Pyaj ki Kheti (Onion Farming): प्याज की खेती (Onion Cultivation) रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. भारत में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है. प्याज उत्पादन में मध्य प्रदेश का दूसरा नंबर है. यहाँ देश की लगभग 40 फीसदी प्याज का उत्पादन होता है. महाराष्ट्र के किसान प्याज की तीन फसल लेते है. अर्ली खरीफ, खरीफ और रबी सीजन की. प्याज की खेती कैसे करे? इस प्रश्न का जवाब हम इस आर्टिकल के द्वारा देने जा रहे है.

प्याज की खेती की पूरी जानकारी – Onion Farming in Hindi
प्याज की खेती (Onion Cultivation) के लिए आवश्यक जलवायु
सर्द और गर्म दोनों ही मौसम में प्याज की खेती (Pyaj ki Kheti) की जा सकती है. प्याज की फसल के लिए 13-24 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना गया है इस तापमान में फसल की ग्रोथ अच्छी होती है. इसके बीज अंकुरण के लिए 20-30° सेंटीग्रेड तापमान और फसल वृद्धि के लिए 13-23°सैंटीग्रेड तापमान तथा 15-25 °सेंटीग्रेड इसके कांड कन्द बनने की प्रक्रिया के लिए अनुकूल होता है. इसके लिए 50-80 सेंटीमीटर बारिश की जरूत होती है. सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला फसल के लिए हानिकारक होता है. प्याज फसल को प्रतिकूल जलवायु न मिलने पर उपज पर भारी प्रभाव पड़ता है.
प्याज की खेती (Onion ki Kheti) के लिए जरुरी मिट्टी
वैसे तो प्याज की खेती (Onion Farming) पुरे भारत वर्ष में कही भी जा सकती है. लेकिन 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली लाल दोमट और काली मिट्टी प्याज की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है.
प्याज की खेती का सही समय – Right time for onion cultivation.
किसान भाई प्याज की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में कर सकते है.
खरीफ सीजन – इस सीजन के लिए प्याज की बुवाई/रोपाई अगस्त और सितंबर महीने के प्रारंभिक सप्ताह में कर सकते है. जो दिसंबर और जनवरी के बीच आ जाती है
रबी सीजन – यदि किसान रवि के सीजन में इसकी खेती करना चाहते है तो वे जनवरी से फरवरी में प्याज की रोपाई कर सकते है. रबी मौसम में प्याज की खेती करना काफी उत्तम समय होता है.
प्याज की फसल के लिए भूमि कैसे तैयार करें
- प्याज की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत की चार से पांच बार गहरी जुताई कर कुछ समय के लिए खेत को खुला छोड़ दे.
- रोपाई से 20 से 30 दिन पहले 300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाव से पुरानी गोबर की खाद खेत में डालें.
- खेत को पानी से भर दें यानि (पलेव करें)
- पलेव करने के बाद खेत की ऊपरी सतह सूखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर से अच्छे से जुताई कर खेत की मिटटी को भुरभुरी बना लें.
खाद और उर्वरक
खेत की अंतिम जुताई के समय नाइट्रोजन 40 KG, पोटाश 20 KG, सल्फर 20 KG की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालकर जुताई करें.
प्याज की उन्नत किस्में
रबी मौसम- एग्रीफाउण्ड लाईट रेड, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, अर्का कल्याण, अर्का निकेतन, पूसा साध्वी, पटना रेड, पूसा रेड, एन.- 53, नासिक रेड, बसन्त, पूना रेड, भीम रेड, भीमा सुपर आदि प्रमुख प्रजातियां है.
खरीफ मौसम- अर्को लालिमा, अर्का पीताम्बर, अर्का कीर्तिमान, एन.- 53, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, बसन्त आदि प्रमुख प्रजातियां है.
लाल रंग कि किस्में- भीमा लाल, भीमा गहरा लाल, भीमा सुपर, हिसार- 2, पंजाब लाल गोल, पंजाब चयन, पटना लाल, नासिक लाल, लाल ग्लोब, बेलारी लाल, पूना लाल, पूसा लाल, पूसा रतनार, अर्का निकेतन, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, कल्याणपुर लाल और एल- 2-4-1 आदि प्रमुख प्रजातियां है.
पीले रंग वाली किस्में- आई आई एच आर पिली, अर्का पीताम्बर, अर्ली ग्रेनो और येलो ग्लोब आदि प्रमुख प्रजातियां है.
सफेद रंग वाली किस्में- भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफ़ेद, सफ़ेद ग्लोब, पूसा व्हाईट राउंड, पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1 और पूसा राउंड फ़्लैट आदि प्रमुख प्रजातियां है.
संकर किस्में- एक्स कैलिवर, बर्र गंधी, कोपी मोरेन और रोजी समा आदि है.
