लेटस की खेती / Lettuce Cultivation / Lettuce ki kheti : लेटस / Lettuce Farming के एक पत्तेदार सब्जी है. लेटस की खेती (Lettuce Cultivation) दूसरी सब्जियों की तरह पूरे भारत में उगाई जाती है. सामन्यतः लेटस लाल और हरे रंग का होता है. इसका रंग इसकी वैरायटी पर निर्भर करता है. देश विदेश में लेटस (Lettuce Leaf) की कई प्रजातियां पाई जाती है, जिनकी खेती कर किसान अच्छी कमाई कर रहे है. चीन, यूएसए, भारत, स्पेन, इटली लेटस के सबसे बड़े उत्पादक देश है. जिसमें चीन विश्व का 50% से अधिक लेटस पत्ते का उत्पादन करता है. जो लोग लेटस ग्रास की खेती (Lettuce Cultivation) कर रहे है वे इससे अच्छी कमाई कर रहे है. लेटस की खेती (Lettuce Farming) से किसान कम लगत में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है. इस लेख में लेटस की खेती कब और कैसे करें? (Lettuce ki kheti kaise kare?)

लेटस की खेती कैसे करे ? – How to Cultivate Lettuce Leaf ?
लेटस (Lettuce) का इस्तेमाल सलाद के रूप में किया जाता है. लेटस की पत्तियों की मांग बड़े-बड़े होटलों बहुत अधिक होती है. लेटस में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, आयरन और विटामिन ‘सी’ ‘ए’ मुख्य मात्रा में पाया जाता है. जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है. यह पोषक तत्वों से भरपूर और कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है.
लेटस की खेती की पूरी जानकारी – Lettuce Leaf Farming in Hindi
अनुकूल जलवायु
लेटस की खेती (Lettuce Farming) के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए 12-15 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरुरत होती है. अधिक तापमान स्वाद कड़वा, टिप जलने और सड़ने का कारण हो सकता है. यदि मिट्टी का तपमानन 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है तो इसके बीजों का अंकुरण नहीं होता है.
भूमि
लेटस की खेती (Lettuce ki Kheti) सभी तरह की भूमि में की जा सकती है. लेकिन इसकी खेती के लिए जैविक पदार्थ, नाइट्रोजन और पोटाश्यिम से युक्त रेतली दोमट और दानेदार दोमट मिट्टी को अच्छा माना गया है. इसकी फसल के लिए 6-6.8 पी एच मान अच्छा मना गया है. इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए. अधिक अम्लीय और ज्यादा पानी रोकने वाली मिट्टी इसके लिए अच्छी नहीं मानी गई.
खेत की तैयारी
लेटस की खेती (Lettuce ki Kheti) के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से कर खेत को खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. इसके बाद 15-20 ट्रौली प्रति हेक्टर गोबर की खाद खेत में डालें. कैमिकल उर्वरकों (chemical fertilizers) – नत्रजन 120 किलो ,60 किलो फास्फेट तथा 80 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर खेत में डालें. इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लें.
लेटस की प्रमुख प्रजातियां (Improved Varieties of Lettuce)
बटरहेड(Butter Heads)- इस वैरायटी को तैयार होने में लगभग 45-55 दिन लगते है.
क्रिस्पहेड / आइसबर्ग (Crisphead / Iceberg)- यह वैरायटी बुवाई के 70-100 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
पंजाब लेटिष 1(Punjab Lettuce 1) – यह किस्म बिजाई के 45 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है
पूसा स्नोबॉल 1 (Pusa Snowball-1)- इसके पत्ते ढीले होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 35 क्विंटल प्रति एकड़ होती है
रोमैन Romaine)- इस किस्म को पहली कटाई को तैयार होने में 75-85 दिन लगते है.
लेटस बीज की मात्रा
एक एकड़ भूमि के लिए लैटस के बीज की मात्रा 325 -375 ग्राम की जरूरत होती है.
लेटस की बुवाई का समय (Lettuce Sowing Time)
लेटस की खेती (cultivation of lettuce) को सीधे बीज और नर्सरी तैयार कर किया जा सकता है. लेटस की फसल (lettuce crop) के लिए नर्सरी की बुवाई सितंबर से अक्टूबर महीने में की जाती है. लेटस की नर्सरी (Lettuce Nursery) 5-6 सप्ताह में तैयार हो जाती है. पहाड़ियों में इसकी रोपाई फरवरी से जून तक की जाती है.
लेटस की बुवाई का तरीका
लेटस को पौध और बीज द्वारा बोया जा सकता है.
बीज दूरी
इसकी रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति के बीच दूरी 45 सैं.मी. और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 30 सैं.मी. होनी चाहिए.
बीज की गहराई
बीज को 5-6 सैं.मी. गहराई में बोना चाहिए.
लेटिष की फसल में खरपतवार नियंत्रण (weed control in lettuce)
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करते हैं.
लेटस की सिंचाई (Irrigation of Lettuce)
अच्छी गुणवत्ता और अच्छी पैदावार के लिए फसल में बार-बार हल्की सिचाई करनी चाहिए. सिंचाई के लिए फरो, ड्रिप और स्प्रिंकलर का उपयोग कर सकते है. फसल की सिचाई 8-10 दिनों के अंतर् पर कर देनी चाहिए.
लेटस में लगने वाले कीड़े और बीमारियां
एफिड्स:- इस प्रकार के कीड़े पौधों के तने, पत्तियों का रस चूस कर जिन्दा रहते है. जिससे फसल को नुक्सान होता है.
स्लग:- इस तरह के कीड़ों लेटस की पत्तियों को चबाकर उनमें छेद कर देते है. इस तरह के पत्ते नजर में बेचने लायक नहीं बचते है. अगर इनके प्रजनन को नहीं रोका तो यह पूरी फसल को नष्ट कर सकते है.
बीमारियां
सफेद फफूंदी:- स्क्लेरोटेनिया नामक एक सफ़ेद फफूंदी रोग है. इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तिया मुरझाई और रंग उतरा सा हो जाता है.
जड़ सड़ना:- राइजोक्टोनिया सोलानी की वजह से इस रोग का प्रकोप लेटस की पत्तियों पर देखने को मिलता है. यह एक फफोड़ि रोग होता है.
कोमल फफूंदी:- इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं.
लेटस की कटाई – How to Harvest Lettuce ?
सामन्यतः लेटस 50-55 दिन बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाता है. लेटस की कटाई (lettuce harvesting) सुबह या शाम को करनी चाहिए जिससे लेटस की पत्तियां (lettuce leaves) ताज़ी बानी रहेगी. बीच की पत्तियों को छोड़ कर बहार की सभी पत्तियों को काट लेना चाहिए.
कटाई के बाद
लेटस की कटाई (harvesting lettuce) के बाद पत्तियों को उनके आकर के अनुसार छंटाई कर लैटस को बक्सों और डिब्बों में पैक करें.
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