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कृषि दिशा / Vegetable Cultivation / मेथी की खेती, कब और कैसे करें – All about Fenugreek Cultivation (Methi ki Kheti) in Hindi

मेथी की खेती, कब और कैसे करें – All about Fenugreek Cultivation (Methi ki Kheti) in Hindi

By: Krishi Disha | Updated at:20 December, 2022 google newsKD Facebook

Methi ki Kheti (Fenugreek Farming): मेथी की खेती (Fenugreek Cultivation) हारी साग, दानो और पत्तियां के लिए की जाती है. जिनकी बाजार में बहुत मांग रहती है. मेथी की खेती उत्तर प्रदेश, राज्यस्थान, तामिलनाडू, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और भारत के कई अन्य राज्यों में उगाई जाती है लेकिन राजस्थान मेथी का मुख्य उत्तपदक राज्य है. इसके पौधों की उचाई करीब 2-3 फीट तक बढ़ जाती है. मेथी की खेती की खेत कैसे की जाती है methi ki kheti kaise kare इसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़े जिससे मैथी की खेत करने में आपको मदद मिलेगी. जाने Methi Daane ke Fayde

Fenugreek Farming
मेथी की खेती को बनाये आमदनी जरिया

मेथी की खेती कैसे करें? – Methi ki Kheti in Hindi

मेथी की खेती से बढ़िया पैदावार लेने के लिए उन्नत किस्मों जैसे-पूसा कसूरी, आरटीएम- 305, राजेंद्र क्रांति एएफजी-2 और हिसार सोनाली आदि का चुनाव करना चाहिए. बुवाई से पहले खेती की पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए. मेथी की बुवाई कौन से महीने में की जाती है? इन सब की जानकरी लेनी चाहिए जिससे आपको मेथी की खेती करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

मेथी की खेती की पूरी जानकारी-Fenugreek Farming in Hindi

मेथी की पत्तियों से लेकर साग, दाने तक बजार में बिक जाते है. इसलिए इसकी खेत से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
इस लेख के जरिये मेथी की बुवाई कर की जारी है? एक बीघा में मेथी कितनी होती है? इसके लिए कितने पानी की जरुरत होती है. मेथी की फसल में कौन सा खाद डालें. मेथी की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है आदि की जानकरी नीचे दी जा रही है जरूर पढ़ें

मेथी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

मेथी की खेती (methi ki kheti) के लिए ठंडी जलवायु सबसे बढ़िया मानी जाती है. इसमें ठंड यानी पाला सहन करने क्षमता अन्य फसलों के मुकाबले अधिक होती है. इसकी खेती के लिए सामन्य वर्षा वाले क्षेत्र सही माने गए है.

मेथी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

मेथी की खेती (cultivation of fenugreek) के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी गई है. इसके आवला कसूरी मेथी की खेती दोमट मटियार मिट्टी में भी की जा सकती है. यह अन्य फसलों के मुकाबले क्षारीयता को सहन कर सकती है.

मेथी की खेती के लिए कैसे तैयार करें खेत

मेथी की खेती के पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. इसके बाद 15-20 टन प्रति एकड़ एक हिसाब से गोबर की खाद डालकर खेत की जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने के बाद फिर से 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर करे. आखिर में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को बिजाई के लिए समतल कर लें.

यह भी पढ़ेंः  करेला की खेती, कब और कैसे करें - All About Bitter Gourd Cultivation in Hindi

मेथी की खेती का समय

मैदानी इलाकों में मेथी की खेती के लिए सितंबर से मार्च तक बुवाई कर सकते है. जबकि पहाड़ी क्षेत्रों इसकी खेती जुलाई से लेकर अगस्त तक की जा सकती है.
अगर आप मेथी की खेती साग के लिए कर रहे है तो मेथी की बुआई 8-10 के अंतराल पर करें. जिससे आप ताज़ी साग
प्रति दिन बाजार में बेच सकेंगे. भाजी के लिए खेती की बुवाई नवंबर के आखिर तक कर सकते है.

