Tinda Cultivation : Tinda Cultivation : टिंडा गर्मियों के मौसम की एक लोकप्रिय सब्जी फसल है जिसको उगाकर देश के किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है. उत्तर भारत में टिंडे के कच्चे फल सब्जी के रूप में बड़े पैमाने पर उपयोग में लाये जाते है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों दी गई जानकरी के मुताविक अगर आप टिंडा की उन्नत किस्मों की बुवाई करते है तो आपको इसकी खेती अच्छा उत्पादन प्राप्त होने के साथ एक अच्छी आमदनी भी हो सकती है. अगर आपको टिंडा की बुवाई का समय, जलवायु, मिट्टी, टिंडा की उन्नत किस्में और टिंडा की खेती का सही तरीका जानने के लिए इस लेख को आखिर तक पढ़ें.
सब्जी के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले टिंडे की खेती उत्तरी भारत में विशेषकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश में व्यापक रूप से की जाती है. अगर टिंडे की वैज्ञानिक तरीके (Tinda Cultivation) से की जाये तो किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते है. तो चलिए जानते है टिंडा की खेती कैसे करें.
टिंडे की खेती (Tinda ki kheti)
टिंडा को टिंडे, एप्पल गार्ड, इंडियन स्क्वैश (indian squash), इंडियन राउंड मेलन (indian round melon), इंडियन बेबी कद्दू (indian baby pumpkin) आदि से जाना जाता है. जो टिंडा कुकरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल परिवार से ताल्लुक रखता है. टिंडा के सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं गुणकारी होती है. बता दें, 100 ग्राम कच्चे टिंडे में 3.4% कार्बोहाइड्रेट, 18 MG विटामिन, 13 MG कैरोटीन, 1.4% प्रोटीन और 0.4% वसा की मात्रा पाई जाती है. औषधीय गुणों से भरपूर टिंडा की खेती कब और कैसे करें (tinda ki kheti kaise kare) जानने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें.
टिंडा की वैज्ञानिक खेती
Tindia ki kheti kaise kare : टिंडा फार्मिंग (Tindia Cultivation) से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर किसान भाई मोटी कमाई कर सकते है क्योकि टिंडा की मांग बाज़ारों में हमेसा बनी रहती है और इसका बाजार भाव भी ठीक मिल जाता है. इसलिए सही समय पर टिंडे लगाए और चित मुनाफा कमाएं, यहां जानिए Tindia Cultivation के लिए जलवायु, मिट्टी कैसी होनी चाहिए.
जलवायु (Climate)
- टिंडा की खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त मानी जाती है.
- बीज अंकुरण के लिए फरवरी-मार्च का मौसम उचित होता है.
- फसल के अच्छे विकास के लिए 10℃ से 28℃ का तापमान होना चाहिए.
- अधिक गर्म व ठंडा मौसम टिंडा के खेती के लिए बढ़िया नहीं होता है.
भूमि का चयन (Selection of Land)
- वैसे तो टिंडे की खेती को सभी पाकर की मिट्टी में हो जाती है.
- जैविक तत्वों वाली रेतली दोमट मिट्टी टिंडा की खेती के लिए सर्बोतम मानी गई है.
- खेत से उचित जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
- टिंडे की खेती के लिए मिट्टी का pH 6 से 7 के बीच होना चाहिए
- पानी के ऊंचे स्तर वाली मिट्टी में पैदावार बढ़िया होती है.
खेत की तैयारी
- टिंडे की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें ऐसा करने से खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे.
- खेत तैयार करते समय 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
- इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.
- टिंडे की बुवाई के लिए जुताई के बाद आवश्यकतानुसार क्यारियाँ बना लें
टिंडा की उन्नत किस्में / Varieties
- टिंडा 48 (Tinda 48) :- टिंडा की इस वैरायटी को तैयार होने में 70 से 80 दिन लग जाते है. बेल की लम्बाई लगभग 75 से 100 सैं.मी. तक होती है. इसके पत्ते हल्के हरे रंग, फल गोल चमकीले हल्के हरे रंग के साथ फलों का आकर सामान्य होता है. इस किस्म से औसतन पैदावार 25 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त हो जाती है.
