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कृषि दिशा / Crop Variety / मिर्च की किस्में : मिर्च की उन्नत किस्में के बारे में जाने तो देती है सबसे अधिक उतपादन

मिर्च की किस्में : मिर्च की उन्नत किस्में के बारे में जाने तो देती है सबसे अधिक उतपादन

By: Krishi Disha | Updated at:7 June, 2021 google newsKD Facebook

मिर्च की उन्नत किस्में / Chilli Varieties / Mirch ki kisme : फसल से अच्छी पैदावार लेनी है तो उसकी किस्मों के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए. इसी क्रम में आज हम आपको मिर्च की उन्नत किस्मों के बारें में बताने जा रहे है. मिर्च की फसल से अच्छी पैदावार लेनी है तो उसकी किस्मों को चयन मिटटी, जल और जलवयु के आधार करना चाहिए. मिर्च की किस्में खरीदते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता कितनी है. इन बातों को ध्यान रखेंगे तभी आप mirch ki kheti कर सकते है. तो चलिए जानते है मिर्च की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं.
मिर्च की किस्में के अलावा jau ki kisme, pyaj ki kisme, Aloo ki kisme, Dhan ki kisme के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते है.

Varieties of Chilli
मिर्च की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी

मिर्च की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं – Improved Varieties of Chilli and their Characteristics

मिर्च की उन्नत व संकर किस्में (Hybrid Varieties of Chilli )

मसाले वाली किस्में- पूसा ज्वाला, पन्त सी- 1, एन पी- 46 ए, जहवार मिर्च- 148, कल्याणपुर चमन, भाग्य लक्ष्मी, आर्को लोहित, पंजाब लाल, आंध्रा ज्योति और जहवार मिर्च- 283 आदि प्रमुख है|
अचार वाली किस्में- केलिफोर्निया वंडर, चायनीज जायंट, येलो वंडर, हाइब्रिड भारत, अर्का मोहिनी, अर्का गौरव, अर्का मेघना, अर्का बसंत, सिटी, काशी अर्ली, तेजस्विनी, आर्का हरित और पूसा सदाबहार (एल जी- 1) आदि प्रमुख है|
प्रमुख सब्जी वाली किस्में- आर्का मोहिनी, आर्का बसंत, आर्को गौरव और इन्दिरा आदि प्रमुख है| मिर्च की फसल में लगने वाले रोग

पुसा ज्वाला (Pusa Jwala)

मिर्च की इस वैरायटी के पौधे बौने तथा झाड़ीनुमा हल्के हरे रंग के होते हैं. जोकि पकने पर पर लाल रंग में परिवर्तित होते है. इस किस्म की फसल पर 9 से 10 सेंटीमीटर लम्बे फैलाते है. पुसा ज्वाला वैरायटी किस्म थ्रिप और मकौड़ा जुंओं की प्रतिरोधक है. इस किस्म की औसतन पैदावार 34 क्विंटल (हरी मिर्चें) और 7 क्विंटल (सूखी मिर्चें) प्रति एकड़ हो जाती है. यह 130 से 150 दिन में पक जाता हैं.

पुसा सदाबहार (Pusa Sadabahar)

मिर्च की इस किस्म के पौधे सीधे होते है. इस पर फल गुच्छों में लगते हैं और प्रत्येक गुच्छे में 6-14 फल होते हैं. इस पर 6 से 8 सेंटीमीटर लम्बे फल लगते है. यह पत्ती मरोड़, MV, और TMV वायरस के प्रति प्रतिरोधी होती है. 150 से 170 दिन में यह तैयार हो जाती है पकने पर यह फल गहरे लाल रंग के और तीखे हो जाते है. इसकी पहली तुड़ाई 75-80 दिन बाद की जा सकती है. इसकी औसतन पैदावार 38 क्विंटल (हरी मिर्चें) और 8 क्विंटल (सूखी मिर्चें) प्रति एकड़ है.

पंजाब लाल (Panjab Lal)

यह एक बहुवर्षीय वैरायटी है. इसके पौधे बौने व गहरी हरी पत्तियों युक्त होते है. इसके फल मध्यम आकर के होते है और पकने के बाद लाल हो जाते है. इस किस्म की मिर्च 120 से 180 दिन में पक जाती है. 100 से 120 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरी तथा 9 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर सूखी मिर्च की पैदावार मिलती है

अर्का मेघना (Arka Meghana)

यह हाइब्रिड किस्म की अधिक पैदावार करने वाली वैरायटी है. यह किस्म पत्तों के धब्बे रोग की प्रतिरोधक है. इसके फलों की लंबाई 10.6 सैं.मी. और चौड़ाई 1.2 सैं.मी. होती है. इस वैरायटी के फल शुरू में गहरे और पकने के बाद लाल हो जाते हैं. इसकी औसतन उपज 134 क्विंटल (हरी मिर्चें) और 20 क्विंटल (सूखी मिर्चें) प्रति एकड़ है.

सिटी

इस किस्म के फल लम्बे आकर के होते है. यह 160 से 180 दिन में तैयार होने वाली किस्म है . इस किस्म की औसतन पैदावार 12 से 15 किंवटल (सूखी) प्रति हेक्टेयर होती है.