बीज की मात्रा

एक एकड़ खेत में बिजाई के लिए 12 किलोग्राम प्रति एकड़ से बीजों की आवश्यकता होती है.

कैसे करें मेथी की बुवाई?

सामन्यतः मेथी की बुवाई छिडक़वा विधि से की जाती है. लेकिन वर्तमान समय इसकी खेती बैड पर की जाने लगी है. वूबाई के समय पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 22.5 सेंटीमीटर और बैड पर 3-4 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज बोएं.
बिजाई से पहले बीज को 10 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें ताकि मेथी के दाने जल्दी अंकुरित हो सके.

बीज का उपचार

बीजों को मिट्टी में पैदा होने वाले कीट और बीमारियों से बचाने के लिए थीरम 4GM और कार्बेनडाज़िम 50% डब्लयु पी 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचार करें. रासायनिक उपचार के बाद एज़ोसपीरीलियम 600 ग्राम + ट्राइकोडरमा विराइड 20 ग्राम प्रति एकड़ से प्रति 12 किलो बीजों का उपचार करें.

मेथी की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं

भारत में मेथी की विभ्भिन किस्में पाई जाती है. जिनमें में कुछ किस्मों की जानकारी दी जा रही है.
पूसा कसूरी मेथी – यह वैरायटी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली ने विकसित किया है. इसकी खेती हरी साग के लिए किया जाता है. इसकी कटाई 2-3 बार की जा सकती है. इस की औसत पैदावार 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.
पूसा अर्ली बंचिंग- इस किस्म को आईसीएआर ने विकित किया है. यह जल्द पकने वाली वैरायटी है. इसकी साग के लिए 2-3 बार कटाई की जा सकती है. इस वैरायटी की फलियां 6-8 सेंटीमीटर लंबी होती हैं. इस वैरायटी को तैयार होने में 4 महीने लगते है.
हिसार सोनाली- इस वैरायटी की खेती राजस्थान, हरियाणा तथा आसपास में खेती की जाती है. यह वैरायटी जड़ गलन रोग एवं धब्बा रोग के प्रति मध्यम सहनशील है. इस किस्म को तैयार होने में 140 से 150 दिन तक लग जाते है. इस वैरायटी प्रति हेक्टेयर भूमि से 30-40 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है.
आर.एम.टी 305- यह बौनी वैरायटी है इस वैरायटी की फलियां जल्दी पाक जाती है. इस वैरायटी से प्रति हेक्टेयर खेत से 20-30 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है.
कश्मीरी मेथी- इस वैरायटी की विशेषताएं पूसा अर्ली बंचिंग से मेल कहती है. यह वैरायटी ठंड जयदा सहन कर लेती है.
हिसार सुवर्णा – चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने इस वैरायटी को विकसित किया है. इसकी औसतन पैदावार 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
इन किस्मों के अलावा मेथी की अन्य उन्नतशील किस्में – आरएमटी 1, आरएमटी 143 और 365, हिसार माधवी, हिसार सोनाली और प्रभा भी अच्छी उपज देती हैं.

यह भी पढ़ेंः  प्याज की खेती, कब और कैसे करें - All About Onion Farming (Pyaj ki Kheti) in Hindi

खाद एवं उर्वरक

मेथी की बिजाई के समय 5 किलो नाइट्रोजन (12 किलो यूरिया), 8 किलो पौटेशियम (50 किलो सुपर फासफेट) प्रति एकड़ की दर से डालें.
अंकुरन के 15-20 दिन बाद- अच्छी वृद्धि के लिए ट्राइकोंटानोल हारमोन 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
बिजाई के 20-25 दिन बाद- फसल की अच्छी वृद्धि के लिए एनपीके (19:19: 19) 75 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की स्प्रे करें.
बिजाई के 40-50 दिन बाद- अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए ब्रासीनोलाइड 50 मि.ली. प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें
बिजाई के 45 और 65 दिन- इसकी दूसरी स्प्रे 10 दिनों के बाद करें. कोहरे से होने वाले हमले से बचाने के लिए थाइयूरिया 150 ग्राम प्रति एकड़ की 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

मेथी की फसल की सिचाई

मेथी की बुवाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए जिससे अंकुरण में आसानी होगी. मेथी की फसल से उचित पैदावार लेने के लिए तीन चार सिचाई आवश्यक्तानुसार करनी चाहिए. मेथी की फली बनने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. इससे पैदावर पर असर पड़ेगा.

