धान की उन्नत किस्में / Paddy Varieties / Dhan ki kisme : धान का खरीफ की मुख्य फसलों में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसकी खेती उत्तर से लेकर दक्षिण तक की जा रही है. भारत के कुछ राज्यों में धान की खेती वर्ष में तीन बार की जाती है. धान की फसल सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार के क्षेत्रों में की जाती है. धान की खेती छिड़काव तथा रोपाई विधि से की जाती है. लेकिन छिड़काव विधि की अपेक्षा रोपाई विधि से धान की पैदावार अधिक होती है. धान की पैदावार उसकी किस्में पर भी निर्भर करती है. आज हम आपको धान की कई ऐसी किस्मों के बारे में बताने जा रहे जिनसे अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. तो आइए जानते हैं धान की प्रमुख उन्नत वैरायटियों (Rice Varieties) और उनकी खासियतें- धान की उन्नत किस्में के अलावा jau ki kisme, pyaj ki kisme, Aloo ki kisme, Mirch ki kisme के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते है.

धान की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं – Improved varieties of paddy and their characteristics
पूसा 1460
इस किस्म धान के पौधे का आकर छोटा और दाना मोटा होता है. पूसा 1460 धान की यह किस्म 120 से 125 दिनों में पक जाती है. इसकी किस्म की पैदावार 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
डब्ल्यूजीएल 32100
इसका पौधा और दाना छोटा होता है. यह 125 से 130 दिनों परिपक्व हो जाती है. इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल होता है.
पूसा सुगंध 3
इसका दाना पतला और सुंगधित होता है. यह किस्म 120 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल होता है.
एमटीयू 1010
इसका दाना और पौधा छोटा होता है. 110 से 115 दिनों में यह पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल होता है.
आईआर 64
इसका दाना लंबा लेकिन पौधा छोटा होता है. 120 से 125 दिनों में यह पककर तैयार हो जाती है. उत्पादन प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल होता है.
डीआरआर 310
धान की यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा के लिए अनुमोदित है. 125 दिनों में पकने वाली यह किस्म धान की काफी लोकप्रिय किस्म है. इसमें चमक काफी अच्छी और प्रोटीन की 10.3 मात्रा होती है. पैदावार की बात की जाए तो प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल होती है.
>डीआरआर 45
इसमें जिंक की उच्च मात्रा 22.6 पीपीएम होती है. यह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य के लिए अनुमोदित है. इस किस्म को हैदराबाद स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है. 125 से 130 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है.
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