Sarso Ki Kheti (Mustard Farming): सरसों की खेती (-Mustard Cultivation) रबी का सीजन की मुख्य फसल मानी जाती है. रबी का सीजन शुरू होते ही किसानो के ज़ेहन में सरसों की खेती (Mustard Farming) के बारें में विचार न आये ऐसा नहीं हो सकता. सरसों की खेती देश (Mustard Farming in India) के पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्यों में प्रमुखता से की जाती है. किसानो के इस काले सोने की मांग देश-विदेश में सबसे अधिक मांग होती है. किसान (Mustard Farmers) इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा (Mustard Cultivation Income) प्राप्त कर रहे है. केंद्र सरकार ने भी इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400 रुपए की बढ़ोतरी कर दी है. सरसों की खेती कैसे की जाती है इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के जरिये आप तक पहुंचा रहे है तो इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक आखिर तक जरूर पढें. जाने Sarso ke Fayde
सरसों की खेती कैसे करें ? –Sarso Ki Kheti in Hindi
रबी की तिलहनी फसलों में सरसों की खेती (Mustard Farming) का एक प्रमुख स्थान है. सरसों की खेती अगर वैज्ञानिक तरीकों से की जाये तो बंपर पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा भी होगा. साथ ही फसल को कीटों व रोगों के प्रकोप से बचती है. कई प्रदेशों में सरसों को काला सोना के नाम से भी जाना जाता है. सरसों की कीमतों में लगातार बृद्धि होने से इसकी बुबाई भी अधिक हो रही है. सरसों की खेती काम पानी में अधिक पैदावार देती है. अच्छी कीमत और सरकार के प्रयासों की वजह से उम्मीद है कि आगामी रबी सीजन में सरसों का उत्पादन दुगुने से से भी अधिक हो सकता है.
सरसों की खेती की पूरी जानकारी – Mustard Farming in Hindi
सरसों की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
सरसों की फसल (Sarson ki fasal) को लिए ठंडी जलवायु जरुरत होती है. इसकी फसल के लिए औसत तापमान 26 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त होता है. सरसों की बुआई के समय तापमान 15 से 25 सेंटीग्रेड और कटाई के समय 25 से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
सरसों की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
सरसों की फसल (sarson ki fasal) के लिए जीवांशयुक्त दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी गई है. इसकी खेती के लिए 5.8 से 6.7 पीएच वाली भूमि होनी चाहियें. खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
सरसों की फसल के लिए खेत की तैयारी
- सरसों की फसल (sarson ki fasal) लगाने के लिए खेत को अच्छी तरह से 3-4 बार जुताई कर लें.
- पहली जुताई के वक्त 4-5 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर जुताई करें.
- सरसों की फसल के लिए मिट्टी को भुरभुरी बना लें.
- खरीफ फसल के बाद सरसों की फसल करनी है तो एक गहरी जुताई प्लाऊ के साथ करनी चाहिए.
- खेत में नमी संरक्षण के लिए पाटा लगाकर अच्छे से चलाएं.
- अंतिम जुताई के समय खेत में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर डालें.
- अच्छा उत्पादन प्राप्त लेने के लिए खेत में 2 से 3 किलोग्राम एजोटोबेक्टर व पीए.बी कल्चर की 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकल्चर के मिश्रण खेत में डालकर खेत की जुताई करें.
सरसों की उन्नत किस्में (Mustard Varieties )
सरसों की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में पीबीआर 357, आरजीएन 229, पूसा सरसों 29, पूसा सरसों 30, पीडीजेड 1, एलईएस 54, कोरल पीएसी 437, जीएससी-7 (गोभी सरसों), आर एच 30, टी 59 (वरूणा), पूसा बोल्ड:- आशीर्वाद (आर. के. 01से 03), अरावली (आर.एन.393), NRC HB 101, NRC DR 2, R.H-749, जे. एम.-1(जवाहर) जे. एम.-2, रोहिणी, वरूणा, पूसा गोल्ड, पूसा जय किसान किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
सरसों की बुआई के लिए बीज दर (Mustard Seeds)
सरसों की बुवाई के लिए शुष्क क्षेत्र में 4 से 5 कि.ग्रा तथा सिंचित क्षेत्र में 3- 4 कि. ग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है.