- बीकानेरी ग्रीन:- खरीफ के सीजन में उगाई जाने वाली इस किस्म जिसको तैयार होने में 65 से 70 दिनों का समय लगता गई. इस वैरायटी का फल मुलायम और हरा होता है.
- पूसा अलंकार (Pusa Alankar):- यह वैरायटी 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है. इसके फल हरे रंग और नर्म गुद्दा वाले होते जिसकी वजह से इसके फल अच्छे स्वाद वाले होते है
बीज बुआई का समय
- जायद सीजन में टिंडे की बुवाई
- बुआई का समय: 1 फ़रवरी से 31 मार्च के बीच
- फसल अवधि: 70 से 80 दिन
- खरीफ सीजन में टिंडे की बुवाई
- बुआई का समय: 1 जून से 31 जुलाई के बीच
- फसल अवधि: 70 से 80 दिन
टिंडा के बीज की मात्रा
टिंडा की एक एकड़ खेती के लिए लिए 1 से 1.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.
टिंडा के बीज उपचार
बीज अंकुरण की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना बेहद जरुरी होता है. लेकिन टिंडे की बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. टिंडा के हाइब्रिड बीज की सीधे बुवाई कर सकते है.
यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है. बीज की अंकुरण की क्षमता बढ़ाने के लिए बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें.
टिंडा की बुवाई का तरीका
टिंडा के बीज को किसान भाई सीधे या समतल क्यारियों (मेड़) पर बोया जा सकता है. टिंडा की बुवाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी, टिंडा के बीज की 2-3 से.मी. गहराई रखते हुए बुवाई कर दें.
टिंडा की खेती में उर्वरक व खाद प्रबंधन
टिंडा की बुवाई के समय 50 किलोग्राम डी ऐ पी , 50 किलोग्राम पोटाश , 25 किलोग्राम यूरिया , 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट प्रति एकड़ से खेत में डालें. बुवाई के बाद निम्न तरीके से खेत में उर्वरक व खाद डालें-
- बुवाई के 25 से 30 दिन बाद:- 20 किलोग्राम यूरिया खाद को प्रति एकड़ से खेत में डालें.
- बुवाई के 45 से 50 दिन बाद:- 10 ग्राम NPK 13 : 0:45 को 1 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर फसल पर छिड़काव करे
- बुवाई के 60 से 70 दिन बाद:- 3 मिली हयूमिक एसिड और 5 ग्राम 12:61:00 एनपीके को प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें.
टिंडा की खेती में सिंचाई
- ग्रीष्म ऋतु में टिंडा फसल की प्रति सप्ताह सिंचाई करें
- बारिश के मौसम आवश्यकतानुसार सिंचाई करें
- फूल एवं फल आने पर खेत में उचित नमी बनाये रखे.
- बारिश के मौसम में खेत से पानी के निकलने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
टिंडा की तुड़ाई (Harvesting Tinda )
फसल की तुड़ाई टिंडा की किस्मो पर निर्भर करती है. आमतौर पर टिंडा की फसल 70 से 75 दिन में तैयार हो जाती है. फल का उचित आकर होने पर तुड़ाई करें.
टिंडे की फसल से उत्पादन
टिंडा की पैदावार टिंडा की बुवाई के समय, भूमि, क़िस्म, जलवायु व तापमान आदि पर निर्भर रहता है. अनुकूल परिस्थितियों में टिंडे से प्रति हेक्टेयर 80 से 120 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते है.
टिंडे का भंडारण
टिंडे के फलों की तुड़ाई के बाद फलों को छायादार स्थान पर 2 से 3 दिन तक किसी टोकरी में भंडारित कर सकते हैं.
टिंडे की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि टिंडे की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate tinda) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.
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