Pumpkin Cultivation : कद्दू की खेती भारतीय किसानों के बीच बहुत ही प्रचलित है क्योकि यह कम लगत, कम समय और कम मेहनत में बहुत जल्दी तैयार होने वाली फसल है. इलसिए बेहतर मुनाफे के लिये कृषि विशेषज्ञों द्वारा कद्दू की व्यावसायिक खेती करने की सलाह दी जाती है. अगर आप भी कद्दू की खेती (Pumpkin Farming) से अच्छा मुनाफा कमाने की सोच रहे है तो उसके लिए उन्नत किस्मों एवं कद्दू की बुवाई के समय के बारे में जानना बेहद आवश्यक है. चलिए जानते हैं भारत में कौन सी कद्दू की किस्मों है जिनकी खेती करने से बेहतर पैदावार मिलती है और इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
असाम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा तथा उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के किसानो के लिए कद्दू की खेती (Kaddu ki Kheti) अच्छी कमाई का साधन बन रही है. कद्दू उत्पादन में भारत का दूसरा नंबर है. आज, हम लाभदायक कद्दू की खेती की तकनीक, रोपण विधि, कद्दू के पौधे की देखभाल, कद्दू की खेती कैसे की जाती है और कद्दू की कटाई प्रक्रिया के विषय में जानेंगे.
कद्दू की खेती (Kaddu ki Kheti)
कद्दू को अंग्रेजी में Pumpkin कहते है, इसके अलावा कद्दू को सीताफल, काशीफल, कोला, कोयला, कुम्हड़ा, कोडू पेठा और कोहड़ नाम से भी जाना जाता है. कद्दू की सब्जी को भारतीय लोग बड़े चाव से खाते है. सब्जी धार्मिक अनुष्ठानो में काशीफल की सब्जी भारी मात्रा में बनाई जाती है. कद्दू का उपयोग सब्जी के अलावा बिभ्भिन प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है. कद्दू विटामिन ए और पोटाशियम का अच्छा स्रोत मना जाता है जो शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है. कद्दू के साथ साथ इसके बीजो का सेवन डिप्रेशन दूर और इम्यून सिस्टम बढ़ाने में भी मददगार साबित होते है. इसी वजह से कद्दू की मांग दिन प्रति दिन बढ़ रही है. अगर किसान अपनी आय का स्रोत बनाने के लिए कद्दू की खेती करना चाहते है, इससे बेहतर कोई और विकल्प नहीं हो सकता है.
कद्दू की उन्नत खेती कब और कैसे करें
कद्दू की खेती कितने दिन की होती है, कद्दू की खेती कैसे होती है, गर्मियों में कद्दू की खेती, बरसात में कद्दू की खेती, कद्दू की खेती कब और कैसे करें, कद्दू की वैज्ञानिक खेती करें, कद्दू की खेती कब करें आदि की जानकारी के लिए निम्न जानकारी को पढ़ें.
कद्दू की खेती के लिए जरुरी जलवायु
शीतोषण और समशीतोष्ण जलवायु कद्दू की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है. कद्दू की फसल के अच्छे विकास हेतु 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उचित मना गया है. ठण्ड के मौसम में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है वही गर्मियों का मौसम कद्दू की फसल के लिए अच्छा माना जाता है.
कद्दू की खेती के लिए भूमि का चयन
कद्दू की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी गई है. इसकी खेती के लिए 5.5 से 6.8 पी एच मान वाली भूमि की आवश्यकता होती है.
कद्दू की खेती के लिए भूमि की तैयारी
कद्दू को बुवाई से करीब 15-20 दिन पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार जुताई कर खेत को खुला छोड़ दें. उसके बाद 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा प्रति एकड़ की खेत में डालें. बुवाई से पहले
2 बार आडी- तिरछी गहरी करके भूमि को पाटा लगाकर खेत समतल कर लें.
कद्दू की उन्नत किस्में
फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना बेहद आवश्यक है. कद्दू की बहुत ऐसी वैरायटी है जो 60 से 90 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. जिनका फायदा लेकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते है. कद्दू की प्रजातियां इस प्रकार है –
- कद्दू की किस्में :- पूसा विशवास, पूसा विकास, कल्यानपुर पम्पकिन-1, नरेन्द्र अमृत, अर्का सुर्यामुखी, अर्का चन्दन, अम्बली, सीएस 14, सीओ 1 और 2, पूसा हाईब्रिड 1 और कासी हरित कददू आदि.
- कद्दू की विदेशी किस्मों:- भारत में पैटीपान, ग्रीन हब्बर्ड, गोल्डन हब्बर्ड, गोल्डन कस्टर्ड, और यलो स्टेट नेक नामक किस्मे छोटे स्तर पर उगाई जाती हैं.
कद्दू की बुवाई का समय
कद्दू की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए कद्दू की बुवाई समय करनी चाहिए. कद्दू के लिए फ़रवरी से मार्च और जून से जुलाई का समय उचित माना जाता है. पहाड़ी/पर्वतीय क्षेत्रों में कद्दू की बुवाई मार्च-अप्रैल में की जाती है वही नदियों के किनारे कद्दू की बुवाई दिसंबर में की जा सकती है.
कद्दू के बीज की मात्रा एवं उपचार
कद्दू की एक एकड़ खेती के लिए 700 से 800 ग्राम बीज की जरुरत होती है. अगर बीज घर पर बनाया है तो उसको
कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित करें.
कद्दू की बुवाई का तरीका
कद्दू की बुवाई के समय बीज से बीज की दूरी 60 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 150 से 180 सेमी तथा एक इंच की गहराई रखते हुए बीज की बुवाई कर दें.
कद्दू की फसल के लिए उर्वरक व खाद प्रबंधन
बुवाई से 10-15 पहले प्रति एकड़ खेत में 10 से 15 टन सड़ी गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें. बीज को बोन के समय प्रति एकड़ खेत में 50 किलो डीएपी , 50 किलो पोटाश , 25 किलो यूरिया , 10 किलो कार्बोफुरान का खेत में डाले. कद्दू की बुवाई के बाद निम्न तरीके से खेत में खाद डालें-
- बुवाई के करीब 15-20 दिन बाद:- 1 किलो एनपीके 19:19:19 और 250 मिली इफको सागरिका को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
- बुवाई के 30 से 35 दिन बाद:- प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में 25 किलो यूरिया , 5 किलो जायम का उपयोग करें
- बुवाई के 50 से 55 दिनों के बाद:- प्रति एकड़ खेत में 1 किलो एन.पी.के. 13:00:45 और 400-500 ग्राम बोरोन B – 20 को 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
- Note- रासायनिकों का इस्तेमाल अपने कृषि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर ही करें.
कद्दू की फसल में खरपतवार नियंत्रण
फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए फसल की अच्छे देखभाल करनी चाहिए. कद्दू की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 2-3 बार निराई/गुड़ाई करनी चाहिए.
कद्दू की फसल में सिंचाई
शुरूआती दिनों में पौधों के अच्छे विकास के लिए गर्मियों के मौसम फसल की 5-6 दिन के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए. जबकि बारिश के मौसम फसल की आवश्यकतानुसार सिचाई करें. फूल / फल लगाने के समय सिचाई का विशेष ध्यान रखे.
कद्दू की फसल में लगने वाले रोग तथा उनकी रोकथाम
कद्दू की फसल में लगने वाले लालड़ी रोग, फल मक्खी रोग, सफ़ेद सुंडी रोग, मोज़ैक रोग, एन्थ्रेक्नोज रोग, फल सड़न रोग के प्रकोप से बचाने के लिए रासायनिकों का इस्तेमाल करें. कद्दू के क्षतिग्रस्त फलों को इकट्ठा कर उन्हें नष्ट कर दें.
कद्दू के फलों की तुड़ाई, पैदावार और लाभ
बुवाई के 100 से 110 दिनों बाद कद्दू की फल तुड़ाई के तैयार हो जाते है, जब कद्दू के फल का ऊपरी भाग पीले सफ़ेद रंग के होने लगे तो इनको तोड़ लेना चाहिए. कद्दू के हरे फल 70 से 80 दिन के बाद तोड़ सकते है. कद्दू के उत्पादन की बात की जाये तो 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन लिया जा सकता है. इसकी फसल से लगभग 4 से 6 लाख की कमाई की जा सकती है.
कद्दू की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि कद्दू की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate pumpkin) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.
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