सरसों के बीज का उपचार
- जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए सरसों के बीज को बुवाई के पहले फफूंदनाशक बाबस्टीन वीटावैक्स, कैपटान, थिरम, प्रोवेक्स मे से कोई एक 3 से 5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.
- कीटो से बचाव के लिए ईमिडाक्लोरपीड 70 डब्लू पी, 10 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचरित करें.
- कीटनाशक उपचार के बाद मे एज़ेटोबॅक्टर तथा फॉस्फोरस घोलक जीवाणु खाद, दोनों की 5 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर बोएं.
सरसों की बुवाई (mustard sowing)
- सरसों की बुवाई के लिए 25 से 26 सेल्सियस तक तापमान उपयुक्त मना गया है.
- अक्टूबर से नवंबर माह के बीच सरसों की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है.
- सरसों के बीज की बुआई हैप्पी सीडर या जीरो टिल बेड प्लांटर का उपयोग कर सकते हैं.
- बीज पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 10-12 सेंटीमीटर से अधिक न रखें.
- सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 5 से.मी. तक रखें
सरसों की फसल में सिंचाई प्रक्रिया
सरसों की फसल (sarson ki fasal) में पहली सिंचाई 30-35 दिनों के बाद करे दें, दूसरी सिंचाई फसल फूल आने पर, कलियों के अच्छी विकास के लिए तथा तीसरी सिंचाई जब फली में दाने बनने के दौरान अवश्य कर देना चाहिए.
सरसों की खाद उर्वरक प्रबन्धन
सिंचित फसल के लिए 8 से १५ टन सड़ी गोबर, 175 किलो यूरिया, 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश एवम 200 किलो जिप्सम बुबाई से पहले खेत में डालें. यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के दौरान एवम शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत डालें.
असिंचित क्षेत्र में बारिश से पुर्व 4 से 5 टन सड़ी, 87 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट, 33 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुबाई के दौरान खेत में डाल दें.
खरपतवार नियंत्रण
सरसों की फसल में अनेक प्रकार के खरपतवार उग आते हैं. खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तीसरे सप्ताह के बाद निराई/गुड़ाई नियमित अन्तराल पर 2 से 3 बार करना आवश्यक होता है.
सरसों की फसल में लगने वाले कीट व रोग और उनका प्रबंधन
झुलसा रोग: इस रोग में पत्तियों और फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है. इस रोग से वचाव के लिए फसल बोने के 50 दिनों बाद रिडोमिल (0.25 प्रतिशत) का छिड़काव करें.
तना सड़न: इस रोग से ग्रसित सरसों के तनों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है. इस रोग से प्रभावित पौधे अंदर से खोखले हो जाते हैं. इसको किसान पोला रोग से जाना जाता है. इस रोग पर नियंत्रण के लिए बीज को बाविस्टीन से 3 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित कर बुआई करें.
आरा मक्खी कीट: यह कीट अक्टूबर से दिसंबर तक सरसों की फसल में नुकसान पहुँचता है. इससे वचाव के लिए डायमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर/हेक्टेयर या मेलाथियॉन 50 ई.सी की 500 मिलीलीटर. मात्रा/हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
सरसों की फसल की कटाई और भण्डारण (Mustard Harvesting)
सरसों की फलियाँ जब 75% सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल को काटकर, सुखाकर या मड़ाई करके सरसों के बीज को अलग कर लेना चाहिए. सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भण्डारण करना चाहिए.
सरसों की फसल से उत्पादन (Mustard Production)
असिंचित क्षेत्रों में इसकी पैदावार 20 से 25 कुन्तल तक तथा सिंचित क्षेत्रों में 25 से 30 कुन्तल प्रति हैक्टर तक उत्पादन (mustard yield) लिया जा सकता है.
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