Carrot Cultivation : गाजर भारतवर्ष की एक लोकप्रिय जड़ वाली बहुपयोगी सब्जी फसल है. जिसकी सर्दियों के अलावा अन्य मौसम में बुवाई कर किसान अच्छी कमाई कर सकते है. गाजर एक ऐसी सब्जी है जिसका उपयोग केवल सब्जी के लिए ही नहीं बल्कि अचार, सलाद, हलवा जैसे आदि स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए किया जाए है, इसलिए गाजर की डिमांड बाजार में साल भर बनी रहती है. अगर आप गाजर की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो फिर आपको गाजर की उन्नत खेती करने के सभी गुण सीखने होंगे.
गाजर केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं पशुओं के लिए भी फायदेमंद है क्योकि गाजर के पत्तों को उपयोग पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जिसके सेवन से दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है. गाजर की खेती (Carrot Farming) समस्त भारत में की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश, असाम, कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में Carrot ki Kheti मुख्य रूप से की जाती है. अगर आप गाजर की खेती करने की सोच रहे है तो आपको गाजर की जैविक खेती कैसे करे? गाजर की खेती का समय? गाजर की खेती के लिए उन्नत किस्में? गाजर फार्मिंग वाले राज्य? आदि सवालों के जवाब इस लेख मिलेंगे.
गाजर की खेती (Gajar ki Kheti)
गाजर को अंग्रेजी में कैरेट (Carrot) कहते है, जिसमें बीटा कैरोटीन, विटामिन के, बी जैसे तमाम पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते जो शरीर के लिए लाभप्रद होते है. गाजर को सब्जी, सलाद आदि के रूप में बड़ी मात्रा में खाया जाता है. इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में करीब – करीब हर भारतीय घर में गाजर का हल्वा (Gajar ka Halwa) बनाया जाता है. यही वजह है कि इस सीजन में गाजर की खपत काफी बढ़ जाती है. इस सीजन में गाजर की अगेती खेती (Carrot Cultivation) करने से किसानो को अच्छा पैसा कमाने का मौका मिल जाता है.
गाजर की उन्नत खेती कैसे करें
Top Carrot Varieties Farming : गाजर की उन्नत किस्मों की वैज्ञानिक खेती करके किसान 100 से 120 के अंदर 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार लेकर 7-14 लाख रुपये तक आमदनी ले सकते हैं. Carrot Farming के लिए जाने निम्न जानकारी –
जलवायु
गाजर एक ठंडी जलवायु वाली फसल है, जिसके बीज अंकुरण हेतु 8 से 28 डिग्री तथा जड़ों की वृद्धि के लिए 18 से 23 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना गया है.
मिट्टी का चयन
गाजर से अच्छी पैदावार लेने के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर, उचित जल निकासी एवं पी.एच. मान दोमट मिट्टी मानी जाती है.
खेत की तैयारी
गाजर की खेती के लिए सबसे पहले खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे ताकि खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो सकें. उसके बाद अच्छी उपज लेने के लिए 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 10 किलोग्राम कार्बोफुरान प्रति एकड़ दर से खेत में डालें. गाजर की बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.
बुआई का समय
किसान गाजर की बुवाई रबी और खरीफ दोनों मौसम में कर सकते है, रबी मौसम में गाजर की बुवाई 1 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच तथा खरीफ के मौसम में 1 मार्च से 30 जुलाई के बीच कर सकते है.
गाजर की उन्नत किस्में
गाजर की खेती से उच्च गुणवत्ता एवं अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए गाजर की उन्नत किस्मों का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए गाजर की उन्नत किस्मों का चयन करना बहुत ही आवश्यक है. गाजर की उन्नत खेती के लिए बाजार में उपलब्ध कुछ गाजर की किस्मों की जानकारी इस प्रकार है –
- Pusa Yamdagni:- 80 से 120 दिनों में तैयार वाली इस वैरायटी की जड़ें लम्बी नोक वाली संतरी रंग की होता है. इसकी औसतन उपज 80-105 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है
- गाजर नं 29:- औसतन 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देने वाली इस वैरायटी को पूर्ण विकसित होने में करीब 90 से 110 लग जाते है.
- पूसा रुधिरा:-90 से 110 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाने वाली इस वैरायटी की बुवाई सितंबर-अक्टूबर महीने में कर सकते है. इसकी औसतन उपज 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है.
