Ragi ki Kheti (Ragi Farming): रागी की खेती (Ragi Cultivation)मोटे अनाजों की खेती में विशेष स्थान है. रागी (Finger Millet) को मडुआ, अफ्रीकन रागी, फिंगर बाजरा और लाल बाजरा आदि नामों से जाना जाता है. अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में रागी की खेती मुख्य फसल के रूप में की जाती है. इसके पौधे करीब एक से डेढ़ मीटर तक की ऊंचाई प्राप्त कर लेते है. मडुआ की खेती (Finger Millet Farming) तमिलनाडु, कर्नाटक, ओड़िशा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड, आंध्रप्रदेश, बिहार राज्यों में की जाती है. इस आर्टिकल के जरिये रागी (मडुआ) की खेती कैसे करें (Ragi Farming in Hindi) तथा रागी की उन्नत किस्में कौन सी है, इसके बारे में बताया जा रहा है. जाने Ragi ke Fayde

रागी की खेती – Ragi ki Kheti
रागी (Ragi) को भारत में करीब 4000 साल पहले लाया गया था जब से भारत में इसकी खेत हो रही है. इसको शुष्क मौसम में उगाया जाता है. इसमें सूखे को बर्दाश्त करने की क्षमता के साथ सामान्य जल भराव को बर्दाश्त करने की क्षमता होती है. रागी कैसे उगाई जाती है? इसकी सम्पूर्ण जानकरी नीचे दी गई है.
रागी की खेती की पूरी जानकारी – Ragi Farming in Hindi
रागी की खेती कैसे की जाती है, रागी की बुवाई कब की जाती है, इसकी उन्नत किस्में और इसके उपयुक्त जलवायु आदि की सम्पूर्ण जानकारी इस लेख द्वारा दी जा रही इसको पढ़कर किसान रागी की उन्नत खेती बड़ी आसानी से कर सकते है.
जलवायु
रागी की खेती (Finger Millet Cultivation) के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. इसे सूखा सहन करने की क्षमता होती है. रागी की खेती 50 से 90 सें.मी. वर्षा उपयुक्त होती है. इसको उचाई वाले क्षेत्रों पर उगाया जाता है.
उपयुक्त मिट्टी
रागी सभी प्रकार की भूमि में हो जाती है. परन्तु कार्बनिक पदार्थों से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी को बढ़िया माना गया है. उचित जल निकासी वाली काली मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है. इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 से 8 के मध्य होना चाहिए.
खेत की तैयारी
रागी की फसलों (ragi crop) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये. आवश्यकतानुसार गोबर की खाद डालकर खेत की जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने के बाद फिर से 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर करे. आखिर में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को बिजाई के लिए समतल कर लें.
रागी की उन्नत किस्में
बाजार में रागी की उन्नत किस्म बहुत मिल जाएँगी. कुछ किस्में है जो कम समय में अधिक पैदावार देती है. जिनमें जेएनआर 852, जीपीयू 45, चिलिका , जेएनआर 1008, पीइएस 400, वीएल 149, आरएच 374 आदि उन्नत वैरायटी है. इनके अलावा भी और अन्य उन्नत किस्में है ई.सी. 4840, निर्मल, पंत रागी-3 (विक्रम) आदि.
बीज की दर और उपचार
बीज की मात्रा बुवाई की विधि पर निर्भर करती है. यदि रागी की बुवाई ड्रिल विधि से की जाएगी तो बीज की मात्रा 10 -12 किलो प्रति हेक्टेयर की दर आवश्यकता होगी. छिडक़ाव विधि से बोने के लिए बीज की मात्रा 5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से लगता है. बीज को उपचारित करने के लिए थीरम, बाविस्टीन या फिर कैप्टन दवा उपयोग करें.
बुवाई का समय
रागी की बुवाई मई के आखिर से जून तक काफी भी कर सकते है. कुछ क्षेत्र ऐसे है जहाँ रागी की बुवाई जून के बाद की जाती है. इसको जायद के सीजन में भी उगाया जा सकता है.
बीज बुवाई का तरीका और समय
रागी को छिड़काव और ड्रिल दोनों तरीकों से बोया जा सकता है. छिड़काव विधि से बीज की डायरेक्ट खेत में छिड़ दिया जाता है. उसके बाद बीज को मिट्टी में मिलाने के लिए कल्टीवेटर से दो बार हल्की आदि जुताई कर पाटा लगा दें. रागी की बिजाई मशीनों द्वारा कतारों में की जाती है. बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी एक फीट होनी चाहिए और बीज से बीज की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
फसल की सिंचाई
इसकी फसल (ragi crop) के लिए अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है. अगर वर्षा सही समय पर नहीं हुई तो बुवाई के एक महीने के बाद फसल की सिचाई करें. फसल पर फूल और दाने आने पर पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है. सामान्यतः 10 से 15 दिन के अंतर पर फसल की सिचाई करें.
खाद एवं उर्वरक
रागी की फसल के लिए 40 से 45 कि.ग्रा. नाइट्रोजन एवं 30-40 कि.ग्रा., फॉस्फोरस तथा 20-30 कि.ग्रा. पोटाश/हैक्टर की दर जरुरत पड़ती है. सभी खादों का मिश्रण बनाकर बुवाई के समय खेत में डालें. रागी की फसल से अच्छी पैदावार लेनी है तो बुवाई से पहले गोबर की खाद डालें.
खरपतवार नियंत्रण
रागी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित समय निराई गुड़ाई करते रहे. रागी की बुवाई के करीब 20-25 दिन बाद पहली निराई करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए रागी की बुवाई से पहले आइसोप्रोट्यूरॉन या ऑक्सीफ्लोरफेन की उचित मात्रा का छिड़काव करें.
फसल की कटाई
रागी की कटाई उसकी किस्मों पर निर्भर करती है. सामान्यतः फसल तक़रीबन 115-120 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. रागी की बालियों को दराती से काट कर ढेर बनाकर धुप में 3-4 दिनों के लिए सुखाएं. अच्छी तरह से सूखने के बाद थ्रेशिंग करें.
पैदावार और लाभ
रागी की फसल से औसतन पैदावार 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है. जिसका बाजार भाव करीब 3000 रूपये प्रति क्विंटल के आसपास मिल जाता है. इस हिसाब किसानो को 75 हजार रूपये तक की कमाई हो सकती है.
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