Note- आप अपनी जगह के हिसाब से प्याज की उन्नत किस्में चुने
प्याज की बुआई
प्याज की बुआई तीन प्रकार से कर सकते है.
1. सीधे बीज डालकर: इस विधि को बलुआही मिट्टी में यूज़ करते है. इस विधि के लिए खेत को अच्छे तैयार कर बीज खेत में छोड़ देते हैं.
2.गांठों से प्याज लगाना: छोटे प्याज के गांठों को अप्रैल-मई में लगायी जाती है. 12-14 क्विंटल प्रति हें. के हिसाब से ये गाँठ लगती है.
3. पौधशाला : यह सबसे प्रचलित विधि है जिसके द्वारा प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
प्याज की नर्सरी का समय
बोआई का समय – खरीफ की फसल के लिए प्याज की नर्सरी जून महीने की जाती है. रबी प्याज के लिए मध्य अक्टूबर से नवम्बर में बोआई की जाती है
बीज की मात्रा- रबी में प्रति हेक्टर रोपाई के लिए 8 से 10 किलो बीज की जरुरत होती है. जबकि खरीफ में 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की जरुरत होती हैं.
प्याज की पौधा तैयार करना
प्याज के बीज को ऊँची उठी हुई क्यारियों पर ही बोना चाहिए. क्यारियों की चौड़ाई 1 से 1.25 मीटर और लम्बाई सुविधानुसार रख सकते है. वैसे 3 से 5 मीटर लम्बी क्यारियाँ ही सुविधाजनक होती. एक हेक्टेयर खेत में रोपाई के लिए 70 क्यारियाँ (1.0 X 5.0 मीटर आकार की) पर्याप्ति होती है. पौधशाला को रोगों से बचाने के लिए मिट्टी को कवकनाशी थाईरम या कैप्टान आदि से उपचारित कर लेना चाहिए. 2 से 3 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त होती है
पौधशाला वाली जगह को उपचारित करने के लिए 4 से 5 ग्राम दवा प्रति वर्ग मीटर भूमि के लिए आवश्यक है. पौधशाला वाली जगह को 15 से 20 दिन पहले पानी देकर सफेद पॉलिथीन से ढककर सौरियकरण’ या बोआई के पहले ट्रायकोडर्मा विरिडी कवक से उपचारित करें. जिससे पौध में आर्द्रगलन कम होती है. बीज को 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोना चाहिए. बीज की बोआई के बाद सड़ी व छनी हुई गोबर की खाद या मिट्टी से आधा सेंटीमीटर तक बीज को पूर्णतया ढक दे.
बीज बुबाई के बाद क्यारियों की फव्वारे से हल्की सिंचाई और सूखी घास से ढक दे. जब बीज अच्छी तरह अंकुरित हो जाए तो घास को हटा देना चाहिए. फव्वारे से क्यारियों की हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए. इस प्रकार से खरीफ में 6 से 7 सप्ताह में तथा रबी में 8 से 9 सप्ताह में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है
पौध की रोपाई
रोपाई का समय – खरीफ मौसम में प्याज की रोपाई अगस्त महीने में करते हैं और रबी के मौसम में प्याज की रोपाई दिसम्बर से 15 जनवरी तक सकते है.
रोपाई की दूरी- पौध की रोपाई के लिए कतारों की दूरी 15 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखे.
पौध रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है. नहीं तो फसल में हानि हो सकती है. खरीफ में प्याज रोपाई के लिए ऊँची उठी क्यारियाँ बनानी चाहिए. रोपाई से पूर्व पौधे की जड़ों को 0.1 प्रतिशत कारबेन्डाजिम + 0.1 प्रतिशत मोनोक्रोटोफॉस के घोल में डूबोकर लगाने से पौधे स्वस्थ रहते है
प्याज के पौधों की सिंचाई (Onion Plants Irrigation)
नर्सरी रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. सर्दी में सिचाई करीब 8 से 10 दिन के अंतराल में कर देनी चाहिए तथा गर्मी में प्रति सप्ताह सिंचाई की जरुरत होती है. जिस समय प्याज का कंद बढ़ रहह हो उस समय सिंचाई जल्दी करते रहना चाहिए. अगर पानी की कमी रहेगी तो कंद अच्छी तरह से नहीं बढ़ पायेगा. जैसी वजह से प्याज के उत्पादन पर असर पड़ेगा. प्याज फसल के लिए ड्रिप द्वारा सिंचाई उत्तम मानी गई है.