मेथी की फसल में खरपतवार नियंत्रण

मेथी की फसल में खरपतवार की रोकथाम बहुत जरुरी है इसके लिए बिजाई के 20-25 दिन बाद पहली नराई-गुड़ाई करनी चाहिए तथा दूसरी 30-35 दिनों के बाद करें. रासायनिक तरीकों से खरपतवार नियंत्रण करने के लिए फलूक्लोरालिन 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर कर सकते है. इसके अतरिक्त पैंडीमैथालिन 1.3 लीटर प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 1-2 दिनों बाद मिट्टी में नमी बने रहने पर छिड़काव करें. अधिक जानकारी अपने कृषि वैज्ञानिक से लेने.

मेथी की कब करें कटाई? – How to Harvest Fenugreek

मेथी को साग के लिए उगने वाले किसान 30-35 दिन बाद कटाई कर सकते है. मेथी की फसल 140-150 दिनों में तैयार हो जाती है. मेथी एक दानो के लिए उगाई गई फसल की कटाई तब करें जब मेथी के निचले पत्तों का रंग पीला पढ़कर झड़ने लगे. दरांती से कटाई करने के बाद फसल की गठरी बनाकर 7-8 दिन घूप में सुखाएं. सूखने पर इसके दानो को निकल ले.

यह भी पढ़ेंः  कटहल की खेती, कब और कैसे करें – All about Jackfruit Cultivation (Kathal ki Kheti) in Hindi

मेथी की खेती में लागत और कमाई

यदि मेथी की बुवाई बीज के लिए की गई है तो एक बार कटाई के बाद औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. यदि मेथी की की फसल की 4-5 कटाई की जाए तो यही पैदावार घट कर लगभग 1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रह जाती है.

यदि मेथी की बुवाई यदि साग या हरी पत्तियों के लिए की गई है तो 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है. मेथी की पत्तियों को सुखाकर भी बेचा जाता है. यदि मेथी की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो 2-5 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर कमाया जा सकता है.

अगर आपको Fenugreek Farming in India (Fenugreek ki kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

Fenugreek Farming – FAQ

Q. मेथी की बुवाई कौन से महीने में की जाती है?

Ans. मेथी की बुवाई के लिए मैदानी इलाकों सितंबर से मार्च तक और पहाड़ी क्षेत्रों जुलाई से लेकर अगस्त तक कर सकते है. मेथी की बुवाई साग के लिए कर रहे है तो मेथी की बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त है.
Q. मेथी कितने दिन में तैयार हो जाती है?

Ans. मेथी की फसल करीब 140 से 150 दिन लग जाते है तैयार होने में.
Q. मेथी को कितनी बार पानी देना चाहिए ?

Ans. मेथी की फसल को तीन-चार पानी की जरुरत होती है. खेत में नहीं के अनुसार पानी लगाना चाहिए.
Q. बरसात में मेथी की खेती कैसे करें?

Ans. वैसे तो मेथी रबी की फसल है. लेकिन मेथी की खेती कब और कैसे करें (Methi ki kheti kab aur kaise kare) इसकी सम्पूर्ण जानकार इस लेख में प्राप्त कर सकते है..
Q. क्या मुझे मेथी के बीज बोने से पहले भिगोना चाहिए?

Ans. बिजाई से पहले बीज को 10 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें ताकि बीज जल्दी अंकुरित हो सके.

अगर आपको Methi ki Kheti in hindi (Fenugreek Farming in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

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Last Modified: 28 March, 2023

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