Onion Cultivation: प्याज एक ऐसी सब्जी है जिसको गरीब से लेकर अमीर तक सभी लोग सलाद के रूप में खाना पसंद करते है. प्याज सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत का ख्याल रखने में पीछे नहीं है क्योकि प्याज में कई औषधीय गुण मौजूद होते है, यही वजह है कि प्याज की मांग देश स्तर पर ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े पैमाने पर इसकी मांग पूरे साल रहती है. ऐसे में प्याज की खेती करना किसानो के लिए फायेमंद साबित हो सकती है. प्याज की खेती खरीफ और रबी दोनों सीजन में करके देश के किसान तगड़ा मुनाफा कमा सकते है. अगर आप प्याज की खेती करने का मन बना रहे है तो आपको मौसम, मिट्टी, प्याज की किस्म, जुताई का समय और प्याज की खुदाई के जुडी नीचे दी गई बातों का ख्याल रखना होगा.
भारत में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है, महाराष्ट्र के नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा जिलों में सर्वधिक प्याज का उत्पादन किया जाता है. नासिक की प्याज तो विश्वस्तरीय प्रसिद्ध है. अकेला महाराष्ट्र देश का 37% प्याज का उत्पादन करता है. इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में भी प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. महाराष्ट्र के किसान प्याज की तीन फसल लेते है. अर्ली खरीफ, खरीफ और रबी सीजन की. प्याज की खेती कैसे करे? इस प्रश्न का जवाब हम इस आर्टिकल के द्वारा देने जा रहे है.
प्याज की खेती (Pyaj ki kheti)
प्याज को अंग्रेजी में अनियन (Onion) कहते है, प्याज खाने के अलावा अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने के लिए उपयोग में लाई जाती है. इसकी मांग को देखते हुए भारत में प्याज की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है जो व्यापक रूप से भारत किसान कर रहे है और अच्छा मुनाफा कमा रहे है. वर्तमान में किसान हाइब्रिड प्याज की खेती (Hybrid onion cultivation) करके अच्छी कमाई कर रहे है. अगर आपको भी प्याज की खेती करनी है तो यहां पर पूरी जानकारी दी गई है.
प्याज की उन्नत खेती कब और कैसे करें?
गर्मी में प्याज की खेती, प्याज की खेती pdf, प्याज की खेती में कौन सा खाद डालें, प्याज की खेती कब और कैसे करें, एक एकड़ में प्याज का उत्पादन, प्याज की खेती उत्तर प्रदेश, प्याज फुलाने की दवा, प्याज की खेती कितने दिन में होती है, प्याज की खेती कैसे करें (pyaj ki kheti kaise karen), प्याज की वैज्ञानिक खेती , रबी प्याज की उन्नत खेती, खरीब प्याज की उन्नत खेती आदि सवालों के लिए नीचे दी गई जानकरी को अवश्य पढ़ें.
प्याज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सर्द एवं गर्म दोनों मौसम प्याज की खेती (Pyaj ki Kheti) के लिए उपयुक्त माने जाते है. फसल के अच्छे विकास हेतु 13-24 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला फसल के लिए हानिकारक हो सकता है.
प्याज की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी
सामान्यतः तौर पर प्याज की खेती (Onion Farming) सभी तरह की मिट्टी में हो जाती है. लेकिन उचित जल निकासी एवं 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली लाल दोमट और काली मिट्टी प्याज की उन्नत खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है.
प्याज की खेती का सही समय
प्याज की खेती से अच्छा उत्पादन एवं लाभ प्राप्त करने के लिए सही समय का विशेष ध्यान रखना होगा जिसकी जानकारी नीचे दी गई है.
- खरीफ सीजन में प्याज की खेती :- खरीफ सीजन में प्याज की बुवाई/रोपाई अगस्त और सितंबर महीने के प्रथम सप्ताह में कर सकते है. जिसकी उपज दिसंबर और जनवरी के बीच प्राप्त हो जाती.
