Tulip ki kheti (Tulip Farming in hindi): ट्यूलिप की खेती (Tulip Cultivation) के लिए हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी वाले क्षेत्र उपयुक्त माना जाता है. ट्यूलिप के फूलों की खेती अगर व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो इसमें अपार संभावनाएं हैं. क्योकि ट्यूलिप के फूलों की डिमांड मार्किट में हमेशा रहती है. ट्यूलिप (Tulip flower in Hindi) के पौhttps://www.krishidisha.com/khubani-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/धों को ग्रीनहाउस, पॉलीहाउस, शेड नेट और गमलों में उगाया जा सकता है. जो किसान ट्यूलिप की खेती (Tulip Flower Farming) करना चाहते है वे इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढें क्योकि इस लेख में ट्यूलिप की खेती के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसकी पूरी जानकारी दी जा रही है. आइये जानते है ट्यूलिप की खेती कैसे करे है?
ट्यूलिप की खेती – Tulip ki kheti in Hindi
ट्यूलिप के फूल नारंगी , गुलाबी, चेरी, मैजेंटा, सैल्मन, क्रिमसन, बकाइन, मौवे, नीला, पीला, बैंगनी, टेराकोटा, लाल, लाल भूरा आदि रंगो के होते है. जिसका वानस्पतिक नाम ट्यूलिया (Tulipa) है. ट्यूलिप की खेत भारत के अलावा अफगानिस्तान, टर्की, चीन, जापान, साइबीरिया, भूमध्य सागर में प्रमुखता से की जाती है. ट्यूलिप का फूल देखने में बहुत ही आकर्षक होता है.
ट्यूलिप की खेती की पूरी जानकारी – Tulip Farming in Hindi
अगर आप ट्यूलिप की खेती करने के इच्चुक है तो ट्यूलिप फूल की खेती कब और कैसे करें इसकी विस्तार रूप नीचे जानकारी जानकारी दी जा रही है इसको जरूर पढ़ें.
ट्यूलिप की किस्में (Varieties of Tulip)
दुनिया भर में ट्यूलिप (Tulip) की कई किस्में उगाई जाती है. हालाँकि, ट्यूलिप की किस्मों को तीन भागों में विभाजित किया गया गया है. जल्दी फूल देने वाले ट्यूलिप, मध्य मौसम में फूल देने वाले ट्यूलिप, देर से फूलने वाले ट्यूलिप. भारत में पाई जाने वाली ट्यूलिप (Tulip) किस्में निम्नलिखित है.
जल्दी फूल देने वाली ट्यूलिप किस्म:- सिंगल अर्ली, डबल अर्ली, डक वैन टोल
मिड सीज़न में फूल देने वाली ट्यूलिप किस्म:- विजय, मेंडल
देर से फूल देने वाली ट्यूलिप किस्म:- ब्रीडर्स, लिली फ्लावर, रेम्ब्रांट, बिजब्लोमेन, डबल लेट, तोते, डार्विन और डार्विन संकर आदि जबकि ट्यूलिपा स्टेलेटा और टी. एचिसोनी हिमालय क्षेत्रों में उगाए जाते हैं.
अनुकूल जलवायु (Climate Requirement for Tulip Cultivation)
ट्यूलिप की खेती के लिए दिन का तापमान 20-26 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 5-12 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. सुबह और शाम की सीधी धूप ट्यूलिप के फूलों के लिए बहुत फायेमंद होती है.
प्राकृतिक दृष्टी से ट्यूलिप की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र सोलन, कांगड़ा, शिमला, सिरमौर, कुल्लू और मंडी आदि है . ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस के वातावरण को नियंत्रित कर ट्यूलिप के फूलों को उगाया जाता है.
भूमि का चयन (Soil Requirement for Tulip Cultivation)
अगर ट्यूलिप की खेती (Tulip Cultivation) व्यापारिक स्तर पर की जाये तो इसकी खेती लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है. पौधों के अच्छे विकास के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए.
खेती की तैयारी (Land Preparation for Tulip Cultivation)
ट्यूलिप की खेती (Tulip Farming) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. अंतिम जुताई के समय उचित मात्रा में गोबर की खाद में डालें. ट्यूलिप के बल्ब की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी को भुरभुरा और समतल कर उचित दूरी पर आवश्यकतानुसार उठी हुई क्यारियां (बैड) तैयार कर लें.
ट्यूलिप की रोपाई का समय (Tulip Planting Time)
ट्यूलिप बल्बों की रोपाई नवंबर महीने से की जा सकती है.
ट्यूलिप के पौधों की दूरी (Spacing of Tulip Plants)
खेत में तैयार उठी हुई क्यारियों (बैड) पर ट्यूलिप बल्बों की बुवाई 5 से 8 सेमी की गहराई के साथ 15 सेमी x 10 सेमी की दूरी पर बुवाई करें.
ट्यूलिप की सिंचाई (Irrigation in Tulip Cultivation)
ट्यूलिप की सिचाई जलवायु पर निर्भर करती है. अगर खुले क्षेत्रों में ट्यूलिप की खेती की जा रही है तो साप्ताहिक अन्तराल पर सिचाई करें. अगर ट्यूलिप की खेती ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस में की जा रही है तो तो वैकल्पिक दिन पर सिंचाई करनी चाहिए. ट्यूलिप के फूलों की बेहतर गुणवत्ता और अच्छे विकास और अच्छी उपज के ट्यूलिप क पौधों में पर्याप्त नमी बनाए रखनी चाहिए.
ट्यूलिप की खेती में खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Tulip Cultivation)
ट्यूलिप की खेती खरपतवार नियत्रण के लिए आवश्यकतनुसार समय-समय पर निराई -गुड़ाई करनी चाहिए इसके अलावा उपयुक्त खरपतवारनाशी का उपयोग किया जा सकता है. खरपतवार प्रबंधन के लिए ट्यूलिप के पौधों की मल्चिंग कर सकते है.
ट्यूलिप की खेती में खाद और उर्वरक (Manures and Fertilizers in Tulip Cultivation)
ट्यूलिप के स्वस्थ फूलों के लिए रिच माइक्रोन्यूट्रिएंट देना बहुत जरुरी होता है. 5% नाइट्रोजन (एन), 10% फास्फोरस (पी) और 5% पोटेशियम (के) के साथ एनपीके 5-10-5 जैसे उर्वरक को पौधों में देना देना चाहिए.
ट्यूलिप की खेती में कीट एवं रोग (Pests and Diseases in Tulip Cultivation)
ट्यूलिप के फूलों पर थ्रिप्स, फ्यूजेरियम संक्रमण, एफिड्स, सफेद मोल्ड का आक्रमण होता है. इनसे बचाने के लिए नजदीकी
बागवानी / कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है.
ट्यूलिप के पौधों की कटाई (Harvest in Tulip Cultivation)
आमतौर पर मध्य-पहाड़ियों में फरवरी-अप्रैल और उच्च-पहाड़ी क्षेत्रों में अप्रैल-जून में फूल आना शुरू हो जाते हैं. जब फूल की पंखुडियों पर 25%-50% रंग विकसित हो जाए तो दो पत्तियों सहित स्कैप्स को काट देना चाहिए
ट्यूलिप की खेती में उपज (Yield in Tulip Cultivation)
ट्यूलिप कटे हुए फूलों और कंदों की उपज कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि किस्म, सिंचाई, मिट्टी, जलवायु और फूलों की खेती के अन्य तरीके
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