Garlic Farming : कंद वर्गीय फसलों में लहसुन का एक विशेष स्थान है जिसकी उन्नत खेती कर किसान भाई लाखों की कमाई कर सकते है क्योकि इन दिनों में देश-विदेश में लहसुन की मांग में बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ है. लहसुन एक नगदी फसल के रूप में जानी जाती है जो पूरे देश में उगाई जाती है. लहसुन की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के खादों, किस्मो और न्यूट्रिएंट्स की अहम भूमिका रहती है. अगर आप लहसुन की खेती करने की सोच रहे है तो आपको उन्नत बीज, बेहतर सिंचाई व्यवस्था, पोषण और खरपतवार प्रबंधन जानना होगा. तो चलिए जानते है लहसुन की वैज्ञानिक खेती तरीके कैसे करें?
कम निवेश में अधिक मुनफा देने वाली फसलों की श्रेणी में लहसुन की फसल रखा गया है. जिसका उपयोग कई खाद्य पदार्थ और औषधि के रूप में किया जाता है. जिसका सेवन स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है. लहसुन की उन्नत खेती (Garlic Farming) भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है.
लहसुन की खेती (Lahsun ki kheti)
लहसुन को अंग्रेजी में गार्लिक (Garlic) कहते है. जिसका उपयोग खाने अलावा औषधि के रूप में भी किया जाता है. लहसुन में प्रोटीन, फास्फोरस, पोटेशियम जैसे अन्य पोषक तत्व पाए जाते है जो अपच, फेफड़ों की बीमारियों, रक्तचाप, कैंसर व गठिया की बीमारी, नपुंसकता तथा खून की बीमारी, दमा जैसी आदि बीमारियों में रामबाण साबित हो सकता है. आचार, चटनी, सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए व्यापक रूप से लहसुन का उपयोग किया जाता है. लहसुन के औषधीय गुणों की वजह से लहसुन की खपत भारत के आलावा अन्य देशो में बड़े पैमाने पर मांग बनी रहती है. इसलिए लहसुन की उन्नत खेती कर किसान मुनाफा कमा सकते है.
लहसुन की उन्नत खेती कैसे करें
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जलवायु
अधिक गर्मी और सर्दी लहसुन की खेती के लिए लाभदायक नहीं मानी जाती है क्योकि इस मौसम में कंद का विकास से अच्छे से नहीं हो पाता है. लहसुन से अच्छी पैदावार प्राप्त करने हेतु मध्यम ठंडी जलवायु उत्तम मानी जाती है. वही इसकी फसल के अच्छे विकास हेतु 29.35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है.
मिट्टी का चयन
उचित जल निकासी एवं कार्बनिक पदार्थों से भरपूर 6.5 से 7.5 पी.एच मान वाली बलुई दोमट एवं चिकनी दोमट मिट्टी लहसुन की खेती (Garlic Farming) के लिए उत्तम मानी जाती है.
खेत की तैयारी
लहसुन की खेती (Garlic Crop Cultivation) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें, जिससे भूमि में मौदूज खरपतवार एवं हानिकारिक कीट नष्ट हो सकें. उसके बाद 5 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा प्रति एकड़ दर से खेत में डालें. बुवाई से पहले दो से तीन बार आडी-तिरछी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें.
बुआई का समय
लहसुन की उन्नत खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में की जा सकती है. रबी के मौसम में लहसुन की बुवाई का समय 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच ठीक मना जाता है जबकि खरीफ के मौसम में लहसुन के खेती के लिए 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच का समय बढ़िया मना गया है.
लहसुन की उन्नत किस्में
- यमुना सफ़ेद 5:- खुदाई के लिए 150-160 दिनों तैयार होने वाली इस वैरायटी की औसतन उपज 68-72 क्विंटल प्रति एकड़ ली जा सकती है.
- YG.H.C-1:- 150 से 160 दिन में तैयार होने इस वैरायटी से 84-105 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार हो जाती है.
