फूलगोभी की खेती / Cauliflower Cultivation / Phool Gobhi ki Kheti : फूलगोभी की खेती / Cauliflower Farming कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल मानी गई है. वर्तमान समय में इसकी खेती सम्पूर्ण भर्ती की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश तथा अन्य ठंडी जलवायु वाले स्थानों फूलगोभी की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है. भारत में फूलगोभी की फसल का कुल क्षेत्रफल करीब 3000 हेक्टर है जिससे तकरीबन 6,86,000 टन फूलगोभी उत्पादन प्राप्त होता है. फूलगोभी की खेती कैसे करे से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख द्वारा दी जा रही है इसलिए आप इस आर्टिकल को पूरा पढें,

फूलगोभी की खेती कैसे करें ? – Phool Gobhi ki Kheti in Hindi
फूलगोभी में खनिज-लवण, विटामिन-बी और प्रोटीन आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है. फूलगोभी (Cauliflower) का इस्तेमाल बिरियानी, पकौडा, पराठे, सब्जी, सूप और अचार बनाने के लिए किया जाता है. सब्जियों में यह लोगो की पहली पसंद होती है. बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है इसलिए इसको उगने से किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते है.
फूलगोभी की खेती की पूरी जानकारी – Cauliflower Farming in Hindi
फूल गोभी की खेती के लिए जरूरी जलवायु
फूल गोभी की खेती (Phool Gobhi ki Kheti) के लिए 15 डिग्रीसेंटीग्रेड से 25 सेंटीग्रेड का तापमान उपयुक्त मन गया है. इसकी उन्नत खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम मानी गई है. अधिक ठण्ड और पाले से नुकसान हो सकता है.
फूल गोभी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
फूलगोभी की फसल (Cauliflower Crop) के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई, दोमट मिट्टी सर्बोत्तम मानी गई है. फूलगोभी की खेती के लिए 7.0 पीएच मान वाली भूमि सबसे बढ़िया मानी गई है.
फूल गोभी की फसल के लिए भूमि की तैयारी
- फूल गोभी की खेती (Gobhi ki Kheti) सितंबर से अक्टूबर के मध्य की जा सकती है.
- गोभी की रोपाई से पहले सितंबर महीने के पहले खेत की अच्छी जुताई करें.
- खेत में अच्छी सड़ी गोबर की खाद अच्छे से बिखेर.
- खेत की 3-4 बार जुताई कर पाटा लगाकर समतल और भुरभुरी बना लेना चाहिए.
- खेत में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था जरूर करें.
फूलगोभी की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Cauliflower)
फूलगोभी की खेती (phool gobhi farming) के लिए मौसम के आधार तीन प्रकार (अगेती प्रजातियां, मध्यम प्रकार की प्रजातियां, आखिरी में पछेती प्रजातियां) की प्रजातियां पाई जाती हैं. आप अपने स्थान और जलवायु के आधार पर फूलगोभी की प्रजाति का चुनाव करें. फूलगोभी की उन्नत खेती (Improved Cultivation of Cauliflower) के लिए हमने कुछ किस्मों को सुझाया है.
अगेती प्रजातियां:- पूसा दिपाली, अर्ली कुवारी, अर्ली पटना, पन्त गोभी 2, पन्त गोभी 3 पूसा कार्तिक, पूसा अर्ली सेन्थेटिक, पटना अगेती, सेलेक्सन 327 एवं सेलेक्सन 328 है।
मध्यम प्रकार की प्रजातियां:- पन्त शुभ्रा, इम्प्रूव जापानी, हिसार 114, एस-1, नरेन्द्र गोभी 1, पंजाब जॉइंट ,अर्ली स्नोबाल, पूसा हाइब्रिड 2, पूसा अगहनी, और पटना मध्यम,
आखिरी में पछेती प्रजातियां:- स्नोबाल 16, पूसा स्नोबाल 1, पूसा स्नोबाल 2, पूसा के 1, दानिया, स्नोकिंग, पूसा सेन्थेटिक, विश्व भारती, बनारसी मागी, जॉइंट स्नोबाला
फूलगोभी की बीजों की बुआई और नर्सरी
फूलगोभी की खेती (farming of cauliflower) हम दो तरीके से कर सकते है. 1. बीजों की सीधी बुआई करके, 2. नर्सरी में पौध तैयार करके.
