)
- सहजन की खेती के लिए 25-30 डिग्री तापमान उचित मना जाता है.
- सहजन के पौधे ठण्ड को आसानी से सहन कर लेते है, लेकिन पाला हानिकारक होता है.
- 40 डिग्री से अधिक तापमान सहजन के फूलो के लिए नुकसानदायक होता है.
- अधिक बारिश का मोरिंगा के पौधों पर कोई असर नहीं होता है.
- सहजन का पौधा विभिन्न परिस्थितियों उग आता है.
मिट्टी का चयन (Soil Selection)
- सहजन के पौधों (drumstick plants) को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है
- सहजन बंजर और कम उवर्रक वाली भूमि पर आसानी से उग आते है
- सहजन की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है.
- उचित पैदावार के लिए मिट्टी का P.H. मान 6-7.5 तक होना चाहिए
खेत की तैयारी (Field Preparation)
- सहजन के पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर खरपतवार को नष्ट कर दें.
- उसके बाद 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. गहरे गड्डे तैयार कर लें.
- गड्डो को भरने के लिए मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद का मिश्रण तैयार करें.
- यह मिश्रण पौधों की रोपाई के समय गड्ढों को भरने के काम आएगा
सहजन की उन्नत किस्में / Varieties
- कोयम्बटूर 2:- इस वैरायटी की फलियों का रंग गहरा हरा और स्वादिष्ट होता है.
- पीकेएम 1:- पीकेएम-1 सहजन की एक बहुत उन्नत वैरायटी है जो मोरिंगा की अन्य किस्मो के मुकाबले इसकी फलियों का स्वाद काफी बेहतर होता है. अगर पौधों की ठीक से देखभाल की जाये तो रोपाई के 90 से 100 दिनों बाद फूल आना शुरू हो जाता है. इस वैरायटी की फली की लंबाई करीब 45 से 75 सेंटीमीटर तक की होती है. सहजन की इस वैरायटी से किसान चार बार पैदवार ले सकते है. यही वहज है कि सहजन की इस वैरायटी की खेती किसानों के फायदे का सौदा साबित हो रही है.
ऐसे तैयार करें सहजन की नर्सरी
एक हेक्टेयर सहजन की खेती के लिए 500 से 700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है, बता दें, सहजन को सीधे बीज और पौध बनाकर दोनों तरीकों से लगा सकते है. लेकिन सहजन को लगाने का सबसे सही तरीका पॉलीथीन बैग में नर्सरी बनाकर होता है, इससे आपको यह पता रहेगा कि आपके पास कितने सहजन के स्वस्थ पौधे है. पॉलीथीन बैग में सहजन के बीज 10 से 15 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं, इसके बाद जब पौधे डेढ़-दो फीट ऊँचाई के हो जाए तो उनकी रपोई तैयार गड्ढों में कर देनी चाहिए.
सहजन की रोपाई
सहजन की पौध की रोपनी हेतु 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. आकार के खोदे गए गड्ढों की उपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद का तैयार मिश्रण कर लें अब तैयार मिश्रण को गड्ढों में भर दें. मिश्रण भरने के एक महीन बाद जून से लेकर सितंबर माह के मध्य सहजन की पौध की रोपाई कर दें.
सहन की खेती में खाद और उर्वरक/Fertilizer
मोरिंगा की पौध की रोपाई के तीन माह बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश प्रति पौधे की दर से डालें. पौधों के अच्छे विकास के लिए इसके तीन माह बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति पौधा दुबारा डालें. अगर आप सहजन की जैविक खेती कर रहे तो 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (5 किलोग्राम/हेक्टेयर) का उपयोग कर सकते है.
सहजन के पौधों का प्रबंधन
सहजन की रोपाई के बाद के पौधे लगभग 75 सेंमी. के हो जाये तो उनके के ऊपरी भाग की छटाई कर देनी चाहिए जिससे पौधों में शाखाएं निकलने में आसानी होगी. इसके बाद आवश्यकतानुसार पौधों का उचित प्रबंधन करते रहे.
कैसे और कब करें सहजन की सिंचाई
सहजन से अच्छी पैदावार लेने के लिए समय-समय पर सिंचाई करना फायदेमंद रहता है. सिंचाई के लिए आप फव्वारा या ड्रिप सिस्टम का उपयोग कर सकते है. फूल लगने समय पौधों में अधिक पानी और सूखा दोनों ही स्थिति फूल झडऩे का कारण बन सकती है. इसलिए पौधों की आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करते रहे.
सहजन में रोग और कीट प्रबंधन
सहजन से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए रोग और कीट प्रबंधन करना बेहद जरुरी है अन्यथा आपकी पूरी फसल नष्ट हो सकती है. सहजन के पौधों पर लगने वाले रोग एवं कीट और उनकी रोकथाम की जानकारी इस प्रकार है –
- भुआ पिल्लू : भुआ पिल्लू नामक कीट का प्रकोप सहजन की फसल पर अधिक देखा जाता है. यह कीट पत्तियों को खा कर पूरी फसल को बर्बाद कर देता है. पौधों पर इस कीट का प्रकोप रोकने के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. को एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडक़ाव करें.
- फल मक्खी: फल मक्खी का आक्रमण भी सहजन की फसल पर देखा गया है. यह फसल को भरी नुकसान पहुँचती है. इससे वचाव के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा को एक लीटर पानी में घोलकर बनाकर फसल पर छिडक़ाव करें.
सहजन की तुड़ाई और उपज
अगर सहजन की कमर्शियल खेती की जाये तो एक एकड़ में लगभग 1200 से लेकर 1500 पौधे लग जाते है. सहजन का उत्पादन उसकी वैरायटी पर निर्भर करता है. सामान्यतः रोपनी के लगभग 160-170 दिनों में पौधे फल देना शुरू कर देते है. साल में दो बार फल देने वाले वैरायटी की तुड़ाई फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में होती है. प्रत्येक पौधे से सालभर में लगभग 65-70 सें.मी. लम्बी तथा औसतन 6.3 सेंमी. मोटी 200-400 (40-50 किलोग्राम) सहजन की फलियां प्राप्त हो जाती है. रेशा बनने से पहले सहजन की फलियों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए जिससे बाजार में उनकी मांग बनी रहे और आपको अधिक मुनाफा मिल सकेगा. हर साल फसल लेने के बाद पौधे को जमीन से करीब एक मीटर छोड़कर काटना आवश्यक होता है.
सहजन की खेती से कमाई
एक एकड़ सहजन की खेती के लिए लगाए गए पौधों से लगभग 3000 किलो तक उत्पादन मिल जाता है, आमतौर पर सहजन का फुटकर रेट 40 से 50 के बीच रहता है जबकि इसका थोक रेट 25 रुपए के तक मिल जाता है. इसके अलावा इसकी पत्तियों से बने पाउडर की मांग भी बाजार बहुत अधिक रहती है. इस फसल इन सब की गणना की जाए तो साल भर में किसान सहजन की खेती से करीब 6 से 7 लाख रुपए तक की कमाई कर सकता है.
सहजन की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि सहजन की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Sahjan) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.