Radish Cultivation Tips : मूली मुख्य रूप से ठंडी जलवायु यानि रबी के मौसम में उगाई जाने वाली फसल है जिसकी खेती के लिए किसी विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है. किसान चाहें, तो मूली की खेती को अन्य किसी भी फसल के साथ आसानी से कर सकते है. मूली की फसल से कम निवेश और कम देखभाल के बजूद करीब 40 दिन में बेहतर पैदावार के साथ भारी मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर आप भी मूली की उन्नत खेती के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो यहां जानें कि मूली की वैज्ञानिक खेती (Radish Farming) कब और कैसे करें?
मूली का जड़ वाली सब्ज़ियों में एक विशेष स्थान है, आमतौर पर मूली की खेत पूरे भारत में की जाती है लेकिन पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में इसको मुख्य रूप से उगाया जाता है. मूली कई उन्नतशील क़िस्में विकसित होने की वजह से भारत मूली की खेती पूरे साल की जा सकती है. लेकिन ठंड के मौसम मूली का विकास बेहतर तरीके से विकसित होता है, अधिक तापमान मूली की गुणवत्ता प्रभावित करता है. यदि मूली की खेती (Mooli ki Kheti) वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो इससे अधिक पैदावार लेकर भारी कमाई की जा सकती है.
मूली की खेती (Mooli ki Kheti)
मूली को अंग्रेजी में रेडिश (Radish) कहते है, यह एक जल्दी उगने वाली सदाबहार फसल के रूप में जानी जाती है. इसका उपयोग बड़े-बड़े होटलों, ढाबों और घरो में सलाद के रूप व्यापक स्तर पर किया जाता है, इसके अलावा मूली का इस्तेमाल सब्जी, पराठे और अचार बनाने के लिए किया जाता है. जिसकी वजह से बाजार में इसकी मांग साल भर बनी रहती है. मूली (Radish) में विटामिन बी 6, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीश्यिम और रिबोफलेविन, एसकॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड और पोटाश्यिम भारी मात्रा मौजूद होते है इसकी शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका होती है. मूली का सेवन पेट की कब्ज, पीलिया, गैस और पथरी जैसी आदि बीमारियों में काफी लाभ मिलता है. मूली केवल स्वस्थ लाभ ही नहीं देती है बल्कि किसानों को अच्छी कमाई भी करवाती हैं.
मूली की खेती कब और कैसे करें?
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मूली की खेती के लिए जलवायु
मूली मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम (आर्द्र जलवायु) में उगाई जाने वाली फसल है क्योकि इस मौसम में मूली का विकास बेहतर तरीके होता है. बीजों अंकुरण के लिए 20 डिग्री के आस-पास तापमान की जरुरत होती है. यदि 25 डिग्री से अधिक तापमान में मूली की खेती करते है तो मूली की गुणवत्ता कम होकर मूली कड़वी और कठोर हो जाती है. अगर आप बारिश के मौसम में मूली की खेती करते हैं, तो जड़ों में पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखें
मूली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
कार्बनिक पदार्थों से भरपूर 6.5 से 7.5 पी एच मान वाली बलुई, भुरभुरी, रेतीली दोमट मिट्टी मूली की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है. कठोर, चिकनी एवं भारी मिट्टी में मूली का बेहतर तरीके से विकसित नहीं हो पाती है. इस प्रकार की मिट्टी में मूली की जड़ों का आकार बिगड़ (टेढ़ी-मेढ़ी) जाता है.
मूली के लिए खेत की तैयारी
मूली की बुवाई से पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए ताकि खेत से पुरानी फसल से अवशेष नष्ट हो सकें. फसल की अच्छी उपज हेतु खेत में आवश्यकतानुसार गोबर की खाद को डालें. बुवाई से पहले खेत की 2 बार आडी- तिरछी जुताई कर भूमि को पाटा लगाकर समतल कर लें.