- पूसा केसर:-खुदाई के लिए 80 से 100 दिन होने वाली Pusa Kesar वैरायटी से औसतन पैदावार प्रति एकड़ 100 क्विंटल तक प्राप्त हो जाती है
- पूसा वसुधा:- गाजर की इस वैरायटी को तैयार होने में 80 से 90 दिन लग जाते है. स्वाद में मीठी एवं लाल रंग की इस संकर किस्म से लगभग 150 से 180 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार मिल जाती है.
- पूसा आंसिता:-काले रंग इस वैरायटी को खुदाई के लिए तैयार होने में 90 से 110 दिन लग जाते है जो प्रति एकड़ 100 क्विंटल तक पैदावार दे देती है
- पूसा मेघलील:-नारंगी रंग के गूदे वाली इस वैरायटी को पकने में 90 से 100 दिन लगते है, इस किस्म से औसतन पैदावार 80 से 100 क्विंटल तक हो जाती है.
- पूसा वृष्टि:- जुलाई के आखिरी सप्ताह में बुवाई कर किसान प्रति एकड़ 100 से 120 क्विंटल तक पैदावार ले सकते है. पूसा वृष्टि को खुदाई के विकसित होने में 85 से 90 दिन लगते है
- गाजर की अन्य उन्नत किस्में:- श्रीराम देसी रेड, चैंटनी, पूसा रुधिर, पूसा मेघाली, हिसार रसीली, नैनटिस
बीज की मात्रा एवं उपचार
बुवाई के लिए गाजर के देसी बीज की मात्रा 2.5 से 3 किलोग्राम और हाइब्रिड बीज 800 से 1000 ग्राम प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है. हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योकि वह पहले से उपचारित आते है. अगर अपने घर पर बीज बनाया है तो बीज अंकुरण की क्षमता बढ़ाने, कीट-रोग और खरपतवारों की संभावनाओं को कम करने के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज को उपचारित करें.
बुआई का तरीका
गाजर के बीज की बुवाई छिड़काव विधि और सीधे मशीन द्वाराकर सकते है. गाजर की उन्नत खेती के लिए समतल भूमि, मेड या बैड बनाकर कर गाजर की बुवाई सकते है. लाइन से लाइन की दूरी 25-30 सेमी, बीज से बीज की दूरी 6-8 सेमी तथा 1.5 सेमी की गहराई रखते हुए गाजर की बुवाई कर दें. अगर गाजर की बुवाई छिड़काव विधि करने की सोच रहे है तो बीज को 4 गुना रेत में मिलाकर छिड़काव करें.
उर्वरक व खाद प्रबंधन
गाजर की उन्नत खेती के लिए खेत तैयार करते समय 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 10 किलोग्राम कार्बोफुरान प्रति एकड़ दर से मिटटी में मिला दें. बुआई के लिए आखिरी जुताई के समय 50 किलोग्राम डीएपी, 30 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 25 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़क दें. बुवाई के बाद निम्न तरीके से खाद का उपयोग करें-
- बुआई के 20 दिन बाद :-25 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें
- बुआई के 35-40 दिन बाद:- 25 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
- बुआई के 45 से 50 दिन बाद :-1kg एन.पी.के. ( 19:19:19 ) और 30 kg यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डाले.
खरपतवार नियंत्रण
गाजर की फसल को नुकसान से बचाने के लिए खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करने की सलाह दी जाती है. कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव भी कर सकते हैं.
गाजर की खेती में सिंचाई
गाजर की बुवाई के तुरंत बाद खेत की सिचाई (Carrot Farming Irrigation) करें ताकि बीज अंकुरण क्षमता बढ़ाया जा सकें. सामान्य क्षेत्रों में 5 से 6 सिंचाई में गाजर की फसल तैयार हो जाती है. खेत में नमी कायम रखने के लिये आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. गाजर की फस लमें सिचाई के लिए ड्रिप का इस्तेमाल कर सकते है. खेत में पानी का भराव न होने दे नहीं तो गाजर ख़राब और फटने लगेगी.
गाजर की खुदाई (Harvesting Carrot)
जब गाजर का ऊपरी भाग 25 से 30 सेमी मोटा हो जाता है तो समझ लेना चाहिए कि गाजर खुदाई (Carrot Crop Harvesting) के लिए तैयार है. सामन्यतः गाजर 100 से 120 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. ध्यान रखे गाजर की खुदाई के समय खेत में थोड़ी नमी होनी चाहिए.
गाजर की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि गाजर की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Carrot) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.