Henna Cultivation: मेहंदी की खेती को अगर व्यापारिक दृष्टि (Henna farming business idea) से देखा जाये तो यह काफी मुनाफा देनी वाली फसल मानी गई है. क्योकि भारतीय बल्कि विदेशी बाजारों में मेहंदी की मांग हमेसा बनी रहती है. भारतीय महिलाएं सभी तीज-त्यौहार, शादी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हाथ-पैरों को मेहदी से सजाती है. इसके अलावा मेहदी का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. मेंहदी के झाड़ीदार पौधे कम पानी वाले क्षेत्र मैं आसानी उगाये जा सकते है. अगर आप अपने क्षेत्र में मेहंदी की खेती करना चाहते हैं तो इस लख को ध्यान से पढ़ें. इसमें हम आपको बताएंगे कि मेहंदी की खेती के लिए किस प्रकार की भूमि सबसे ज्यादा अच्छी होती है और बाजार में इस फसल के द्वारा आप कितनी कमाई कर सकते है.
मेहंदी की खेती (Mehndi ki Kheti)
मेहंदी का उपयोग केवल बालों और हाथों पर लगाने के लिए ही नहीं किया है बल्कि इसके पत्तों, फूलों, बीजों और छाल औषधीय गुणों से भरपूर है जिनका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है. इसके अलावा मेहदी का प्रयोग धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है. ये बात सही कि ज्यादातर मेहंदी की खपत बालों और हाथों के लिए होती है. मेहदी के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि बड़ी बड़ी कंपनियों इसको अपना प्रोडक्ट बनाकर बेच रही है इस स्थिति में किसान को मेहदी के लिए ग्राहक खोजने की आवश्यकता नहीं है. ये कंपनियां आपकी मेहंदी की खरीद लेंगे, जिसकी वजह से आपको को अच्छी रकम मिल सकती है. इसलिए मेंहदी की खेती किसानो के लिए आय का स्रोत बन सकती है.
कैसे की जाती है मेहंदी की खेती
आजकल मेहंदी की खेती (Mehndi ki Kheti) कमाई का अच्छा साधन बनती जा रही है क्योकि मेहंदी की मांग दिन प्रति बढ़ती जा रही है, ऐसे में किसान मेहंदी की फसल उगाकर तगड़ी कमाई कर सकते है. जो किसान मेहंदी की खेती करना चाहते है उनको मेहंदी की खेती कब और कैसे की जाती है इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी होगी. तो आइये जानते है मेहंदी की खेती कैसे करें.
जलवायु
मेहंदी की खेती के लिए किसी विशेष प्रकार की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी खेती शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में आसानी से हो जाती है. मेहंदी की फसल अच्छे विकास हेतु 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है.
भूमि का चयन
सामान्यतः मेहंदी को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए 7.5 से 8.5 पीएच मान वाली बलुई दोमट मिट्टी का चयन करें.
मेंहदी की किस्में
मेंहदी की खेती करने के लिए सही किस्मों का चयन करना अति आवश्यक होता है. अगर व्यावसायिक रूप से मेंहदी की खेती करनी है तो स्वस्थ, चौड़ी व घनी पत्तियों वाले पौधों का चयन करें जिससे उत्पादन अच्छा मिल सकेगा. मेंहदी से अच्छी पैदावार लेने के लिए इना, हजनी, एस 8, एस 22 खेडब्रहा व धन्धुका किस्मों का चयन कर सकते है.
मेहंदी की खेती के लिए पौध तैयार करना
मेंहदी की खेती प्रवर्धन बीज और कलमों द्वारा किया जाता है. मेंहदी की रोपाई के लिए मार्च से अप्रैल महीने में नर्सरी तैयार करनी होगी. नर्सरी तैयार करने के लिए आबश्यक्तानुसार लम्बाई 1.5 मीटर चौड़ी 8 से 10 क्यारियां तैयार करके सड़ी गोबर का खाद मिला दें. मेहदी के बीजो को 24 घण्टे पानी में भिगोएं ताकि अंकुरण जल्दी से हो सकें. पाने से निकलने के बाद बीज को महीन बालू रेत में मिलाकर इन क्यारियों में बोयें. बता दें, मेंहदी की एक एकड़ खेती के लिए करीब 2.5 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है.