- रबी सीजन में प्याज की खेती :- अगर आप रबी सीजन में प्याज की खेती करना चाहते है वे किसान जनवरी से फरवरी महीने में रोपाई कर सकते है.
प्याज की फसल के लिए कैसे तैयार करें भूमि
प्याज की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत की गहरी जुताई कर कुछ समय के लिए खेत को खुला छोड़ दे. उसके बाद 300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाव से पुरानी गोबर की खाद खेत में डालें. बुवाई / रोपाई से पहले खेती की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें.
अच्छी पैदावार के लिए खेत में डालें ये खाद
खेत की अंतिम जुताई के समय 40 kg नाइट्रोजन , 20 Kg पोटाश, 20 Kg सल्फर की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब डालें.
ये हैं प्याज की उन्नत किस्में
प्याज की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए प्याज की उन्नत किस्मो का चयन करना बेहद आवश्यक है, प्याज की उन्नत किस्मो इस प्रकार है-
- रबी मौसम के लिए प्याज की किस्में – एग्रीफाउण्ड लाईट रेड, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, अर्का कल्याण, अर्का निकेतन, पूसा साध्वी, पटना रेड, पूसा रेड, एन.- 53, नासिक रेड, बसन्त, पूना रेड, भीम रेड, भीमा सुपर आदि प्रमुख प्रजातियां है.
- खरीफ मौसम के लिए प्याज की किस्में – अर्को लालिमा, अर्का पीताम्बर, अर्का कीर्तिमान, एन.- 53, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, बसन्त आदि प्रमुख प्रजातियां है.
- लाल रंग की प्याज की किस्में – भीमा लाल, भीमा गहरा लाल, भीमा सुपर, हिसार- 2, पंजाब लाल गोल, पंजाब चयन, पटना लाल, नासिक लाल, लाल ग्लोब, बेलारी लाल, पूना लाल, पूसा लाल, पूसा रतनार, अर्का निकेतन, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, कल्याणपुर लाल और एल- 2-4-1 आदि प्रमुख प्रजातियां है.
- पीले रंग वाली प्याज की किस्में- आई आई एच आर पिली, अर्का पीताम्बर, अर्ली ग्रेनो और येलो ग्लोब आदि प्रजातियां है.
- सफेद रंग वाली प्याज की किस्में – भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफ़ेद, सफ़ेद ग्लोब, पूसा व्हाईट राउंड, पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1 और पूसा राउंड फ़्लैट आदि प्रमुख प्रजातियां है.
- प्याज की संकर किस्में- एक्स कैलिवर, बर्र गंधी, कोपी मोरेन और रोजी समा आदि है.
प्याज की बुआई का तरीका
किसान भाई प्याज की बुआई तीन प्रकार से कर सकते है. जिसकी जानकारी इस प्रकार है-
- प्याज की नर्सरी :- यह सबसे प्रचलित और सुरक्षित तरीका है जिसके तहत प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
- गांठ से प्याज लगाना :- छोटे प्याज की गांठों को अप्रैल-मई में लगाई जाती है. 12-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गाठों की आवश्यकता होती है.
- सीधी बुवाई :- इस विधि में बुलाई मिट्टी के साथ बीज मिलकर खेत में छिड़कें.
प्याज की नर्सरी डालने का समय
खरीफ की फसल (Kharif Onion Farming) के प्याज की नर्सरी जून महीने में डाली जाती है. जबकि रबी के मौसम की फसल (Rabi Onion Farming) के लिए अक्टूबर से नवम्बर में प्याज की नर्सरी की बुवाई की जा सकती है.
प्याज के बीज की मात्रा
रबी सीजन के प्याज की खेती के लिए प्रति हेक्टर 8 से 10 किलो बीज की जरुरत होती है. जबकि खरीफ सीजन में प्याज की खेती के लिए 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की जरुरत होती हैं.