काशी अर्ली (Kashi Early)

यह एक हाइब्रिड किस्म की वैरायटी है इस वैरायटी के पौधे लंम्बे (100-110 सैं.मी.) होते है तथा तना टहनियों के बिना हल्का हरा होता है. इस वैरायटी के फल तीखे लम्बे (8-9×1.0-1.2 सैं.मी.), आकर्षक, शरू में गहरे हरे जो पकने के बाद चमकीले लाल हो जाते हैं. इसके फलों की प्रथम तुड़ाई पौधों के रोपण के मात्र 45 दिनों में हो जाती है. हरे फल का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है. इस किस्म के फलों की तुड़ाई 6 से 8 दिनों के अंतराल पर होती रहती है. इस किस्म की फसल से 10 से 12 तुड़ाई आसानी से की जा सकती है. हरे फल उत्पादन के लिये एक यह एक उत्तम किस्म है

कल्याणपुर चमन (Kalyanpur Chaman)

यह संकर किस्म है, इसकी फलियाँ लाल, लंबी और तीखी होती हैं. इसकी उपज प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विटल (सूखी) हो होती है.

तेजस्विनी (Tejaswini )

इस किस्म के फल मध्यम आकर तथा हरे रंग के होते है. इसके फल सीधे, नुकीले, करीब 10 सेंटीमीटर लम्बे होते हैं. रोपाई के 75 दिन बाद इसकी प्रथम तुड़ाई होती है. इस किस्म के हरे फल का औसतन उत्पादन 200 से 250 क्विंटल हो जाता है. यह हरे फल उत्पादन के लिए अच्छी किस्म है.

आर्का हरित (एम एस एच-172)

इस किस्म के पौधे लम्बे और सीधी होते है. इस किस्म की पत्तियाँ मध्यम आकार की, फल 6 से 8 सेंटीमीटर लम्बे, पतले, हरे रंग के होते हैं. इस किस्म से हरे फलों का औसत उत्पादन 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाता है. प्रथम तुड़ाई 50 से 55 दिनों बाद हो जाती है. मिर्च की हरी फसल लेने के लिए यह एक अच्छी किस्म है.

भाग्य लक्ष्मी

यह सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है. असिंचित क्षेत्र में 8 से 10 किंवटल और सिंचित क्षेत्र में 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर शुष्क फल प्राप्त हो जाते है.

आंध्रा ज्योति

यह किस्म पूरे भारत वर्ष में उगाई जाती है. इस किस्म का उत्पादन प्रति हेक्टर 18 से 20 क्विटल (सूखी) फल देती है.

आर्को लोहित

इस वैरायटी के फल तीखे और पकने के बाद लाल रंग के हो जाते है. यह 200 से 210 दिन में तोड़ने लायक हो जाती है. इसकी औसतन पैदावार 35 क्विंटल प्रति हेक्टर हो जाती है.

पंजाब सुर्खा

इसके किस्म के फल 7 सेंटीमीटर लम्बे तथा वायरस से रोग रोधी किस्म है.

एन पी- 46 ए

इस वैरायटी के फल लम्बे, पतले और तीखे होते है. यह 120 से 130 दिन में पक जाती है. इस किस्म से हरी मिर्च 70 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो जाता है.

जाहवार मिर्च 148

इस किस्म की मिर्च जल्दी पकने वाली और तीखी कम होती है. इस पर कुर्करा रोग का प्रकोप कम आता है. यह हरी 100 से 105 दिन और लाल 120 से 125 दिन प्राप्त हो जाती है. इस किस्म की औसतन उपज
85 से 100 क्विंटल हरी और 18 से 23 क्विंटल सूखी मिर्च तक हो जाती है.

जाहवार मिर्च 283

यह मिर्च की उन्नत किस्म है जोकि सडन डाई बैक, माइट्स और थ्रिप्स के प्रति सहनशील है. जोकि हरी मिर्च 105 से 110 दिन और लाल 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी औसत पैदावार हरी 85 से 95 दिन और लाल 18 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है.

CH-1

इस किस्म को पी ए यू लुधियाना ने बनाया है. इस किस्म के फल दरमियाने आकर और हल्के भूरे रंग का होता है जोकि पकने के बाद गहरे लाल रंग का हो जाता है. इसका फल बहुत तीखा और आकर्षित होता है. यह गलन रोग को सहन करने योग्य है. इसकी औसतन पैदावार 95-100 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त हो जाती है.

CH-3

इस वैरायटी को पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने बनाया है. इस वैरायटी के फलों का आकार
सी एच-1 के आकार से बड़ा होता है. इसमें कैपसेसिन की मात्रा 0.52 प्रतिशत पाई जाती है. 100-110 क्विंटल प्रति एकड़ तक इसकी पैदावार हो जाती है.

मिर्च की अन्य मुख्य उन्नत किस्म

सूर्य रेखा, जवाहर मिर्च- 218, पंत सी- 2, ए एम डी यू- 1, सी ओ- 2, काशी विष्वनाथ, काशी अनमोल और काषी सुर्ख ये किस्में भी हरी मिर्च के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध हैं. इनका हरी मिर्च के तौर पर उत्पादन 110 से 175 क्विंटल प्रति हेक्टर प्राप्त हो जाता है.

खेती-बाड़ी, बागवानी, मशीनरी, सरकारी योजनाओं, बिज़नेस आईडिया, पशुपालन, लाइफ स्टाइल एग्रीकल्चर सरकारी जॉब्स, उन्नत उद्योग और कृषि विज्ञान केंद्र से सम्बंधित विश्वसनीय जानकारी सबसे पहले कृषि दिशा पर पढें.
Last Modified: 4 August, 2023

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