- एग्रीफाउण्ड पार्वती (जी -313):- पहाड़ी क्षेत्र में इस वैरायटी को अधिक उगाया जाता है. इसकी कालिया हल्के सफेद और बैंगनी मिश्रित रंग की होती है जिनके शल्क कंद का व्यास 5 से 7 सेमी होता है. वही इसके शल्ककंद में 10 से 15 कलियां होती है. जिसका वजन 4 से 4.5 ग्राम तक होता है. 250 से 270 दिनों में तैयार होने वाली इस वैरायटी से औसतन उत्पादन 175 से 225 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
- यमुना सफ़ेद (G-1):- इस प्रजाति के शल्ककंद सख्त और सफेद होती हैं जो खुदाई के लिए 150 से 160 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी प्रत्येक गांठ में 25-30 कलियां होती हैं.
- पंजाब लहसुन – इस प्रजाति की गांठ तथा जवा उजले रंग के होते है. इसकी औसतन ऊपज क्षमता 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.
- जमुना सफेद-2 (जी. 50) – इस प्रजाति को खुदाई के लिए 160-170 दिन लगते है. इस वैरायटी से औसतन उपज 130 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाती है. इसकी एक गांठ में 18 से 20 कलियाँ होती है तथा गांठ ठोस और उजले रंग की होती है
बीज की मात्रा एवं उपचार
लहसुन की एक एकड़ खेती के लिए 200-250 किलोग्राम गांठों की आवश्यकता होती है. लहसुन की बुवाई से पहले कलियों को कान्जानि 2 ग्राम + थिरन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम गांठो को उपचारित कर ले.
बुआई का तरीका
लहसुन की बुआई कूड़ों, छिड़काव या डिबलिंग विधि से की जा सकती है, कलियों से कलियों की दूरी की दूरी 7.5 से 8 सेंटीमीटर, पंक्ति से पक्ति की दूरी 15 सेमी तथा 5 सेंटीमीटर गहराई रखते हुए लहसुन की बुवाई कर दें. बड़े क्षेत्र में लहसुन की बुआई करना चाहते है तो आप गार्लिक प्लान्टर का उपयोग कर सकते है.
उर्वरक व खाद प्रबंधन
लहसुन से अच्छा उत्पादन लेने के लिए लहसुन की बुवाई से पहले खेत में 5 से 6 टन गोबर की खाद, 10 किलोग्राम का पुरन 2.5 किलोग्राम दिकोडेर्मा 25 किलोग्राम DAP, 20 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें. बुवाई के बाद निम्न तरीके से लहसुन की फसल में खाद डालें-
- बुवाई के 10 से 15 दिनों बाद 10 ग्राम NPK 19:19 19 को 1 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
- बुवाई के 35 से 40 दिनों बाद 3.5 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब खेत में डालें
- बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद 1 किलो एन.पी.के. 00.52 : 34 और 300 मिली इपको सागरिका को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से डालें
- बुवाई के 60 से 70 दिनों बाद 35 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से डालें
- बुवाई के 70 से 75 दिनों बाद 1 किलो N.PK. 00.00.50 21 150 लीटर में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें
लहसुन की सिंचाई
लहसुन की बुवाई के तुरंत बाद एक हल्की सिंचाई करें ताकि लहसुन का जमाव अच्छे से हो सके. उसके बाद 10-15 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. लहसुन की सिचाई हमेसा हल्की करनी चाहिए ताकि खेत में पानी न भरने पाए. सिचाई का अंतराल अधिक होने पर लहसुन की कालिया बिखर जाती हैं.
खरपतवार नियंत्रण
लहसुन की जड़ों में उचित वायु संचार बनाने हेतु बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निदाई-गुडाई करें तथा दूसरी निदाई-गुडाई 40-45 दिन बाद करनी चाहिए. खरपतवार की रोकथाम के लिए बुवाई से पहले पेड़ामेंथिलीन का छिड़काव करें.
लहसुन की खुदाई (Harvesting Garlic)
लहसुन की फसल खुदाई के लिए लगभग 145-150 दिनों में तैयार हो जाती है. लहसुन की फसल तैयार होने पर उसके पत्ते पीले पड़ने लगते है. इस स्थिति में लहसुन की खुदाई कर लेनी चाहिए.
उत्पादन
लहसुन की पैदावार वातावरण, भूमि एवं किस्मों पर निर्भर करती है, यदि फसल की अच्छे से देखभाल की जाये तो प्रति हेक्टेयर 80 से 120 क्विंटल उपज मिल जाती है.
लहसुन की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि लहसुन की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Garlic) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.
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