कैसे तैयार करें प्याज की नर्सरी
प्याज की नर्सरी डालने के लिए सबसे पहले 1 से 1.25 मीटर चौड़ा, 10 से15 सेमी ऊँचा तथा सुविधानुसार लम्बाई रखते हुए नर्सरी बेड तैयार करें. नर्सरी बेड या क्यारियों के बीच 70 सेमी की दूरी बनाए रखें. जानकारी के लिए बता दें, एक एकड़ प्याज की खेती के लिए लगभग 200 वर्ग मीटर नर्सरी बेड की आवश्यकता होती है. आखिर जुताई के समय 200 किलोग्राम गोबर की खाद को 2 लीटर ट्राइकोडर्मा हरजेनियम के साथ मिलाकर नर्सरी क्षेत्र में प्रयोग करें. जिससे प्याज की नर्सरी में डैंपिंग ऑफ, कॉलर सड़न जड़ सड़न और अन्य मृदा जनित रोगों को नियंत्रण करने में मदद मिल सकेगी. पौधशाला को रोगों से बचाने के लिए मिट्टी को कवकनाशी थाईरम या कैप्टान आदि से उपचारित कर लेना चाहिए.
प्याज के बीजों को 5 -7.5 सेमी की दूरी और 1 सेमी की गहराई रखते हुए नर्सरी में लगाएं. बीज की बुबाई के तुरंत बाद नर्सरी बेड या क्यारियों की फव्वारे से हल्की सिंचाई करें तथा पर्याप्त नमी और तापमान बनाए रखने के लिए नर्सरी बेड को धान के पुआल या सफेद पॉलिथीन से ढक दे. बीज अंकुरित हो जाने के बाद धान के पुआल या सफेद पॉलिथीन को हटा दें. आर्द्रगलन रोग से रोकने के लिए नर्सरी बेड या क्यारियों को कार्बेन्डाजिम 50% WP 0.5 – 0.75 ग्राम/लीटर पानी से छिड़काव करें. अगर नर्सरी में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दे, तो बुवाई के 10-12 दिन बाद 0.5 किग्रा प्रति बेड के हिसाब से 15:15:15 (NPK) का प्रयोग के सकते है या फिर अपने क्षेत्र के कृषि एक्सपर्ट से सलाह ले सकते है.इस प्रकार से प्याज की खरीफ फसल के लिए 6 से 7 सप्ताह में तथा रबी की खेती के लिए 7 से 8 सप्ताह में प्याज की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है.
पौध की रोपाई का समय
एक्सपर्ट्स की मानें तो खरीफ के मौसम में प्याज की रोपाई के लिए अगस्त महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. जबकि रबी के मौसम प्याज की रोपाई के लिए दिसम्बर से 15 जनवरी तक का समय उत्तम मना गया है.
पौध की रोपाई का तरीका
पौध की रोपाई के लिए कतारों की दूरी 15 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखे. पौध की रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है नहीं तो फसल में हानि हो सकती है. खरीफ में प्याज रोपाई के लिए ऊँची उठी क्यारियाँ बनानी चाहिए. रोपाई से पूर्व पौधे की जड़ों को 0.1 प्रतिशत कारबेन्डाजिम + 0.1 प्रतिशत मोनोक्रोटोफॉस के घोल में डूबोकर लगाने से पौधे स्वस्थ रहते है.
प्याज की सिंचाई
रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. सर्दियों में फसल की सिचाई करीब 8 से 10 दिन के अंतराल पर तथा गर्मी में प्रति सप्ताह सिंचाई की जरुरत होती है. जिस समय प्याज का कंद बढ़ रहा होता है उस समय सिंचाई का विशेष ध्यान रखान चाहि. अगर खेत में पानी की कमी रहेगी तो कंद अच्छी तरह से नहीं बढ़ पायेगा और इसका असर प्याज के उत्पादन पर पद सकता है. प्याज की फसल के लिए ड्रिप द्वारा सिंचाई कर सकते है.
प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण
अच्छी पैदावर के लिए प्याज के खेत की देखभाल करना बेहद आवश्यक है, क्योकि खरपतवार फसल को बर्बाद कर देते हैं. प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल की 3 से 4 बार नराई / गुड़ाई कर देनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी का भी प्रयोग कर सकते है
प्याज में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम
- थ्रिप्स:- प्याज के पौधों में इस रोग का प्रकोप बहुत अधिक दिखाई देता है. यह कीट बेहद छोटा पीले रंग का होता है जो पत्तियों का रस चूस लेता जिसकी वजह पौधों पर सफ़ेद रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है. रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर इमीडाक्लोप्रि कीटनाशक 17.8 एस.एल. का छिड़काव करना चाहिए.
- पौध गलन रोग: इस रोग का प्रकोप अक्सर पौध रोपाई के बाद देखने को मिलता है. इस रोग से ग्रसित पौधे शुरआत में ही पीले पड़कर गलने लगते है तथा रोग का प्रभाव अधिक होने पर पौधा पूरी तरह से ख़राब हो जाता है. रोकथाम – इस रोग से ग्रसित फसल के बचाव हेतु थीरम की 0.2% मात्रा से पौधों को रोपाई से पहले उपचारित कर लेना चाहिए.
- जड़ सडन रोग: इस रोग से पौधों की जड़ों में गलन आ जाती है इससे जड़े हल्की गुलाबी रंग की दिखाई देने लगती है. इस रोग से ग्रसित पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है. रोकथाम – कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर कार सकते है.
- तुलासिता- पत्तियों के निचले हिस्सों में सफेद रुई जैसी फफुद आ जाती है. रोकथाम – 2 ग्राम मेन्कोजेब या जाइनेब प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए
- पर्पल लीफ ब्लोच- फसल में इस रोग की रोकथाम के लिए 2 किलोग्राम कापर आक्सीक्लोराइड का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें, साथ में 3 ग्राम एंडोसल्फान प्रति लीटर में मिलाकर छिड़काव करे.
- प्याज में जलेबी रोगयह प्याज का सबसे घातक रोग है. यह फसल में बहुत तेज़ी से फैलता है. इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां को मुड़कर विकृत रूप धारण कर लेती है. जिससे प्याज का उत्पादन काफी प्रभावित होता है.
प्याज की खुदाई (Harvesting Onion)
जब पौधों के तने सूखकर पीछे मुड़ने लगे तब प्याज के कंदों को खुरपी की सहायता से उखाड़ लेना चाहिए. प्याज की गाँठ सहित पौधों को तीन-चार सप्ताह तक छाया में सूखने के लिए रख दें.
प्याज की खेती से पैदावार
प्याज की खेती करने पर खरीफ में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर औसत उत्पादन हो जाता है और रबी में 350 -450 क्विंटल प्रति हेक्टर प्याज के कंदों की पैदावार हो जाती है.
प्याज की खुदाई (Harvesting Onion)
जब पौधों के तने सूखकर पीछे मुड़ने लगे तब प्याज के कंदों को खुरपी की सहायता से उखाड़ लेना चाहिए. प्याज की गाँठ सहित पौधों को तीन-चार सप्ताह तक छाया में सूखने के लिए रख दें.
प्याज की खेती से पैदावार
प्याज की खेती करने पर खरीफ में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर औसत उत्पादन हो जाता है और रबी में 350 -450 क्विंटल प्रति हेक्टर प्याज के कंदों की पैदावार हो जाती है.
ऐसे करें प्याज का भंडारण
यदि अधिक दिनों तक प्याज का भंडारण के लिए शीतगृहों का उपयोग कर सकते है. अगर आप प्याज के कंदों का भंडारण अपने घर पर करना चाहते है तो प्याज के कंदों को डंठल सहित अच्छी तरह सूखाकर हवादार जगह पर दीवार या रस्सी के सहारे टांगकर रखने से प्याज अधिक समय तक सुरक्षित रह सकती है. प्याज को अनुकरण से बचाने के लिए मैलिक हाइड्राजाइड नामक रासायनिक दवा का (1000 से 1500 पी.पी.एम.) छिड़काव कर सकते हैं.
प्याज की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि प्याज की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Onion) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.