फूल गोभी की फसल के लिए बीज की मात्रा
फूल गोभी की अगेती किस्मों के लिए 450 ग्राम से 500 ग्राम और मध्यम एवं पिछेती किस्मों का बीज दर 350-400 ग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए. गोभी के बीज को बुबाई से पहले 2 से 3 ग्राम कैप्टन या ब्रैसिकाल प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए. इसके साथ ही साथ 160 से 175 मिली लीटर को 2.5 लीटर पानी में मिलकर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब नर्सरी की जमीन को उपचारित कर लें जिसे फूल गोभी की नर्सरी स्वस्थ निकलकर आएगी.
फूलगोभी के पौधों की रोपाई कब और कैसे करें?
- जलवायु के अनुसार ही फूलगोभी की खेती (Cauliflower cultivation) करें.
- फूलगोभी की अगेती फसल के लिए जुलाई-अगस्त तक बुआई कर देनी चाहिए.
- मध्यम और पछेती फसल के लिए अक्टूबर-नवंबर तक बुआई कर देनी चाहिए.
- पौधों की रोपाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी भी 45-50 सेंटीमीटर रखें.
- पौधों की रोपाई सायंकाल के समय करने से पौधों के नष्ट होने में कमी आएगी
- पौध की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें
फूलगोभी के पौधों की सिंचाई
पौध की रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई कर दें जिससे फूलगोभी के पौधे (cauliflower plants) मुरझाएंगे नहीं.
मिट्टी, जलवायु के अनुसार गर्मियों में 6-7 दिनों के के अंतराल पर और सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए. खेत में नमी के अनुसार सिचाई करें
फूलगोभी की फसल के लिए उरर्वरक प्रबंधन
- फूलगोभी की फसल के लिए खेत की तैयार करते समय सड़ी गोबर की खाद डालें. रोपाई से पहले 50 kg Nitrogen, 25 kg Phosphorus and 25 kg Potash (110 kg Urea, 155 kg Superphosphate and 40 kg Murate of Potash) सड़ी गोबर की खाद सुपरफासफेट और म्यूरेटे ऑफ पोटाश और आधा यूरिया को रोपाई से पहले खेत में डालें. बचे यूरिया को रोपाई चार सप्ताह बाद पौधों में डालें.
- फूलगोभी की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए 5-7 ग्राम घुलनशील खादें (19:19:19) प्रति लि. का इस्तेमाल करें. रोपाई के 40 से 45 दिनों के बाद 4-5 ग्राम 12:16:0, नाइट्रोजन और फासफोरस, 2.5-3 ग्राम लघु तत्व और 1 ग्राम बोरोन प्रति लि. के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें.
- खेत में बोरोन की कमी से पौधों के पत्ते मुड़ने तथा तना बेरंग होने लगता है इसके लिए बोरैक्स 250-400 ग्राम प्रति एकड़ में डालें.
- खेत में मैगनीश्यिम की कमी को पूरा करने के लिए 35-40 दिन बाद 5 ग्राम मैगनीश्यिम सलफेट प्रति लि. का इस्तेमाल करें. कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर 35-40 दिनों के बाद खेत में डालें.
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए रोपाई से 2-3 दिन पहले पैंडीमैथलीन 1 लि. प्रति एकड़ का छिड़काव करें. फसल लगने के बाद फलुक्लोरालिन(बसालिन) @800 मि.ली. को 150 लि. पानी में मिलाकर छिड़काव करें और 35-40 दिनों के बाद रोपाई करें.
नोट – रासायनिक खादों का इस्तेमाल अपने यहाँ के कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही करें
रोग एवं नियन्त्रण
रस चूसने वाले कीड़े, चमकीली पीठ वाला पतंगा, सुंडी, सूखा, पत्तों के नीचे की ओर धब्बे, पत्तों पर धब्बे और झुलस रोग, ऑल्टरनेरिया पत्तों के धब्बा रोग आदि के प्रकोप से बचाने के लिए अपने कृषि विशेषज्ञ की सलाह से रसायनो का छिड़काव करें
फूलगोभी की कटाई कब करें ?
- फूलगोभी आकर ठोस दिखाई देने लगे तभी फसल की कटाई करनी चाहिए.
- फूलगोभी को कुछ पत्तों सहित निचे से काटना जिससे ट्रांसपोर्ट के समय फूल की सुरक्षा हो सके
- फूलगोभी को काटने समय ध्यान रखे कि फूल में खरोंच या रगड़ न लगे नही तो आपको दाम सही नहीं मिलेंगे.
- काटने के तुरंत बाद बेचने के लिए मंडी पहुंचना चाहिए
- फूलगोभी की कटाई हमेशा सुबह या शाम में करनी चाइये जिससे फूलगोभी ताज़ी बानी रहेगी.
अगर आपको फूलगोभी की खेती Phool Gobhi ki Kheti (cauliflower farming Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.
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