मूली की उन्नत किस्में
पूसा हिमानी, पंजाब पसंद, पूसा चेतकी, पंजाब सफेद मूली -2, पंजाब पसंद, जापानी व्हाइट, जापानी व्हाइट, पालम हृदय, व्हाइट आइसिकिल, रैपिड रेड, व्हाइट टिप्ड व पूसा मृदुला, अगेती मूली की एशियाई किस्में- जापानी व्हाइट, पूसा चेतकी, हिसार मूली-1, कल्याणपुर-1
मूली की बुवाई का समय
मूली की बुवाई इसकी किस्मों पर निर्भर रहती है, उत्तर भारत में मूली को पूरे साल उगाया जा सकता है लेकिन अगस्त से जनवरी मूली की फसल के लिए सबसे उपयुक्त मना जाता है. यूरोपीय किस्मों को सितंबर-मार्च से बोया जा सकता है. दक्षिण भारत में मूली की बुवाई पूरे भारत में की जा सकती है, परन्तु सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और अक्टूबर से दिसंबर माना जाता है. इसके अलावा मूली की किस्मो को पहाड़ियों में मार्च और अक्टूबर में बोई जाती है.
मूली के बीजों की बुवाई का तरीका
मूली के बीजों की बुवाई मेड़ों तथा समतल क्यारियों किया जा सकता है. बुवाई के वक्त पंक्ति से पंक्ति या मेड़ों से मेंड़ो की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर तथा ऊंचाई 20 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए, वहीं पौधे से पौधे की दूरी 5 से 8 सेंटीमीटर तथा 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई रखते हुए बुवाई कर दें.
मूली की खेती में खाद एवं उर्वरक
मूली की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत तैयार करते समय खेत में 200 से 250 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद डालें. उसके बाद 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आवश्यकता होती है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से खेत में डालें. नाइट्रोजन की आधी मात्रा दो बार में खड़ी फसल में डालें. जिसमें नाइट्रोजन 1/4 मात्रा शुरू की पौधों की बढ़वार पर तथा 1/4 नाइट्रोजन की मात्रा जड़ों की बढ़वार के वक्त देना चाहिए.
मूली की सिंचाई
बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए ताकि बीज अंकुरण अच्छे से हो सकें. मूली की फसल में पहली सिंचाई तीन चार पत्ती निकल आने की अवस्था करें. अगर आपने मेड़ पर मूली की बुआई करी है तो पहली सचाई हल्की करें ताकि मेड़ को कोई नुकसान न हो. सर्दियों में फसल की सचाई 10-15 दिनों के अंतराल पर करें वहीं गर्मी में इसकी सिंचाई प्रति सप्ताह करें. इसके अलावा मूली की फसल में आवश्यकतानुसार सिचाई करते रहें.
मूली की खेती में खरपतवार प्रंबधन
मूली की फसल में खरपतवार की समस्या भी रहती है. मूली के खेत में खरपतवार प्रंबधन हेतु प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीको का उपयोग किया जा सकता है. प्राकृतिक रूप से मूली की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई की जानी चाहिए वही रासायनिक तरीक से खरपतवार नियत्रण के लिए बुआई के तुरंत बाद या 2 से 3 दिन के अंदर 3.3 लीटर पेंडामेथलीन 600 से 800 लीटर पानी के साथ घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में छिडक़ाव कर सकते है.
मूली की फसल में लगने वाले रोग एवं नियंत्रण
मूली की फसल (Radish Crop) में माहू/चेपा (एफीड), काली भुंडी, पत्ते की सुंडी, ब्लाईट/मुरझाना, सफेद रतुआ आदि रोगों का प्रकोप रहता है. जिसकी वजह से फसल ख़राब होने का डर हमेसा बना रहता है. मूली की फसल में लगने वाले रोग एवं नियंत्रण के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर इन रोगों की रोकथाम करनी चाहिए.
मूली की कटाई (Harvesting Radish)
मूली की खेती (Mooli ki Kheti) की मुख्य विशेषता यह है कि इसकी फसल केवल दो महीने में तैयार हो जाती है. जब मूली पूर्ण आकर प्राप्त कर लें तभी उसकी खुदाई कर लेनी चाहिए. उखाड़ने से पहले मूली के खेत की हल्की सिंचाई करें ताकि मूली उखाड़ने में कोई परेशानी ना हो. मूली को समय पर उखाड़े अन्यथा फसल ख़राब हो सकती है.
मूली की फसल से उत्पादन
यदि उन्नत किस्म का चयन और सही तरीके से मूली की खेती की जाए तो यूरोपियन किस्मों से 80-100 क्विंटल और एशियाई किस्मों से 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
मूली की खेती से मुनाफ या लाभ
क्षेत्रीय मंडी में कम से कम मूली का भाव 500 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल सकता है. इस प्रकार प्रति हेक्टेयर खेत में मूली की फसल उगाकर कम समय में 1.5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है.
मूली की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि मूली की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Radish) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.
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