प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Onion Crop Weed Control)
अपेक्षाकृत प्याज के पौधे की जड़े ज़्यदा गहराई तक नहीं जाती है. इसलिए इसकी गुड़ाई अधिक गहराई तक नहीं करनी चाहिए. फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए 3 से 4 बार खरपतवार निकलना अत्यंत आवश्यक होता है.खरपतवारनाशी का भी प्रयोग कर सकते है. पेंडीमेथिलीन 3.5 लीटर प्रति हेक्टर रोपाई के तीन दिन बाद तक 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से खरपतवारों का अंकुरण नही होता है.खरपतवार नाशक दबा डालने के बाद भी 40 से 45 दिनों के बाद एक निराई-गुड़ाई आवश्यक है.
प्याज के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Onion Plants Diseases and Their Prevention)
थ्रिप्स:- प्याज के पौधों में यह रोग आक्रमण रूप से फैलता है. यह कीट पत्तियों का रस चूस लेता जिसकी वजह से
पौधों पर सफ़ेद रंग का धब्बा दिखाई देने लगता है.यह कीट बहुत सूक्ष्म होता है जो देखने में पीले रंग का होता है. इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर इमीडाक्लोप्रि कीटनाशक 17.8 एस.एल. का छिड़काव करना चाहिए.
पौध गलन रोग: इस रोग का प्रकोप अक्सर पौध रोपाई के बाद देखने को मिलता है. इस रोग से ग्रसित पौधे आरम्भ में भी पीले पड़कर गलने लगते है तथा रोग का प्रभाव अधिक होने पर पौधा पूरी तरह से ख़राब हो जाता है. इस रोग से ग्रसित फसल के बचाव के लिए थीरम की 0.2% मात्रा से पौधों को रोपाई से पहले उपचारित कर लेना चाहिए.
जड़ सडन रोग:-इस रोग से पौधों की जड़ों में गलन आ जाती है. इससे पौधे की जड़े हल्की गुलाबी रंग की दिखाई देने लगती है. जिसकी वजह से पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है. इस रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा की छिड़काव पौधों पर किया जाता है.
तुलासिता- पत्तियों के निचले हिस्सों में सफेद रुई जैसे फफुद आ जाता. इसके रोकथाम के लिए 2 ग्राम मेन्कोजेब या जाइनेब प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए|
पर्पल लीफ ब्लोच- फसल में इस रोग की रोकथाम के लिए 2 किलोग्राम कापर आक्सीक्लोराइड का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें, साथ में 3 ग्राम एंडोसल्फान प्रति लीटर में मिलाकर छिड़काव करे.
प्याज में जलेबी रोगयह प्याज का सबसे घातक रोग है. यह फसल में बहुत तेज़ी से फैलता है. इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां को मुड़कर विकृत रूप धारण कर लेती है. जिससे प्याज का उत्पादन काफी प्रभावित होता है.
प्याज की खुदाई (Onion Harvesting)
जब पौधों के तने सूखने लगे और सूखकर तना पीछे मुड़ने लगे तब प्याज के कंदों को खुरपी की सहायता से उखाड़ना चाहिए. गाँठ सहित पौधों को तीन-चार सप्ताह तक छाया में जरूर सूखा लें.
प्याज की खेती से पैदावार – Yield from Onion Cultivation
प्याज की खेती करने पर खरीफ में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर औसत उत्पादन हो जाता है, और रबी में 350 -450 क्विंटल प्रति हेक्टर प्याज के कंदों की पैदावार हो जाती है.
ऐसे करें प्याज का भंडारण
यदि अधिक दिन तक भंडारण के लिए शीतगृहों का उपयोग करें. अगर आप इसका भंडारण अपने घर में कर रहे है तो प्याज के कंदों को अच्छी तरह सूखाकर प्याज को डंठल सहित भंडारण करें. भंडारण वाली जगह हवादार होनी चाहिए. प्याज को बंडल बनाकर दीवार या रस्सी के सहारे टांगकर रखने से प्याज अधिक समय तक सुरक्षित रहती है. इसे अनुकरण से बचाने के लिए मैलिक हाइड्राजाइड नामक रासायनिक दवा का (1000 से 1500 पी.पी.एम.) छिड़काव कर सकते हैं.
प्याज की खेती में लागत और कमाई – Cost and earning in onion cultivation
प्याज की खेती (pyaj ki kheti) अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. मंहगाई के समय प्याज लोगों को रुला देती है. इसकी खेती में लागत की बात करें तो प्याज की खेती (onion ki kheti) में 50 हजार से 1 लाख रुपये तक का खर्च आ जाता. इस खेती से आप प्रति फसल 1.5 से 2 लाख रूपए आसानी से कमा सकते हैं.
प्याज की खेती पर एक नज़र
- महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान इसके बड़े उत्पादक प्रदेश हैं.
- देश में सालाना प्याज उत्पादन औसतन 2.25 से 2.50 करोड़ मीट्रिक टन के बीच होता है
- प्रत्येक वर्ष कम से कम 1.5 करोड़ मीट्रिक टन प्याज का निर्यात होता है.
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