खेत की तैयारी
मेंहदी की खेती के लिए पहली जुताई करने से पहले खेत में 5 से 8 टन सड़ी गोबर खाद डालें ताकि खेत की उर्वरशक्ति बाद जाये. मेहदी की रोपाई के लिए आखिरी जुताई करने से पहले 60 किग्रा नाइट्रोजन और 40 किग्रा. फास्फोरस का प्रति हेक्टर की दर खेत में डालें. किसान चाहें तो जीवामृत, वर्मीकंपोस्ट, नीम-गौमूत्र कीटनाशक पर आधारित मेहदी की जैविक खेती भी कर सकते हैं.
मेंहदी की रोपाई
पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सें.मी., पौधे से पौधे की दूरी 30 सें.मी. तथा खूंटी से 10-15 मि.मी. गहरा गड्ढा करके मेंहदी की रोपाई कर देनी चाहिए. मेंहदी के पौधों को दीमक से बचने के लिए नीम-गोमूत्र या क्लोरपाइरीफॉस 35 ई.सी. घोल में मेंहदी की जड़ों को डालकर रोपाई करें.
खाद व उर्वरक
मेहंदी के पौध की रोपाई से पहले खेत की अंतिम जुताई के दौरान 5 से 8 टन सड़ी गोबर खाद प्रति हेक्टर की दर से डालें. इसके अलावा 60 किलो ग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलो ग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. फास्फोरस की पूरी मात्रा एवं नाइट्रोजन की आधी मात्रा पहली बारिश के बाद खेत में डालें. शेष नाइट्रोजन की मात्रा उसके 25 से 30 दिन बाद खेत में डालें.
कब करें मेंहदी के पौधों की सिचाई
मेंहदी के पौधों को अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है. मेंहदी लंबे सूखे के साथ गर्म जलवायु को पसंद करती है. मेंहदी के पौधे की मिट्टी को सूखने दें फिर उसे एक साथ ढेर सारा पानी दें.
कब करें मेंहदी की कटाई (Harvesting Henna)
मेंहदी की कटाई साल में दो बार की जा सकती है. मेहंदी पत्ती उत्पादन और गुणवत्ता की दृष्टि से मेहंदी की कटाई के लिए अप्रैल से मई और अक्टूबर से नवंबर का महीना सही समय होता है. कटाई के बाद पत्तियों की 18-20 घंटे तक मेहंदी को खुला छोड़ जिससे मेहंदी की गुणवत्ता में सुधार आता है.
मेंहदी से पैदावार
पहली साल में मेहंदी की उपज क्षमता का केवल 5-10 प्रतिशत उत्पादन ही प्राप्त हो पाता है. रोपाई के 3-4 साल बाद मेंहदी अपनी क्षमता का उत्पादन देना शुरू करती है. अगर फसल की देखभाल सही से करें तो प्रतिवर्ष लगभग 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सूखी पत्तियों का उत्पादन होता है. मेंहदी की एक बार रोपाई करने पर करीब 25 साल तक लगातार पैदावार देती है.
भारत में मेहंदी की उन्नत खेती
भारत में मेहंदी की उन्नत खेती गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में की जाती है लेकिन राजस्थान के पाली जिले में करीब 40 हजार हेक्टेयर में मेहंदी का व्यावसायिक उत्पादन लिया जा रहा है. यहां की मेहंदी रचाने की क्षमता के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है.
मेहंदी की खेती के फायदा
मेहंदी की खेती (mehndi cultivation) सीमित संसाधनों में सफलतापूर्वक की जा सकती है. इसकी खेती को पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहतर मना गया है. मेहंदी के पौधे मिट्टी के कटाव को रोकने और मिट्टी में जल संरक्षण बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते है. किसानो के लिहाज से इसकी खेती काफी मुनाफे वाली है क्योकि यह एक बहुवर्षीय पौधा इसकी वजह से इसके पौधों को हर साल नहीं लगाया जाता है यानी एक बार लगाओं और कई सालों तक पैदवार लो यही कारण है कि कम निवेश में इसकी खेती से हर साल उपज और आय सुनिश्चित होती है. फसल ख़राब होने की संभावना भी कम रहती है, इसके अलावा जंगली जानवर व आवारा पशु भी इसकी फसल को नहीं कहते है. इसलिए इसकी अधिक सुरक्षा करने की भी जरूरत नहीं होती है.
मेहंदी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि मेहंदी की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Henna Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.
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