पालक की खेती / Palak ki Kheti / Spinach Cultivation: पालक की खेती / Spinach Farming भारत के आंध्रा प्रदेश, तेलंगना, केरला, तामिलनाडू, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात आदि राज्यों में पालक की खेती (Spinach Farming) की जाती है. यह एक ऐसी सब्जी है जिससे कम समय में और कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. भारतीय किसान पालक की खेती (palak ki kheti) से पुरे साल अच्छी आमदनी ली जा सकती है. पालक की खेती करने के साथ-साथ Palak ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.
करें

पालक की खेती – Palak ki Kheti
पालक के पत्तों में आयरन, प्रोटीन, खनिज-लवण और एंटीऑक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसका सेवन शरीर के लिए काफी लाभदायक है. यह पाचन के लिए, त्वचा, बाल, आंखों और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है. इसका पकौड़े बनाने, सलाद, साग, रायता बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा आप Adrak ki Kheti , Lahsun ki Kheti , Gajar ki Kheti, Gajar ki Kheti, Gajar ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
पालक की खेती की पूरी जानकारी – Spinach Farming in Hindi
जलवायु (Climate)
- पालक की खेती के लिए सर्दियों के मौसम को उत्तम माना गया है.
- बीज अंकुरण के लिए 20 डिग्री तापमान होना चाहिए.
- पालक की पत्तियाँ अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 5 डिग्री तापमान को आसानी से सहन कर लेती है.
- सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पाले को इसके पौधे आसानी से सहन कर लेते है.
मिट्टी का चयन (Soil Selection)
- पालक की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी बढ़िया मानी जाती है.
- मिटटी का ph 6.0 और 6.7 के बीच होना चाहिए.
- खेत में उचित जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
खेत की तैयारी (Field Preparation)
- पालक की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें. जिससे खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए.
- खेत तैयार करते समय 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा (Tricoderma) प्रति एकड़ दर खेत में डालें.
- खाद डालने के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें.
- इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.
पालक की खेती में बुआई का समय (Spinach Cultivation Sowing Time)
रबी में
बुआई का समय: 1 सितंबर से 31 दिसंबर के बीच
फसल अवधि: 40 से 50 दिन
जायद में
बुआई का समय: 1 फ़रवरी से 31 मार्च के बीच
फसल अवधि: 35 से 50 दिन
पालक की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Spinach)
- पंजाब ग्रीन (Punjab Green): बिजाई के 30 से 35 दिन बाद यह वैरायटी तैयार हो जाती है इसका रंग गहरे चमकीले रंग का होता है. इससे औसतन पैदावार 125 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है.
- पूसा पालक (Pusa Palak): बिजाई के 40 से 45 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसमें जल्दी से फूल वाले डंठल बनने की समस्या नहीं आती है.
- पूसा हरित (Pusa Green): इस वैरायटी को पहाडियों में सालभर उगाया जाता है इस किस्म के पौधे ऊपर की तरफ बढ़ने वाले, ओजस्वी, गहरे हरे रंग के और बड़े आकार की पत्तियाँ होती है.
- ऑल ग्रीन (All green): इस किस्म के पौधे एक समान, हरे, मुलायम और पत्ते 15 से 20 दिनों के अंतराल पर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इस फसल से 6 से 7 कटाइयां आसानी से ली जा सकती है.
- बनर्जी जाइंट: इस वैरायटी के पत्ते काफी बड़े, मोटे, तथा मुलायम होती है.
- जोबनेर ग्रीन: इस किस्म के पत्ते एक समान हरे , बड़े , मोटे , रसीले तथा मुलायम होते है.
- पालक की अन्य वैरायटी: हिसार सलेक्शन-23, पूसा ज्योति, पंजाब सलेक्शन, पंजाब ग्रीन
पालक की खेती के लिए बीज की मात्रा (Seed rate for spinach cultivation)
पालक की एक एकड़ फसल के लिए 8 से 10 किलोग्राम पालक के बीज (Spinach seeds) की आवश्यकता होती है
पालक के बीज उपचार (Spinach Seed Treatment)
बीज अंकुरण की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए. लेकिन बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज को उपचारित करने की कोई जरुआत नहीं है सीधे इसकी बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें. इससे बीजों के अंकुरण की क्षमता बढ़ती है
पालक की बुआई का तरीका (Spinach Sowing Method)
पालक की बुवाई के दौरान पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.5 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 10 से 20 सेमी होनी चाहिए. नमी के हिसाब से बीज को 2.5 सेमी की गहराई से बुवाई करें.
पालक की खेती उर्वरक व खाद प्रबंधन (Spinach Farming Fertilizer and Manure Management)
पालक की बुवाई के समय 10 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फॉस्फोरस व 25 किलोग्राम पोटाश को प्रति एक एकड़ के हिसाब से खेत में डालें
- बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद: फसल में 20 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से डालें.
पालक की खेती में सिंचाई (Irrigation in Spinach Cultivation)
- पालक की बुवाई के तुरंत बाद सिचाई करें, जिससे खेत में पर्याप्त नामी बनी रहेगी.
- गर्मी के महीने में, 4-6 दिनों के फासले पर सिंचाई करें
- सर्दियों में 10-12 दिनों के फासले पर सिंचाई करें
- पालक की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई लाभदायक सिद्ध होती है.
- पालक की फसल के लिए खेत में पर्याप्त नमी बने रहना चाहिए.
पालक की फसल तुड़ाई – How to Harvest Spinach
वैरायटी के अनुसार 35 से 40 दिनों में पालक की फसल कटाई (Spinach Harvesting) के लिए तैयार हो जाती है.
पालक की फसल में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए पालक की फसल में नराई/गुड़ाई करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल में रासायनिकों का इस्तेमाल अपने कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर छिड़काव करें.
पालक में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम (Spinach Diseases and Their Prevention)
चेपा:- पालक की फसल पर चेपा रोग का प्रकोप दिखाई देने पर मैलाथियॉन 50 ई सी 350 मिली को 80-100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे. मैलाथियॉन के छिड़काव के 7 दिनों के बाद कटाई करें
पत्तों पर गोल धब्बे:- यदि पालक की पत्तियों पर छोटे गोलाकार धब्बे और पत्तों पर के किनारों पर सलेटी और लाल रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, तो कार्बेनडाजिम 400 ग्राम या इंडोफिल एम-45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें. आवश्यकतानुसार 15 दिनों के अंतराल पर दूसरी छिड़काव करें.
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