मसालों की खेती (Spices Farming): भारतीय मसलों की गूंज देश में ही नहीं विदेशों में भी है जिसकी वजह से भारतीय मसालों की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मसलों की मांग बढ़ाने के साथ भारत में भी मसलों की खेती की मांग बढ़ती जा रही है. आप किस मसाले की खेती (cultivation of spices) करना चाहते है उसकी विस्तृत जानकरी नीचे दी गई है.
Top Most Profitable Spices Farming
मसालों की खेती के बारे में सब कुछ
भारत मसलों की आपूर्ति पूरे विश्व में करता है जो दुनिया का 60% भाग है. भारत में मसलों की खेती (spices cultivation) व्यापक पैमाने पर की जाती है. जिससे किसानो की आयु में भी इजाफा हो रहा है. केंद्र और राज्य सरकारें मसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाओ का संचालन कर रही है.
मसालों वर्गीकरण
भारतीय मसलों का इतिहास काफी पुराना है जिनकी सूची विशाल है. भारतीय मसालों को जलवायु, उपयोगी भागों, आर्थिक महत्व, किस्में स्वाद व मौसम के आधार आधार पर वर्गीकृत किया जाता है.
भारत की प्रमुख मसाला फसलें
भारत में विभ्भिन प्रकार की मसाला फलों की खेती की जाती है जिनमें जायफल, दालचीनी, तेज पत्ता, सौंफ, इलायची, अजवायन, जीरा आदि है जिनकी खेती के बारे में विस्तार से उप्पर बताया गया है.
मसालों की खेती के लिए कृषि योजनाएं
मसालों की खेती को प्रोत्सान देने के लिए सरकारें विभ्भिन प्रकार की कृषि योजनाओ का संचालन किया जा रहा है. जिसमें सब्सिडी, ट्रेनिंग, अनुदान आदि की व्यवस्था की जाती है. बागवानी विकास मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसे आदि योजनाओ का संचालन किया जा रहा है.
मसालों की खेती के लिए सब्सिडी
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत मसलों की खेती के लिए सरकार लगभग 40% सब्सिडी यानी 5,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान देने का काम करती है. इसके लिए आपको अधिकृत पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा.