Cauliflower Cultivation : फूलगोभी की खेती को अगर व्यावसायिक दृष्टि से किया जाए तो किसान के लिए कॉलीफ्लॉवर कल्टीवेशन आय का बढ़िया स्रोत साबित हो सकती है क्योकि गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है जिसकी बुवाई सितंबर महीने में की जाती है वही बाजार में फूलगोभी की मांग हमेशा बनी रहती है. आमतौर पर गोभी के फूल का रंग सफेद होता है लेकिन वर्तमान समय में इसकी कई उन्नत किस्मों को उगाया जा रहा है, जिसमें नारंगी और बैंगनी रंग की फूलगोभी की पैदावार ली जा रही है. भारत में आजकल पॉलीहाउस तकनिकी का उपयोग कर सभी मौसम में फूलगोभी की खेती की जा रही है. जिससे किसान बेहतर मुनाफा कमा रहे है.
फूलगोभी की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल मानी गई है. वर्तमान समय में इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश तथा अन्य ठंडी जलवायु वाले स्थानों फूलगोभी की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है. भारत में फूलगोभी की फसल का कुल क्षेत्रफल करीब 3000 हेक्टर है जिससे तकरीबन 6,86,000 टन फूलगोभी उत्पादन प्राप्त होता है. फूलगोभी की खेती कैसे करें से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख द्वारा दी जा रही है.
फूलगोभी की खेती कैसे करें?
फूलगोभी को अंग्रेजी में कॉलीफ्लॉवर (cauliflower) कहते है. फूलगोभी एक लोकप्रिय सब्जी है जिसका का उपयोग सब्जी के अलावा अन्य लजीज व्यजन जैसे – गोभी के पराठे, गोभी के पकोड़े आदि बनांने के किया जाता है. फूल गोभी में अनेक प्रकार के पोषक तत्व जैसे:- कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, के, एवं प्रोटीन आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते है. मौजूद है, जो शरीर के लिए काफी लाभदायक है. इसलिए गोभी की मांग साल भर बानी रहती है.
फूलगोभी की खेती कब और कैसे करें?
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फूलगोभी की खेती के लिए जलवायु
ठंडी और आर्द्र जलवायु फूलगोभी की खेती (Phool Gobhi ki Kheti) उचित मानी गई है जबकि 15 डिग्रीसेंटीग्रेड से 25 सेंटीग्रेड तापमान इसकी फसल के विकास हेतु उपयुक्त होता है. लेकिन अधिक ठण्ड और पाला फसल के लिए नुकसानदायक होता है.
फूलगोभी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
फूलगोभी की वैज्ञानिक खेती के लिए 7.0 पीएच मान तथा बढ़िया जल निकासी वाली बलुई, दोमट मिट्टी सर्बोत्तम मानी गई है.
फूलगोभी के लिए भूमि की तैयारी
फूलगोभी की बुवाई या रोपाई के लिए खेत की 3-4 बार जुताई कर पाटा लगाकर समतल और भुरभुरी बना लेना चाहिए. फूलगोभी से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत जरुरत के हिसाब से सदी गोबर की खाद डालें.
फूलगोभी की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Cauliflower)
फूलगोभी की खेती के लिए मौसम के अनुसार तीन प्रकार (अगेती प्रजातियां, मध्यम प्रकार की प्रजातियां, आखिरी में पछेती प्रजातियां) की फूलगोभी की किस्में पाई जाती हैं. आप अपने स्थान और जलवायु के आधार पर फूलगोभी की प्रजाति का चुनाव कर सकते. फूलगोभी की व्यापारिक खेती के लिए कुछ प्रजातियां इस प्रकार है –
- अगेती प्रजातियां:- पूसा दिपाली, अर्ली कुवारी, अर्ली पटना, पन्त गोभी 2, पन्त गोभी 3 पूसा कार्तिक, पूसा अर्ली सेन्थेटिक, पटना अगेती, सेलेक्सन 327 एवं सेलेक्सन 328 है।
- मध्यम प्रकार की प्रजातियां:- पन्त शुभ्रा, इम्प्रूव जापानी, हिसार 114, एस-1, नरेन्द्र गोभी 1, पंजाब जॉइंट ,अर्ली स्नोबाल, पूसा हाइब्रिड 2, पूसा अगहनी, और पटना मध्यम,
- आखिरी में पछेती प्रजातियां:- स्नोबाल 16, पूसा स्नोबाल 1, पूसा स्नोबाल 2, पूसा के 1, दानिया, स्नोकिंग, पूसा सेन्थेटिक, विश्व भारती, बनारसी मागी, जॉइंट स्नोबाला
फूलगोभी की बीजों की बुआई और नर्सरी
फूलगोभी की खेती को दो तरीकों से कर सकते है पहला सीधे बीज की बुवाई करके दूसरा नर्सरी में पौध तैयार करके.
बीज की मात्रा
फूल गोभी की अगेती किस्मों के लिए 450 ग्राम से 500 ग्राम और मध्यम एवं पिछेती किस्मों का बीज दर 350-400 ग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए. अगर गोभी का बीज घर पर बनाया है तो बीज को बुबाई से पहले 2 से 3 ग्राम कैप्टन या ब्रैसिकाल प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए. इसके साथ साथ 160 से 175 मिली लीटर को 2.5 लीटर पानी में मिलकर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब नर्सरी की जमीन को भी उपचारित कर लें.
फूलगोभी की पौध की रोपाई कब करें?
फूलगोभी की खेती के लिए समय पर बुवाई या रोपाई करनी चाहिए ताकि फूलगोभी से अच्छा उत्पादन मिल सकेगा. फूलगोभी की पौध की रोपाई कब करें की जानकारी इस प्रकार है-
- जलवायु के अनुसार ही फूलगोभी की खेती (Cauliflower Cultivation) करें.
- फूलगोभी की अगेती फसल के लिए जुलाई-अगस्त तक बुआई कर देनी चाहिए.
- मध्यम और पछेती फसल के लिए अक्टूबर-नवंबर तक बुआई कर देनी चाहिए.
- पौधों की रोपाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी भी 45-50 सेंटीमीटर रखें.
- पौधों की रोपाई सायंकाल के समय करने से पौधों के नष्ट होने में कमी आएगी
- पौध की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें
फूलगोभी के पौधों की सिंचाई
फूलगोभी के बीज एवं पौध की रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करें जिससे फूलगोभी के पौधे (cauliflower plants) मुरझाएंगे नहीं और बीज का जमाव भी अच्छा रहेगा. मिट्टी और जलवायु के अनुसार गर्मियों में 6-7 दिनों तथा सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए.
फूलगोभी की फसल के लिए उरर्वरक प्रबंधन
फूलगोभी की फसल के लिए खेत तैयार करते समय सड़ी गोबर की खाद डालें. रोपाई से पहले 50 kg नाइट्रोजन, 25 kg फॉस्फोरस और 25 kg पोटाश (110 kg यूरिया, 155 kg सुपरफॉस्फेटे और 40 kg म्यूरेट ऑफ पोटाश) सुपरफासफेट और म्यूरेटे ऑफ पोटाश और आधा यूरिया की आधी मात्रा रोपाई से पहले खेत में डालें. बचे यूरिया को रोपाई चार सप्ताह बाद पौधों में डालें. बुवाई के बाद निम्न तरीक से फसल में खाद डालें-
- फूलगोभी की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए 5-7 ग्राम घुलनशील खादें (19:19:19) प्रति लि. का इस्तेमाल करें. रोपाई के 40 से 45 दिनों के बाद 4-5 ग्राम 12:16:0, नाइट्रोजन और फासफोरस, 2.5-3 ग्राम लघु तत्व और 1 ग्राम बोरोन प्रति लि. के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें.
- बोरोन की कमी से पौधों के पत्ते मुड़ने तथा तना बेरंग होने लगता है इसके लिए बोरैक्स 250-400 ग्राम प्रति एकड़ में डालें.
- खेत में मैगनीश्यिम की कमी को पूरा करने के लिए 35-40 दिन बाद 5 ग्राम मैगनीश्यिम सलफेट प्रति लि. का इस्तेमाल करें. कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर 35-40 दिनों के बाद खेत में डालें.
खरपतवार नियंत्रण
फसल की अच्छी देखभाल के लिए खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए, प्राकृतिक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए
समय समय पर निराई गुडाई करते रहें. रासायनिक विधि से खरपतवार की रोकथाम के लिए रोपाई से 4-5 दिन पहले पैंडीमैथलीन को एक लि. प्रति एकड़ से छिड़काव करें. नोट – खरपतवार नियंत्रण के रासायनिक खादों का इस्तेमाल अपने कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही करें.
रोग एवं नियन्त्रण
रस चूसने वाले कीड़े, चमकीली पीठ वाला पतंगा, सुंडी, सूखा, पत्तों के नीचे की ओर धब्बे, पत्तों पर धब्बे और झुलस रोग, ऑल्टरनेरिया पत्तों के धब्बा रोग आदि के प्रकोप से बचाने के लिए अपने कृषि विशेषज्ञ की सलाह से रसायनो का छिड़काव करें
फूलगोभी की कटाई कब करें?
- फूलगोभी का आकर ठोस दिखाई देने लगे तभी फसल की कटाई करनी चाहिए.
- फूलगोभी के फूल को कुछ पत्तों सहित निचे से काटें जिससे ट्रांसपोर्ट करते समय फूल की सुरक्षा हो सके
- फूलगोभी को काटते समय यह ध्यान रखे कि फूल में खरोंच या रगड़ न लगे नही तो आपको दाम सही नहीं मिलेंगे.
- काटने के तुरंत बाद फूलगोभी को बेचने के लिए मंडी पहुंचना चाहिए.
- फूलगोभी की कटाई हमेशा सुबह या शाम में करनी चाहिए जिससे फूलगोभी ताज़ी बानी रहेगी.
फूलगोभी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि फूलगोभी की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate cauliflower) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.