Stevia Cultivation : स्टीविया एक बारहमासी मेडिसिनल प्लांट है, जिसकी खेती किसानो के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. केंद्र और राज्य सरकारें भी औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानो को प्रेरित कर रही है. इसके लिए सरकारों ने अनुदान देने का भी प्रावधान किया है. ऐसे में किसान कम लगत में स्टीविया की खेत करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है. सौंदर्य प्रसाधन एवं डायबिटीज (मधुमेह) रोगियों के लिए दवा बनाने वाली कंपनियों को स्टीविया की पत्तियों की मांग होती है. स्टीविया की खेती (Stevia Cultivation) महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में मुख्य रूप की जाती है लेकिन कुछ समय से इसकी खेती छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में सफलतापूर्वक की जा रही है. काम लगत में अच्छी कमाई देने वाली स्टीविया की उन्नत खेती कैसे की जाती है इसकी जानकारी इस प्रकार है –
स्टीविया की खेती (Stevia ki kheti)
स्टीविया स्वाद में चीनी से कई गुना मीठी होती है लेकिन इसमें कैलोरीज की मात्रा न के बराबर होती है. स्टीविया एक एक औषधीय पौधा है जिसमें कैल्शियम, जिंक, आयरन, फास्फोरस, तांबा, मैंगनीज आदि पोषक तत्व पाए जाते है जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी होते है. स्टीविया का उपयोग मधुमेह (diabetes), दांतों की कैविटी, टॉनिक और भोजन में से कैलोरी कम करने की दबाई बनाने के लिए किया जाता है. इसलिए स्टीविया की मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत अधिक होती है जिसका फायदा किसानो को मिल सकता है.
स्टीविया की खेती की पूरी जानकारी
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जलवायु
समशीतोष्ण जलवायु स्टीविया की खेती के लिए अच्छी होती है, फसल के बेहतर विकास के लिए 140 सेंटीमीटर औसत वर्षा तथा 10 से 41 डिग्री के बीच तापमान उपयुक्त होता है.
उपयुक्त मिट्टी
एक्सपर्ट्स की माने तो 6-8 पीएच मान बलुई दोमट, हल्की कपासिया, लाल मिट्टी स्टीविया की उन्नत खेती सबसे बढ़िया मना जाता है. स्टीविया की खेती के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था होना चाहिए.
स्टीविया की रोपाई का सही समय
स्टीविया के पौधों (stevia plants) की रोपाई के लिए फरवरी-मार्च, अक्टूबर-नवंबर का समय सबसे उपयुक्त माना गया है क्योकि इस मौसम में न तो ज्यादा सर्दी और न ही ज्यादा गर्मी होती है. यह सीजन स्टीविया की खेती के लिए सबसे बढ़िया होता है.
स्टीविया की उन्नत किस्में:
स्टीविया की खेती के लिए क्षेत्रवार स्टीविया की उन्नत किस्मों की जानकारी इस प्रकार है –
- SRB-123 :- दक्षिणी पठार क्षेत्रों के लिए यह किस्म उपयुक्त है.
li>SRB-512:- ऊत्तरी भारत में बोआई जाने वाली सबसे ज्यादा उपयुक्त किस्म है.
li>SRB-128:- इस किस्म को सम्पूर्ण भारत में उगाया जा सकता है.
कैसे करे स्टीविया के पौधों की रोपाई
स्टीविया की रोपाई के लिए कलम विधि या टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों का उपयोग करें ताकि फसल से अच्छा उत्पादन मिल सकें. स्टीविया के पौधों की रोपाई के लिए 15 सेमी ऊंचा 2 फीट चौड़ी मेंड तथा मेड़ों से मेड़ों की दूरी 1.5 फीट रखते हुए मेंड बनाये उसके बाद मेंड पर कतार से कतार की दूरी 40 सेमी. और पौधों में पौधें की दूरी 20-25 सेमी. रखते हुए स्टीविया के पौधों की रोपाई कर दें.
कहां से प्राप्त करें स्टीविया के पौधे
स्टीविया के पौधे आप सरकारी उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग, सरकारी नर्सरी, कृषि कॉलेज या मान्यता प्राप्त नर्सरी से खरीद सकते है.
स्टीविया के पौधे की सिंचाई
स्टीविया के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद सिचाई करनी चाहिए ताकि पौधों को जमाव अच्छा हो सके. फसल में पर्याप्त नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिचाई करें. सिचाई के लिए फुव्वारा और ड्रिप तकनीक का उपयोग कर सकते है.
स्टीविया की फसल में खरपतवार नियंत्रण
स्टीविया की फसल वाले खेत में साफ सफाई के लिए निरंतर नराई/गुड़ाई करते रहना चाहिए ताकि खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकें. स्टीविया की फसल में रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता है क्योकि इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है.
स्टीविया की फसल के लिए खाद व उर्वरक
स्टीविया की खेती के लिए जैविक खाद के रूप में गोबर की खाद, कंम्पोस्ट खाद, केंचुआ खाद का उपयोग कर सकते हैं. वही नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की मात्रा क्रमश: 110 : 45: 45 किग्रा की जरुरत होती है इसकी पूर्ति के लिये 70-80 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट या 200 क्विंटल सङी गोबर की खाद पर्याप्त रहती है.
स्टीविया की फसल में होने वाले प्रमुख रोग तथा बचाव
वैसे तो स्टीविया की फसल पर किसी विशेष प्रकार के रोग या कीट का प्रकोप दिखाई नहीं देता है. लेकिन कई बार मिट्टी में बोरोन की कमी के चलते लीप स्पॉट का प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए 6% बोरेक्स का स्प्रे करें. स्टीविया के पौधों को रोगों अथवा कीटों से बचने के लिए नियमित अंतराल पर गौमूत्र अथवा नीम के तेल को पानी में मिलाकर कर स्प्रे करें. रोग नियंत्रण के लिए किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें.
स्टीविया की कटाई (Harvesting Stevia)
स्टीविया की रोपाई के उपरांत करीब 90 से 100 दिन के अंदर स्टीविया की हार्वेस्टिंग की जा सकती है. पहली कटाई करने के 3-3 महीने के अंतराल पर अन्य कटाई की जा सकती है. स्टीविया को एक बार लगाने के बाद पांच साल तक पैदावार ले सकते है.
कहां बेचे स्टीविया फसल
स्टीविया की तुड़ाई के बाद पत्तियों को छाया में सुखाएं फिर एयर टाइट कंटेनरों या पॉलिथीन बैग्स में पैक कर ले. इसके बाद आप इनको ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से बेच सकते है. दवा बनाने वाली कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
स्टीविया की खेती के लिए अनुदान
स्टीविया एक औषधीय फसल है इसकी खेती के लिए किसानो को प्रेरित करने के लिए अनुदान देने का प्रावधान किया है. स्टीविया की खेती के लिए सब्सिडी के लिए नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड से संपर्क कर सकते है.
स्टीविया की फसल से मुनाफा
सालभर में स्टीविया की 3-4 कटाईयों में करीब 70 क्विंटल से 100 क्विंटल सूखे पत्ते प्राप्त होते है. स्टीविया की पत्तियों का अन्तर्राष्ट्रीय बाजार कीमत करीब रू० 300-400 प्रति किग्रा है लेकिन अगर स्टीविया की बिक्री दर रू० 100/प्रति किग्रा मानी जाये तो प्रथम साल में एक एकङ स्टीविया की खेती से 5 से 6 लाख की कुल आमदनी हो जाती है.
स्टीविया की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि स्टीविया की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Stevia Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.
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