लाल भिंडी की खेती / Red Okra Cultivation / Lal Bhindi ki Kheti : लाल भिंडी की खेती / Red Okra Farming किसानो के बीच खूब चर्चा विषय बानी हुयी है. क्योकि इसकी खेती करने से किसानो को पारम्परिक खेती के अपेक्षा अधिक मुनाफा हो रहा है. इसलिए लाल भिंडी की खेती (Red lady Finger Farming) करने के लिए किसान काफी उत्सुक है. लाल भिंडी की खेती कैसे करे? इस आर्टिकल के जरिये हम आपको इसकी खेती सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है.

लाल भिंडी की खेती कैसे करें ? – Lal Bhindi ki Kheti in Hindi
लाल भिंडी (Red Lady Finger) पोषक तत्वों (आयरन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट) भरपूर मात्रा में पाए जाते है. लाल भिंडी में हार्ट की बीमारी, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज को कंट्रोल करने की क्षमता होती है. सेहत के हिसाब से लाल भिंडी किसी रामबाण से कम नहीं है. लाल भिंडी (Red Okra) में औषधीय गुण होने के साथ यह किसानो की अच्छी आमदनी भी कराती है. हरी भिंडी की अपेक्षा बाजार में इसकी मांग भी अधिक है. हरी भिंडी की अपेक्षा लाल भिंडी को काटते समय चिपचिपा पन कम होता है. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने लाल भिंडी को ‘काशी लालिमा’ के नाम से तैयार किया है. इसके अलावा आप Chukandar ki Kheti, Button Mushroom ki Kheti, Aloe Vera ki Kheti, Tulsi ki Kheti, Onion ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
लाल भिंडी की खेती की पूरी जानकारी – Red Lady Finger Farming in Hindi
लाल भिंडी की खेती के लिए आवश्यक जलवायुरे
लाल भिंडी की खेती (lal bhindi ki kheti) खरीफ और रबी दोनों मौसम में जा सकती है. इसकी फसल के लिए सामन्य वर्षा काफी है. इसकी खेती के लिए अधिक गर्मी और अधिक सर्दी ठीक नहीं होती है. सर्दियों में पड़ने वाले पाले से इसके पौधों का विकास रुक जाता है. इसके पौधों के विकास के लिए दिन में लगभग 6 घंटे तक धूप की जरुरत होती है.
लाल भिंडी की खेती के लिए उपयोगी मिट्टीरे
लाल भिंडी की खेती (Red Ladyfinger Farming) के लिए जीवांश व कार्बनिक पदार्थ युक्त बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी गई है. इसकी खेती के लिए खेत का पी.एच. मान 6.5 से 7.5 हो चाहिए. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
लाल भिंडी की खेती का सही समयरे
लाल भिंडी की खेती (Red Lady Finger Cultivation) साल में दो वर की जा सकती है. फरवरी के पहले सप्ताह से मार्च अंत तक और जून से जुलाई माह तक इसकी खेती की जा सकती है. इसकी खेती लगभग हरी भिंडी जैसे ही होती है.
खेत तैयार करने की प्रक्रियारे
- मानसून व ग्रीष्म ऋतू में लाल भिंडी की खेती कर सकते है
- खेत की गहराई से जुताई का उसको खुला छोड़ दें
- खेत में 20-30 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद को डालकर खेत की अच्छे से जुताई कर दें.
- अब खेत का पलेव कर दें
- पलेव करने के 4-5 दिन बाद भूमि ऊपर सूखने लगे तब खेत की फिर से जुताई कर खेत को समतल कर लें
लाल भिंडी की उन्नत किस्में
भारतीय कृषि वैज्ञानिक इस प्रजाति को विकसित करने के लिए 1995-96 से प्रयासरत है. भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान वाराणसी ने 23 साल बाद लाल भिंडी की इस किस्म को विकसित करने में सफलता हासिल की है. इस प्रजाति की भिंडी का रंग बैगनी व लाल होता है. यह 0-15 सेंटीमीटर लम्बी, और 1.5 से 1.6 सेमीo की मोटाई वाली इस भिंडीमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इन दोनों किस्मों के फल लाल रंग के होते हैं
लाल भिंडी की दो उन्नत किस्में हैं –1. आजाद कृष्णा 2. काशी लालिमा
लाल भिंडी के बीज रोपण की विधि
खेत तैयार हो जाने के बाद बीज रोपण की बारी आती है. बुआई के लिए सबसे पहले काशी लालिमा (Lal Bhindi) के बीजों को 10-12 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रख दें. जिससे बीज का अच्छे से अंकुरण हो सके. बीज को पानी से निकाल कर छाया में सुखा दें. लाल भिंडी के पौधों को लाइन से रोपित करें. लाइन से लाइन की दूरी 45-60 सेंटीमीटर व लाइन में पौधे से पौधे के बीच 25-30 सेंटीमीटर की दूरी रखें.
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
लाल भिण्डी की सिंचाई मौसम के अनुसार करें. मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून में 4-5 दिन के अंतर पर सिंचाई करें. बराबर के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
ऊर्वरक की मात्रा : लाल भिण्डी की बुवाई से करीब एक महीने पहले खेत की तैयारी के समय 20-30 टन अच्छी तरह गली एवं सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में डालें. बुवाई के पहले 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस, 50 कि.ग्रा. पोटाश, प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में डालनी चाहिए.
उर्वरक डालने की विधि
बुआई के पहले ही नाइट्रोजन खाद की एक तिहाई मात्रा तथा फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत में मिला दें. शेष बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा दो बार खड़ी फसल में एक समान रुप से टॉप ड्रेसिंग कर दें.
Lal Bhindi Ki Kheti को रोग व बचाव
अन्य सब्जियों की फसल के मुकाबले लाल भिंडी की फसल में रोग काम लगते है. इस प्रजाति की भिंडी में मच्छर, इल्ली और दूसरे कीट जल्दी नहीं लगते, लेकिन इसके पौधे को लाल मकड़ी से खतरा बना रहता है. पौधों की पत्तियों के नीचे यह झुण्ड बनाकर रहने लगते हैं. यह इनका रस चूसते रहते हैं. जिससे पौधा धीरे-धीरे पूरा पीला होकर सूख जाता है और पौधों का विकास रुक जाता है. इससे बचने के लिए पौधों पर डाइकोफॉल या गंधक का सही मात्रा में छिडकाव करना चाहिए
लाल भिंडी की कीमत व कमाई
बाज़ार में सामान्य भिंडी की अपेक्षा लाल भिंडी के दाम अधिक होते है. जहाँ हरी भिंडी 50 रुपए किलो बिक रही हो वही लाल भिंडी के दाम (Red Lady Finger Price in India) 100 से 500 रुपए किलो तक जाती है. बड़े शहरों के मॉल में लोग 300-400 रुपए प्रति 250/500 ग्राम तक में खरीदने को तैयार हैं. लाल भिंडी को एक एकड़ में करीब 40 से 50 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है. सामान्य भिंडी की अपेक्षा इसकी फसल जल्दी पक जाती है. लगभग 45 से 50 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है. इसकी खेती से आप कम समय में ही अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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